“दर्द-ऐ-एहसास” praveen singh द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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“दर्द-ऐ-एहसास”

“दर्द-ऐ-एहसास”

कोई जब दिल तोड़ता है, कोई जब साथ छोड़ता है जरुरी ये नहीं है की वो शख्स बेवफा है, जो मुँह मोड़ता है उसे भी तकलीफ होती है, वो भी इंसान होता है कभी तुम देखना अकेले में उसको, कितना वो उदास होता है

मोहब्बत में क्या सच होता, क्या झूट होता है बहुत ही गहरा होता है ये रिश्ता, बहुत ही अटूट होता है कभी मोहब्बत को बदनाम न करना मेरे दोस्तों चार पल के लिए ही सही, बहुत काम को ये नसीब होता है

मोहब्बत का हिसाब किताब भी बहुत अजीब होता है दर्द उसी से मिलता है, जो दिल के सबसे करीब होता है

मेरी उम्र बहुत छोटी है, मगर मोहब्बत में तजुर्बा बहुत है बेवफाई उसी को मिलती है, जिसका दिल बहुत मासूम होता है दिल जो है, ये खुद की तन्हाई से नहीं डरता हाल क्या होगा उसका, बस यही सोचने पर मजबूर होता है

मेरी अहमियत वो समझे या न समझे, मैं कभी इस बात की परवाह नहीं करता हूँ आंसू आ जाते है उसकी आँखों में मेरी वजह से, तो दिल को तकलीफ होती है दुखाया है दिल मैंने उसका, मुझे इस बात से इंकार नहीं है हुई है कई बार तकरार दरमियान हमारे, मगर इसका मतलब ये नहीं मुझे उससे प्यार नहीं है बहुत कुछ था मेरे दिल में, जो बताना था उसको मेरे वजूद का हिस्सा था वो, रात में कोई देखा हुआ ख्वाब नहीं अपने हाथो पर रखकर हाथ उसका, मैं लकीरो का मिलान किया करता था भूल बैठा था की मामूली इंसान हूँ मैं, कोई भगवान नहीं

(1)

घुमा जो आज रस्ते गलियां तन्हा तेरे बगैर संग गुजरा हुआ हर एक लम्हा याद आया तुम जो थे तो शहर में रौनक खूब लगती थी आज इस शहर की गालिया, बेजान और बीरान नजर आया

खिल उठती थी सुबह खुसबू, मेरे जिंदगी में तेरे होने से आज सुबह आँख खुली तो, मुझे, तेरा प्यार याद आया

शाम ढले, तुम याद आये, कुछ गीत सुने, कुछ गज़ले गाये दिल मेरा, मेरे ही अंदर धड़के सुबहो शाम, सांसो पर देखा जो, हर साँस पर तेरा नाम आये हम ख्याल किये, खुद से भी सवाल किये मेरे हर दर्द की दवा है दीदार तेरा, मेरे दिल क अंदर से ये जबाब आये

अच्छा लगा उसे एक अरसे के बाद देखकर बस यही था उसे मैं गले नहीं लगा पाया वो आया तो मुस्कुराते हुए मिला मुझसे बस अफ़सोस है की मुस्कुराते हुए जा नहीं पाया

पूछा सवाल उसने की याद आती हूँ मैं क्या बताऊ, जबसे बिछड़ा हु तुमसे, मैं उसको भुला नहीं पाया पूछता है वो मुझसे की अब कब करोगे मुलाकात मुझसे कितना दर्द होता है मिलकर बिछड़ने में, मैं लब्जो में उसे समझा नहीं पाया

(2)

खो गया है जिंदगी में चेहरे से वो मुस्कान जिसके कभी लोग दीवाने हुए करते थे आज कल जिंदगी हुई है झूठी सी, और बोझिल हुए जा रही है कभी मेरे नाम की लोग कस्मे उठाया करते थे

वो इंसान जो खुद के लिए ही वफादार न रहा वो लोगो को वफ़ा की बात क्या बताएगा अंदर ही अंदर टूटेगा वो, और मोतियों की माला की तरह टूट कर बिखर जायेगा

बहुत कुछ दिल में दबाकर, मुस्कुराना सीखा है मैंने

कंही बदनाम न हो जाये मोहब्बत सरे आम बाजार में

नाम ओंठो पर दबाकर उसका रखा है मैंने

वो आकर इतने करीब, दूर हो गया मुझसे नासमझ था मैं, जो मोहब्बत की गलियों में फिरता रहा पलट कर जो वापस में आया जिंदगी की असलियत में मैं हस्ता मुस्कुराता इंसान, खुद को बहुत तन्हा पाया मैंने

मेरा मुक्कदर, मेरी तकदीर कंहा लेकर जाएगी मुझे इस सवाल का जबाब ढूंढता फिर रहा हु मैं हूँ मुसाफिर इस बात से बेखबर मैं मंजिल का पता नहीं, और दिल का कारवाँ लिए फिर रहा हु मैं

(3)

चाहा इतना टूट कर उसे मैं, की खुद ही टूट गया मैं उसकी हंसी, चेहरे की मुस्कान के वास्ते, खुद से ही रूठ गया मैं जो कहता था मैं कोई गैर नहीं, वो मेरे बगैर जी रहा रहा है अब उदासिया छायी है कुछ इस कदर, मानो खुशिओ की अब खैर नहीं

उसके दिल की वो ही जाने, मेरे बिल क्या हल है उसका मुझसे अगर पुछोगे, उसके बिन एक पल भी मुझको चैन नहीं

मिल कर गले लगाता था वो, हम हर दर्द अपना भूल जाते थे उसको लगता है की खुस है हम, कैसे बताये कितना याद आये है वो उसकी एक दीदार के खातिर, हम क्या क्या कर बैठे है सच झूठ का फर्क नहीं दिल को, हम दिल से हर बैठे हैं

बहुत ही खूबसूरत, बहुत अजीज भी था वो, सच है ये की दिल के करीब भी था वो कुछ बात तो थी उसमे, जो उसका इंतजार रहता था सच ये भी है की, दिल को तुम्हारा ख्याल रहता था जानता नहीं था की क्या रिस्ता है तेरा मुझसे तब खोल देता था दिल की हर बात तेरे सामने, सच है की, मुझे उस पर बहुत ऐतबार रहता था

(4)

जुदाई जान लेती है, ये हम मान बैठे थे जुदा होकर उससे, खुद को अकेला मान बैठे थे ये वक़्त भी बहुत अजीब है, इसकी बात ही निराली है हम भी जी रहे है, उसकी जिंदगी में भी खुशहाली है खेल है सब तकदीरो का, वही सब खेल खेलता है किसी को मुकम्मल जंहा कहा मिलता है, हर कोई खुस होने की तरकीब ढूंढ़ता है

मैं हूँ तन्हा तेरे बगैर, ये कोई बड़ी बात तो नहीं मैं चाहता हु तुमको, तो तुम भी तो हो अपने जगह सही मेरा होना न होने से, तेरे लिए अब कोई मायने नहीं फिर भी दुआ है की, तेरे चेहरे से कभी मुस्कुराहट जाये नहीं

मैं हुआ बहुत ही तन्हा आज, हुआ यूँ की तेरी बहुत याद आयी आँखे भीग कर मुझे बेहाल कर दिया, थी खुसिया उतनी ही जितनी तेरे संग बितायी

सोचा था भूल कर तुमसे नयी शुरुवात करूँगा अब जो बस गए हो मेरी रूह में, तो अब खुद से बगावत कैसे करूँगा नहीं जनता था तुम निकलोगे बेवफा इस कदर दिल अब भी तेरी वफ़ा की दास्ताँ लिए बैठा हूँ जंहा प्यार दिखे वंहा दिख जाते हो तुम मुझको कौन कहता है, किसी को मिलने के लिए उस शख्स का साथ जरुरी है

(5)

वो अब भी मेरे दिल में, इस बात से इंकार नहीं मुझको मैं तो वो हूँ, जो अब भी तुम पर यकीन करता हैं बात ये हैं अब मेरी परवाह नहीं तुमको ना जाने कब फिर से मुस्कुरा सकेंगे वैसे वो मुस्कराहट, जो मेरे चेहरे पर, तेरे साथ रहने से हुआ करता था

टूट रहा हु मैं धीरे धीरे मगर कहु भी तो कोई समझ नहीं पायेगा ये दिल की बातें दिल में ही रह जाएँगी और मैं यूँ ही टूट कर बिखर जाऊंगा

तोड़ कर मेरा दिल जो तुम्हे इतना सकूं मिला है तेरी इसी अदा पर मै सारा अपना दर्द भुला रहा हूँ कभी मिलना अकेले, जब रहु मै तन्हा कंही भीड़ में तो मैं, बेवजह ही मुस्कुरा रहा हूँ

बहुत आसान होता है, किसी से मोहब्बत भरी बाँटे करना अकेले छोड़ जाते है वही, जिन पर विस्वाश होता है

मेरा दिल हो चूका है पथ्थर, मालूम है मुझको मगर फिर भी तेरे वास्ते एहसास कम नहीं हुए आजतक अच्छा हुआ जो सिख लिए मेरे बिन तुम जीना मैं बेवफा हूँ, मेरी बातो का कोई वजूद नहीं

(6)

टूट कर फिर संभल गया हूँ मैं अभी तू आकर एक बार फिर से मुझे बैचैन कर दे तुझसे करू अब शिकायत, ये मुमकिन नहीं अब तेरी हर कमियां जानकर, तुमसे मोहब्बत की थी मैंने

आज फुर्सत नहीं है तुम्हे मुझसे बात करने की कल तक मेरे न बात करने पर टूट जाया करते थे सब कुछ बेजान हो जाता था तेरे लिए उस वक़्त जो एक पल को हम तुमसे रूत जाया करते थे

रहु कुछ भी एहसास बनकर तेरे दिल मे मैं भले ही मोहब्बत हो या नफरत बेसुमार हो ताबीज की तरह तुम बधे हो मेरे दिल के एक एक कोने में मेरी मोहब्बत के तुम अकेले हक़दार हो

मैं जानता हूँ, बहुत ही दिल दुखाया है मैंने तेरा कभी कभी मगर तुम ही मेरे कल थे, और तुम ही मेरे आज हो

भूल कर भी जिंदगी में, भुला न पाए तुमको मेरा दिल दे रहा है, तेरी वफ़ा का यकीन मुझको मै किसकी सुनु, और क्या करू सब समझ के परे है मेरे दिल रात, हर पल हर एक बात में जिक्र तेरे है

(7)

ये तन्हा रातें तेरे बिन, गुजरू कैसे बताओ ना हो गए है बहुत अकेले, आकर मुझपर हक़ अपना जटाओ ना वो भी क्या दिन थे, वो भी क्या रात थी जब हम एक दूसरे के साथ हुआ करते थे दो पल के लिए ही सही मुझको वो बीते पल लौटाओ ना कहते है गम के साये भी ज्यादा दिन नहीं टिकते है टूट रहा हु अंदर ही अंदर मुझको गले लगाओ न

रुके जो तेरे कदम, तो मैं एक बात कहु दिल में है कुछ जज्बात, तो मैं उनके हालात कहूं यकीनन बहुत हो मशरूफ तुम, मालूम है मुझको 'बस इतना बता दो, तुम्हे याद किये बिना मैं कैसे रहूं अश्क आँखों में है मेरे, पर तुमको दिखाई ना देंगे तुम ही बता दो, तेरी जुदाई को मैं कैसे सहू

इस शहर की गलियां अब, काटने को दौड़ती है मुझको जिन गालिओ में बीते थे, बहुत खूबसूरत लम्हे संग तुम्हारे पेड़ पत्ते, फूल कलियाँ, सब मुरझाये से लगते है अब जिनके नीचे बीते थे, एक दूसरे के साथ हसीं वक्त हमारे कहते है जीने के लिए, हवाओ का चलना जरुरी है एक हम हैं, जो जिए जा रहे है अब तेरी यादों के सहारे

पूरी हो जाये जिंदगी में हर ख्वाइश, जरुरी तो नहीं

इश्क़ में लोग जीते है अपनी खुशी से तन्हा, ये कोई मज़बूरी तो नहीं

(8)

कभी कभी मैं अपने हालात से लड़ जाता हूँ कुछ ना मिले तो अपने ख्यालात से लड़ जाता हूँ जिंदगी हो रही है बेवजह से अब, ढूंढ रहा हूँ मुस्कुराने की वजह जब भी होता हूँ खली सा जिंदगी में, मैं जिंदगी के उलझे सवालात से लड़ जाता हूँ हद होती है बेरुखी की, जाकर कोई समझाए उनको उसके बिन मैं अपनी जिंदगी के, हर ख्वाब से लड़ जाता हूँ

तुम बिन हो गया हूँ कैसा, एक बार आकर मेरा हाल देखो ना तुम खुश हो जिंदगी में अपनी, मेरी तन्हाई देखो, मुझे बेहाल देखो ना अजनबी बनकर मिले थे हम, फिर से अजनबी बन गए है हम तुमको फर्क पड़ा या नहीं, पर खुदा बन गए तुम मेरे, इस बात को सोचो ना

बहुत खुश हूँ मैं अपनी भीगी पलकों के संग बात बस इतनी है की तुम बहुत याद आते हो किस बात पर लड़े है, किस बात पर गुरुर किये कुछ तुम बदले, कुछ हम बदले, इन बातो ने हमे दूर किया ये सच है की मई भुला नहीं तुमको अभी तक ये जिंदगी की कुछ करवटें है, जिसने हमें मसरूफ किया तुमको लगता होगा की मैं अब भूल बैठ हूँ तुमको पर, कल हो या आज मैंने सिर्फ तुमसे ही प्यार किया

अब अल्फाज नहीं है पास मेरे जो, अपने दिल की बात बता न पाऊँ तूने रख दी ऐसी दूरिया दरमियान हमारे, अब हक़ तुम पर मैं जाता ना पाऊँ

(9)

होते है कुछ रिश्ते जिनके नाम नहीं होता हैं, मगर बात ना हो उनसे तो जिंदगी जीना आसान नहीं होता हैं खामोसिया जो बन गयी है अब जीने की वजह मेरी गम में जीना ही, मेरी जिंदगी जीने की सकूँ बन गयी है

गलत सही की कोई बात नहीं है इस मोहब्बत में तकदीर रूठी और हम अजनबी बन बैठे आया होश जब पूरी तरह बर्बाद हो बैठे खुदा का जिक्र हुआ जंहा जंहा भी, हम आशिक तेरे वंहा पर तेरा नाम लिख बैठे

कास्मो वदो पर तो कभी यकीन नहीं था मेरा पर तेरी कसमों के आगे, हम कुरबान हो गए तुम मिले इस जंहा की सारी खुशिया, दुआ है मेरी हम तो अब तन्हाई को ही अपन अंजाम मान बैठे

वो बनकर रहेंगे एहसास, सदा भर जिंदगी के लिए कुछ रिश्ते जुदा होकर भी जुदा हुआ नहीं करते कुछ न रहा कहने को बीच दरमियान हमारे तुम्ही को चाहा था और तुम्ही न हुए हमारे

दर्द की कोई इन्तेहाँ नहीं नहीं, जो लब्जो में मई बयान कर दू बहुत तकलीफ देता है तेरा मेरा न हो पाना तेरी खुसी के वास्ते हु मैं तुमसे इस कदर जुदा ये मेरा दिल जानता है या जनता है मेरा खुदा

(10)