प्यार का एहसास praveen singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

प्यार का एहसास

अभिमन्यु, गौरव, अतुल,और मुस्कान कॉलेज की कैंटीन में बैठे हुए थे| उन लोगो के बिच में प्यार के बिषय में बहस चल रही थी|
अच्छा अतुल , तुम अपनी राय बताओ प्यार के बारे में, तुम क्या सोचते हो, मुस्कान में अतुल से पूछा|
छोड़ो! तुमको बुरा लग जायेगा मुस्कान|अतुल ने जबाब दिया|
अरे बताओ तो! मुस्कान ने कहा|
देखो यार, लोग कहते है की मुझे जिस्म की चाहत नहीं है, मुझे प्यार है उनसे, मगर प्यार की सीमा भी तो वंही पर आकर ख़तम जो जाती है, तो मेरे लिए तो प्यार एक शारीरिक रिश्ते से ज्यादा कुछ नहीं है| अतुल ने अपनी सोच को मुस्कान के सामने रखा|
मतलब, तुम्हे प्यार पर विश्वाश नहीं है|
कह सकती हो, वैसे तुम अपनी राय बताओ तुम्हारा क्या ख्याल के बारे में?

मैं तो बस इतना जानती हूँ और मानती भी हूँ की प्यार एक एहसास एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जिसके लिए इंसान किसी भी हद तक गुजर सकता है| मुस्कान ने अपनी बात रखी|
ये सब बातें फिल्मो में ही अच्छी लगती है मुस्कान|
अभिमन्यु और गौरव उन दोनों की बातचीत को गौर से सुन रहे थे|

अरे तुम लोग आपस में बहस क्यों कर रहे हो, ये सब छोड़ो चलकर सब लोग तैयारी कर लो कल पिकनिक पर निकलना है | अभिमन्यु ने उन दोनों के बातचीत को रोकते हुए अपनी बात कही|
सही बोलै भाई, मैंने तो पैकिंग भी नहीं की है, गौरव ने कहा|
अतुल और गौरव कमरे की तरफ चले जाते है और अभिमन्यु , मुस्कान के साथ मार्किट के तरफ निकल जाता है |
_______________________________
अगले दिन अभिमन्यु , गौरव और अतुल कार में बैठ कर मुस्कान के आने का इंतजार कर रहे थे| कुछ समय बाद मुस्कान वंहा पहुंची|
सॉरी दोस्तों थोड़ा लेट हो गया |
अभिमन्यु ने उसे कार के आगे वाली सीट पर बैठने का इशारा किया| मुस्कान कार के आगे वाली सीट पर बैठ गयी|
अभिमन्यु ने कार स्टार्ट की और तेज रफ्तार में कार को हाइवे की तरफ मोड़ लिया|
भाई वैसे हम जा कँहा रहे है? गौरव ने पूछा|
सबसे पहले आगरा आएगा, तो पहले वंही रुकते है ताजमहल देखते है, मुस्कान का भी बहुत दिन से मन है ताजमहल देखने का|
अभिमन्यु की बात सुनकर अतुल मुस्कुराने लगा| मुस्कान ने इस बात को नोटिस किया|

क्या हुआ? तुम ताजमहल का नाम संकर मुस्कुरा क्यों रहे हो? मुस्कान ने पूछा|
ऐसी ही, कोई बड़ी बात नहीं है, अतुल ने जबाब दिया|
तुम जरूर किसी वजह से मुस्कुरा रहे हो, मैं तुमको जानती हूँ, अब बोलो भी क्या बात है? मुस्कान ने जोर दिया|
कुछ कहूंगा तो बुरा मान जाओगी |
नहीं मानूँगी, तुम बको पहले|

मुस्कान, मैं ये सोच रहा था की लोग कहते है की ताजमहल को शाजहां ने मुमताज की याद में बनवाया था, मगर ये बात सच है इसका क्या सबूत है |
तुम कहना क्या चाहते हो, साफ़ साफ बको ना | मुस्कान ने कहा|

मैं बस ये कह रहा था की,हो सकता है की उन्हें मुमताज की मरने से बहुत खुसी मिली हो और उस खुसी में उन्होंने ये ताजमहल बनवाया हो, क्युकी अगर प्यार में बनवाना था तो उनके जिन्दा रहते भी तो बनवाना सकते थे|

तुम नहीं सुधरोगे, तुम्हारे दिमाग में हमेशा ही गलत उपज होती है| मुस्कान ने नाराज होते हुए कहा|
क्या यार अतुल? कर दिया न नाराज बेचारी को| गौरव ने कहा|
मैंने तो पहले ही बोला था की बुरा लग जायेगा, मगर इसने ही जिद किया तो मैंने बोल दिया| अतुल ने सफाई दी|

इसी तरह बात करते करते आगरा में वो लोग प्रवेश करते है|
-----------------------------------------


शाम हो गयी है, चलकर कंही होटल लेते है| कल फिर घूमने निकलते है| अभिमन्यु ने कहा| सभी ने उसकी बातो में हामी भर दी|
कुछ समय बाद वो होटल प्रिया पहुंचे और वहाँ दो रूम बुक किया|
शिट यार मेरा पर्स तो गाड़ी में ही रह गया| मुस्कान ने कहा|
तुम कमरे में चलो मैं लेकर आता हूँ| अभिमन्यु ने कहा| तुम कार की चाभी मुझे दो मैं लेकर आता हूँ तुम दोनों अपने रूम में जाओ| अतुल ने कहा|
अभिमन्यु ने अतुल को कार की चाभी दी और वो और मुस्कान अपने कमरे में चले गए, गौरव अपने कमरे में चला गया|
अतुल कार के पास जाता है और कार से पर्स निकालता है, उसी वक़्त उसकी नजर कार से थोड़ी दूर खड़ी एक लड़की पर पड़ती है|
उसने गुलाबी कलर के सूट सलवार पहन राखी थी, जो उसकी सुंदरता को और भी खूबसूरत बना रही थी|
अतुल एक तक उसे देखता रहा, उसकी नजरे उस लड़की पर ही टिकी हुई थी| उसी वक़्त उसका मोबाइल बजा और उसने अपने पंत की जेब से मोबाइल निकाला|, गौरव का कॉल था| अतुल ने कॉल रिसीव किया| हां गौरव|
एक सिगरेट लेते आना| गौरव ने कहा|
ठीक है, कहकर अतुल ने कॉल डिसकनेक्ट किया| उसने अपनी नजर उधर घुमाई जिधर वो लड़की खड़ी थी मगर वो दूर दूर तक कंही दिखाई नहीं दी| अतुल का मन बैचैन हो गया उसने मुस्कान की पर्स ली और रोड की इधर उधर देखने लगा मगर वो लड़की दिखाई नहीं दी| अतुल ने गौरव के लिए सिगरेट लिया और होटल के रूम की तरफ बढ़ गया|
अतुल, अभी और मुस्कान के रूम के पास पंहुचा और बेल बजाई|
अंदर आ जाओ| मुस्कान ने कमरे के अंदर से कहा |
अतुल ने दरवाजा खोला और अंदर आ गया और उसने पर्स मुस्कान को थमा दिया|
नाराज तो नहीं न हो, अतुल ने सवाल किया|
नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है| मुस्कान ने अतुल की सवाल का जबाब दिया|
देखो मुस्कान, मेरे जो दिल में है वंही जुबान पर, मैं झूठी जिंदगी नहीं जी पाता हूँ |
वही तो तुम्हारी अच्छाई है अतुल, बस जो कमी है वो ये की तुम प्यार को नहीं समझते, मगर भगवन ने चाहा तो तुम जल्द ही इस प्यार के एहसास को भी समझ जाओगे| हल्का सा मुस्कुराते हुए मुस्कान ने कहा|
मुस्कुराती रहा करो अच्छी लगती हो| अतुल ने हस्ते हुए कहा|

क्यों साहब? मेरी गर्लफ्रेंड पर लाइन मार रहे हो, बाथरूम से निकलते हुए अभिमन्यु ने कहा|

अपने प्यार पर यकीन रख भाई, कहकर अतुल कमरे से बाहर निकल कर अपने रूम की तरफ बढ़ा|
_____________________________________

अतुल अपने रूम में प्रवेश किया | सिगरेट लाया भाई| गौरव ने पूछा| हाँ में अतुल ने सर हिला दिया और गौरव को सिगरेट थमा दिया|
क्या हुआ? किस सोच में डूबे हुए हो | गौरव ने पूछा|
कुछ नहीं!
अरे बताओ तो, सिगरेट को जलाते हुए गौरव ने पूछा|
मजाक उड़ाओगे तुम|
अरे भला मैं क्यों मजाक उड़ाने लगा| क्या बात है बताओ तो, सिगरेट की काश लेते हुए गौरव ने पूछा |
एक लड़की दिल को भा गयी है| हलके आवाज में अतुल ने कहा|
क्या बोला? फिर से बोलना सही से सुनाई नहीं दिया|
शुरू हो गए तुम| बोलै था मजाक उड़ाओगे|
अच्छा चलो छोड़ो ये सब. कौन है वो, कँहा मिली? नाम क्या है? कैसी दिखती है? गौरव ने पूछा|
रुक मेरे भाई, अभी आज ही तो देखा है, जब पर्स लेने गया था, लेकिन तुम्हारा उसी वक़्त कॉल आया और उतने में ही पता नहीं कहा गायब हो गईं वो| अतुल ने पूरी बात बात बताई|
कंही तुम्हे उससे प्यार तो नहीं ना हो गया है?
पागल है क्या? मैंने बोला की अच्छी लगी, तुम कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गए, चलो सिगरेट ख़तम करो थोड़ा सोते है वैसे भी बहुत थकान हो गयी है आज| अतुल ने कहा और बिस्तर पर जाकर लेट गया| गौरव सिगरेट पीने लगा|

-------------------------------------------------



सुबह सुबह अतुल उठ कर बाहर टहलने निकल गया| टहलते टहलते वो कुछ दूर पास वो मदिर के पास पंहुचा| अतुल को फिर वो लड़की दिखाई दी जो शाम में होटल के पास दिखाई दी थी| अतुल उस लड़की के पास जाकर कुछ बात करता की उसका मोबाइल बजा| अतुल ने मोबाइल निकला| ये गौरव को भी गलत वक़्त पर कॉल करना होता है| अतुल ने नजरे उठाई और मंदिर की तरफ देखा| वो लड़की फिर गायब थी |
अतुल ने गौरव का कॉल रिसीव किया|
क्या भाई? गलत वक़्त पर कॉल कर देते हो यार, अतुल ने थोड़ा हताश होते हुए कहा|
क्यों क्या हुआ?
कुछ नहीं मिलता हूँ तो बताता हूँ?
ठीक है, वैसे मैंने कॉल इसलिए किया था की हम लोग फिल्म सिटी जा रहे है, कार इन्ही छोड़ रहे है, तुम वंही मिलना हम लोगो से, कार की चाभी बिस्तर पर रखी है मैंने|
ठीक है तुम लोग जाओ मैं थोड़ी देर से आकर तुम लोग को ज्वाइन करता हूँ|
कहकर अतुल ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया|
___________________________
अतुल वापस रूम पर आया और सीधे बाथरूम में चला गया| कुछ देर बाद वो नहाकर बाथरूम से निकला और फिल्म सिटी जाने के लिए तैयार होने लगा|
थोड़ी देर बाद वो तैयार हो चूका था उसने बिस्टेर से कार की चाभी उठाई और निचे कार के पास पंहुचा| उसके बाद वो कार में बैठा और स्टार्ट किया और फिल्म सिटी की तरफ बढ़ गया|

अतुल अभी कुछ देर ही कार को ड्राइविंग किया होगा उसकी नजर फिर उस लड़की पर पड़ी वो रोड पर खड़ी शायद गाड़ी आने का ही इंतजार कर रही थी| अतुल जैसे ही उसके पास से गुजरा उसने हाथ के इशारे से गाड़ी रोकने का इशारा किया| उस वक़्त मानो जैसे अतुल को मांगी हुई मुराद मिल गई हो, उसने कार को रोका|
लड़की अतुल के पास आई|
क्या आप मुझे आगे तक छोड़ देंगे? लड़की ने पूछा|
जी, जरूर! आप अंदर बैठिये, मैं आपको, आपके मंज़िल तक छोड़ देता हूँ, कहकर अतुल ने कार का दरवाजा खोला, वो लड़की आकर कार में बैठ गयी|
अतुल ने कार स्टार्ट की और आगे रास्ते की तरफ बढ़ा दिया|
वैसे आपका नाम जान सकता हूँ? अतुल ने पूछा|
अंजलि, अंजलि नाम है मेरा|
आप अचानक दिखती है और अचनाक गायब हो जाती है, अतुल के मुख से अवाक् ही ये शब्द निकल गए|
आपने कँहा देख लिया मुझको?
अतुल ने पूरी बात बताई|
आप बस यंही रोक दीजिये, मेरी मंजिल आ गयी है|
अतुल ने चारो तरफ देखा, थोड़ी दूर पर एक कब्रिस्तान के अलावा कुछ नहीं था|
आप, यंहा पर कँहा रहती है? यंहा पर तो बस कब्रिस्तान दिखाई दे रहा है? अतुल ने सवाल किया|
बहुत बहुत सुक्रिया, कहकर वो लड़की वंहा से चली गयी|
अंजलि का ऐसा बर्ताव अतुल को समझ नहीं आया, उसने कार को आगे फिल्म सिटी वाले रास्ते पर मोड़ लिया|
अतुल फिल्मसिटी पहुँचता है, सभी वंहा उसका पहले से ही इंतजार कर रहे होते है| क्या यार तुम लोग का भी प्लान फिक्स नहीं रहता है, कल तक ताजमहल देखना था और आज.. अतुल ने उन लोग के पास पहुंचते हुए कहा|
अरे वो मुस्कान का मन हो गया तो, ताजमहल देखने किसी और दिन चलते है, पिकनिक पर निकले है यार, वजह कैसी भी हो बस मस्ती जरुरी है, अभिमन्यु ने कहा|
भाई सही बोल रहा है अतुल चलो टाइम हो गया है शो का, मूवी का लुफ्त उठाते है| गौरव ने कहा|
चलो, जब सभी का मन है तो मैं अकेला क्या कर सकता हूँ, अतुल ने जबाब दिया और सभी मूवी देखने के लिए अंदर थियेटर में पहुंच गए|

सभी ने मूवी का लुफ्त उठाया, और थियेटर के बाहर आ गए|
कुछ खाया जाये, मुझे तो भूख लगी है, मुस्कान ने कहा|
देर किस बात की यही आगे बाये गली में एक भोजनालय है बहुत जबरजस्त खाना खिलाता है, वंही चलते है| गौरव ने कहा|
तुम पहले आ चुके हो क्या यंहा? अभिमन्यु ने सवाल किया|
इस सवाल ने गौरव के चेहरे का रंग बदल दिया, नहीं वो मेरे एक दोस्त आया था उसने जिक्र किया था, थोड़ा सम्भलते हुए गौरव ने जबाब दिया|
कुछ देर बाद सभी लोग प्रीत भोजनालय पहुंचे और खाने का आर्डर किया|

क्या हुआ अतुल? बहुत गुमसुम से दिखाई दे रहे हो, सब ठीक तो है है ना| मुस्कान ने पूछा|
क्या बताऊ यार? मैं खुद ही कंफ्यूज हूँ |
हुआ क्या? बताएगा तभी तो कुछ रास्ता निकालेंगे हम लोग| अभिमन्यु ने कहा|

अतुल ने कल से लेकर आज तक की सारी बातें बताई| जिसे सुनकर अभिमन्यु और मुस्कान हलकी हसी के साथ होने लगे मगर गौरव के चेहरे पर अजीब सी शिकन आ गयी थी, उसका चेहरा पसीने से भीग चूका था|
क्या हुआ गौरव? तुम ठीक तो हो ना | अतुल ने गौरव का हाल देखते हुए पूछा|
हाँ| तुमने नाम क्या बताया लड़की का| गौरव ने सवाल किया|
अंजलि नाम बताया था उसने, मगर तुम इतना गंभीर होकर क्यों पूछ रहे हो|
कुछ नहीं, बस ऐसे ही, लो खाना आ गया, पहले सभी लोग खा लेते है, गौरव ने बात को बदलते हुए कहा|
सभी खाना खाने लगे| अतुल, गौरव के हाव भाव को द्देख रहा था उसने महसूस किया की कोई बात है जो गौरव को परेशान कर रही थी|
_________________________________
अतुल होटल के बालकनी में चाय पी रहा था और किसी सोच में डूबा था| मुस्कान वंहा उसके पास पहुंची|
अभी भी उसी लड़की के बारे में सोच रहे हो| अतुल के पास पहुंचकर मुस्कान ने सवाल किया|
पता नहीं यार, ना चाहते हुए भी उसी का ख्याल मेरे जेहन में घूम रहा है| अतुल ने अपनी हालत मुस्कान से बयान किया|
कंही तुम्हे उससे प्यार तो नहीं ना हो गया है? मुस्कान ने सवाल किया|
नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं है| अतुल ने जबाब दिया|
ठीक है तुम चाय पीओ, और गौरव से बात कर लेना| पता नहीं दोपहर से उसक मूड क्यों ऑफ है? मुस्कान ने कहा और वंहा से चली गयी|

अतुल ने अपनी चाय ख़तम की और वापस कमरे में आया, गौरव पहले से ही रूम में उपस्थित था|
तुम ठीक तो हो ना गौरव, अतुल गौरव के पास जाकर बैठ गया और पूछा|
हाँ भाई मैं ठीक हूँ, बस ऐसे ही थोड़ा मन भारी भारी है बस और कुछ नहीं| गौरव ने जबाब दिया|
कोई बात हो तो तुम मुझसे बता सकते हो, मैं हर पल में तुम्हारे साथ हूँ गौरव|
जानता हूँ भाई, कुछ होगा तो मैं जरूर शेयर करूँगा|
दोनों के चेहरे पर एक हलकी से मुस्कराहट थी|
________________________________
अगले दिन सुबह में अतुल फिर से टहलने निकल गया| कुछ समय बाद वो फिर कल वाले मंदिर के पास पंहुचा| अंजलि वंही उपस्थित थी | अतुल उसके पास पंहुचा|
गुड मॉर्निंग अंजलि जी|
अंजलि ने अतुल को देखा|
आप यंहा इतनी सुबह सुबह|
हाँ, मेरी आदत है सुबह सुबह टहलने की|
अच्छी आदत है, इंसान फिट रहता है, अंजलि ने हस्ते हुए कहा|
लगता है आप भगवान को बहुत मानती है, इसलिए रोज सुबह सुबह यंहा आती है| अतुल ने फिर सवाल किया|
कुछ सवाल है, बस उन्ही सवालो का जबाब मांगने आती है, ना जाने कब मुझे उनका जबाब मिलेगा| अंजलि ने उदास भरे आवाज में जबाब देती है|
कैसे सवाल?
कुछ नहीं, आप अभी उतना खास नहीं हुए की मैं आपको अपनी हर बात बताऊ, मुझे तो आपका नाम भी नहीं पता|
सही कहा अपने, वैसे मेरा नाम अतुल है, यंहा मै अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मानाने आया हूँ, वैसे ये बता दीजिये आपका खास बंनने के लिए क्या करना पड़ेगा| हस्ते हुए अतुल ने कहा|
एक बार फिर अतुल का मोबाइल बजा और उसने अपने जेब से मोबाइल निकाली, क्या परफेक्ट टाइमिंग है यार गौरव की, वो मन ही मन बुदबुदाया| और उसने सामने देखा, अंजलि वंहा नहीं थी|
उसने गौरव का कॉल रिसीव किया|
भाई तेरी टाइमिंग माननी पड़ेगी, अतुल ने थोड़ा झल्लाते हुए कहा|
गलत टाइम पर कॉल कर दिया क्या?
क्या बोलू मैं, वैसे कॉल क्यों किया|
ऐसे ही, चाय पीने जा रहा था सोचा पूछ लू कँहा हो बस, गौरव ने कहा|
ठीक है तुम कमरे में रहो मैं चाय नास्ता लेकर आता हूँ|
ये हुई ना बात, लव यू भाई|
__________________________
चारो लोग ताजमहल देखने जाने के लिए तैयार हो चुके थे| अतुल और गौरव कार की पिछली सीट पर पर बैठ गए, मुस्कान अगली सीट पर, अभिमन्यु ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और उसने कायर स्टार्ट की और आगे की तरफ बढ़ गया|
सभी लोग बात चित कर रहे थे और एक दूसरे से हंसी मजाक कर रहे थे| अभी, इस रास्ते से कार को ले लो अतुल ने कहा|
हाईवे के रास्ते चलते है न अतुल, अभिमन्यु ने कहा|
अरे वो बोल रहा है तो उसी रस्ते से चलो ना, मुस्कान ने कहा|
ठीक है बाबा, सभी पागलो से पला पड़ा है मेरा| अभिमन्यु ने हस्ते हुए कहा|
उस रास्ते पर कोई भीड़ भाड़ नहीं थी, अचानक से गाड़ी चलते चलते रुक गयी|
क्या हुआ? गौरव ने पूछा|
पता नहीं| देखता हूँ, ये रास्ता भी इतना उड़द खाबड़ है की क्या बोलू, अभिमन्यु कार से बाहर निकलते हुए कहा और कार को आगे वाले हिस्से को खोलकर चेक करने लगा|
क्या हुआ? मुस्कान ने कहा|
लगता है गरम हो गयी है, पानी डालना पड़ेगा, तुम लोग रुको मई देखता हूँ कंही आस पास पानी मिलेगा क्या| अभिमन्यु ने कहा|
तुम इन्ही रुको, मैं देखकर आता हूँ, वैसे भी मन में गाली दे रहा होगा की अतुल के वजह से गाड़ी की ये हालत हो गयी, कहकर अतुल कार से बाहर निकला और और एक बोतल लेकर पानी ढूंढने निकल पड़ा|
कुछ दूर ही अतुल चला होगा की उसे फिर अंजलि दिखाई दी|
मुझे लगता है कोई बीमारी हो गयी है, हर जगह यही दिखाई देती है, कमान में बुदबुदाते हुए वो अंजलि की तरफ ना जाकर सीधे रस्ते जाने लगा|

अतुल जी! अतुल जी! अंजलि ने आवाज दिया| अतुल रुका, अंजलि उसके पास आई|
क्या हुआ, मुझे देख कर भी आगे बढ़ गए आप|
आप सच में है यंहा, मुझे ऐसा लगा की मेरा भरम था| वैसे आप सुबह फिर से कहा गायब हो गयी थी| पल में आप दिखती है और पल में गायब, मिस्टर इंडिया वाली घडी तो नहीं ना मिल गयी है आपको| अतुल ने कहा|
दोनों हसने लगते है|
वैसे आप इधर क्या कर रहे है?
वो मैं दोस्तों के साथ ताजमहल देखने जा रहा था, अचानक से गाड़ी की इंजन गरम हो गयी और हमारे पास पानी नहीं है तो बस उसी की तलाश में निकला था|
पानी के लिए आपको यंहा से आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा एक पूल है इधर बायीं तरफ वंहा मिल जायेगा| अंजलि ने अतुल को बताया|
आप साथ देंगी वंहा तक| अतुल ने पूछा|
चलिए, अंजलि में हस्ते हुए जबाब दिया|
दोनों साथ साथ जा ने लगे और एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे| अतुल पानी लेकर वापस हो रहा था, उसका मोबाइल एक बार फिर बजा|
अभिमन्यु का कॉल था| उसने कॉल रिसीव किया|
पानी मिला क्या भाई?
हां मिल गया है मैं बाद दस मिनट में पंहुचा|
जल्दी आओ, पता नहीं क्या हुआ है गौरव की तबियत अचानक से ख़राब हो गयी है|
कैसे? चलो मैं पहुंच रहा हूँ? कहकर अतुल ने कॉल डिसकनेक्ट किया|
क्या हुआ? अंजलि ने पूछा|
वो मेरे दोस्त की तबियत ख़राब हो गयी है, मैं चलता हूँ|
कहकर अतुल तेज कदमो से चलने लगा और कार के पास पहुंचा|
अभिमन्यु कार के इंजन में तेल डालता है और फिर कार स्टार्ट करता है, कार स्टार्ट हो जाती है, वापस होटल चलते है पहले इसके लिए कुछ दवा ले लेते है| मुस्कान ने कहा|
मुस्कान सही कह रही है| अतुल ने मुस्कान की बातो का समर्थन किया| अतुल कार के पीछे वाली सीट पर बैठ गया और उसकी गोद में गौरव सर रख कर सो गया|
अभिमन्यु ने कार को वापस होटल की तरफ मोड़ लिया|
__________________________________
गौरव को होटल के कमरे में ले जाकर उसे लिटाया गया|
अरे यार अब तुम लोग मुझसे ऐसा बर्ताव मत करो जैसे मैं बच्चा हूँ, मैं ठीक हूँ तुम दोनों अपने कमरे में जाओ, अतुल है यंहा कुछ जरुरत होगी तो मैं इसको बोल दूंगा, और सॉरी मेरी वजह से प्लान ख़राब हो गया आज का|
गौरव, हमारे लिए हमारे दोस्त ज्यादा जरुरी है, प्लान कल भी बन सकता है, हम लोग कल भी ताज महल देख सकते है| मुस्कान ने गौरव को समझाया|
मुस्कान सही कह रही है, और फ़िलहाल आराम करो, और अतुल ख्याल रखना इसका| अभिमन्यु ने कहा|
अतुल ने हाँ में सर हिला दिया|
मुस्कान और अभिमन्यु वंहा से अपने कमरे की तरफ चले जाते है|
गौरव आराम से सो जाता है मगर अतुल पूरी रात अंजलि के बारे में सोच कर बैचैन होता रहता है| उसे समझ नहीं आ रहा था की ये उसके अंदर अंजलि के लिए कैसा एहसास है जो उसे बैचैन कर रहा था| अतुल पूरी रात सो नहीं पाया और सुबह होते है अभिमन्यु के कमरे के पास पहुँचता है और कमरे की बेल बजाने लगता है| अभिमन्यु नीड में होता है और आकर कमरे का दरवाजा खोलता है|
इतनी सुबह सुबह| गौरव ठीक तो है ना, अभिमन्यु ने सवाल किया|
हां! वो ठीक है अभी सो रहा है, मुझे कार की चाभी चाहिए था| अतुल ने कहा |
कँहा जा रहे हो?
बाद में बताता हूँ, फ़िलहाल चाभी दो|
रुको, लेकर आता हूँ| कहकर अभिमन्यु अंदर से कार की चाभी लेकर आता है और अतुल को दे देता है|
मिलता हु थोड़ी देर में, अतुल ने कहा और वंहा से निकलकर कार के पास पंहुचा|
वो कार में बैठा और कार को स्टार्ट किया और उस कब्रिस्तान की तरफ कार को मोड़ लिया| थोड़े समय के अंतराल पर कब्रिस्तान के पास पहुंच गया| उसकी नजरे अंजलि को ढूंढ रही थी|
अतुल! तुम यंहा इतनी सुबह में|
अतुल को देखकर अंचभित होकर अंजलि ने पूछा|
मुझे तुमसे एक बात कहनी थी अंजलि|
क्या हुआ? तुम्हारी आँखे देख कर लग रही है की जैसे पूरी रात तुम सोये नहीं हो| सब ठीक हो है ना|
हां, मुझे।।
क्या हुआ? बोलो ना |
मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, हर पल, हर जगह, हर ख्याल में तुम ही दिखाई दे रही हो, अतुल ने अपने दिल के एहसास अंजलि से बयान किया|
ये मुमकिन नहीं है अतुल|
क्यों? मुझमे कोई कमी है तो बताओ ना|
बात कमी या खूबी की नहीं है| मैं कैसे बताऊ यार?
बात क्या है? खुलकर बोलो न, अगर तुम्हे वक़्त चाहिए तो बेफ़िक्रर ले लो|
अतुल, हमारी तुम्हारी दुनिया अलग है, कैसे समझाऊ मैं?
दुनिया अलग है, मतलब|
तुमको यंहा दूर दूर तक कोई दिख रहा है, मैं यंहा क्या कर रही हूँ?
मैं समझा नहीं| तुम साफ़ साफ़ बोलो ना|
मैं एक आत्मा हूँ, अतुल| एक साल पहले एक इंसान में मेरा रेप करने की कोशिश में मेरी जान ले लिया| और ये जो मै रोज मंदिर जाती हूँ वो बस भगवन से ये पूछने के लिए जाती हूँ की मेरी आत्मा को शांति कब मिलेगी, मुझे कोई नहीं देख सकता, मगर मैं तुम्हे क्यों दिखाई दी मुझे नहीं पता|
अतुल की हालत मानो ऐसी थी जैसे करोणों के हीरे उसके पास पड़े हो मगर एक थैला नहीं है उसके पास जिसमे वो उस हीरे को बांध कर अपने पास रख सके|
तुम बहुत अच्छे इंसान हो अतुल, तुम्हे बहुत अच्छी जीवन साथी मिलेगी, अपने को मायूस मत करना|
अतुल खामोश था, उसे समझ ही नहीं आ रहा था की वो क्या बोले? क्या समझे?
उसने महसूस किया की उसकी आँख से खुद व् खुद आंसू निकल रहे थे, ऐसे एहसास को उसने अपनी जिंदगी में पहली बार महसूस किया था|
तुम कल अचानक से वंहा से चले गए कुछ जरुरी काम आ गया था क्या? अंजलि ने अतुल से ये पूछकर चीजों को दूसरी तरफ मोड़ने का प्रयास किया|
वो मेरे एक दोस्त की तबियत बिगड़ गयी थी, बस इसलिए, उदासी भरे आवाज में अतुल ने कहा|
बहुत खास दोस्त है|
हाँ, बेस्ट फ्रेंड कह सकती हो|
मुझे भी तो दिखाओ, मैं भी तो देखु तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड को| अंजलि ने कहा|
अतुल ने जेब से मोबाइल निकाला और गौरव की तस्वीर उसको दिखाई|
गौरव की तस्वीर देखकर, अंजलि की आँखे लाल हो गयी| उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था|
क्या हुआ? अतुल ने उसके चेहरे के हाव भाव देखकर पूछा|
अतुल यही वो इंसान है, जिसके वजह से मेरी मौत हुई, अंजलि ने जबाब दिया|
क्या बात कर रही हो, यार गौरव आज के पहले आगरा आया ही नहीं, इतना ही कह पाया था वो की उसे प्रीत भोजनालय वाली बात याद आई की आगे गली में खाना खाने की मस्त जगह है, जब अतुल ने अंजलि के बारे में बताया था सबको उस वक़्त गौरव के चेहरे का रंग उड़ गया था|
अतुल की हालत ऐसे हो गयी जैसे मानो वो कुछ पल में पागल हो जायेगा|
अतुल मुझे इसकी मौत से ही शांति मिलेगी, तुम इसे यंहा लेकर आओगे ना, अंजलि ने कहा|
अतुल को मानो काटो तो खून नहीं, एक दोस्त जिसके लिए वो कुछ भी कर सकता था और एक प्यार जो उसे इस जिंदगी में उसका साथ ना मिलेगा, वो क्या करे क्या ना करे उसके समझ से परे था|
वो उठा और वापस कार में बैठ गया और वापस होटल की तरफ बढ़ गया|
_________________________________
अतुल होटल वापस आकर बहुत परेशान था, जिंदगी में इस तरह की उधेड़बुन में वो कभी नहीं फसा था | एक तरफ उसका एक ऐसा दोस्त था जिसकी ख़ुशी लिए वो कुछ भी कर सकता था और दूसरी तरफ वो इंसान जिसे वो बेपनाह प्यार करने लगा था, मगर उसे पा नहीं सकता था|
क्या ये सही था की जो उसे हासिल है वो चीज वो उस प्यार के लिए खो दे जो प्यार उसका कभी नहीं हो सकता है|
इन्ही सब बातो को सोचते सोचते सुबह से शाम कब हो गयी अतुल को पता नहीं चला|
वो अपने कमरे में पंहुचा| गौरव, अभिमन्यु और मुस्कान कमरे में थे और हसी मजाक कर रहे थे|
क्या हुआ अतुल? तुम बहुत हताश नजर आ रहे हो, सब ठीक तो है ना| अतुल को उदास देखकर अभिमन्यु में सवाल किया|
गौरव, तुम किसी अंजलि को जानते हो? अतुल ने गौरव से सवाल किया|
अंजलि का नाम सुनकर एक बार फिर गौरव के चेहरे की हवाइयाँ उड़ गयी|
हुआ क्या अतुल? तुम पूरी बात तो बताओ| मुस्कान ने अतुल से सवाल किया|
अतुल ने पूरी बात बताई|
क्या? तुम कहना चाहते हो तुम्हे प्यार हुआ और वो भी एक आत्मा से|
क्या बकवास कर रहे हो यार| मुस्कान ने कहा|
तुम इस गौरव से क्यों नहीं पूछती? अतुल ने कहा|
गौरव| सच्चाई क्या है? अभिमन्यु ने सवाल लिया|
ये सच है, मैं पहले भी आगरा आ चूका हूँ, मगर जो भी हुआ मैं वो नहीं चाहता था, मगर..
वो मर चुकी है गौरव, और उसकी आत्मा को शांति तभी मिलेगी तब वो तुम्हे.... अतुल बात कहते कहते रुक गया|
तुम पागल ही गए हो क्या अतुल? माना गौरव से गलती हो गयी, मगर वो एक हादसा था, वो अब जिन्दा नहीं है, मगर हमारा दोस्त हमारे साथ है, उस आत्मा के शांति के लिए हम इसकी क़ुरबानी नहीं दे सकते| मुस्कान ने अतुल को समझाते हुए कहा|
मैं उस आत्मा से प्यार करता हूँ मुस्कान|
अतुल आज तुम अपनी बातो से क्यों बदल रहे हो, तुम कहते थे ना की प्यार की सीमा आकर शारीरिक रिश्तो पर ख़तम हो जाती है, तो तुम्हे उस आत्मा से क्या हासिल होगा, अगर मान लो हमने गौरव को उसे सौप भी दिया तो उसकी आत्मा को तो शांति मिल जाएगी और वो इस दुनिया से चली जाएगी, तुम्हे उससे क्या हासिल होगा|
मैं गलत था मुस्कान, जिंदगी में आज मैंने प्यार के एहसास को सच्चे दिल से महसूस किया है, प्यार में कोई लेन देन नहीं होती है, तुम सच कहती हो ये एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जिसके लिए इंसान किसी भी हद से गुजर सकता है| अतुल बोलते बोलते खामोश हो गया|
तुम मानते हो इस चीज को| अभिमन्यु ने कहा|
मानने लगा हूँ, जबसे प्यार के एहसास को महसूस किया हूँ|
तो तुमने ये फैसला कर लिया है की, तुम गौरव को अंजलि को सौप दोगे, अभिमन्यु ने कहा|
अतुल खामोश था, उसकी खामोशी ये बयान कर रही थी की वो गौरव को अंजलि को सौपने वाला था|
मैंने जो किया वो बस हो गया मेरे से अतुल, मगर फिर भी तुम्हारे प्यार को मेरी मौत से शांति मिलता है तो मैं चलने को तैयार हूँ, बस एक ख्वाइश है यार|
क्या? अतुल ने पूछा|
आगे का कुछ पता नहीं, पिकनिक मनाने आये थे, मगर एक भी फोटो हमने साथ में नहीं खिचवाई, तो प्लीज मुस्कान के रूम से कैमरा लेके आ जाओ न, कुछ तस्वीरें साथ में खिंचवा ले, फिर तुम जैसा कहोगे मैं वैसा करूँगा|
गौरव ने अतुल से कहा|
अतुल बिना बोले कुछ मुस्कान के कमरे की तरफ चला गया|
वो कमरे के अंदर गया| साडी लाइट ऑफ थी, उसने लाइट ऑन की, सामने बिस्तर पर अंजलि बैठी हुई थी| अतुल पुरे आश्चर्य में था|
तुम यंहा कैसे हो सकती हो? अतुल ने सवाल किया|
अतुल मुझे कुछ कहना है, पर वादा चाहती हूँ की तुम बुरा नहीं मानोगे| अंजलि अतुल के पास आकर बोली|
बात क्या है?
मैं आत्मा नहीं हूँ, ये एक गेम प्लान था, तुम्हे एहसास करवाने के लिए की प्यार सिर्फ शारीरिक रिस्ता नहीं, एक बहुत खूबसूरत एहसास है, जिसके लिए इंसान कुछ भी कर गुजरता है|
अतुल ने ऐसा महसूस किया जैसे उसके पैर के निचे से जमीन खिसक गयी हो|
मैं मुस्कान की दोस्त हूँ, ये सारा प्लान उसी ने किया था| मैंने सुबह तुम्हारी हालत देखि तो मुझे लगा की ये बहुत ज्यादा हो रहा है अब तो बस मैं ये सच तुमको बताने आई थी, मगर मुस्कान ने कहा की वो थोड़ी देर में तुमको यंहा भेजेगी|
अतुल को मानो ये हाल था की काटो तो खून नहीं|
मुझे माफ़ कर देना अतुल, मैंने बस एक हल्का फुल्का मजाक करना चाहा था मगर चीजे बहुत सीरियस हो गयी|
पीछे खड़ी मुस्कान ने कहा|
अभिमन्यु और गौरव भी मुस्कान के साथ खड़े थे| अतुल मुड़ा| मुस्कान की नजरे झुकी हुई थी|
अतुल बिना कुछ बोले वंहा से अपने कमरे में आ गया|
तुम लोग इन्ही रुको, मैं बात करता हूँ अतुल से, अभिमन्यु ने कहा और वो भी अतुल के पीछे उसके कमरे में आ गया|
दोनों बिस्टेर पर बैठे थे|
देख अतुल, मुझे सच में कुछ भी नहीं पता था, सब कुछ मुझे जब अंजलि आई तब पता चला, ये मुस्कान और गौरव की मिली भगत थी, तुम्हे एहसास करने के लिए की प्यार के एहसास में कितनी ताकत होती है| अभिमन्यु ने कहा|
पर भाई, इस मजाक में तो मुझे अंजलि से प्यार हो गया ना, और उसके लिए तो बस ये एक नाटक का चरित्र था| अतुल ने अपने दिल की बात साझा किया|
ऐसा नहीं है, अंजलि के लिए पहले सब एक नाटक ही था, मगर आज जब उसने तुमने इस एहसास से गुजरते देखा की तुम्हे उसका साथ नहीं मिल सकता इस बात ने तुमको कितना तोड़ दिया, उसी वक़्त वो तुम्हे चाहने लगी और बस इसलिए वो आज आई की वो ये नाटक नहीं कर सकती क्युकी वो तुम्हे उदास नहीं देख सकती, मगर उसे डर था की कंही तुम सच जानकर उसे छोड़ न दो| अभिमन्यु ने सारी सच्चाई बताई|
तुम सच कह रहे हो, वो भी मुझसे प्यार करती है, अतुल ने चेहरे पर एक मुस्कराहट लेट हुए कहा|
जाकर उसी से पूछ लो| अभिमन्यु ने कहा|
अतुल वंहा से उठा और अंजलि से पास पंहुचा|
अंजलि उसे वापस देखकर उसको कास आकर पकड़कर गले लग गयी|
आई लव यू अतुल|
लव यू तो अंजलि|
चलो, भैया मैं बाल बाल बचा आज मरने से, गौरव ने हस्ते हुए कहा|
सभी हसने लगे|
सॉरी अतुल, मुस्कान ने अतुल के पास आकर कहा|
कोई नहीं, तुम सही थी, प्यार के एहसास से खूबसूरत एहसास कुछ भी नहीं है इस दुनिया में| अतुल ने कहा|
मुस्कान ने एक सकून की साँस ली|
अभी सब ठीक हो गया तो, कल फिर ताजमहल देखने निकलते है, अभिमन्यु ने कमरे में प्रवेश करते हुए कहा|
हां जरूर| अतुल ने जबाब दिया|

{समाप्त}