कहानी - तुम्हारी याद आएगी
बंगाल में दुर्गा पूजा की छुट्टियां थीं . दरअसल दो दिन बाद ही दुर्गा पूजा की सप्तमी थी .इन दिनों कोलकाता की रौनक देखने लायक होती है . रिया कोलकाता के अपने फ्लैट के टेरेस पर बैठी सुकून से चाय पी रही थी.आज वह बहुत खुश थी. उसका बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गया था. आज उसका बेटा अपनी गर्ल फ्रेंड को ले कर आने वाला है. रिया बैठी बैठी अचानक अपने अतीत के दृश्यों को रिवाइंड करने लगी . अपने पति दीपक से उसकी मुलाकात भी एक इत्तफाक थी . दुर्गा पूजा के दौरान पहली बार वह दीपक से लिंडसे स्ट्रीट में मिली थी .
रिया उस दिन कोलकाता के लिंडसे स्ट्रीट में जूतों की फेमस दुकान “ श्री लेदर “ में अपने लिए सैंडल और चप्पल लेने गयी थी . इन दिनों कोलकाता में कपड़े , जूते आदि के दुकानों में काफी भीड़ होती है .श्री लेदर में तो इतनी भीड़ थी कि लोगों को लाइन में इंतजार करना पड़ता था . रिया एक कुर्सी पर अपना बैग रख कर सैंडल और चप्पल पहन कर ट्रायल ले रही थी . फिर उसने सेल्समैन को अपनी पसंद की सैंडल और चप्पल पैक करने को कहा .जब पेमेंट के लिए अपनी कुर्सी से बैग लेने गयी तो बैग गायब था . उसका पर्स उसी बैग में था . उसने आस पास के लोगों से पूछा कि शायद किसी ने उसका बैग देखा हो , पर हर किसी ने कहा नहीं . दीपक वहीँ खड़ा अपनी पेमेंट कर रहा था . वह उसकी परेशानी समझ कर पास आ कर बोला “ डोंट वरी , मैं पेमेंट कर देता हूँ .”
रिया बोली “ नो , थैंक्स. मैं दूसरे दिन आकर ले लूंगी या फिर अपने घर के पास साल्ट लेक में भी इनका ब्रांच है वहां ले लूंगी .”
“ वाह आप भी साल्ट लेक में रहती हैं , तब तो आप इन्हें आज खरीद ही लें .मैं भी वहीँ रहता हूँ , पैसे आप मुझे लौटा देंगी बाद में . यह श्री लेदर का सबसे बड़ा मेन ब्रांच है , हो सकता है ये मॉडल वहां न मिले .और इतनी दूर आकर भीड़ में लाइन लग कर आपने अपनी सैंडल पसंद की हैं .”
दीपक ने रिया का भी पेमेंट किया . रिया के पास तो बस की टिकट के लिए भी पैसे नहीं थे.
दीपक ने कहा “ न्यू मार्केट के स्टैंड में मैंने बाइक पार्क की है , वहां तक पैदल चलें और फिर मेरी बाइक हाजिर है आपकी सेवा में .”
बाइक पर बैठते हुए दीपक बोला “ मुझे तो भूख लगी है , कुछ ईंधन इस पेट में चाहिए .”
दोनों पार्क स्ट्रीट के मैक्डोनल में गए .वहीँ दोनों का आपस में औपचारिक परिचय हुआ . दोनों ही साल्ट लेक की अलग अलग आई टी कंपनी में काम करते थे . रिया सेक्टर दो में थी और दीपक सेक्टर पांच में .इस मुलाकात के बाद अब दोनों अक्सर मिलने लगे . वे अब आप से तुम पर आ गये थे .दोनों ही स्मार्ट थे , जवान थे एक ही प्रोफेशन में थे .जल्द ही फ्रीक्वेंसी और केमिस्ट्री मैच कर गयी , प्यार का जूनून चढ़ा और आनन फानन में शादी भी हो गयी . इस शादी से दोनों के माता पिता को कोई आपत्ति नहीं थी .रिया और दीपक दोनों अपने जीवन साथी से खुश थे .
शादी के चार साल बाद उन्हें एक बेटा हुआ मोंटू . उसके कुछ वर्षों के बाद दीपक की तबीयत रह रह कर ख़राब रहने लगी थी . बहुत थकावट रहती थी , हड्डियों में दर्द रहता , रह रह कर बुखार रहता, रात में काफी पसीना होता और उसका वजन भी कम हो रहा था . डॉक्टर ने सभी जरूरी टेस्ट्स कराये तब पता चला कि उसे ब्लड कैंसर था .दवा , रेडिएशन , केमोथेरापी से कुछ लाभ नहीं हुआ और एक दिन दीपक कालकवलित हो गया , उसके जीवन का दीपक बुझ गया .
अभी इन्हीं ख्यालों में रिया खोयी थी कि कामवाली ने पूछा “ दीदी , आज खाना में क्या बनाऊं ? “
“ कुछ भी बना दे , पर सब्जी मोंटू की पसंद वाली बनाना .” रिया बोली
बगल की छत से गाने की आवाज आ रही थी “ दिल ढूंढता है , फिर वही फुर्सत के रात दिन ....”
एक बार फिर वह मन में बोल उठी “ हाय दीपक , तुम मुझे क्यों छोड़ गए . वीकेंड में तुम कितना धूम मचाते थे .नाश्ते के बाद हम तीनों लॉन्ग ड्राइव पर जाते थे . जी टी रोड पर तीस किलोमीटर दूर सरदार के ढाबे में देर तक बैठ कर अपनी पसंद का स्पेशल लंच बनवाते , फिर दोपहर बाद लौट कर किसी मूवी हॉल में जाते . तुम्हें और मोंटू को इंग्लिश एनीमेशन फ़िल्में पसंद थीं .रात में किचेन में साथ मिलकर खाना बनाते , तुम सब्जियां काट देते और कभी आंटा भी गूंथ देते थे क्योंकि कामवाली वीकेंड में एक ही टाइम आती थी . मैं गरम गरम कचौरियां या पराठे बनाती और तुम और मोंटू दोनों मेरा इंतजार भी नहीं करते और खाने लगते , फिर भी मुझे ख़ुशी होती थी . और डिनर के बाद अक्सर हमलोग आइसक्रीम पॉर्लर जाते , तीनों पिस्ते वाली आइसक्रीम खाते थे .”
एक बार मोंटू की बात याद आयी जब वह ट्वेल्थ क्लास में था और वह अतीत की यादों में खोयी थी और उसकी आवाज सुन कर चौंक गयी “ मम्मी , भूख लगी है , खाने चलो “
“ तुम चलो , मैं अभी आई .” रिया ने अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर निकल कर कहा
“ मम्मी , आज मैंने टी 20 में अपने क्लब की ओर से हाफ सेंचुरी बनाई है .” डाइनिंग टेबल पर मोंटू बोला
“ गुड “
“ क्या मम्मी , बस आधे मन से गुड कह दिया . पापा होते तो …”
रिया मोंटू को देर तक देखती रही , फिर फीकी सी हंसी के साथ बोली “ पापा तुझे ट्रीट देते , यही न . मैं भी दूँगी बोल क्या चाहिए ? “
“ सॉरी मम्मी , मैंने आपको हर्ट किया . आज मुझे भी पापा की बहुत याद आ रही है . “
“ कोई बात नहीं .यादें तो आजीवन साथ रहती हैं , जबान पर आये न आये दिल में वे बसी रहती
हैं . मैं तुम्हें ट्रीट दूँगी . शाम को चलते हैं शॉपिंग पर तुम्हारे लिए नया बैट और क्रिकेट शूज लेने हैं न .”
कुछ दिनों के बाद एक रविवार को रिया की नजर टेरेस गार्डन के गमलों पर गयी . दीपक ने तरह तरह के गुलाब के फूल लगा रखे थे .वह कहा करता “ लाइफ इज नॉट ऑनली बेड ऑफ़ रोज़ेज, इसीलिए मुझे गुलाब पसंद हैं क्योंकि इसमें फूल और कांटे दोनों हैं .” दीपक खुद अपने हाथों उनकी सेवा करता था . रिया नल खोल कर पाइप से उनमें पानी डालने लगी.
एक रविवार मोंटू को देर तक सोते देख कर उसे याद आयी कैसे रविवार को अपने पापा की तरह वह भी नौ बजे तक चादर ताने सो रहा था .रिया ने उसे हिला डुला कर उठाना चाहा और कहा “ मैं खिड़की के पर्दे हटा देती हूँ , देख दिन चढ़ आया है .”
“ पर अभी तक तो कामवाली ने बेड टी दी ही नहीं है .”
“ आज वह देर से आ रही है , मैंने तुम्हारी चाय साइड टेबल पर रख दी है .” और रिया के मन में ख्याल आया बिलकुल अपने पापा पर गया है .रविवार या छुट्टियों में सुबह बिस्तर छोड़ने में कितने नखरे दिखाता था दीपक , कम से कम दो बार तो उसे बेड टी चाहिए ही थी .
मोंटू ने नाश्ते के बाद कहा था “ मम्मी , आज मैं तुम्हें लॉन्ग ड्राइव पर ले चलता हूँ . वही सरदारजी के ढाबे पर .”
मोंटू कार चला रहा था , पर रिया को दीपक की कही बात याद आयी . अंतिम क्षणों में उसने कहा था “ यादें तो भूलती नहीं , कोई कितना भी कहे भूल जाओ . ज़िन्दगी किसी के न रहने पर रुकती नहीं है . मुझे तो अब जाना ही है . तुम अपना जीवन बिलकुल नार्मल तरह से जीना जैसे अभी तक जीती आई हो .फिर मोंटू तो तुम्हारे साथ है ही .अभी कुछ दिन तुम उसका ख्याल रखो , बड़ा होकर वह तुम्हारा ख्याल रखेगा. मोंटू बहुत अच्छा लड़का है .”
जब कभी कामवाली नहीं आती थी मोंटू रिया के पीछे पीछे सफाई या किचेन में उसकी मदद करता . रिया बोलती “ यह सब कर तुम पापा की याद दिला देते हो .”
“ तुमने ही तो कहा था , यादें कभी भूलती नहीं . और हम पापा को सदा याद रखते हैं यह तो अच्छी बात है न मम्मी .”
पांच साल बाद मोंटू भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गया . उसे एक लड़की काजोल से प्यार हो गया था .उसने रिया को बताया तो वह बोली “ मुझसे नहीं मिलवाएगा ? ‘
तभी रिया के कानों में आवाज गयी “ मम्मी तुम कहाँ खो गयी हो. मैं कब से तुम्हें आवाज दे रहा हूँ. देखो मैं काजोल को ले कर आया हूँ. ” मोंटू की आवाज सुन कर फिर वह वर्तमान में आ गयी . उसने कहा “ सॉरी बेटा , आजकल रह रह कर तेरे पापा की बातें याद आ रही हैं. “
“ मम्मी , यह काजोल है , मेरी गर्लफ्रेंड . हमदोनों शादी करना चाहते हैं .पर यह तभी होगा जब तुम ख़ुशी ख़ुशी काजोल को बहू स्वीकार करोगी .”
रिया ने सोचा उसने भी तो दीपक के साथ लव मैरिज की थी . उसने काजोल के गले में एक सोने की चेन डाल कर बेटे की शादी पर मोहर लगा दी और कहा “ गॉड ब्लेस बोथ ऑफ़ यू .”
मोंटू और रिया की शादी हो गयी . शुरू के कुछ महीने तो मोंटू और काजोल दोनों रिया के साथ ही रहे . इसके बाद काजोल की जिद्द पर मोंटू अलग फ्लैट में चला गया . रिया बहुत रोयी थी. हालांकि फ्लैट बगल में ही था , मोंटू रोज ही मम्मी से मिलने आता .कभी साथ में काजोल भी आती थी .मोंटू काजोल के अलग रहने के फैसले से खुश नहीं था .जब भी वह रिया के सामने आता उसकी भी आँखे नम हो जाती थीं .रिया ही उसे समझाती “ कोई बात नहीं है , जहाँ रहो तुम दोनों खुश रहो , मुझे और क्या चाहिए .”
कुछ समय के बाद काजोल प्रेग्नेंट हुई .मोंटू ने रिया को यह बात बतायी . रिया की आँखों में ख़ुशी के आंसू छलक आये . कुछ महीने बाद एक रोड एक्सीडेंट में काजोल के पैर में मल्टीपल फ्रैक्चर हो गया था . सौभायवश गर्भ में पल रहा उसका बच्चा बिलकुल सुरक्षित था . रिया अस्पताल में काजोल के साथ रह कर उसकी देख भाल करती . एक महीने के बाद काजोल अस्पताल से डिस्चार्ज हुई .अस्पताल से छुट्टी मिलने समय डॉक्टर ने रिया से कहा “ पैर पूरी तरह ठीक होने में दो महीने तक लग सकते हैं .इन्हें आराम की जरूरत है .अगर फिर गिर पड़ीं तो पैर और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है . इनकी डिलीवरी भी इसी बीच ड्यू है . ”
रिया काजोल को अपने घर ले आयी . उसके लिए एक नर्स रख दिया . उसकी सुख सुविधा के सभी इंतजाम कर दिए और स्वयं भी हमेशा उस पर नजर रखती . डॉक्टर की सलाह पर घर पर ही विशेष प्रबंध कर काजोल की नार्मल डिलीवरी हुई . उसे एक बेटी हुई .रिया अपनी पोती को देख बहुत खुश हुई . एक बार फिर ख़ुशी से उसकी आँखों में आंसू छलक आये . रिया ने जच्चा बच्चा दोनों की देखभाल में कोई कसर नहीं बाकी रखा .
काजोल को अब अंदर से अपने किये पर ग्लानि हो रही थी .पर वह शर्म के मारे कुछ कह नहीं पा रही थी .कुछ दिन बाद बच्ची का नामकरण संस्कार था . रिया , काजोल और मोंटू तीनों दीपक के फोटो के सामने खड़े थे . काजोल ने कहा “ रिया की पोती का नाम सिया होगा . क्यों मम्मी यह नाम आपको पसंद है या नहीं ? “
रिया की आँखें भर आयीं . वह बोली “ मैंने और दीपक ने सोचा था कि अगर हमें बेटी हुई तो उसका नाम सिया ही होगा .”
कुछ दिनों बाद अचानक रिया के घर के सामने एक ट्रक रुका .मोंटू सामान उतरवा कर घर में रखवा रहा था .काजोल ने हँस कर कहा “ अब हम सब यहीं रहेंगे . मम्मी मुझे माफ़ करें . मेरी मम्मी तो बहुत पहले चल बसी थी. पापा ने दूसरी शादी की तो सौतेली माँ का व्यवहार बहुत बुरा था , पापा भी उसी का पक्ष लेते थे .मैं भाग कर मौसी के यहाँ गयी और कुछ बड़ी हुई तो बिलकुल स्वतंत्र रहने लगी .परिवार के साथ रहने का सुख क्या होता है यह मैंने आप के पास रह कर जाना .”
रिया ने काजोल को गले से लगाया और देर तक उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे .मोंटू बोला “ अब तो खुश रहो मम्मी , हम सभी एक साथ हैं .”
बेटे मुझे तेरे पापा की कही बात याद आ गयी . वे कहते थे “ जीवन में सुख दुःख का आना जाना लगा रहेगा .कभी चेहरे पर मुस्कान होगी तो कभी आँखों में आंसू ,पर निराश नहीं होना. परेशानी के दिनों में बिना पैर भिगोये नौके से सागर पार किया जा सकता है , पर जिंदगी की नैया बिना आँखों को आंसू से भिगोये पार नहीं लगती है .”
काजोल और मोंटू ने मम्मी के आंसू पोंछे और सिया को उसकी गोद में दे दिया .एक बार फिर रिया अपने को परिपूर्ण महसूस कर रही थी.