जरा सी बेवफ़ाई S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जरा सी बेवफ़ाई

कहानी - जरा सी बेवफ़ाई

अनिता पुलिस अफसर निखिल की इकलौती संतान थी .जब वह आठ साल की थी उसकी माँ का देहांत हो गया था . उस समय तो उसके पापा इंस्पेक्टर ही थे , पर जब तक अनिता जवान हुई उसके पापा भी प्रोमोशन पा कर डी. .एस .पी . हो चुके थे . तब अनिता काफी बदल चुकी थी .पापा के लाड़ प्यार , पुलिस अफसर की बेटी होने का अभिमान और पापा की ऊपरी आमदनी के बल पर वह कुछ ज्यादा ही उद्दंड हो चली थी .


वह कॉलेज में बी .ए . फाइनल में थी. पापा की कमाई दिल खोल कर लुटाती .अपनी सहेलियों के बीच अच्छा रुतवा था उसका . वह किसी भी होटल में या सिनेमा हॉल में सहेलियों के साथ पहुँच जाती और सब मिल कर मजे करती थीं .हॉल फुल होने पर मैनेजर एक्स्ट्रा चेयर उन लोगों के लिए लगवा देता .घर पर भी ऐश ओ आराम के सारे इंतजाम थे , यहाँ तक की फ्री विदेशी शराब और सिगरेट भी उपलब्ध थे . उसके पापा कभी टूर में होते तो अपनी सहेलियों के साथ एकाध बार थोड़ा शराब भी चख लेती थी .पर शराब के मामले में पूरा संयम बरतती थी. कभी भी एक पेग से ज्यादा नहीं लेती और न ही मुंह से बास आने देती या कोई ऐसी वैसी हरकत करती जिस से उसके पीने का संदेह हो . सिगरेट को स्ट्रिक्टली ' नो ' क्योंकि उसकी गंध और उससे होने वाली खांसी न उसे पसंद थी और न ही वह इसे छुपाने में सक्षम थी . निखिल जब रात में घर पर होता तो देर तक सिगरेट और शराब चलता रहता था .


पढ़ाई में किसी तरह अनिता खींच खाँच कर पास कर गयी .उसी कॉलेज में उस से एक साल सीनियर लड़का विनोद भी था . था तो वह अति साधारण परिवार से पर देखने सुनने में स्मार्ट और पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज . अनिता तो कॉलेज में मशहूर थी , विनोद ने अनेकों बार कैंटीन में उसे देखा भी था .पर कभी भी उस से बात नहीं हुई थी . अनिता बी .ए . कर घर में बैठी थी .उसके पिता उसके लिए अच्छे रिश्ते की तलाश में थे .इधर विनोद भी एम .ए .कर चुका था और एम .ए . सेकंड ईयर में पहुँचते ही राज्य के प्रशासनिक सेवा में अच्छे स्थान ले कर बी . डी . ओ . के लिए चुना गया था . उसने नौकरी ज्वाइन करने से पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी .


बेटी के रिश्ते के लिए अनिता के पिता विनोद के घर गए . विनोद तो इस रिश्ते को अंदर से नहीं चाहता था क्योंकि उसे अनिता की शोखी अच्छी नहीं लगती थी . पर उसके माता पिता के सामने डी .एस .पी . निखिल ने नोटों का अम्बार रख दिया था .विनोद के पिता को रुपयों की सख्त जरुरत भी थी क्योंकि उन्हें बेटी की शादी करनी थी और टूटे फूटे पुश्तैनी घर की मरम्मत भी करानी थी.


खैर अपनी पारिवारिक परिस्थिति से समझौता कर विनोद ने अनिता से शादी कर ली .अनिता के स्वाभाव में शादी के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं आया .वैसी ही शोख और उदण्ड .जब जी में आया सहेलियों और दोस्तों के साथ सैर सपाटे पर या सिनेमा चली जाती . कई बार तो मर्दों के साथ भी दिन भर बाहर रह जाती तो कभी देर रात से घर आती थी .जब कभी सास उसे टोकती तो उन्हें भी झिड़क देती या ऊंची आवाज में घर में शोर मचाती .विनोद उसे शांति से समझाने की कोशिश करता तो किसी को दूर रिश्ते का भाई बताती तो किसी को बचपन का पुराना दोस्त तो किसी को प्यारी सहेली का पति. विनोद की माँ भी समझा कर थक चुकी थी .


इसी तरह दो वर्ष बीत गए . इसी बीच विनोद की बहन की शादी हो गयी और उसके चंद महीनों के अंदर पिता का देहांत भी .घर में विनोद और की माँ थीं .एक बार विनोद जब किसी काम से बाहर गया था अनिता किसी दोस्त के साथ दिन भर तो बाहर रही ही , शाम को भी किसी के साथ आई . विनोद की माँ को रह रह कर उन दोनों के जोर जोर से हँसने की आवाज सुनाई पड़ रही थी . देर रात वह उसे छोड़ने आई थी तो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े थे .उसके जाने के बाद माँ ने शराब की एक बोतल और ग्लासेज भी अनिता के कमरे में देखी थी .


दोस्त के जाने पर माँ ने कहा " बहू , हर रिश्ते की एक सीमा होती है .उसे पार करना अच्छा नहीं माना जाता है . "


अनिता बोली " मैं अपनी सीमा जानती हूँ .बल्कि आप अपनी सीमा में ही रहें नहीं तो आप घर की सीमा के अंदर नहीं रहेंगी . "


विनोद के लौटने पर माँ ने उसे सारी बात बताई . विनोद उसे कुछ बोलता उसके पहले ही अनिता बोल उठी

" बुढ़िया अब मेरी चुगली करती है . मैं शुरू से आज़ाद रही हूँ , और शादी के बाद भी रहूंगी . मुझे कैदी नहीं समझो . अगर अच्छी नहीं लगती तो पापा के घर चली जाऊंगी . "


विनोद बोलता " तुम बहुत अच्छी हो , मैं जानता हूँ , पर तुम्हारा कोई दोस्त इसका गलत फायदा नहीं उठाये ,मुझे इसी बात का डर है .


अनिता " मैं इतनी बेवकूफ दिखती हूँ क्या ? "


विनोद बोला " नहीं , नहीं तुम तो बहुत समझदार हो . पर घर में थोड़ा अनुशासन भी तो रहना चाहिए .कल को हमारे बच्चे होंगे , बड़े हो कर देखेंगे कि तुम शराब भी पीती हो तो उन पर क्या असर होगा ."


अनीता " तुम जानते हो मुझे पीने की लत नहीं है . अगर कोई बहुत करीबी कहता है तो मैं बस एकाध घूँट ही लेती हूँ . अच्छा अब ज्यादा लेक्चर मत दो .मेरे सर में दर्द हो रहा .एक कप चाय पिलाओ . "


विनोद चुप चाप किचेन में चाय बनाने चला गया . पर अनिता की दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं हो रहा था . बल्कि एक दिन फिर किसी मर्द दोस्त के साथ दिन भर बाहर रह कर आई तो विनोद घर में ही था .उसके पूछने पर बोली कोई दूर का रिश्तेदार था .


विनोद ने कहा भी " अगर रिश्तेदार था तो मुझसे क्यों नहीं मिला ? मेरा भी तो रिश्तेदार ही हुआ . "


अनिता बिना कुछ बोले गुस्से से उसकी ओर देखी और अपने कमरे में चली गयी .


विनोद ने अनिता के पापा निखिल से भी बात की . उन्होंने कहा " अनीता थोड़ी स्वछन्द स्वाभाव की है , पर बुरी लड़की नहीं है .मैंने उस से पूछा भी था कि उसे तुमसे कोई शिकायत तो नहीं . पता है , उसने क्या कहा ? "


" क्या कहा ?"


निखिल बोले " विनोद तो मुझे बहुत प्यार करता है . कभी भी मुझसे किसी बात से नाराज नहीं होता है . अब बेहतर है पति पत्नी के मामलों में मुझे मत घसीटो ."


विनोद ने सोचा उसे ही कुछ करना होगा .इसके कुछ ही दिनों बाद एक बार शाम को विनोद घर लौटा तो साथ में एक औरत भी थी .दोनों एक दूसरे के हाथ पकड़े हुए घर में दाखिल हुए .अनिता ड्राइंग रूम में बैठी टी . वी . देख रही थी .उसने आश्चर्यचकित हो कर दोनों को देखा .विनोद उसे अनदेखा कर दूसरे कमरे में चला गया . फिर आवाज दी " अनिता , दो कप चाय लाना तो ."


अनीता ने कोई जबाब नहीं दिया .माँ ही कुछ देर बाद चाय दे गयी . फिर काफी देर तक दोनों बातें करते रहे . बीच बीच में हँसी मजाक की आवाज भी आती .देर रात विनोद उस औरत को छोड़ कर वापस घर आया तो अनीता ने पूछा " वो औरत कौन थी ?"


विनोद बोला " मेरे दूर की रिश्तेदार है . "


इतना बोल कर कपड़े बदल कर चुप चाप सोने चला गया .फिर दो दिन बाद एक लड़की के साथ शाम को घर आया था . दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए प्रवेश किया .विनोद ने कहा " अनीता , चाय पिलाओ न . "


अनीता ने गुस्सा कर कहा " मैं तुम्हारी नौकरानी नहीं .अपनी माँ को बोलो ."


वह लड़की और विनोद दोनों काफी घुल मिल कर देर तक बातें करते रहे . माँ आ कर चाय दे गयी थीं .चाय पीते हुए विनोद ने जोर से कहा " क्यों मोना , आज तो मूवी में मजा आ गया . काफी रोमांटिक सिनेमा था . "


विनोद इतनी जोर से बोला कि अनिता भी सब सुन सके . फिर रात में उस लड़की को छोड़ कर लौटा तो

अनिता ने चिल्ला कर कहा " आज ये कौन सी मेमसाहब थी ?"


विनोद बोला " यह भी रिश्ते में ही हैं . "


फिर दो दिन बाद उसी पहले दिन वाली औरत के साथ शाम को घर आया था .आते के साथ जोर से बोला

" आज वाली फिल्म बिलकुल बोरिंग थी .हेडेक हो गया . थोड़ा कॉफी पिलाओ न अनीता ."


इस बार अनीता ही कॉफ़ी ले कर आयी .कॉफ़ी की प्याली रखते हुए गुस्से में कहा " ये रोज रोज का फिल्म का भूत अच्छा नहीं है . ..."


विनोद ने बीच में ही होठों पर ऊँगली रख कर कहा " शु ,शु .डिस्टर्ब नहीं करो , पहले से ही हेडेक है ."


फिर उस औरत की ओर देख कर कहा " आज वाली फिल्म बोरिंग थी न डार्लिंग ? " और अनिता को इशारे से कमरे से बाहर जाने को कहा .


वह औरत बोली " मैं बाम लगा दूँ डार्लिंग , हेडेक ठीक हो जायेगा . "


अनीता बोली " तुम्हारे जाने के बाद इनका हेडेक मैं ठीक करती हूँ न ." और वह कमरे से निकल गयी .

विनोद और वह औरत दोनों एक दूसरे को हँसते हुए देख रहे थे . विनोद बोला " तीर तो बिलकुल निशाने पर लगी है . "


जब उस औरत को छोड़ कर लौटा तो अनिता ने गुस्से से कहा " तुम्हें जब दूसरी औरतों से ही रास लीला करनी है तो ठीक है .मुझे बंटा हुआ पति नहीं चाहिए . मैं चली जाती हूँ ."


विनोद ने कोई प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की .सुबह उसके ऑफिस जाने के थोड़ी देर बाद अनिता एक सूटकेस में कुछ कपड़े ले कर अपने पापा के पास चली गयी . पापा को उसने विनोद की पूरी कहानी बतायी तो वे बोले " इसमें इतनी नाराज होने वाली कोई बात नहीं है . थोड़ी आज़ादी तो मर्द वैसे भी चाहते हैं . "


" इसे आप आज़ादी कहते हैं पापा ? जिस किसी औरत को घर में लाएं और पूछने पर अपने दूर की

रिश्तेवाली बताता है .यह तो बेवफाई वाली बात है . "


" अब तुम लोगों ने एक दूसरे को कहाँ तक छूट दे रखी है , यह तो तुम दोनों जानो .तुम्हें भी तो अपने रिश्तेदारों को वहां ले जाने की छूट है . मैं मियां बीबी के झगड़े में नहीं आता ."


अब अनिता को बात कुछ कुछ समझ में आने लगी थी . थोड़ी देर बाद दो औरतें उसके घर आयीं .उन्हें देखते ही वह आग बबूला हो उठी और कहा " तुम लोगों की इतनी हिम्मत .मेरे पीहर तक आ पहुंची. विनोद से तुम्हार क्या रिश्ता है ? "


एक औरत ने कहा " कूल बेबी, कूल . घबराओ नहीं . हम विनोद के कोई रिश्तेदार नहीं हैं .मैं विनोद के सहकर्मी समीर की पत्नी और यह मेरी छोटी बहन है . यह ड्रामा तुम्हारे भले के लिए किया गया था . इस ड्रामा में हम सभी शामिल थे , विनोद की माँ भी . विनोद बता रहा था कि वह तुमसे बहुत प्यार करता है और हर वक़्त तुम्हारा सामीप्य चाहता है . क्या तुम उसे नहीं चाहती ? "


अनिता के पापा निखिल वहीँ खड़े मुस्कुरा रहे थे . अनिता बोली " पापा ,आप भी इस ड्रामा के पात्र हैं ? "


" मेरा तो बहुत छोटा सा रोल था . "


और सब एक साथ हँस पड़े थे .अनिता उसी समय अपना सूटकेस लेकर दोनों औरतों के साथ विनोद के घर लौट आयी .घर पर विनोद अपनी माँ के साथ था . अनिता ने पहले सास के पाँव छुए फिर विनोद की ओर मुड़ कर कहा " मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है . आई ऍम वेरी सॉरी .प्लीज मुझे माफ़ करें . "


विनोद बोला " मेरी जरा सी झूठी बेवफ़ाई पर तुम घर छोड़ कर चली गयी थी . वह मात्र एक नाटक था ."


अनिता बोली " अब आगे कुछ भी कहने की जरुरत नहीं है . देर आये पर दुरुस्त आये . माँ ने कहा था अगर सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो वह भूला न कहलाये , है न माँ ?"


माँ ने स्वीकृति में सर हिलाया और बेटे बहू दोनों को एक साथ अपनी बाहों में ले लिया था .

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यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है और किसी पात्र या घटना या जगह का भूत या वर्तमान से कोई सम्बन्ध नहीं है .