कहानी - एक और मदर इंडिया
वीरपुर गाँव की आबादी एक हजार से कुछ कम रही होगी .इस गाँव के दर्जनों लोग अंग्रेजों के ज़माने से ही सेना में अपनी वीरता के लिए सम्मानित होते आये थे . आज़ादी के बाद भी यहाँ से युवक सेना में जाते रहते हैं और अपने पराक्रम से गाँव का नाम रौशन करते आये है . गाँव में सभी जाति और धर्म के लोग मिल जुल कर सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते थे . कुल मिला कर अमन शांति थी . गाँव शहर से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर था . इस गाँव से निकटतम रेलवे स्टेशन भी वही था जो हावड़ा दिल्ली मुख्य रेल लाइन पर था . वहां तक आने के लिए एक नदी के ऊपर पुल से रेल को गुजरना होता है . स्टेशन के आस पास कुछ जंगल और पहाड़ थे .
वीरपुर में एक सरकारी हाई स्कूल था . मास्टर भोला सिंह उस स्कूल में पढ़ाते थे . उनके दो जुड़वाँ बेटे थे अमर और समर . मास्टर की पत्नी विमला देवी सिर्फ पांचवीं जमात तक पढ़ी थीं पर अपनी गृहस्थी की बागडोर भली भाँति थामे थीं . दोनों बेटे मास्टर भोला सिंह के स्कूल में ही पढ़ते थे . दोनों ही पढ़ने लिखने में कमजोर थे .किसी तरह से पास कर वे दसवीं तक पहुँच गए थे , लेकिन दसवीं बोर्ड की परीक्षा में फेल कर गए . बेटों ने बहुत चाहा कि किसी तरह चोरी कर मैट्रिक पास कर जाएँ तो फिर कोई सरकारी नौकरी का प्रयास करेंगे . वे चाहते थे कि उनके पिता इस काम में उनका सहयोग देंगे , पर ऐसा न हुआ . मास्टर चाहते तो बेटों को नक़ल करवा कर पास करा देते , पर वे एक सीधे सादे ईमानदार पुरुष थे . इसी कारण अमर और समर अपने पिता से काफी नाराज
थे , बल्कि इस वजह से वे अपने पिता से अक्सर लड़ भी पड़ते .
एक बार मास्टर साहब बहुत बीमार पड़े . दो महीनों तक खाट से उठ न सके थे . उसके बाद तो उनकी अर्थी ही उठ सकी थी . अंतिम क्षणों में मास्टर साहब अपने बेटों के भविष्य को ले कर काफी चिंतित थे . चलते चलते उन्होंने पत्नी विमला देवी से कहा “ अब तुम्हीं को दोनों को देखना है . मुझे विश्वास है तुम उन्हें गलत रास्तों पर नहीं जाने दोगी . “
“ मैं अपने जीते जी पूरी कोशिश करुँगी . “
भोला सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी को अनुकंपा के आधार पर उसी स्कूल में नौकरी तो मिल गयी थी . पर वो ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं थीं , इसलिए साफ़ सफाई , पानी आदि भरने का काम करना होता था . फिर भी वह खुश थीं और अपने घर का खर्च चला रही थीं .
इधर समय बदल चुका था . अमर और समर को आधुनिक समय की सुविधाओं का अभाव खलने लगा था . गाँव की आबादी भी बढ़ गयी थी . कुछ अन्य युवक भी बेरोज़गारी से परेशान थे . उन्हें खेती बारी और परिश्रम कर जीविका चलाना स्वीकार नहीं था . अमर और समर ने माँ से कहा कि वे शहर जा कर कुछ काम करना चाहते है . माँ ने भी दोनों से कहा “ तुम ख़ुशी ख़ुशी जाओ , पर कोई गलत काम नहीं करना जिससे तुम्हारे बापू का नाम बदनाम हो और मुझे भी समाज में सर नीचा करने का अवसर नहीं मिले . “
आजकल सरकार भी गाँव और शहर के विकास के लिए अनेकों परियोजनाओं को साकार करने का प्रयत्न कर रही थी . परन्तु गाँव और शहर का माहौल बिगड़ने लगा था . गाँव में सड़क बनाने और स्कूल की बिल्डिंग बड़ा कर इंटर कॉलेज बनाने का काम चल रहा था . आये दिन निर्माण कार्य के लिए लायी गयी सामग्री सीमेंट , लोहे आदि की चोरी होने लगी थी . कुछ युवक ठेकेदारों को डरा धमका कर वसूली भी किया करते थे . विमला देवी को उनके पति के मित्रों ने कहा कि शायद उनके दोनों बेटे भी इसमें शामिल थे . पर उन्हें अपने बेटों पर शक करने की कोई वजह नहीं दिखी थी . विमला देवी ने जब अमर और समर से इस बारे में पूछा भी तो दोनों ने साफ़ इंकार कर दिया था .
कुछ समय बाद विधान सभा का चुनाव था . कुछ असामाजिक तत्वों और तथाकथित माओवादिओं ने गाँववालों से चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान किया था . चुनाव के दिन असामाजिक तत्वों ने बूथ लूटने का प्रयास भी किया . पर पुलिस की मुस्तैदी के चलते वे सफल नहीं हो सके . पुलिस की गोली चलाने से एक युवक के पैर में गोली लगी थी . पर वह अपने दूसरे साथी के साथ मोटरसाइकिल पर भागने में कामयाब हो गया . विमला की भी ड्यूटी उसी बूथ पर थी . उसने भी खिड़की से पुलिस को गोली चलाते देखा था . पुलिस ने बताया कि दोनों युवक दाढ़ी मूंछ वाले थे .
इस घटना के कुछ दिनों बाद अमर और समर अपने घर आये . अमर थोड़ा लंगड़ा कर चल रहा था . माँ के पूछने पर बोला “ शहर में एक स्कूटर वाले ने धक्का मार दिया था . थोड़ी चोट आयी थी , पर अब ठीक हो चला है . “
अमर और समर हफ्ते दस दिन पर अपनी माँ के पास आते थे . एक दो दिन रुक आकर वापस शहर चले जाते
थे . विमला उनके कपड़े धो कर साफ़ कर देती और जाते समय कुछ खाने के सामान मठरी , खजूर , निमकी आदि बना कर उन्हें दे देती थी .
इधर कुछ दिनों से राज्य में कुछ तोड़ फोड़ की घटनाएं होने लगी थीं , कहीं छोटे मोटे स्टेशन जलाये जाते तो कहीं कंस्ट्रक्शन मशीनें जलाये जाने की खबर आती . गाँव में कानाफूसी होती कि भोला मास्टर साहब के दोनों बेटों का हिंसक घटनाओं में हाथ था . पर विमला देवी इन सब से अनभिज्ञ थी .
कुछ दिनों के बाद बाद अमर और समर अपनी माँ से मिलने आये थे . विमला अपनी आदत के अनुसार उनके बैग से कपड़े निकाल कर धोने जा रही थी . उसने कपड़ों के नीचे कुछ रूपये और एक पिस्तौल देखी तो अमर से पूछा “ बेटे , तुम्हारे बैग में पिस्तौल कहाँ से आया ? “
अमर बोला “ हम दोनों सेठ के यहाँ काम करते हैं .उनका बहुत बड़ा बिजनेस है. उन्होंने अपने गोदामों की रखवाली के लिए हमें पिस्तौल दिया है . “
समर बोला “ माँ , तुम हमारा बैग पूछ कर खोला करो . सेठ के काफी सामान होते हैं . अगर इधर उधर हो जाए तो नौकरी से हाथ धोना होगा . “
दूसरे दिन समर ने कहा “ हम आज शाम में ही जा रहे हैं . जो भी खाने का सामान हो शाम तक बना कर बैग में रख देना . “
विमला देवी ने देखा कि दोनों बेटे दिन भर में अनेकों बार किसी से फोन पर बात करते थे . वे लौट कर रात में कभी भी नहीं जाते थे . उन्होंने बेटे से पूछा तो अमर बोला “ माँ , आज रात एक बजे की गाड़ी से हमारा सेठ मुंबई जा रहा है . उसे बहुत सारे थोक सामान खरीदने हैं . उसने सहायता के लिए साथ चलने को कहा है . “
विमला शाम को बेटे के बैग में खाने के सामान रखने गयीं तो उन्हें मुड़े हुए कागज़ पर नक्शा मिला . उनकी समझ में ठीक से कुछ नहीं आया था .पर उन्हें लगा किसी नदी और पुल का नक्शा है .
उधर फोन पर बेटा किसी से बात कर रहा था “ हाँ पूरी तैयारी हो चुकी है . सब काम योजना के मुताबिक हो जाएगा . हम चौकन्ने हैं , आप चिंता न करें . गाड़ी राइट टाइम है न . “
शाम को अँधेरा होते ही दोनों भाई निकलने को तैयार हुए तो विमला बोली “ अभी तो बहुत समय है , आराम से जाना . “
“ नहीं माँ हमें जाना होगा . हम एक ही बैग ले जा रहे हैं . अगली बार आएंगे तो दूसरा बैग ले जायेंगे . “ समर बोला
फिर अमर से उसने पूछा “ एक बैग में सब सामान रख लिया न ? “
“ हाँ “
दोनों निकल पड़े . विमला के मन में कुछ संदेह हुआ , उसने बैग खोल कर देखा तो उसमें एक पिस्तौल पड़ी
मिली . उसकी समझ में नहीं आया कि बेटों ने जान बूझ कर छोड़ा है या गलती से छूट गयी है . वह अकेले रात में टॉर्च और पिस्तौल ले कर निकल पड़ी कि शायद बेटों को सेठ की या उनके सामान की रखवाली में पिस्तौल का काम पड़े .
स्टेशन से थोड़ी देर पहले उसने झाड़ी में आवाज सुनी “ मैंने अपनी पिस्तौल तो साथ रख ली थी . तुम्हारे पास भी है न ?”
“ भाई , बड़ी भूल हो गयी . मेरी पिस्तौल तो बैग में ही रह गयी . कोई बात नहीं एक से ही काम चल जायेगा . तब तक हमलोग इस जंगल के रास्ते चल कर पुल में बम लगा कर दूर निकल जायेंगे . फिर कमांडर का सिग्नल मिलते ही पुल उड़ा देंगे . “
विमला देवी को समझने में देर नहीं लगी कि ये दोनों उसी के बेटे थे . वह भी छुपते छिपाते उनके पीछे चल पड़ी . उसने हर कदम बहुत सावधानी से बढ़ाये ताकि उसके क़दमों की आहट न हो . वह थोड़ी दूर चल कर रुक गयीं . उन्होंने देखा कि दोनों ने मिलकर पुल के नीचे बम फिट किये , फिर वे वापस कुछ दूर पर छिप कर खड़े हो
गए .
कुछ देर बाद बेटे की आवाज आयी “ कमांडर का एस एम एस मिला है भाई . पंद्रह मिनट के अंदर ही राजधानी एक्सप्रेस गुजरने वाली है .ट्रेन पिछला स्टेशन छोड़ चुकी है . हमें तैयार रहना है . “
यह सुन कर विमला देवी को ख्याल आया कि राजधानी एक्सप्रेस तो यहाँ रूकती भी नहीं है , फिर बेटों की सेठ के ट्रेन से आने की बात झूठ थी . वह भी धीरे धीरे चल कर उनके करीब हो , पीछे छिप गयी . पुल पर चढ़ने के पहले राजधानी एक्सप्रेस की इंजन बार बार सिटी दे रही थी . विमला को बेटे की आवाज सुनी “ भाई रेडी रहना , बस एक मिनट बाद रिमोट दबा कर पुल उड़ा देना है .”
इसके पहले कि ट्रेन पुल पर आती विमला ने पिस्तौल की ट्रिगर दबाई . दो गोलियां चलीं और दो चीखें . उसके बाद ट्रेन अपनी रफ़्तार से पुल से होकर गुजर गयी .
विमला चल कर स्टेशन गयी . उन्होंने स्टेशन मास्टर को सारी बात बतायी . स्टेशन मास्टर ने जी आर पी को खबर दी . पुलिस ने घटना स्थल पर जा कर दोनों लाशों को अपने कब्जे में लिया . विमला को गिरफ्तार भी किया . पर उन्हें तुरंत जमानत मिल गयी . उन्होंने अपने बेटों की हत्या की थी पर ऐसा उन्होंने सैकड़ों लोगों की जान बचाने के लिए किया था . विमला देवी ने हत्या नहीं किया था बल्कि सैकड़ों लोगों को बचाने के लिए अपने बेटों की कुर्बानी दी थी . जल्द ही कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया . उन्हें राजकीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया .
कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .
समाप्त
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