ये उन दिनों की बात है - 5 Misha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ये उन दिनों की बात है - 5

हम दोनों एक दुसरे से हर बात शेयर करते थे | न तो वो मुझसे कभी कुछ छुपाती थी और न ही मैं |

"टिफ़िन शेयर करना, खेलना, मस्ती, खुशियां" सब कुछ था हमारी ज़िन्दगी में | मुझे आज भी याद है, उसे मेरी मम्मी के हाथ के बनाये हुए भरवां परांठे पसंद थे और मुझे उसकी मम्मी के हाथ के बनाये हुए छोले भठूरे |

वैसे तो आठवीं क्लास से ही हमारा एक ग्रुप बन गया था | मानसी, सोनिया, निशा, राधिका, कामिनी और मैं | लेकिन मेरी और कामिनी की दोस्ती तो बहुत पुरानी है |

मम्मा, मम्मा, "कहाँ हो आप" ? स्वरा ने आवाज़ दी और मैं यादों के धरातल से बाहर आई |

दिवाली पूजन के बाद स्वरा और समर अपने अपने दोस्तों के साथ और धीरज कलीग के साथ बिज़ी हो गए | बच्चों को खाना खिला दिया था | धीरज को भी नाश्ता भिजवा दिया था | मैं और सुगंधा हम दोनों भी पनीर पकोड़े खा रहे थे |

मैं बार-बार घड़ी की और देख रही थी | साढ़े आठ बज गए थे | कामिनी नहीं आई अभी तक |

क्या हुआ दीदी ? किसका वेट कर रही हो ? सुगंधा ने पूछा | उसने मुझे घड़ी देखते हुए देख लिया था |

वो मेरी बचपन की सहेली आने वाली है | बस उसी का इंतज़ार हो रहा है |

आपकी बचपन की सहेली !!!

हाँ ! "कामिनी नाम है उसका" | हम दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे | स्कूल-कॉलेज साथ ही किये थे हमने | उसके बाद शादी हो गई और दो पक्की सहेलियां हमेशा के लिए बिछड़ गयी |

एक दिन सोचा उसके मम्मी पापा से मिल लेती हूँ, जिससे उसके फ़ोन नंबर मिल जायेंगे तो कम से कम फ़ोन पर ही बातें कर लिया करेंगे पर जब वहां गई तो पता चला उसके पापा मम्मी अपने बेटे संग अब उदयपुर शिफ्ट हो गए हैं और उन्होंने अपना मकान भी बेच दिया है तो जो उम्मीद थी उससे बातें करने की, मिलने की वो भी तब रही नहीं और मायूस होकर मैं घर लौट आई | फिर मुझे लगा शायद हमारा साथ बस शादी से पहले तक ही था पर वो कहते हैं ना की पुराने दोस्त कभी ना कभी किसी ना किसी मोड़ पर मिल ही जाते हैं | मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ अभी कुछ दिन पहले ही हम मिले मॉल में शॉपिंग करते वक़्त | इतने सालों बाद उससे मुलाक़ात हुई |

आज आ रही है वो फैमिली के साथ | मैं तो बहुत ही एक्साइटेड हूँ |

"हैप्पी दिवाली", दिव्या !

मुड़कर देखा, कामिनी थी, अपनी बेटियों और पति के साथ |

"हैप्पी दिवाली", कामिनी !

आप लोग बातें कीजिये मैं चलती हूँ दीदी, ये कहकर सुगंधा चली गई |

हैप्पी दिवाली, मौसी| कामिनी की बेटियों ने मुझे विश किया |

हैप्पी दिवाली, बच्चों | मैंने बारी-बारी से दोनों के सिर पर हाथ फेरा

"वाओ यू लुकिंग गॉर्जियस", कामिनी ! उसने बनारसी साड़ी केरी कर रखी थी और साथ में प्लैटिनम गोल्ड सेट पहने हुआ था | उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी | उसकी बेटियों ने भी क्रॉप-टॉप और स्कर्ट पहने हुआ था | मेरी स्वरा की ही हमउम्र थी | वे तो आते ही स्वरा के साथ घुलमिल गई ऐसा लगा जैसे पहले से ही एक दुसरे को जानती हो | जीजाजी भी काफी स्मार्ट लग रहे थे कुरता-पायजामा में | कुल मिलकर पूरी फैमिली बहुत अच्छी लग रही थी | कामिनी और उनकी जोड़ी बिलकुल राम-मिलाई जोड़ी की तरह लग रही थी |

तेरे हाथ के खाने का स्वाद मैं आज तक नहीं भूली हूँ | सच में | "इट्स अमेजिंग" ! कामिनी ने श्रीखंड खाते हुए कहा |

उसके बच्चों को चॉकलेट फ़ज बहुत पसंद आया | मौसी ने बनाया है, कामिनी ने मेरी तारीफ की |

"देयर इज मैजिक इन योर हैंड्स", मौसी |

थैंक्स बच्चों |

मुझे खाना बनाने का शौक नहीं था पर तेरे लिए मैंने भी होम साइंस ले लिया था, हँसते हुए कामिनी बोली |

हाँ, हाँ, सही है, मैं हँसी |

और क्या कर रही आजकल ?

फैशन बुटीक की ओनर हूँ मैं, कामिनी बोली |

रियली ! ओसम ! पर तूने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कब किया ?

शादी के बाद | मयंक जी ने ही इंसिस्ट किया था | सच में बहुत हेल्पिंग नेचर है इनका |

अच्छा !! मतलब जीजाजी हमारी कम्मो को बहुत चाहते हैं |

और नहीं तो क्या ही इज वर्ल्ड्स बेस्ट हसबैंड |

और तू ?

मैं हाउसवाइफ | हाँ पर मैं हॉबी क्लासेज चलाती हूँ समर वेकेशंस में | कुकिंग और पेंटिंग सिखाती हूँ |

और बता कैसी चल रही तेरी लाइफ |

मस्त चल रही है यार |

सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक बुटीक पर रहती हूँ | वैसे बुटीक घर में खोल रखा है मैंने | घर के कामकाज के लिए मैड लगा रखी है | खाना तो खुद बना ही लेती हूँ पर तेरे जैसा बनाना नहीं आता | बेटियों को जब भी कुछ स्पेशल खाने का मन होता है | बाहर खा लेते हैं या फिर आर्डर कर लेते हैं | लेकिन अब ऐसा लगता हैं मुझे भी खाना बाहर खाने की आदत बदलनी पड़ेगी | बच्चों को एफिसिएंट न्यूट्रिशंस नहीं मिल पाते हैं |

हाँ, बच्चों को न्यूट्रिशंस मिलना बहुत ज़रूरी है | यूट्यूब पर खूब सारे कुकिंग वीडियो मौजूद है | बहुत-सी आसान रेसिपीज है, देख लिया कर और बना लिया कर |

हाँ ! अबसे ऐसा ही करूंगी और तूने घर को काफी अच्छा सजा रखा है |

हम किचन में घुसे |

अरे वाह !! छोटा सा किचन गार्डन ! कामिनी आश्चर्यचकित थी |

हाँ, कुछ हर्ब्स जैसे धनिया, पुदीना, मीठा नीम आदि डेली में काम आने वाली चीजें, तो इनकी ज़रुरत पड़ती ही रहती है | इसलिए मैंने इन्हे घर में ही उगा लिया | तुझे तो पता है ही मुझे गार्डनिंग का कितना शौक है, बचपन से |

हम्म्म्म्म !!! तभी तो बाहर गार्डन में भी कितने सारे पेड़ पौधे लगा रखे हैं तूने | आंटी से ये शौक तुझमें भी आ गया |

जेनेटिक फीचर | हाँ | और हम दोनों हँस पड़ी |

ये हमारा रूम |

यार !! तुम दोनों ने अपनी साथ में एक भी फोटो नहीं लगा रखी | "नॉट इवन वेडिंग पिक" | क्यों ? कामिनी चौंककर बोली |

वो क्या है ना, हम दोनों थोड़े रिज़र्व नेचर के हैं इसलिए, मैं झेंप सी गयी |

हमने तो अपने रूम में काफी सारी पिक्स लगा रखी है | तुम दोनों के बीच सब ठीक तो है ना दिव्या |

हाँ, हाँ, सब ठीक है | क्यों ? तू ऐसे क्यों पूछ रही है ? दरअसल शौक नहीं है ना इन्हें ना मुझे | तुझे पता है | इन्हें मेरे हाथ का खाना बहुत पसंद है, मैंने बात बदलते हुए कहा |

अच्छा !!! कामिनी की आँखे चमक उठी |