सात समंदर पार से बिन माँगे मदद S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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सात समंदर पार से बिन माँगे मदद


कहानी - सात समंदर पार से बिन माँगे मदद

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यह बिल्कुल सच्ची घटना है सिर्फ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं और शहर का नाम नहीं दिया गया है

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कुछ दिन पहले की बात है . चंद दिनों में नवरात्रि और दशहरा था . शहर में एक सप्ताह के लिए उत्सव का माहौल था . पूरे शहर में हर्ष का माहौल था और उत्सव की तैयारी जोर शोर से चल रह थीं . रोज की तरह सुबह में सभी अपनी नित्य क्रिया में लगे थे . अमन अपने घर में नहाने की तैयारी में था . उसकी उम्र लगभग 75 वर्ष थी . सेवानिवृत्त होने के बाद उसने कपनी से यह फ्लैट ख़रीदा था . कंपनी की जब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तब उसने अपने क़्वार्टर्स लीज पर रिटायर्ड कर्मचारियों को बेचा था .


अमन काफी सरल स्वभाव का मिलनसार व्यक्ति है . सदा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता है . तभी अचानक जोर की आवाज हुई . कोई कह रहा था कि आस पास कहीं बम फटा है तो कोई कह रहा था कि कोई भयंकर एक्सीडेंट हुआ है . अमन पता लगाने के लिए घर से बाहर निकला . वह ग्राउंड फ्लोर पर रहता था . उसके बगल के फ्लैट में जो घर था उस में चार फ्लैट थे दो नीचे और दो ऊपर . अमन ने देखा कि उसके बगल वाली पहली मंज़िल के ऊपर से पानी लगातार नीचे गिर रहा था . नीचे काफी पानी भी जमा हो रहा था .


अमन दौड़ कर उस फ्लैट में गया . वहां शेखर सपरिवार रहता था . शेखर की उम्र लगभग 30 साल थी और वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था . त्यौहार के अवसर पर उसके माता पिता के अलावा उसके सास ससुर और सालियां भी आयी थीं . उसके घर में काफी लोग मौजूद थे . शेखर की छत के ऊपर से पानी लगातार नीचे बह रहा था . अमन ने शेखर का कॉल बेल बजाया तो उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला . शेखर के बारे में पूछने पर बोली “ वे ऊपर टेरेस पर गए हैं . “


अमन भी सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर टेरेस पर गया . वहां उसने देखा की कंक्रीट की भारी भरकम टंकी धराशायी हो गयी थी . उसे समझने में देर नहीं हुई कि वह विस्फोट जैसी आवाज इसी टंकी के गिरने की थी . ऊपर की टंकी से नीचे के फ्लैट में पानी जाता है . सुबह एक घंटा सात से आठ बजे तक जलापूर्ति की जाती है नगर प्रशासन द्वारा .


अमन ने पछा “ यह कैसे हुआ ? “


“ अकलं 40 साल से भी ज्यादा पुरानी टंकी थी . मैं नगर शासन को इसकी रिपेयर के लिए बोल बोल कर थक गया हूँ . उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है . चलिए नीचे बैठ कर बात करते हैं . “


शेखर अमन के साथ ड्राइंग रूम में अन्य लोगों के साथ बैठा था . शेखर ने कहा “ मेरे यहाँ आजकल करीब दस लोग हैं . अभी सुबह सुबह सभी को पानी की जरूरत है . खाना तो होटल से मँगा लूँगा पर अन्य काम के लिए तो पानी चाहिए . “


बोल कर शेखर फोन पर वाटर सप्लाई विभाग से बात करने लगा . उसे जबाब मिला “ इतनी जल्दी तो कुछ नहीं हो सकता है . इसमें काफी समय लगेगा . अभी एक छोटा पानी का टैंकर दो तीन घंटे में भिजवा देता हूँ . “


समस्या यह थी कि नीचे से बाल्टी बाल्टी पानी चढ़ा कर इतने लोगों के लिए पानी इकठ्ठा करना भी बहुत कठिन था . चूँकि पानी का स्टोरेज ऊपर टंकी में होता था और आज तक ऐसी समस्या नहीं हुई हुई थी सो घर में बाथ रूम में एक बाल्टी छोड़ कर पानी जमा रखने की तत्काल कोई व्यवस्था भी नहीं थी .


शेखर के ठीक सामने अमर का फ्लैट था , दोनों के दरवाजे आमने सामने थे . अमर ने भी रिटायरमेंट के बाद वह फ्लैट खरीद लिया था .उस में अमर और उसकी पत्नी बस दो ही लोग रहते थे . उसके दोनों बच्चे अमेरिका में सेट्ल्ड थे . बीच बीच में वह पांच छः महीने के लिए घर बंद कर अमेरिका जाता रहता था . अमर और शेखर की उम्र में बहुत बड़ा अंतर था . कोई खास निकटता न थी . फिर भी जब शेखर के यहाँ ज्यादा आदमी हो जाते, पानी अमर के यहाँ से ले लेता था . अमर फ़िलहाल अमेरिका में था तो वहां से पानी मिलने की उम्मीद नहीं थी. शेखर बहुत चिंतित था .


अमन चुप चाप अपने घर आ गया . अमन और अमर में अच्छी दोस्ती थी . लगभग रोज व्हाट्सएप्प पर बात होती थी . जिस समय यहाँ सुबह के आठ बजे थे अमर के यहाँ रात के करीब दस बज रहे थे . फिर भी अमन ने फोन कर अमर को सारी घटना बतायी और कहा “ तुम्हारी डुप्लीकेट चाभी कहाँ है? उसके मिलने से शेखर को बहुत आराम हो जायेगा . उसके यहाँ अभी काफी लोग आये हुए हैं . “


अक्सर अमर अपने घर की डुप्लीकेट चाभी अमन को देकर अमेरिका आता था . पर इस बार उसके अमेरिका आने के समय अमन काफी दिनों से दिल्ली में था . अमर बोला “ यार तुम थे नहीं , मैंने चाभी एक रिश्तेदार को दे दिया है . वह तुम्हारे यहाँ से आठ कलोमीटर दूर दूसरे सेक्टर में है. वैसे शेखर को मैंने अपना अमेरिका का फोन नंबर दे दिया था और कहा था कि इमरजेंसी में फोन कर सकता है . उसने अभी तक कुछ नहीं बताया है . खैर मैं देखता हूँ . “


अमर ने अपने टेरेस पर एक एक्स्ट्रा टंकी भी लगा ली थी . एक बार गर्मी में जल संकट होने से जलापूर्ति में कटौती कर दी गयी थी . इसके बाद उसने एक एक्स्ट्रा टैंक बैठा लिया था . अमर ने अपने रिश्तेदार को फोन कर कहा “ मेरे घर की डुप्लीकेट चाभी के गुच्छे में से टेरेस की चाभी मेरे पड़ोसी को पहुंचा दो . “


उसने पूछा “ अभी ,? अभी तो मेरे ड्यूटी जाने का समय है . लौटते समय चार बजे पहुंचा दूंगा . “


“ नहीं , तुम अभी पहुंचा दो . हाफ डे की कैजुअल लीव ले लो या फर एक घंटा लेट मैनेज करो . ज्यादा से ज्यादा एक घंटे का वेतन कटेगा , वो मैं आ कर दे सकता हूँ “


“ आप मुझे शर्मिंदा न करें पर शेखर से आपकी इतनी घनिष्टता भी नहीं है . फिर उसे आप अपनी चाभी दे रहे हैं . “


“ वो सब बेकार की बात मत करो . अगर इमरजेंसी में पड़ोसी मदद नहीं करेगा तो कौन करेगा .आखिर इंसानियत भी तो कोई मायने रखती है . “


एक घंटे के अदरं अमर की चाभी शेखर को मिल गयी . शेखर चाभी मिलने पर बहुत खुश हुआ . उसने तो इसकी कल्पना भी नहीं की थी . शेखर के पास PVC की एक लम्बी पाइप थी जिस से वह अपनी कार की धुलाई करता था . अमर ने टेरेस पर एक बाथ रूम भी बनवाया था और दो एक्स्ट्रा नल लगाए थे जिस से छत की धुलाई करता था . शेखर को टेरेस के बाथ रूम की चाभी भी मिलने से उसे बहुत आराम हो गया . वह और उसके गेस्ट्स आराम से नित्य क्रिया में लग गए . एक नल में पाइप लगा कर शेखर ने नीचे अपने फ्लैट के अंदर ं तक पानी पहुँचाने का इंतजाम कर लिया .


इधर अमर ने अमेरिका से शेखर को फोन कर पूछा “ क्या हुआ ? तुम्हें चाभी मिली या नहीं ? “


“ अरे अकलं आप , प्रणाम ? आपको खबर कैसे मिली ? जरूर अमन अंकल ने आपको बताया होगा . आप दोनों जैसे पड़ोसियों से मोहल्ले को बहुत मदद मिलती है . “


“ ठीक है , और तुम्हारा काम चल जायेगा न चाभी से ? “


“ . वैसे मैं भी आपको कल फोन करता , अभी आपके यहाँ रात है . इसलिए आपको डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था . मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक घंटे के अदरं सात समंदर पार से बिन मांगे इतनी बड़ी मदद मिलेगी . मैं किन शब्दों में आपका शुक्रिया अदा करूँ . “


“ उसकी कोई जरूरत भी नहीं है . “


“ अंकल ं आप कब तक लौट रहे हैं ? “


“ कुछ ठीक से नहीं बता सकता हूँ , मुझे आने में समय लगेगा .मैं तो यहाँ मार्च में ही आ गया था तब तक अमेरिका या इंडिया कहीं भी कोरोना का असर कुछ खास नहीं था . जब तक अमेरिका और इंडिया दोनों जगह कोविड 19 का कहर कम नहीं होता तब तक लौटना मुश्किल है . अगर टीका जल्द उपलब्ध हो गया तब जल्द भी आ सकता हूँ . “


“ मैं चाभी आपके रिश्तेदार को कब तक लौटा दँ ू? “


“ तुम उसे रखो , वहां आऊंगा तब तुम से ले लूँगा . तब तक तुम उसका इस्तेमाल कर सकते हो . “


“ वाह , अंकल आपके इस अप्रत्याशित मदद से मुझे बहुत राहत मिली है . अभी मेरे यहाँ बहुत लोग आये हुए हैं और अक्सर शाम होते होते पानी समाप्त हो जाता है. आपको बहुत बहुत धन्यवाद , आंटी को भी मेरा प्रणाम बोल देंगे . “


“ ठीक है बोल दूंगा, यहाँ काफी रात हो गयी है . मैं सोने चला . “


शेखर के गुड नाईट कहने के बाद अमर ने उसे गुड डे बोल कर फोन रख दिया. -