यादों की बारात S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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यादों की बारात

कहानी - यादों की बारात


एक लम्बे अंतराल के बाद राज पटना आया था . लगभग बीस साल पहले पटना के इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई पूरी कर वह अमेरिका चला गया था .वहीँ उसकी मुलाकात एक भारतीय अमेरिकन लड़की बिंदु से हुई .लड़की के माता पिता तो काफी पहले पंजाब से आ कर अमेरिका में सैटल कर गए थे .बिंदु का जन्म , पढ़ाई लिखाई , पालन पोषण सब अमेरिका में ही हुआ था .बिंदु सुंदर थी और उसने गणित से स्नातक किया था .बिंदु पर राज का दिल आ गया और उसने बिंदु से वहीँ शादी भी कर ली .हालांकि उसके माता पिता इस शादी के विरुद्ध थे

.


पर बिंदु से शादी का सबसे बड़ा फायदा राज को यह मिला कि बहुत जल्द ही उसे अमेरिकन ग्रीन कार्ड और नागरिकता मिल गयी .राज वहीँ सैटल कर गया .अमेरिका में ही उसने बड़ा सा दो मंज़िला घर भी खरीद लिया .बाद में उसके माता पिता ने भी बिंदु को बहू स्वीकार कर लिया था .तब राज ने अपने माता पिता को भी ग्रीन कार्ड के लिए स्पांसर कर अमेरिका बुला लिया .राज को दो बच्चे हुए , एक बेटा ऋषि और उससे छोटी एक बेटी नीतू .दोनों बच्चे अमेरिका में कॉलेज में पढ़ रहे थे .


बिंदु ने अभी तक भारत नहीं देखा था .वह सिर्फ अपने माता पिता से यहाँ के किस्से सुनती थी या टी वी में इंडिया की तस्वीरें देखती थी .उसको अपनी आँखों से एक बार भारत देखने की प्रबल इच्छा थी .राज के चचेरे भाई के बेटे की शादी थी .उसके माता पिता ने राज को ही अपने परिवार का प्रतिनिधित्व करने भारत जाने को कहा .बिंदु को अकस्मात इंडिया देखने का सुनहरा मौका मिल गया .उसके दोनों बच्चे भी साथ में भारत आये .


न्यू यॉर्क से दिल्ली तक का हवाई सफर तो बड़े आराम से कट गया . दिल्ली से पटना तक का हवाई सफर भी ठीकठाक रहा .राज ने दिल्ली से ही फोन कर पटना एयरपोर्ट पर रेंटल कार बुक कर लिया था .कार ड्राइवर उसके नाम की तख्ती लेकर गेट पर खड़ा था .एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा , जून का महीना भी , लू भी चल रहा था .


राज के मुँह से निकल पड़ा “ यहाँ बहुत लू है .”


बिन्दु तो समझ गयी , पर बच्चों ने कहा “ डैड , मुझे तो एक भी लू नहीं दिखता है .”


बिंदु ने हँसते हुए समझाया “ हिंदी में लू का अर्थ गर्म हवा है न कि शौचालय .”


सभी कार से अपने गंतव्य स्थान की ओर चल पड़े .रास्ते में राज सब को पटना के महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में बताता रहा -यह राज भवन , यह सचिवालय यह शहीद पार्क आदि .यहाँ तक तो पटना साफ़ सुथरा दिख रहा था . पर जैसे ही उन्होंने रेलवे लाइन पार कर दक्षिणी पटना में प्रवेश किया , पटना का दृश्य ही बदल गया .गंदी पतली तंग सड़कें , गंदी बस्ती , इधर उधर कूड़ा कर्कट देख कर बिंदु और बच्चों को आश्चर्य हुआ .


उनका ध्यान हटाने के लिए राज ने कहा “ यह देखो , मेरा स्कूल दयानंद विद्यालय .स्कूल के मुख्य भवन पर कंक्रीट के बड़े अक्षरों में अभी तक लिखा है - सादा जीवन उच्च विचार , मानव जीवन का श्रृंगार . अंग्रेजी में भी लिखा था प्लेन लिविंग एंड हाई थिंकिंग .”


इसे देख कर बिंदु और बच्चे काफी खुश हुए , बेटा बोला “ वाउ डैड , कितना सुन्दर विचार है .”


फिर उसने बिंदु को दिखया कि इस स्कूल के ठीक सामने दयानंद कन्या विद्यालय था .उन्हें यह जान कर आश्चर्य हुआ कि लड़के और लड़कियों के स्कूल अलग थे .राज ने ड्राइवर को गाड़ी ‘ कन्नू लाल रोड ‘ में लेने को कहा . इसी रोड में कन्या विद्यालय का मुख्य द्वार था .


इस स्कूल को देखने के साथ ही राज की आँखों के सामने 25 साल पुरानी यादें जागृत हो उठीं . वह याद करने लगा कि स्कूल से छुट्टी के बाद इसी रोड से साइकिल से घर लौटा करता था .ठीक उसी समय अक्सर उसे एक लड़की रिक्शे पर घर जाते हुए मिला करती .वह तेज पैडल मारते हुए रिक्शे को ओवरटेक करता और एक बार पीछे मुड़ कर लड़की को देख लेता और मुस्कुरा कर उसी रफ़्तार से आगे निकल जाता था .लड़की की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती थी .


एक बार उस लड़की के रिक्शे पर एक लड़के ने एक पर्ची फेंक दी जिसमें लिखा था “ क्या नमकीन लगती हो ? “


लड़की ने रिक्शे वाले को तेज चलाने को कहा और राज के पास रिक्शा रुकवा कर आवाज दिया “ ऐ लड़के , रुको .”


राज भी रुक गया और हँसते हुए बोला “ क्या बात है ? ”


“ शर्म नहीं आती , आवारागर्दी करते हो .” अभी मैं तुम्हारी बत्तीसी न निकलवा दूँ तो मेरा नाम भी रेखा सिंह नहीं .” बोल कर शोर मचाने लगी


राज हॅंस कर बोला “ ऐसा क्यों बोलती हो .मैंने किया क्या है ? “


तब तक कुछ आदमी आस पास जमा होने लगे . लड़की ने कहा “ यह चिट तुमने मुझ पर फेंकी है ? “


कुछ लोगों ने उसकी साइकिल जमीन पर पटक दी और वे उसके कॉलर पकड़ कर मारने ही जा रहे थे कि रिक्शावाला बोला “ नहीं दीदी , यह लड़का तो सिर्फ तेजी से आगे निकल गया था .पर्ची तो दूसरी तरफ से आने वाला लड़का फेंक कर अपनी साइकिल से भाग गया .”


तब जा कर लोगों ने उसके कॉलर छोड़े .लड़की ने पहली बार हँस कर कहा “ सॉरी , वैरी सॉरी राज .” उसने राज की शर्ट पर आई डी कार्ड से उसका नाम पढ़ लिया था . राज को उसका हँसता चेहरा अच्छा लगा था , दोनों गालों पर डिंपल और दाहिने गाल के डिंपल में छुपा काला तिल . राज ओके बोल कर चल पड़ा .


इतने में कन्नू लाल रोड जाकर दोराहे पर मिलने को था तभी ड्राइवर ने पूछा “ अब किधर जाना है सर , लेफ्ट या राइट .”


उसका ध्यान टूटा और बोला “ राइट ले लो .” फिर एक घर की ओर दिखा कर बोला “ यह आचार्य जी का घर है .हमारे समय ये शिक्षा मंत्री थे , विद्वान , सज्जन बहुत सीधे साधे व्यक्ति थे . अक्सर उन्हें बारामदे में बैठे देखता था . कोई टाम झाम या सिक्युरिटी नहीं थी . आजकल के मंत्रियों की तरह नहीं .”


राज को फिर याद आयी इसी मंत्री के निवास पर रेखा से दूसरी बार एनकाउंटर हुआ था . यहाँ शिक्षक दिवस समारोह में दोनों आमने सामने हुए थे . रेखा उस दिन पहली बार साड़ी में थी . वह मेहमानों में कॉफ़ी बाँट रही थी . जब वह कॉफ़ी का ग्लास राज को थमा रही थी दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुरा पड़े थे . तभी अचानक उसके ग्लास से कॉफ़ी छलक कर रेखा की साड़ी पर जा गिरा था . अचानक रेखा ने गुस्से में कहा “ यह क्या किया तुमने , माँ की नयी साड़ी ख़राब कर दी . “


पीछे से एक दूसरी लड़की ने सामने आ कर कहा “ सॉरी , गलती मेरी थी . मैं जरा जल्दी में थी और इनसे टकरा गयी थी . “


रेखा ने सिर्फ ओह भर कहा था कि राज बोला “ थैंक्स गॉड , आज फिर पिटने से बच गया . “


रेखा कुछ न बोली थी , अपनी साड़ी झाड़ते हुए वहां से निकल गयी . यह राज की रेखा से दूसरी और आखिरी मुलाकात थी . इसके बाद तो उसके पापा का ट्रांसफर हो गया और वह इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में चला गया था .


“ अब किधर जाना है ? “ एक मोड़ पर ड्राइवर ने पूछा था


बस सीधे आगे चलो और उस ट्रांसफार्मर के पास रोक दो .उसके चाचाजी का घर था .


चाचाजी के यहाँ शादी का माहौल था .काफी मेहमान आ चुके थे , हालांकि अभी शादी में दो दिन बाकी थे .पाँच कमरों का दो मंजिला मकान था , दो नीचे और तीन ऊपर .राज को ऊपर का एक अटैच बाथ का कमरा दिया गया जिसमें दो बड़े बेड थे और एयर कंडीशनर लगा था . बाकी कमरों में तो फर्श पर ही टेंट हाउस के गद्दे लगे थे और एयर कूलर थे . ऊपर छत पर और नीचे लॉन में शामियाने लगे थे जिनमें कुछ टेबल और कुर्सियां लगी थीं .


अगले दिन शाम को लेडीज संगीत था .परिवार और पड़ोस की लड़कियाँ और औरतें सज धज कर बॉलीवुड गानों पर थिरक रही थीं म्यूजिक सिस्टम के साथ .बड़े बड़े स्पीकर फुल वॉल्यूम में गाने बजा रहे थे .साथ में रह रह कर स्नैक्स , मिठाईयों और कोल्ड ड्रिंक के दौर चल रहे थे . बिंदु और बच्चों को यह सब अजीब लग रहा था .अमेरिका में तो जरा भी शोर पड़ोसी ने किया कि लोग 911 नंबर पर पुलिस बुला देते हैं . फिर भी कुछ हद तक वे एन्जॉय कर रहे थे .


अगले दिन संध्या में बारात जाने वाली थी .लोकल शादी थी .चाचाजी ने लगभग बीस कारें दोस्तों और रिश्तेदारों के कार मंगवा लिए थे .दूल्हे के लिए गुलाब के फूलों से सजी भव्य कार खड़ी थी .शाम को ही बैंड , बत्ती वाले दरवाजे पर आ गए थे .बैंड वाले फुल वॉल्यूम में फ़िल्मी गानों के धुन बजाने लगे . दिन भर लाउडस्पीकर पर फ़िल्मी गाने बजते रहे .राज के बच्चे किसी तरह गर्मी और शोर शराबा बर्दाश्त कर रहे थे .


खैर बारात मुश्किल से दो किलोमीटर दूर जानी थी .पर अंतिम आधा किलोमीटर नाच गाना के साथ बारात दो घंटे बाद दरवाजे लगी थी . बारात के स्वागत के समय लड़की वालों की तरफ से एक औरत ने बिंदु को फूलों का हार पहनाया था . वह औरत राज को जानी पहचानी लगी थी . उसने किसी से उसके बारे में पूछा तो बताया गया कि वह शहर की मशहूर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ अग्रवाल थी .


रात भर शादी की रस्में चल रही थीं .बच्चे तो जनवासे में सो रहे थे , पर बिंदु ने रात भर जग कर भारतीय शादी का लुफ्त उठाया .अगले दिन सुबह जलपान के बाद बारात विदा हुई .


रास्ते में कार में बिंदु ने राज से कहा “ मुझे पता नहीं था कि भारत में शादी इतनी धूम धाम के साथ होती है , वरना मैं भी अपनी शादी इंडिया आ कर करती .”


दिन भर सभी थके मांदे सोते रहे . शाम को बिंदु की नींद खुली तो उसने राज से कहा “ इधर कुछ दिनों से तबीयत ठीक नहीं लग रही है . मैंने सोचा बस थकावट होगी . पर अभी तो इंडिया में दस दिन और रहने हैं . एक बार डॉक्टर से मिल लें क्या ? “


“ बिलकुल , डॉक्टर से कंसल्ट कर लेना चाहिए . तुम चाचीजी से किसी अच्छे डॉक्टर का पता करो , हमलोग कल मिल लेते हैं . “


चाचीजी ने बिंदु से कहा “ बारात में तुम्हारा स्वागत करने वाली औरत डॉ अग्रवाल यहाँ की प्रसिद्द डॉक्टर है . मैं उससे तुम्हारे लिए कल सुबह का अप्यांटमेंट ले लेती हूँ . “


बिंदु राज के साथ डॉक्टर से मिलने गयी . जैसे ही राज ने डॉक्टर के केबिन में प्रवेश किया एक पल के लिए ठिठक कर खड़ा रहा था . डॉक्टर ने उन्हें बैठने को कहा . राज डॉक्टर की ओर बार बार सवालिया निगाहों से देख रहा था . डॉक्टर ने पूछा “ क्या बात है मिस्टर राज ? “


“ मेरा नाम आपको किसने बताया , अपॉइंटमेंट में तो सिर्फ बिंदु का नाम लिखवाया था ? “


“ आपकी चाची ने कल ही बताया था . पर लगता है मैंने आपको कहीं देखा है पहले भी . “


“ हाँ , मुझे भी कल से कुछ ऐसा ही लग रहा है . “


“ एनी वे , पहले मैं बिंदु का चेकअप कर लूँ फिर बैठ कर बातें होंगी . आपकी चाची की फैमिली डॉक्टर हूँ और बराबर का आना जाना है . “ और वह हँस कर बिंदु से बोली “ चलिए अंदर बेड पर लेट जाईये . “


राज ने गौर किया डॉक्टर के गालों पर डिम्पल्स और दाहिने गाल के डिंपल में धंसा हुआ तिल . तब अचानक उसे बरसों पहले की रेखा सिंह याद आ गयी .


डॉक्टर ने बिंदु से उसकी प्रॉब्लम पूछी , फिर उसका चेकअप किया . उसके बाद चेकअप रूम से हँसते हुए बाहर निकल कर कहा “ डोंट वरी बिंदु , ऐसा मेनोपॉज के पहले होता है . सब कुछ नार्मल है . पर डॉक्टर के यहाँ आयी हो तो कुछ दवाइयां लिख देती हूँ . “


फिर हाथ धो कर डॉक्टर अपनी कुर्सी पर बैठी और अपनी नर्स से बोली “ और कोई पेशेंट है ? “


“ बस एक और बची हैं . “


“ ठीक है , उन्हें भेज दो “. नर्स को कहा . फिर राज से बोली “ बस लास्ट पेशेंट को निपटा कर आराम से बात करती हूँ . “


थोड़ी देर में डॉक्टर फ्री हो गयी तब बोली “ हाँ तो मिस्टर राज . . . “


राज ने बीच में उसे रोक कर कहा “ एक मिनट डॉक्टर , आप का चेहरा मुझे बहुत पहले एक लड़की मिली थी रेखा सिंह , उससे काफी मिलता है . “


“ ठीक कहा है आपने वही लड़की शादी के बाद रेखा अग्रवाल बन गयी है . तुम राज हो न ? “


“ हाँ , पर तुम ज्यादा मोटी हो गयी हो , लास्ट जब हम मिले तुम तो बहुत दुबली पतली थी . “


“ तुम्हारे कनपटी के बाल सफ़ेद हो चले हैं और आँखों पर मोटा चश्मा भी लग गया है . “


दोनों आप से तुम पर आ गए थे . बिंदु उनकी बातें चुप चाप सुन रही थी बीच बीच में कभी डॉ रेखा तो कभी राज की ओर देखती थी .डॉ रेखा ने नर्स को बुला कर सामने वाले रेस्टॉरेंट से कॉफ़ी और कुछ स्नैक्स भेजने को कहा , तब राज बोला “ सिर्फ कॉफ़ी ही रहने दो . शादी में काफी हेवी खाना खाते रहे हैं . अभी और कुछ नहीं चलेगा . “

डॉ रेखा की केबिन में एक दरवाजा था जो उसके घर के ड्राइंग रूम में खुलता था . इस दरवाजे का प्रयोग सिर्फ डॉ रेखा ही करती थी . रेखा ने सभी को अपने साथ ड्राइंग रूम में आने को कहा . वहीँ सभी साथ बैठ कर कॉफी पी रहे थे .


बिंदु बोली “ आपलोग साथ ही पढ़ते थे क्या या पडोसी थे .? “


“ नहीं , ऐसा कुछ भी नहीं है . “ रेखा बोली


राज बोल उठा “ अरे ये तो मुझे पिटवा रही थी . “


“ जरूर तुम इन पर लाइन मारते होंगे . “


“ नहीं “


“ इस में शरमाने या डरने की बात नहीं है . अमेरिका में तो लड़के अक्सर शादी के पहले एक से ज्यादा गर्लफ्रेंड के साथ डेट पर जाते रहते हैं . “


तब जा कर रेखा ने पुरानी कहानी सुनायी कि किस तरह बेचारा राज दो बार पिटने से बचा था .


“ तभी कन्या विद्यालय देखने के बाद काफी देर राज गुमसुम पिछली यादों में खो गया था . “ बिंदु बोली


“ हाँ , हम अपने जीवन काल में रोज कुछ लोगों से मिलते जुलते रहते हैं . कुछ घटनाएं भी होती रहती है . पर उनमें कुछ ही यादों की अल्बम में अमिट छवि छोड़ जाती हैं .भला हो उस रिक्शेवाले का जिसने मुझे पिटने से बचाया था .पर सच कहूं तो दूसरी मुलाकात के बाद कुछ कुछ होने लगा था . “


“ तुम्हें जान कर शायद हैरानी होगी कि उस रिक्शे वाले का बेटा भी आजकल अमेरिका में इंजीनियर है और वह आजकल साइकिल रिक्शा की जगह रेंटल कार कंपनी का मालिक है . और उसी की रेंटल कार तुम चार दिन से यूज भी कर रहे हो . “ रेखा ने कहा


“ अच्छा तो अब हमें इजाज़त दो . कभी अमेरिका आना तो जरूर मिलना . मुझे ख़ुशी होगी . “


“ अमरीका में पढ़ कर सैटल करने की तो मेरी भी इच्छा थी . पर भारतीय डॉक्टरों के लिए अमेरिका में प्रवेश अत्यंत कठिन है . तीन तीन एग्जाम में क्वालीफाई करो , फिर आगे तीन चार साल पढ़ो तब जा कर वहां पेशेंट को हाथ लगा सकते हैं . उस पर अपनी पसंद का डिपार्टमेंट मिलना और भी मुश्किल . तुमने अच्छा किया , चार साल की इंजीनियरिंग के बाद सीधे उड़ चले अमेरिका . “


“ दोनों जगहों के अपने अपने फायदे और नुकसान हैं रेखा . पर एक बार अमेरिका आना जरूर . तुम बस वहां आ जाना , बाकी मैं संभाल लूंगा . तुम मीन्स तुम दोनों . तुम्हारे मिस्टर से तो मुलाकात नहीं हो सकी . “


“ हां , वे अक्सर टूअर पर रहते हैं . “


बिंदु और राज वहाँ से निकल पड़े . फिर अगले एक सप्ताह उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश के दर्शनीय स्थानों का भ्रमण किया . अगले दिन पटना एयरपोर्ट पर उन्हें अमेरिका के लिए विदा होने समय रेखा भी अपने पति के साथ आयी थी .


चेक इन सुरक्षा जाँच के लिए जाने के पहले एक बार फिर राज सपरिवार गेट तक सब को बाय करने आया .


प्लेन में बैठने के बाद बिंदु बोली “ यह यात्रा भी यादगार रही .बिंदु को लेकर तुम रेखा तक पहुँच गए .मैं तो

मैथ्स की टीचर हूँ .रेखा खींचने के लिए पेंसिल को एक बिंदु पर रख कर ही आगे रेखा खींची जाती है .”


कुछ पल बाद यादों की बारात में घूमने के बाद फिर पुरानी याद संग लिए राज की फ्लाइट हवा में उड़ रही थी.


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यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है , इसके किसी पात्र ,घटना या जगह से भूत यावर्तमान का कोई सम्बन्ध नहीं है