कार अलाउएंस से एक्स्ट्रा कमाई S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कार अलाउएंस से एक्स्ट्रा कमाई

कहानी - कार अलाउएंस से एक्स्ट्रा कमाई


गौतम और नरेश दोनों अच्छे मित्र थे .दोनों एक ही सरकारी कारखाने में अफसर पद थे . संयोगवश दोनों की सेवानिवृत्ति एक ही साथ होनी थी . फैक्ट्री की नौकरी में ट्रांसफर का चक्कर भी नहीं था .अभी कोई 32 वर्ष नौकरी करनी थी , दोनों ने सोचा कि बस इसी नौकरी में ही सर्विस पीरियड गुजर जाये तो अच्छा ही है .


नरेश और गौतम को कंपनी की ओर से कॉलोनी में अच्छे क्वार्टर मिले थे . फ्लैट का किराया और बिजली का दर नाम मात्र ही था .दोनों यहाँ पड़ोसी भी थे . गौतम का फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर था और नरेश ठीक उसके ऊपर पहली मंजिल पर था .


नौकरी ज्वाइन करने समय दोनों अविवाहित थे , पर एक साल के अंदर ही दोनों की शादी हो गयी .दोनों परिवारों में भी काफी घनिष्टता हुई .नरेश कुछ ज्यादा ही चालाक किस्म का आदमी था .शादी के समय गौतम को ससुराल से एक कार मिली थी .नरेश ने कार न लेकर उसके बदले नगद रकम ही ले लिया था .


गौतम की पत्नी गीता और नरेश की पत्नी नीरा दोनों ही ग्रेजुएट थीं और दोनों ही हाउसवाइफ थीं .पति के दफ्तर चले जाने के बाद दोनों अक्सर दिन में काफी देर तक साथ बैठ कर चाय पीतीं और गप करतीं .गीता का घर नीचे था , ज्यादातर बैठकी उसी के यहाँ होती थी .


गौतम और गीता दोनों कुछ शौक़ीन थे .कंपनी के नियमानुसार वह अपने फ्लैट के आगे और पीछे की जमीन को घेर कर गैरेज बना सकते थे .गौतम ने अपनी कार के लिए गैरेज बना लिया था .आगे की बाकी जमीन में एक सुंदर लॉन और कुछ फूल के पौधे थे जबकि पीछे की जमीन पर किचेन गार्डन था जिससे कुछ मौसमी सब्जियां मिल जाती थीं .गीता और नीरा मौसम के अनुसार कभी लॉन में तो कभी घर के अंदर ही बैठकी करती थीं .

आमतौर से गौतम कार से दफ्तर जाता था .कार के लिए कंपनी की ओर से कम व्याज पर लोन और अच्छा खासा मासिक अलाउएंस भी मिलता था . इसके लिए एक प्रमाण पत्र देना होता था कि कार के इस्तेमाल से उसके कार्य संपादन की गुणवत्ता और बढ़ जाएगी . यह एक महज औपचारिकता होती थी . गौतम ने एक स्कूटर भी ले रखा था जिससे कभी कभी दफ्तर आना जाना होता था जब कार की जरूरत पत्नी को किसी काम से होती .पर नरेश ने न कार लिया था न स्कूटर .वह प्रतिदिन गौतम से लिफ्ट ले कर ही आता जाता था .


एक दिन नीरा अपने पति के साथ बालकनी में बैठी थी . उसने पति से कहा " देखिये नीचे .गीता का लॉन और फूल पौधे कितने अच्छे लग रहे हैं .आपको क्या नीचे का क्वार्टर नहीं मिल सकता है ? "


" क्यों नहीं मिल सकता है . चाहूँ तो कल ही टाउनशिप डिपार्टमेंट जा कर अलॉट करवा लूँ ."


" तब जाईये न और ग्राउंड फ्लोर अलॉट करवा ही लीजिये ."


" क्या बेवकूफी वाली बात कर रही हो ? ग्राउंड फ्लोर मतलब मेंटेन करने के लिए माली रखना होगा .हर महीने उसे अच्छी रकम देनी होगी .अभी 30 साल नौकरी करनी है , सोचो ऊपर रहने से इतने साल में हम कितनी बचत कर सकते हैं . “


गौतम और नरेश दोनों सपत्नीक शनिवार को क्लब जाते थे , उस दिन हिंदी सिनेमा दिखाया जाता था .कभी रविवार को भी अंग्रेजी फिल्म के दिन जाना होता था .यहाँ भी नरेश गौतम के साथ ही जाता था .


एक दिन नीरा पति से बोली " मुझे रोज रोज दूसरे के साथ लिफ्ट ले कर क्लब जाना अच्छा नहीं लगता है .कार नहीं तो एक स्कूटर तो ले लें ."


नरेश ने कहा " स्कूटर की छोड़ो , मैंने एक कार देख रखी है .सोच रहा हूँ ले ही लूँ ."


नीरा ख़ुशी से झूम उठी .वह बोली " कितना अच्छा आईडिया है .जल्दी से कार ले आएं ."


" पर तुम्हारी मदद के बिना नहीं हो सकेगा ."


" जल्दी बोलिये , मुझे क्या करना होगा ? "


" वैसे तो कंपनी कार के लिए लोन देती है .उस पर काफी व्याज देना होगा . उसके अतिरिक्त लोन पर लेने से उसका कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस भी कराना होगा .ऊपर से लोन चुकता होने तक कार कंपनी के नाम गिरवी रखनी होगी. इतना झंझट से बेहतर तो मैं सोच रहा था कि बिना लोन के ही कार ले आऊं ."


" हाँ , बिना कर्ज़ के कार मिल जाए तो अतिउत्तम है ."


" बस तुम अपने कुछ गहने दे दो , उसे बेच कर एक सेकंड हैंड कार ले लूंगा ."


" कार के पैसे तो पापा ने दिए ही थे .आप उन पैसे से क्यों नहीं कार ले लेते हैं ?"


" पता नहीं तुम्हें कब अक्ल आएगी .कभी तो समझदारी की बात किया करो .अच्छा , तुम चाय बना कर लाओ तब तक मैं पूरा हिसाब तुम्हें समझा दूँगा ."


नीरा किचेन में गयी .थोड़ी देर में वह चाय ले कर आयी .टेबल पर चाय रख कर नरेश की बगल में कुर्सी ले कर बैठ गयी और बोली " अब समझाएं , क्या बताना चाहते हैं ."


" देखो , ससुर जी के दिए कुछ पैसे से मैंने इंदिरा विकास पत्र लिया है ,और कुछ को अन्य स्कीम में लगा दिया है .समझो पांच साल में दूना हो जायेगा .फिर उसे दोबारा जमा कर दूंगा तो चार गुना हो जायेगा .उतने में एक क्या दो कारें ले सकती हो और तुम्हारे नए डिज़ाइन के गहने भी बन जायेंगे . थोड़े दिन धैर्य रखो ."


नीरा मान गयी और उसने कुछ गहने नरेश को दे दिए . नरेश ने एक पुरानी एम्बेसडर कार ले ली .शनिवार के दिन नीरा ने पति को अपनी कार से क्लब चलने को कहा तो वह बोला " अभी कार में कुछ रिपेयर कराना होगा तब जा कर चलने लायक होगी .गौतम है न , उसी के साथ चलते हैं ."


दरअसल वह कार सिर्फ शो के लिए थी , शायद ही कभी रोड पर चली हो . इस कार के नाम पर कंपनी से सिर्फ कार अलाउएंस लेना ही मकसद था. मोटी रकम मासिक अलाउएंस तो मिलता ही था साथ में सालाना कुछ रकम मेंटेनेंस के लिए भी मिल जाता था . नीरा के शिकायत करने पर नरेश बोला " इतने दिन मेरे साथ रहने पर भी तुम्हें अक्ल नहीं आ सकी है ."

" इसमें अक्ल की क्या बात है ? "


" इस बार चाय के साथ पकौड़े खिलाओ , तब समझाता हूँ ."


थोड़ी देर में नीरा ट्रे में चाय और पकौड़े ले कर आयी .गरम गरम पकौड़े खाते हुए नरेश बोला " वाह , क्या धाकड़ स्वाद है ."


" ठीक है , अब काम की बात करें ."


" गौर से सुनो .इस कार पर मैंने बस एक कवर डाल कर छोड़ रखी है . अच्छी रनिंग कार के लिए गैरेज बनाना होगा .हर साल कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस लेना होगा .चलाने के लिए पेट्रोल , मेंटेनेंस में खर्च आएंगे , वो सारे पैसे बचेंगे .कंपनी जो अलाउएंस देती है पूरा का पूरा बचेगा .उसका मैं कंपनी के कोऑपरेटिव बैंक में रिकरिंग डिपॉजिट खोल दूंगा .उसमें 12 परसेंट सूद मिलता है .सब मिला कर रिटायरमेंट तक करीब 10 लाख तक होंगे . और ऊपर का फ्लैट लेकर भी हमने काफी पैसा बचाया है . सब जोड़ कर समझो करीब 12 - 13 लाख हो जायेंगे सर्विस पीरियड में. इसके अलावे मैं अपना लीव ट्रैवल अलाउएंस भी सेल्फ कार से ही क्लेम करूँगा , उसमें भी बिना कहीं गए घर बैठे पूरी सर्विस पीरियड में तीन चार लाख मिल जायेंगे . थोड़ी अक्ल लगाने से लाखों का फायदा . ”


नीरा भी इतनी बड़ी रकम सुन कर सोच में पड़ गयी .वह बोली " फिर भी रोज रोज गौतम से लिफ्ट ले कर जाना अच्छा नहीं लगता है .ऐसा करें उसकी गाड़ी में कभी पेट्रोल डलवा दिया करें ."


" मैंने एक दो बार ऐसा करने की कोशिश की थी .गौतम को बहुत बुरा लगा था . उसने मुझे कहा था कि अगर दोस्ती चाहते हो तो ऐसा फिर कभी नहीं कहना ." नरेश सफ़ेद झूठ बोल गया


ऐसे ही साल बीतते गए . दोनों दोस्तों के बच्चे भी बड़े हो चले थे . बच्चों की पढ़ाई पर भी नरेश ने कंजूसी बरती थी . उन्हें कंपनी के फ्री स्कूल में पढ़ाया जबकि गौतम ने अपने बच्चों को शहर के नामी प्राइवेट स्कूल में . परिणामस्वरूप नरेश के दोनों बेटे कहीं कम्पीट न कर सके जबकि गौतम के दोनों बेटों ने आई आई टी में एडमिशन लिया .


उधर गौतम की पत्नी गीता ने एक दिन पति से कहा " नरेश इतने दिनों से तुम्हारी कार और स्कूटर से आता जाता है .कभी उसने अपने पैसों से तुम्हारी गाड़ी में तेल डलवाया है ? "


" नहीं , उसने एक बार भी ऑफर नहीं किया है . "


" मैं भी उसे पहचान गयी हूँ .वह कभी बोलेगा भी नहीं . एक दिन तुम ही उससे मुँह खोल कर बोलो ."


" मुझे दोस्ती में ऐसा करना ठीक नहीं लगता है ."


" अरे वाह , उसे दोस्ती में सब ठीक लगता है और तुम्हें बुरा .कल ही उसे कार से ले जाओ और पंप पर बोलना कि तुम्हारा पर्स छूट गया है ."


" एक बार सचमुच ऐसा हुआ भी . मैंने उससे कहा था कि अभी पेट्रोल के पैसे दे दे ,मैं घर पहुँच कर लौटा दूंगा .पर उसने मुझसे झूठ कहा कि पैसे नहीं हैं और अपना पल्ला झाड़ लिया था .वो तो उस पंप से सालों से तेल ले रहा था तो उसने कहा कि पैसे बाद में दे देना ."


" एक बार फिर कोशिश करो ."


" न बाबा , मुझसे नहीं होगा .उसे शर्म नहीं है तो क्या मैं भी उसी की तरह बेशर्म हो जाऊँ ,"


वक़्त तेजी से बीतता रहा . गौतम के दोनों बेटों की शादी हुई . दोनों बेटों और बहुओं को विदेश में अच्छी नौकरी मिल गयी थी . नरेश के एक बेटे को बिग बाज़ार में एकाउंट क्लर्क की नौकरी मिल गयी और छोटा बेटा एल आई सी में एजेंट बन गया .


देखते देखते गौतम और नरेश दोनों के रिटायरमेंट के दिन भी करीब आ गए थे . सरकारी कंपनी की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं चल रही थी . वर्किंग कैपिटल जुटाने के लिए कंपनी ने अपने फ्लैट्स लीज पर कर्मचारियों को बेचना शुरू किया . दोनों दोस्तों ने अपने अपने फ्लैट खरीद लिए . कंपनी के नियम के अन्तर्गत गौतम ने अपने पीछे की जमीन पर छोटा सा रूम बना लिया था जिसमें उसने एक गरीब परिवार को रख लिया था . उसमें रहनेवाला आदमी माली का काम करता था और उसकी औरत महरी का .


दोनों दोस्त रिटायर कर चुके थे . गौतम की तुलना में नरेश के पास लाखों रूपये अधिक थे . नरेश अपना बैंक बैलेंस देख कर काफी खुश रहता था .गौतम अपने लाइफ स्टाइल और जो कुछ सेविंग्स थे उनसे संतुष्ट था . एक बार पत्नी गीता ने उससे कहा “ देख रहे हो , कितने पैसे हैं नरेश के पास रिटायर करने के बाद भी . “


“ देखो कम्पनी कार लोन और कार अलाउंन्स इस लिए देती है कि उसके कर्मचारी और वर्कर्स फैक्ट्री और ऑफिस सही समय पर सुविधापूर्वक आये जाएँ और अपनी ड्यूटी मन से करें .अब नरेश जैसे चंद लोग हैं जो इसे अतिरिक्त कमाई का जरिया बना लेते हैं और ऑफिस में हास्य का पात्र बनते हैं . तुमने भी देखा नहीं कि सारी जिंदगी रोड पर लिफ्ट लेने के लिए ठेंगा दिखाया करता था , खुद तो खुद पत्नी को भी कभी अपने स्कूटर तक पर नहीं बैठा सका है आज तक . अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा नहीं दी ,उस कंजूस ने . बैंक में रखे गए नोट से उसे क्या सुख मिल रहा है वो तो नरेश ही जाने . मुझे कोई अफ़सोस नहीं है अपनी लाइफ स्टाइल से . मैंने पैसे नेक काम में लगाए हैं . तुम्हें कभी किसी बात की कोई तकलीफ़ हुई है ? अब तो तुम्हारी सहायता के लिए 24 घंटे आउट हाउस में आदमी भी हैं . आराम से बाकी जिंदगी काटो . “


नरेश ने रिटायरमेंट के बाद पत्नी के लिए काफी गहने भी बनवा दिए थे . एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ गौतम के घर आया हुआ था . दोनों दोस्तों को एक शादी की पार्टी में जाना था . नरेश वहां जाने के लिए गौतम से लिफ्ट लेने आया था . उस समय गीता के दोनों बेटे और बहु इंडिया आये हुए थे . गौतम ने अपने बेटे और बहुओं के लिए तो अलग से एयरकंडीशंड रेंटल कार मंगवा लिया था क्योंकि एक ही कार में सब का जाना नामुमकिन था .


नीरा अपनी ब्राइट कलर की बनारसी साड़ी पहने नए गहनों से लदी थी . वह इठला कर गीता से बोली “ मेरे गहने देखे तुमने . नए नए बनवाये हैं , लेटेस्ट डिज़ाइन के हैं . तुम भी अपने अच्छे वाले गहने पहन लो न . “ गीता के गले में एक पतली चेन और कानों के छोटे टॉप्स की ओर देख कर वह बोली .


गीता बोली “ नहीं मेरे पास ज्यादा गहने हैं भी नहीं . जो थे उनमें ज्यादातर मैंने अपनी बहुओं को दे दिए . “


तब तक गीता के दोनों बेटे अपनी अपनी पत्नी के साथ अंदर से निकल कर आये . गीता ने नीरा से उनका परिचय कराया . नीरा उन्हें देख कर आश्चर्यचकित हो गयी . दोनों बहुएं सिंपल लिबास में हल्के मेकअप में थीं , फिर भी कुल मिला कर दोनों का व्यक्तित्व आकर्षक और गरिमापूर्ण था . पर जो गहने उन्होंने पहने थे वे सभी असली हीरे के थे . उनकी चमक के आगे नीरा के पीले चमक वाले सोने के गहने फीके पड़ रहे थे .


दोनों बहुओं ने आदर पूर्वक नरेश और नीरा को नमस्कार किया . बड़ी बहू ने कहा “ ऑन्टी , आपलोग बैठें . अभी तो पार्टी में काफी समय है . मैं तब तक आपलोगों के लिए कुछ कोल्ड ड्रिंक ले कर आती हूँ . “


इतना सुनते ही छोटी बहू ने अंदर जाते हुए कहा “ दीदी , आप भी बैठिये . मैं सभी के लिए ठंडा ले कर आती हूँ . “

थोड़ी देर में वह कोल्ड ड्रिंक ले कर नरेश और नीरा के पास गयी तो नीरा ने कहा “ पहले गीता और गौतम को दो . “


“ मम्मी पापा तो अपने घर के हैं . आप हमारे मेहमान हैं.इसलिए आपको पहले सर्व करना मेरा फ़र्ज़ बनता है.”


गीता अपनी बहुओं के व्यवहार से मन ही मन बहुत खुश हुई थी. वह भी सोचने लगी कि केवल बैंक में रखे रुपयों से असली ख़ुशी नहीं मिलती है , ख़ुशी के लिए उनका उचित भोग करना पड़ता है . गीता यह सोच कर संतुष्ट थी कि मेरे गहने मेरे बच्चे हैं , मेरे लिए ये ही अनमोल रत्न हैं .