लक्ष्य एक रास्ते अनेक
एक गांव में हरिसिंह और रामसिंह नाम के दो किसान रहते थे। वहाँ स्थित एक मंदिर में एक संत जी भी निवास करते थे। आसपास के कस्बे के लोग उनसे सलाह मशवरा लेते रहते थे। एक दिन रामसिंह उनके पास गया और बोला कि महाराज खेती करने में बडी कठिनाई आती है। हमें मेहनत करने के बाद भी प्राकृतिक परिस्थितियों पर बहुत अधिक निर्भर रहना होता है। आकाश से पानी की बरसात एवं ओलों का प्रकोप असमय हो जाने पर खड़ी हुई फसल बर्बाद होकर हमारी सारी मेहनत और परिश्रम बेकार हो जाता है। मैं सोचता हूँ कि जमीन के दाम बाजार में इतने अधिक हो गये है कि इसे बेचकर इस रकम को बैंक में रख दूँ तो ब्याज में ही मुझे खेती करने से अधिक कमाई होने लगेगी। स्वामी जी ने कहा कि तुम्हारी सोच सही है तुम चाहो तो ऐसा करके परिश्रम एवं चिंताओं से मुक्त हो सकते हो।
इसके बाद हरिसिंह स्वामी जी के पास आकर अपने मन की बात बताकर उनकी सलाह माँगता है। वह कहता है कि मेरी खेती की जमीन में परिश्रम तो मुझे करना पड़ता है परंतु यदि आधुनिक तकनीक अपनाकर फसलों को बदलकर लगाया जाए तो काफी मुनाफा हो सकता है। इसे कार्यरूप देने के लिए पूँजी का निवेश करना पडेगा परंतु उससे लाभ इतना अधिक बढ़ सकता है कि सभी आर्थिक कठिनाईयाँ समाप्त हो जायेंगी। हरिसिंह स्वामी जी से पूछता है कि क्या मुझे ऐसा करना चाहिए ? क्योंकि हमारे निकट के दूसरे गांव के किसान इसका प्रयास किया था परंतु उसे सफलता नही मिली और उसे वापिस अपनी पारंपरिक खेती पर ही आना पड़ा।
अब स्वामी जी बोले तुम्हें आधुनिक नई पद्धति अपनाकर खेती में परिवर्तन करके अधिक लाभ कमाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। एक बात का जरूर ध्यान रखना कि तुम्हें इस विषय पर जो भी सुझाव दे रहे हो वे वास्तव में उस विधा के पूरे जानकार है या नहीं इस विषय में पूरी जानकारी जरूर प्राप्त कर लेना। यह सुनकर हरिसिंह संतुष्ट होकर चला जाता है।
संत जी का एक शिष्य उनके द्वारा दोनो किसानों को दिये गये सुझाव जो कि एक दूसरे से विपरीत थे सुनकर पूछने लगा कि आपने ऐसा क्यों किया ? रामसिंह को तो आपने जमीन बेचने का सुझाव दे दिया और हरिसिंह को खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर दिया ऐसा क्यों ? स्वामी जी ने कहा कि रामसिंह की बातों से स्पष्ट था कि वह खेती मे मेहनत से थक चुका था। यदि मैं उसे खेती में बदलाव करने का सुझाव देता तो उसे वह स्वीकार नही होता इसलिये मैंने उसे जमीन बेचकर घर बैठे खेती से प्राप्त होने वाले मुनाफे से कहीं ज्यादा ब्याज में प्राप्त होना सही समझा। हरिसिंह की बातों से स्पष्ट था कि वह खेती करने के लिए प्रतिबद्ध था और उसी में अधिक मुनाफा कमाने के लिए प्रयासरत था। मैंने जिसकी जैसी मनोवृत्ति देखी वैसी ही मैंने उसे प्रेरणा दी। दोनो ही किसानों की मंजिल एक ही है कि अधिक से अधिक धनोपार्जन करना पर उसे प्राप्त करने के रास्ते अलग अलग है। जीवन में उद्देश्य महत्वपूर्ण होता है। हमें उसे हर परिस्थिति में प्राप्त करना चाहिए।