फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 10 Sarvesh Saxena द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 10

“अरे अर्पित, अभी अभी पता चला है कुछ लोगों में कोरोना पॉजिटिव के लक्षण पाए गए और इसके बावजूद लोग घरों के बाहर घूम रहे हैं और कुछ छुपे बैठे हैं, कह रहे हैं हमें कोरोना नहीं होगा, कुछ लोग तो कोरोना को फैलाने के लिये पुरी प्लानिंग कर रहे हैं, हमें अभी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जाना होगा” अर्पित के सीनियर ने कहा |

अर्पित फौरन पुरानी दिल्ली की तरफ अपनी टीम लेकर चला गया, अर्पित के साथ एक डॉक्टर की टीम भी आई, उस एरिया को तुरंत सील कर दिया गया लेकिन यह क्या वहां के लोगों ने पुलिस को आता देख पुलिस पर पथराव कर दिया, चारों तरफ हाहाकार मच गई, लोग अपने घरों की छत से बडे बडे पत्थर फेंकने लगे, पुलीस और डॉक्टर ने बहुत समझाने की कोशिश की पर ...तभी एक डॉक्टर के ऊपर बड़ा सा पत्थर ऊपर से गिरा, अर्पित उस डॉक्टर की ओर भागा और उसकी जान बचाई, पर खुद घायल हो गया, उसने उठने की कोशिश की पर उठ नही सका, उसके साथी उसे उठाने के लिये आगे बढे पर तभी वहां के लोग बाहर निकल कर उस पर थूकने लगे, अर्पित अपने दोस्तों से चिल्लाने लगा, “तुम लोग भाग जाओ....” अर्पित के सिर से लगातार खून बह रहा था, हालात बेकाबू हो गए थे तभी पूरी आर्मी आ गई, अर्पित सबको अपने पास से हटा रहा था लेकिन उसके सर से इतना खून बह रहा था कि वह चाह कर भी किसी को मार नहीं पा रहा था, तभी किसी ने उसके हाथ में बहुत तेज काट लिया और आर्मी ने तभी सब को पीटना शुरू कर दिया और बन्दूकें तान दीं, सब भाग गए अर्पित को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, उसकी हालत बहुत नाजुक थी |

ऐसे हालात देश के कई शहरों मे हो रहे थे, जिन्हे काबू कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था, जहां एक तरफ डॉक्टर और पुलिस अपनी जान पर खेल कर देश को इस खतरनाख बीमारी से बचाने की कोशिश कर रहे थे, वहीं कुछ लोग देश को और मानव जाति को बर्बाद करने मे लगे थे |

आफताब के घर पर….

“अरे अम्मी, देखो ना मुन्नी को.. कुछ बोल ही नहीं रही है” सलमान ने ज़ेबा से घबराकर कहा |

ज़ेबा ने गुस्सा कर कहा, “अरे कमबख्त.. सो गई होगी क्यों जगा रहा है” |

सलमान - “नहीं अम्मी.. देखो ना आ कर..” |

जेबा - “अरे देखो जरा ...बस लेटे हो जब से आए हो, माना की मुल्क में बंदी है पर जरा औलाद को तो संभाल लिया करो” |

आफताब उठा, मुन्नी को देखा तो सच में मुन्नी सांस नहीं ले रही थी, उसका जिस्म बर्फ सा हो चुका था | घर में सब रोने पीटने लगे |

आफताब ने झट से मंजेश को फोन किया उसे रोता हुआ सुन मंजेश घबरा गया |

मंजेश - “अरे क्या हुआ यार? सब ठीक तो है ना” |

आफताब - “भाई मेरी मुन्नी की हालत ठीक नहीं है, तुम कुछ करो ना” |

मंजेश - “तुम घबराओ मत, फटाफट हॉस्पिटल ले आओ मैं देखता हूं” |

आफताब ने फटाफट एंबुलेंस बुलाकर हॉस्पिटल के लिए रवाना हुआ, मंजेश उदास होकर बैठ गया कि तभी नर्स आ कर बोली, “ अरे सर दो बहुत सीरियस केस आए हैं, जिसमें से एक की हालत तो बहुत ज्यादा क्रिटिकल है एक तो तीन-चार दिनों से भर्ती था नीचे फ्लोर पर, वो ठीक था पर आज अचानक उसकी हालत बिगड़ गई” |

मंजेश दौड़कर आया तो देखकर उसका दिमाग चकरा गया क्योंकि उसके सामने मोहित और अर्पित मौत से लड़ रहे थे | उसका दिल किया कि दोनों को गले लगा ले पर.... अर्पित का खून काफी बह चुका था उसका कोविड-19 भी पॉजिटिव निकला और मोहित उसके हॉस्पिटल में एडमिट था उसे पता ही नहीं चला इतने मरीजों के बीच, मंजेश का दिल घबराने लगा | उसे अपने दोस्तों के साथ बिताए पुराने दिन याद आने लगे कितने सालों से सब साथ थे, अच्छे बुरे हर वक्त में साथ और आज ये कैसा समय आ गया है कि हम इस हाल में मिल रहे हैं |

मंजेश को किसी ने आवाज दी तो मंजेश यादों के गुबार से निकला, सामने आफताब था और उसकी गोद में फूल सी बच्ची, मंजेश ने मुन्नी को देखा तो उसके आंसू आखिरकार सब्र का बांध तोड़ कर फूट निकले उसको रोता देख आफताब भी समझ गया और वह भी रोने लगा और बोला, “परसों तो मेरी गोद में हंस-हंसकर खेल रही थी जब मैं जलसे से लौटा था, कल हल्का बुखार था, अचानक क्या हुआ मेरी मुन्नी को, या खुदा... रहम कर...” |

मंजेश ने उसकी बात सुनी तो पूछा कि, “तुम ऐसे समय में जलसे में गए क्यों? मैंने तुम्हें मना किया था” |
आफताब ने उसको पूरी बात रो-रो कर बताई तो मंजेश ने उसकी भी कोरोना की जांच करवाने के लिए कहा और उसकी जांच हुई वह पॉजिटिव निकला, जैसे उसको पता चला कि वह पॉजिटिव है, “वह चिल्लाने लगा, नहीं... ऐसा नहीं हो सकता.. या खुदा रहम कर..” आफताब के पूरे परिवार की जांच कराई गई सबकी रिपोर्ट नेगेटिव बस ज़ेबा की रिपोर्ट पॉजिटिव थी | दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया |

मंजेश का दिल दर्द से फटा जा रहा था अपने दोस्तों को इस हाल में देखकर |