Fir milenge kahaani - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 7

मंजेश आफताब पर बहुत गुस्सा करता है और कहता है, " आफताब.. अंधे मत बनो, हर मंदिर बंद है, मक्का मदीना बंद है, सारी ट्रेन फ्लाइट सब कुछ क्यों बंद है, अरे इतने पवित्र पवित्र स्थान सब बंद कर हैं तो फिर तुम यह सब क्यों कर रहे हो, तुम जो कर रहे हो वह गलत है, और सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात तो यह है कि जहां तुम जा रहे हो वहां विदेश से भी लोग आए हुए हैं"|

आफताब -" यार अब तू ज्यादा बोल रहा है, दोस्ती अपनी जगह और मजहब अपनी जगह, चल ठीक है, मुझे पता है मेरे लिए क्या सही है क्या गलत, खुदा हाफिज... "|

यह कहकर आफताब ने फोन काट दिया |

मंजेश दुखी हो गया यह सुनकर, जब तक एक नर्स आती है और कहती है डॉक्टर साहब जल्दी चली एक मरीज की हालत बहुत गंभीर है, मंजेश जा कर देखता है तभी हॉस्पिटल मे अनाउंसमेंट होता है, कोई डॉक्टर कोई नर्स घर नहीं जाएगा, मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए सब लोगों के रहने की व्यवस्था हॉस्पिटल में ही की जाएगी, हर डॉक्टर को सिर्फ पांच घंटे आराम के लिए मिलेंगे, और इससे आप सभी का परिवार भी सुरक्षित रहेगा |
घबराएं नहीं संयम से काम करें |

अब आने वाली महामारी का धीरे धीरे एहसास सा होने लगा था, गांव शहर गली कूचे सब वीरान पड़े थे अगर कोई आजाद घूम रहा था तो वह था यह वायरस |
देश विदेश के साइंटिस्ट कोरोना से बचने के लिए दवा ढूंढने के लिए रात दिन एक कर रहे थे, पर ऐसा लग रहा था जैसे कोरोना के आगे सारा ज्ञान विज्ञान छोटा पड़ गया है |


एक दिन...


मोबाइल की रिंग बजती है अर्पित फोन उठाता है
"पिता जी चरण स्पर्श, कैसे हैं सब लोग"?

पिताजी-" बेटा हम ठीक हैं, तू बता क्या हो रहा है ये, ऐसा तो मैंने अपनी पूरी उम्र में नहीं देखा था" |

अर्पित - "पिता जी आप परेशान ना हो, सब ठीक हो जाएगा, यह बीमारी तेजी से फैल रही है इससे बचने के लिए बस कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा बाकी सब ठीक हो जाएगा मां कहां है"?

पास खड़ी मां ने जल्दी से फोन पकड़ा और बोली, "हां बेटा कैसा है तू मेरे लाल? घर आजा... मुझे बड़ा डर लग रहा है "|

अर्पित - "अरे मां ... तुम घबराओ नहीं, बस घर पर ही रहना और हाथ बार-बार धोते रहना” |

मां - “अरे बेटा... हम तो घर में ही हैं तू बस अपना ध्यान रखना, और बेटा तुने खाना खाया या नहीं” |

मां के सवाल पर अर्पित की आंखें भर आई क्योंकि आज सुबह से उसने कुछ नहीं खाया था, अर्पित अपनी भावनाओं के उठते बवंडर को रोकते हुए बोला, “अरे मां.. तुम तो बेकार में परेशान होती हो आजकल तो आधा दिन रसोई घर में ही बीत जाता है, खाना बनाना भी पड़ता है और गरीबों और जरूरतमंदों को खिलाना भी पड़ता है तो भला मैं कैसे भूखा रह सकता हूं” |

मां - “अरे वाह मेरे बच्चे.. शुक्र है.. मैं तो तुझे खाना बनाना सिखा नहीं पाई कि बाहर जाएगा तो बाहर का खाना कब तक आएगा लेकिन इस करोने ने तुझे खाना बनाना सिखा दिया, अच्छा है अब मुझे तेरे खाने की फ़िक्र नहीं होगी और हां तेरे लिए बहुत अच्छा रिश्ता मैंने ढूंढ के रखा है अबकी बार जब तू घर आएगा तेरी सगाई भी लगे हाथ कर दूंगी | अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे… भगवान तुझे शक्ति दे” |

अर्पित शर्माते हुए बोला - “अरे माँ शादी भी कर लेना पहले इस महामारी से तो निपट लें, आप सब लोग अपना ध्यान रखना, चरण स्पर्श ” |

यह कहकर अर्पित ने फोन रख दिया और जैसे ही वो मुडा उसका सहयोगी पुलिसकर्मी खड़ा था जो उसकी हमेशा टांग खींचता रहता था उसने कहा, “चलो खाना खा लो चल के” |

सारे पुलिसकर्मी खाना लेकर अलग-अलग कोनों में बैठकर खाने लगे, उनमें से एक पुलिस वाला तभी बोल उठा, “कैसा कमीना वायरस है ये, दोस्तों के साथ अब उठना बैठना तो दूर खाना भी नहीं खा सकते” |

अर्पित - “चिंता मत करो.. यह कोरोना भारत में ही हारेगा” |

हा.. हा.. हा.. हा... सब पुलिस वाले हंसने लगे और कहने लगे, “इस कोरोना की ऐसी तैसी तो हम सब ही करेंगे"|

आगे की कहानी अगले भाग में...


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