फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 5 Sarvesh Saxena द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 5

आफताब - " अरे आलम " |

आलम -" जी भाई जान"|

आफताब -" यह पुलिस इतनी सारी क्यों घूम रही है और मार्केट में इतनी अफरा-तफरी, जैसे कोई शैतान आने वाला हो"| आफताब ने पड़ोसी दुकानदार आलम से कहा |

आलम - "अरे भाई जान सुना है हिंदुस्तान में कोई बीमारी फैल रही है, उसी के लिए अफरा-तफरी है" |

आफताब -" अरे कोई बीमारी नहीं आई है, यह सब मीडिया वाले अफवाह उड़ा रहे हैं, क्या नाम ले रहे हैं इस बीमारी का "?

आलम -" कोरोना" |

आफताब कुछ और कहता कि तभी दुकान का नौकर चाय लेकर आया और हाँफते हुए बोला," अरे भाई जान.. भाई जान... "|

आफताब -" अरे क्या हुआ तुझे जो इतना हांफ रहा है "?

नौकर -" अरे भाई जान आज पीएम फिर से आने वाले हैं टीवी पर"|

यह सुनकर आफताब और आलम दोनों अपना सर पकड़ कर बैठ गए और बोले, "या खुदा, ये पीएम अब ना जाने क्या बंद करेगा" |

आफताब ने घर पर फोन मिलाया- " जेबा ध्यान से सुन तेरे पास दो हजार के कितने नोट पड़े हैं"|

जेबा- "हाय हाय.. कब दिए मुझे तुमने दो हजार के नोट, कभी सौ से ऊपर बढ़े भी हो, बड़े आए..." |

आफताब - "चुप कर... आज हो सकता है, रात आठ बजे से दो हजार के नोट बंद हो जाए इसलिए बोल रहा हूं, अम्मी से पूछ ले कहीं छुपा कर तो नहीं रखे हैं, या अल्लाह रहम कर, कल सुबह ही मोहित को दो हजार के सारे नोट दे दूंगा जमा करने के लिए "|
यह कहकर आफताब ने फोन काट दिया |

पूरे शहर की सड़कों पर लोगों की बाढ़ सी आ गई, लोगों से अपील की जा रही थी कि वह घर में रहे पर लोग घरों में रहने की बजाय सड़कों पर निकल कर खरीददारी करने लगे |

रात को पुलिस वाले हर तरफ अपनी ड्यूटी देने लगे | अस्पतालों में एक हुजूम उमड़ आया | रात आठ बजे सबकी आँखे टीवी पर लग गई थी कि आज क्या होने वाला है??


रात दस बजे...

"अरे मंजेश सर आपका फोन बड़ी देर से बज रहा है",
अस्पताल के एक डॉक्टर ने मंजेश से कहा |

मंजेश - "बजने दो.. मैं अभी बात नहीं कर सकता" |

डॉक्टर - "अरे कर लो.. शायद भाभी जी का है" |

मंजेश ने कोई जवाब नहीं दिया और करोना संक्रमित मरीजों का ट्रीटमेंट करने लगा | एक घंटे बाद जब मंजेश फ्री हुआ तो फोन देखा कि मंजू की कई सारी मिस कॉल पढ़ी थी, उसने तुरंत मंजू को फोन किया |

मंजेश -" क्या हुआ मंजू? मैं बिजी था.. बोलो"?

मंजू -"तुमने न्यूज़ देखी कि नहीं भारत में चालीस दिन का लॉक डाउन हो गया है मंजेश, मुझे तो बड़ा डर लग रहा है, ट्रेन बस सब बंद हो जाएंगी, घरों से निकलने पर पाबंदी है, क्या होगा अब"?

मंजेश - "अरे तुम घबराओ नहीं, सिर्फ लॉक डाउन ही तो है कर्फ्यू थोड़ी ना लगा है, जल्द ही मैं तुम्हें लेने आऊंगा, ध्रुव कैसा है"?

मंजू -" ठीक है.. सो गया है, तुम जल्दी आना और प्लीज अपना ध्यान रखना हॉस्पिटल में, मम्मी पापा भी बहुत तुम्हारे लिए परेशान है, तुम कुछ दिन की छुट्टी क्यों नहीं ले लेते और प्लीज करोना के मरीजों से तो दूर ही रहना"|

मंजेश -"तुम बेकार में परेशान हो रही हो, तुम आराम करो और अगर इस समय मैं छुट्टी ले लूंगा तो क्या फायदा मेरे डॉक्टर बनने का, इस समय लोगों को और देश को हम डॉक्टरों की सख्त जरूरत है, भगवान सब ठीक करेगा.. तुम परेशान ना हो और घर से बाहर बिल्कुल मत निकलना"|

यह कहकर मंजेश ने फोन रख दिया, मंजू मोबाइल पकड़े खड़ी रही तभी ध्रुव नींद से जग गया और मंजू की साड़ी का पल्लू खींचते हुए बोला, "मम्मी मुझे पापा से बात करनी थी" मंजू ने उसे समझाया कि कल बात कर लेना|

आगे की कहानी अगले भाग में....