रिसते घाव - भाग -१५ Ashish Dalal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रिसते घाव - भाग -१५

अगली सुबह जब राजीव सोकर उठा तो कल की पूरी बात अब तक उसके जेहन में घूम रही थी । इसी बात को लेकर वह रात को ठीक से सो भी नहीं पाया था । सिर भारी होने से उसने आज ऑफिस न जाने का फैसला कर लिया और परेशान कर रही बात को एक फैसले तक ले आने का निश्चय कर लिया ।
‘रागिनी, मैं सोच रहा हूँ जो श्वेता कर रही है उसमें कुछ गलत भी नहीं है । एक बार उसे खुद अनुभव कर लेने दो कि जिन्दगी की सच्चाई इतनी आसान नहीं होती ।’ रागिनी ने जैसे ही राजीव के हाथ में चाय का कप थमाया तो उसने अपने मन में उठ रही बात से रागिनी को अवगत करा दिया ।
‘पागल तो नहीं हो गए हो ? लोग क्या सोचेंगे ? फिर पीछे अपनी खुद की बेटी का भी तो ख्याल करो ।’ रागिनी राजीव की मन की बात सुनकर भड़क उठी ।
‘जमाना बहुत बदल गया है । अब कोई किसी के बारें में नहीं सोचता ।’ राजीव के चेहरे पर एक फीकी सी हंसी छा गई ।
‘नाते रिश्तेदार बातें बनायेंगे । क्या जवाब दोगे उन्हें ?’ रागिनी ने प्रश्न किया ।
‘इसी बात से डरकर तो उस वक्त पापा भी दीदी के मामले कुछ निर्णय न ले पाये और मैं भी कुछ न कर पाने की दुविधा में दो जिन्दगियों की बर्बादी का कारण बन गया । बात घूम फिर कर अब फिर से वहीं आकर रुक गई है ।’ राजीव पुरानी बातों को याद करता हुआ सिहर गया ।
‘कुछ नहीं होगा । श्वेता तुम्हारी इसी कमजोरी का फायदा उठाना चाहती है । कुछ दिन इस मामले के बारें में चुप्पी थाम लो । बात अपने आप दब जाएगी और उसका मन भी बदल जाएगा ।’ रागिनी ने सलाह देते हुए खाली हो चुके कप को राजीव के हाथ से लेते हुए कहा ।
‘नहीं । तुम क्या समझती हो जो आग अब लग चुकी है वह थम जाएगी ? अमन के साथ नौकरी करते हुए कभी न कभी तो कदम बहक ही जाएंगे । उससे अच्छा है कि खुद ही उसके संग रहे फिर जो उसके नसीब में होगा भुगतेगी । लोगों से कह देंगे कोर्ट मैरिज करवा दिए है ।’
‘वाह ! राजीव वाह ! यह कैसा फर्ज अदा करने जा रहे हो अपने मामा होने का ? खुद ही श्वेता को गलत रास्ते पर जाने की अनुमति दे रहे हो ।’ राजीव का फैसला सुनकर रागिनी चौंक गई ।
‘मैं अनुमति दूँ या न दूँ, उसे जो करना होगा वह करके रहेगी । अनुमति देकर कम से कम एक बात की तसल्ली तो हो जाएगी कि जो कुछ भी करेगी हमें अँधेरे में रखकर नहीं करेगी ।’
‘तुम्हारा दिमाग सच में खराब हो गया है । अभी इस बारें में सोचना बंद करो और चुपचाप एक डिस्प्रिन लेकर सो जाओ ।’ रागिनी को अब भी राजीव की बात गलत लग रही थी ।
‘हर समस्या का हल अगर दवा ही होती तो इन्सान की जिन्दगी में कभी समस्यायें आती ही नहीं ।’ रागिनी को देखकर राजीव मुस्कुराकर वापस लेट गया ।
रागिनी बेडरूम से बाहर आ गई और रसोई में अपना काम करने लगी । तभी श्वेता वहाँ आई और रागिनी की तरफ देखकर मुस्कुराकर फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर एक गिलास में ठंडे पानी में थोड़ा सा गर्म पानी मिक्स करने लगी ।
‘तेरे मामा तेरे फैसले को लेकर बहुत दुखी हो रहे है । तू यह जिद छोड़ क्यों नहीं देती ?’ रागिनी को राजीव की चिन्ता सताये जा रही थी ।
‘जिद मैं कहाँ कर रही हूँ । बात का फैसला तो मैंने आप लोगों पर ही छोड़ दिया है । आप जो कहेंगे और जैसा कहेंगे वैसा ही करुँगी । इसमें अब चिन्ता करने जैसी कोई बात ही नहीं है ।’ कहकर श्वेता पानी पीकर वहाँ से वापस चली गई ।