कहानी -डॉक्टर जॉन
झारखण्ड की एक नगरी देवघर है जिसे बैद्यनाथधाम भी कहते हैं . यहाँ भोले बाबा कहे जाने वाले भगवान् शंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में विद्यमान हैं . यह बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है . झारखण्ड की राजधानी रांची से यहाँ के लिए रेलगाड़ियां हैं . वैसे कोलकाता से दिल्ली जानेवाली मेन लाइन पर जैसीडीह स्टेशन से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर देवघर है और वहां से बैद्यनाथधाम के लिए लिंक रेलगाड़ी हैं या फिर जैसीडीह से रिक्शा या ऑटो से भी आ सकते हैं .
श्रावण के पवित्र महीने में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहाँ कांवर लेकर बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पण करते हैं .हजारों श्रद्धालु यहाँ से लगभग 100 किलोमीटर्स की दूरी पर स्थित साहिबगंज से गंगाजल अपने कांवर में भर कर बैद्यनाथधाम तक की पैदल यात्रा करते हैं .अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार पैदल चल कर लोग दो से चार दिनों में यहाँ पहुँचते हैं . उनदिनों भारी भीड़ को देखते हुए सरकार की ओर से विशेष व्यवस्था रहती है .कुछ श्रद्धालु तो बिना रुके दौड़ते हुए ही 24 घंटे के अंदर ही साहिबगंज से बैद्यनाथधाम की दूरी तय करभगवान् को जल चढ़ाते हैं . इन्हें डाक बम कहते हैं और इन्हें मंदिर में जल चढ़ाने के लिए प्राथमिकता दी जाती है .
इसी देवघर में एक बंगाली परिवार रहता था . दरअसल यह बंगाल की सीमा से ज्यादा दूर नहीं है . कुछ बंगाली परिवार कोलकाता की भीड़ भाड़ से दूर यहाँ बहुत पहले से आ कर बस गए हैं .शरत बाबू के पिता उन्हीं में एक थे .शरत सरकारी नौकरी में थे , जूनियर इंजीनियर के पद पर थे .परन्तु वे बेहद ईमानदार थे .उनकी पत्नी काजोल एक प्राइवेट हाई स्कूल में बच्चों को कंप्यूटर पढ़ाती थी . काजोल और शरत दोनो ही साधारण मध्यम वर्गीय परिवार से थे. काजोल की नौकरी अस्थायी थी. एक साल पूरा होने के बाद उसको फिर एक साल की एक्सटेंशन दी जाती . वह देखने में बहुत सुन्दर थी .स्कूल के सांस्कृतिक कार्यकर्मों में सदा आगे रहती थी .वह स्वयं भी अच्छी गायिका थी . वह अनुसाशन में सख्ती बरतती . स्कूल के मैनेजिंग कमीटी के चेयरमैन और प्रिंसिपल दोनों की नज़र उस पर थी , पर उसके सख्त रवैये के चलते वे उसके नज़दीक जाने की हिम्मत अभी तक नहीं जुटा सके थे .
शरत बाबू बहुत दुखी थे . उनकी पत्नी को पहले ही दो बार सिजेरियन डिलीवरी हुई थी , दुर्भाग्य वश दोनों बच्चे मृत हुए .काजोल फिर गर्भवती थी . डॉक्टर्स ने उनसे कहा था कि यह तीसरा डिलीवरी भी जोखिम भरा था और यह अंतिम डिलीवरी होगी .खैर , सौभाग्यवश , काजोल ने इस बार एक बच्ची को जन्म दिया .जच्चा ,बच्चा दोनों सुरक्षित थे .शरत और काजोल दोनों बहुत खुश थे. इस मौके पर उनलोगों ने अपने सभी मित्रों को एक अच्छी पार्टी दी .
बच्ची का नाम दुर्गा था . वह एक सुन्दर और स्वस्थ कन्या थी .देखतेदेखते वह आठ साल की हो गयी . पर अचानक एक दिन उसको जोर का सर दर्द हुआ और चक्कर खा कर गिर पड़ी . फिर ऐसा दौरा रह रह कर आने लगा . कभी उल्टियां भी आती , कभी आँखों के आगे अन्धेरा सा छा जाता था .लोकल डॉक्टर्स ने उसे कोलकाता ले जाने को कहा . उसको कोलकाता के बड़े अस्पताल में दिखाया गया तो जांच के बाद पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर था . अब तो शरत और काजोल दोनों को काटो तो खून नहीं था .खैर अपनी आंसू को पोछते हुए वे डॉक्टर से मिले . उन दिनों कोलकाता में कोई अच्छा ब्रेन सर्जन उपलब्ध नहीं था .
डॉक्टर ने कहा " इसका सफल आपेरशन हो सकता है .वे इस केस में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं , इसलिए वे अमेरिका से डॉक्टर बुलाना चाहते हैं .इसलिए हम अमेरिका के विश्व विख्यात न्यूरो सर्जन मिस्टर जॉन को बुलाना चाहते हैं . "
काजोल ने कहा " हम भी यही चाहते हैं सर .हमारी बच्ची को बचा लें."
शरत ने भी कहा " हमारी बस यही एकमात्र संतान है. अब भविष्य में काजोल माँ भी नहीं बन सकती है . "
डॉक्टर " दुर्गा बच तो जायेगी .हमने इसका पूरा केस फाईल अमेरिका में डॉक्टर को ईमेल भी कर दिया है . जल्द ही उनका जबाब आने की उम्मीद है .
शरत और काजोल दोनों ने डॉक्टर को बहुत धन्यवाद दिया. डॉक्टर ने आगे कहा " पर इस इलाज में 20 से 25 लाख रुपये लग जाएँगे. और रुपये का इंतजाम भी दो सप्ताह के अंदर ही करना होगा .अन्यथा ट्यूमर बढ़ने का खतरा है. ऐसे में रिस्क और भी बढ़ जायेगा और स्थिति बेकाबू हो सकती है . "
शरत और काजोल दोनों निःशब्द हो सब सुन रहे थे .उनके दिमाग में उथल पुथल हो रही थी कि आखिर इतना पैसा आये तो आये कहाँसे ?
पर शरत ने डॉक्टर से कहा कि वह ऑपेरशन की तैयारी करें . हमलोग रूपये का प्रबंध करने जा रहे हैं .फिर काजोल ने अपने माता पिता को दो तीन दिन के लिए देखने को कह कर वे दोनों देवघर लौट आये थे . शरत और काजोल दोनों ने अपने अपने ऑफिस से पी. एफ . से जितने पैसे मिल सकते थे निकाले .ऊपर से दोनों ने कुछ पैसे ऑफिस से एडवांस भी लिए. शरत के दोस्तों ने कहा कि तुम्हारे पास पैसे कमाने के कितने मौके आये गए थे , पर तुम पर तो ईमानदारी का भूत चढ़ा था . अब तुरंत तो ज्यादा पैसे नहीं मिल सकते हैं . उनलोगों ने कुछ रूपये देते हुए कहा कि जब तुम बच्ची का इलाज करा के लौटना तो धीरे धीरे लौटा देना .पर इसके लिए सिर्फ ईमानदारी से काम नहीं चलेगा .
काजोल ने एक मंगल सूत्र छोड़ कर अपने सारे गहने भी बेच डाले. फिर भी अभी काफी पैसे घट रहे थे . काजोल ने अपने प्रिंसिपल से मिल कर पूछा कि उसे और कितने पैसे एडवांस में मिल सकते हैं तो उन्होंने कहा " अस्थायी स्टाफ को ज्यादा एडवांस नहीं दे सकते हैं .हाँ , तुम्हें स्थायी तौर पर रखने के लिए मैंने प्रपोजल बना रखा है .बस चेयरमैन की स्वीकृति चाहिए . तुम चाहो तो यह फाइल ले कर स्वयं उनके घर चली जाओ तो यह काम जल्दी हो जाएगा . "
इतना कह कर उसकी पीठ थप थपा कर कहा कि जाओ , तुम्हाराकाम हो जाना चाहिए .काजोल फाइल लेकर चेयरमैन के घर गयी थी . उस समय उनकी पत्नी कुछ दिनों के लिए बाहर गयी थीं . काजोल को देख कर चेयरमैन ने कहा " अंदर के कमरे में आ जाओ. तबीयत कुछ ठीक नहीं है. वहीँ लेटे लेटे देख लेंगे फाइल ." इतना कह कर उसका हाथ पकड़ कर कहा कि अंदर आ जाओ , कोई संकोच की बात नहीं है .
काजोल कुछ देर खड़ी रही बिलकुल किंकर्तव्यविमूढ़ .वह फैसला नहीं ले पा रही तभी चेयरमैन ने कहा " क्या सोच रही हो ? प्रिंसिपल साहब तुम्हारी बहुत तारीफ़ कर रहे थे .उन्होंने तुम्हारी बच्ची के बारेमें बता रखा है . तुम्हें स्थायी करने की सिफारिश की है ताकि तुम्हे और एडवांस मिल सके .मैं मानता हूँ तुम स्थायी नौकरी डिज़र्व करती
हो ."
काजोल अंदर गयी और उसने फाइल चेयरमैन के बेड पर रख दिया और बेड के पास रखे कुर्सी पर बैठ गयी थी .चेयरमैन ने उसकी हथेली पर हाथ रख कर कहा " तुम बेड पर आ सकती हो ,यहाँ और कोई नहीं है . मैं तो इस फाइल पर साइन कर दूंगा , थोड़ी देर बैठो तो सही ."
इतना कह कर उन्होंने काजोल का हाथ पकड़ कर जोर से अपनी ओर बेड पर खींच लिया था . इस खींचातानी में काजोल का पल्लू गिर गया था .जब वह उसे संभालने लगी तो उन्होंने कहा " बहुत अच्छे दिखते हैं , इन्हें इसी तरह रहने दो ." कह कर उसकी ओर बढ़ने लगे तो वह एक झटके में अपने को सम्भालते हुए उठ खड़ी हुई .फिर भी चेयरमैन ने उसे आलिंगन में जकड़ कर उसकी गालों को चूम लिया और कहा " आओ , न क्यों व्यर्थ में समय नष्ट कर रही हो ? "
काजोल बोली " सर आज के लिए इतना ही काफी है . मैं फाइल छोड़ कर जा रही हूँ .शरत भी बाहर मेरा वेट कर रहे हैं .मुझे और कुछ लोगों से भी रूपये लेने हैं . "
शरत का नाम सुन कर पहले तो वे चौंके , फिर कहा " अच्छा , अभी मेरी तरफ से कुछ पैसे लेती जाओ .मैं फाइल पढ़ कर साइन कर दूंगा .कल आ कर लेती जाना .और कल जाने की जल्दबाज़ी में नहीं रहना ."
" जी , सर .यही ठीक रहेगा . अभी चलती हूँ . " बोल कर काजोल बिना उनके पैसे लिए वहां से निकल कर सीधे एक साइबर कैफ़े गयी . वहां से उसने डॉक्टर जॉन को अमेरिका में ईमेल भेजा जिसमें लिखा था " डॉक्टर साहब , आपको शत शत नमन .आशा है कोलकाता के अस्पताल से मेरी बेटी दुर्गा का केस फाइल आपने देखा होगा . सर, मैं और मेरे पति दोनों बस इतना ही कमाते हैं कि हम तीन लोगों का खर्च मुश्किल से चल पाता है . दुर्गा मेरी एकमात्र संतान है और भविष्य में मैं माँ बनने योग्य भी नहीं हूँ . अस्पताल ने मेरी बेटी के इलाज के लिए जितने रूपये मांगे हैं हम उतने देने में सक्षम नहीं .मैं आज जहाँ रुपयों की तलाश में गयी थी वहां से किसी तरह अपना सतीत्व बचा कर अभी अभी लौटी हूँ .कल फिर मुझे रुपयों के लिए वहीँ जाना होगा . और दुर्गा के लिए मुझे अपनी आबरू का सौदा करना ही होगा .मेरे पति भी जो अभी तक ईमानदार रहे हैं ,अपनी ईमानदारी बेचने को मजबूर हो जायेंगे .अभी तक हम दोनों ने जितने रुपए इकठ्ठा किये हैं , उनसे आपके इंडिया आने जाने और यहाँ रहने की व्यवस्था तो हो जायेगी. परआपकी फीस हम नहीं दे सकते हैं . बस आपसे आखिरी प्रार्थनाभर कर सकती हूँ कि मेरी बच्ची की ज़िन्दगी और मेरी आबरू आप चाहें तो बच सकती है . समय बहुत कम है .आपका फैसला जो भी होगा ,सर आँखों पर ...काजोल ."
काजोल और शरत दोनो अमेरिका से ईमेल की प्रतीक्षा में थे . शरत ने काजोल से पूछा " तुम्हें क्या लगता है , डॉक्टर मान जाएगा ?"
काजोल बोली " देखो , पोसिटिव सोचो .वैसे अभी भी दुनिया में भले लोगों की कमी नहीं है . "
अगली सुबह उनके लिए अपार खुशियों का सन्देश ले कर आई . डॉक्टर जॉन का ईमेल आया " डिअर काजोल , मैंने तुम्हारा मेल पढ़ा .दुर्गा की फाइल भी देखी है . तुम मेरी फीस की चिंता बिलकुल नकरो . मैं अपने खर्चे पर आऊंगा .तुमको या तुम्हारे पति को किसी से समझौता करने की आवश्य्कता नहीं है . मैं तुम्हारे आदर्शों का सम्मान
करता हूँ . अगले हफ्ते मैं इंडिया आ रहा हूँ .अस्प्ताल को भी मैंने ईमेल कर दिया है कि ऑपेरशन की तैयारी करें . "
अगले सप्ताह डॉक्टर जॉन कोलकाता आये . काजोल और शरत उनसे मिले , तो उन्होंने सबसे पहले उनके पैर छू कर प्रणाम किया . डॉक्टर तो नमस्ते जानते थे , पर इस प्रकार के सम्मान की आशा नहीं थी. दुर्गा का सफल ऑपेरशन हुआ . डॉक्टर ऑपेरशन के दो दिन बाद तक कोलकाता में रुके थे .जब उन्हें भरोसा हो गया कि अब दुर्गा को कोई खतरा नहीं है तो वे अमेरिका लौट गए . पर जाते जाते बोल गए थे " मुझे यकीन है , अब दुर्गा बिलकुल ठीक हो जायेगी . पर जब भी जरूरत पड़े निःसंकोच मेल करना , मैं तुरंत आ जाऊँगा . एंड डोंट वरी , आगे भी कोई फीस नहीं लूंगा . ."
शरत और काजोल दोनों डॉक्टर को छोड़ने एयरपोर्ट तक गए . दोनों ने फिर डॉक्टर के पैर छू कर प्रणाम किया . दोनों की आँखों से आँसूं की कुछ बूँदें उनके जूते पर जा गिरे . डॉक्टर ने दोनों उठाया को नमस्ते कर कहा " रुपया तो मुझे सभी देते हैं पर इतना सम्मान मुझे सिर्फ इसी देश में मिला है . अच्छा ,अब बाय . टेक केयर ऑफ़ दुर्गाज हेल्थ ."
दोनों ने अश्रुपूर्ण आँखों से उन्हें विदा किया और डॉक्टर हाथ हिलाते हुए एयरपोर्ट के अंदर चले गए .
शकुंतला सिन्हा
Currently in USA