शायरी - 6 pradeep Kumar Tripathi द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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शायरी - 6

अब तक मेरा इश्क बहुत छोटा था अब बड़ा होने जा रहा है।
पहले वो आशिक था अब बेवफ़ा होने जा रहा है।।

वो आइने के पीछे से हर चेहरा पहचानता है
लोग उसे अंधा समझते हैं वो दिल के आंखों से देखता है और सब कुछ जानता है

उसकी नजरों का ज़ख्म जो मेरे दिल में है लाइलाज होता
तो मेरा उसकी हांथो से ही इलाज होता
दुनिया के सारे हकीम मेरी बीमारी से हार जाते
उसकी नज़रों से मेरा इलाज होता

उनकी जुल्फें भी मेरी शोहरत की आशिक़ निकली
मैं जरा सा बदनाम क्या हुआ वो घटा बन कर छाना छोड़ दिया

वो दर्द को बेदर्द कह कर खुश हो रहे थे।
उन्हें क्या पता वो किसी का हो कर भी कितना रोता है।।

मैं बदनाम शायर ही सही मगर
मैं उसके लिए लिखता हूं जो सबका लिखता है।।
वो मेरी कलम को खरीदने की बात करता है ये क्या बिकेगी जो हर किसी के ज़िन्दगी में प्यार लिखता है।।

साथ रहते हैं गुलाबो के जनम से वो क्या कहना,
मगर अभी तक तो नहीं आया कांटो को महकना।
मगर एक बात कांटों को हमेशा है हमें कहना,
गुलो को है अगर बचना तो हमेशा तीखे ही बने रहना।।

लगता है मेरे इश्क का मकान कच्चा था।
जरा सी बरिशें क्या हुई टूट कर बिखर गया।।
वो कहते थे कि उम्र भर निभाएंगे तुम्हारा साथ।
जरा सी बात पर रुसवा हो कर चले गया।।

इस ज़िन्दगी को जीने के लिए हर किसी का अलग अलग बहाना होता है।
किसी को ज़िन्दगी को जीना होता है तो किसी को छोड़ कर जाना होता है।।

कोई अपनों के लिए छोड़ देता है मोहब्बत अपनी।
किसी को गैरों के लिए छोड़ कर जाना होता है।।
वो ये कह कर बड़े दानी बने की जा करले अपने मर्जी से शादी।
जो ये कह भी नहीं पाया बताओ उसका कहा
जानाहोता है।।

तुम सुबह से शाम तक सब पर निकालते रहते हो गुस्सा अपना।
उसे तो हर वक्त सभी से प्यार दिखाना होता है।।

तुम्हें न खाने पर खिलाने वालों की लाईन लगी रहती है।
उसे तो खुद बना कर अकेले रोते रोते खाना होता है।।

मै लुट भी गया सरे बाजार तो क्या अभी तेरी मुस्कान बांकी है।
वो ले कर गया तो बहुत खुश हो रहा होगा उसे क्या मालूम मेरा सारा जहान बाकी है।।

मैं आगया हूं आप की गलियों में जरा देख कर जाना।
मैं हि हूं आपका आखिरी बहाना जरा देख कर जाना।।

जो जमीन का एक टुकड़ा भी अपने भाई को देने से कतराता है।
वो कितना मासूम है कि किसी के दिल का टुकड़ा भी मांगता है दहेज के साथ।।

मेरे साथ चलोगे तो दांत टूट कर गिर जाएगा।
हांथ लगाओगे तो चांद टूट कर गिर जाएगा।।
अब तो सपनों में भी मेरे आने लगी है।
लगता है कि मोहब्बत शायरी से गहरी हो गई है।।

आज ज़िंदगी कुछ कमाल कर रही है।
न जाने क्या क्या सवाल कर रही है।।
अभी तक जी रहा था बेफिक ज़िन्दगी।
अब हर चीज का हिसाब मांग रही है।।

चल अब जीना आसान करते हैं।
अब हम भी फिर किसी से प्यार करते हैं।।

नाम प्रदीप कुमार त्रिपाठी
वार्ड नंबर 03 ग्राम पंचायत गोपला
पोस्ट पांती
थाना तहसील हनुमाना
जिला रीवा