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शायरी

1.
परिंदों के जो पऱ आये तो निकल पड़े जिंदगी का एहतराम करने को।
उन्हें क्या मालूम था शिकारी घात लगा के बैठे हैं कत्ले आम करने को।।
2
माँ ज़िन्दगी का हर हिस्सा है, माँ से सुरू इस सृष्टि का हर किस्सा है।
माँ के बिना तो शृष्टि का निर्माण अधूरा है, माँ से ही ईश्वर का हर ग्यान भी पूरा है।।
माँ से ईश्वर भी गाली खाने आता है, माँ को वो बनाने नहीं, खुद माँ से कुछ बनने आता है।
माँ जीवन की हर सच्चाई है, जिसको भी जन्नत मिलि यहां वो माँ की हीं रहनुमाई है।
माँ के चरणों में दुनिया भर का सुख, और वचनों में सच्चाई है।
जितनी भी आफत आ के चली गई तेरे ऊपर से, वो माँ कि दुआओं ने ही बचाई है।
माँ जग है जननी भी है माँ जन्न्त भी है स्वर्ग भी है माँ की ममता जिसने पाई है उससे बड़ा नहीं कोई है।
3.
प्यार करने की उम्र में कमाने निकल गए, हमें मालूम न था क्या गवाने निकल गए।
दोस्त और महबूब से कोई वास्ता न हुआ, वापस जो घर गए तो वो जमाने निकल गए।।
4.
प्यार से पूछा उन्होंने प्यार करते हो किसीसे,
प्यार से बोला उन्हें मालूम ही नहीं है।।
5.
ये दिल वीरान सा लगता है उनके आने से, अब तो कोई वासता ही नहीं रहा जमाने से।
ये याद है उनकी जो मरने नहीं देती, वरना बिस घोल के रखा है मेरे लिए जमाने ने।।
6.
प्रभु आप के चरणों में बैठ कर मुस्कुराना सीख लिया,
दोस्त नहीं दुश्मन को भी गले लगाना सीख लिया।
अब कोई दुश्मन, दुश्मन नहीं मेरा दोस्त बनाना सीख लिया।।
7.
प्यार करने के लिए एक यार होना चाहिए।
गोरा, काला,मोटा, पतला कैसा भी, "दिलदार" होना चाहिए।।
प्यार के लिए तो दिल ही दिल का, यार होना चाहिए।
प्यार में जो कद को देखे, वो तो सिर्फ खरीददार होना चाहिए।।
8.
एक किश्ती है जो भंवर के साथ चल पड़ी है,
भरोसा है उसे दरिया पर डूबने नहीं देगा।
9.
ऐ ज़िन्दगी तू मुझे तराजू का पलड़ा ही बना दे,
होता बजन कितना है रूहों का सबको बताना है।
10.
वो सज सवर के जिस दिन खुद को आइने में देखेंगे,
यकीन है मुझको की आइना टूट जाएगा।
मेरे दिल के मंदिर में रखी है उनकी हमसकल मूरत,
पर्दा हटा दूँ क्या सपना टूट जाएगा।।
11.
हमें आप के दीदार से रूहों को क्या हुआ,
जैसे धूप में कपूर सा उड़ताही जा रहा।
जाने इन आँखों से ये कुसूर क्या हुआ,
दिल मेरा आप के कदमों में जा गिरा।।
12.
आज एक सक्स ने जन्नत को ठोकर मार दिया,
हमने कहा प्रेम है आप से उन्होंने थप्पड़ मार दिया।
13.
जमाने का असर उन पर कुछ ऐसा छा रहा है।
खुद को तो आईना कहते हैं, चेहरा धुंधला नजर आ रहा है।।
14.
हम सब तो जनता हैं कहाँ हम सर पर ताज रखते हैं।
किसे राजा किसे फकीर बनाना है बस ये अधिकार रखते हैं।।
हम नहीं जानते जो सियासी चाल रखते हैं।
हम मिल सियासत भी गिरा सकते हैं ये हुंकार रखते हैं।।
15.
वार करते नहीं हम किसी पर तलवार के माफिक।
मगर हर वार को जो काट दे वो हथियार रखते हैं।।
हमें कमती से मिलना ऐ सुनो काली जुबाँ बालो।
वस्त्र कैसा भी हो हमारा जुबाँ में ढाल रखते हैं।।
16.
तुम उसमे जीते नहीं उसपे मरते हो वो बेवफा तो नहीं होगा।
उसका किरदार तो समंदर है क्या पानी किसी को डुबोता होगा।।


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