The Author pradeep Kumar Tripathi फॉलो Current Read शायरी - 4 By pradeep Kumar Tripathi हिंदी कविता Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books बेखबर इश्क! - भाग 23 उनकी शादी का सच सिर्फ विवेक को ही पता था,एक वो ही जानता था क... इंद्रधनुष उतर आया...... 1 छत पर उदास सी अपने में खोई खड़ी थी राम्या। शायदअपने को खो दे... तू है मेरी जिन्दगी 1.इश्क की गहराइयों में खोकर,दिल की हर धड़कन उसे याद करती है।... द्वारावती - 59 59“मेरे पिताजी कहाँ है?” गुल के इस प्रश्न का उत्तर गुरुकुल म... एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा "एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा" अध्याय 1: मुलाक़ात जो तक़दीर से थ... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास pradeep Kumar Tripathi द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 17 शेयर करे शायरी - 4 (7) 3.1k 12.4k 1 कोई इश्क की खातिर मेरे दिल को झिझोड़ रखा हैदिल से पूंछा तो पता चला वो रिश्ता हीं हमसे तोड़ रखा हैतुम कहो तो ज़िन्दगी को गला देता हूंउससे तुम्हारे लिए एक रुमाल बना देता हूंमैं जीते जी तुम्हें छू तक नहीं पायातुम्हारे आंसू रुमाल को ना छुए ये दुआ देता हूंमौत अब सुनहरी हो गई हैज़िन्दगी अब गहरी हो गई हैतू छोड़ कर गई है जब सेमुझे लगता है दुनिया बहरी हो गई हैअगर इश्क में दिल टूटने की दवा जाम है, तो मैं पूरा मैयखना पी जाऊंमुझे तो फिकर इस बात की है, नशा तब भी नहीं हुआ तो फिर मैं घर कैसे जाऊंटुटते जा रहे हैं दिल के आइने में रखी यादों की तस्वीरमुझे लगता है कि फिर से कोई प्यार का पत्थर मार रहा हैऐ दिल टूटे हुए आइने को जोड़ कोई तस्वीर दिल हि में बना लेक्या तू फिर से किसी बाहर वाले पे भरोसा करने जा रहा हैजो दिल में है वो सायद सबसे भरोसेमंद तस्वीर थीअब क्या तू उसका भरोसा तोड़ने जा रहा हैमैंने उसकी जुदाई से भी कुछ ऐसा रिश्ता निभाया वो जबसे गई मैंने किसी हंशिं को देखा तक नहींसुना है वो शादी करके जाने क्या क्या करते होंगे हमने तो अभी तक सोचा भी नहींकिसी ने मेरी धडकनों को बहुत सम्हाल के रखा हैमैं मर गया लेकिन वो अब भी जिन्दा हैऐ जमाना तू उसे भूल से भी बेवफा मत कहनावो जहां में एक ही है जिसके लिए मैं मर कर जिन्दा हैमैं शहर से लौट आया कमा कर नहीं मिला सुकून तोये सोच कर गांव में कोई मेरी ज़िन्दगी के पल चुरा कर बैठा हैआकर देखा उसे तो बेजान सा बैठा था वोजो उम्र हमने शहर में खर्च कर दी वो तो उसकी निकलीएक बाप माला कि तरह टूट कर फर्श पर बिखर गया जब मां ने कहा घर में लक्ष्मी आई हैहे खुदा तूने मुझे क्यों परी दे दिया जब ये दुनिया तूने दरिंदों से बनाई हैदिल अब समंदर से भी ज्यादा गहरा हो गया हैसांसों पर अब काले तूफानों का पहरा हो गया हैएक दिन मैं एकांत में बैठ कर खुद के बारे में सोचा खुदा की कसम मुझे खुद से प्यार हो गयाउसने मेरे साथ एक पूरी रात बिताई थीऐ दिल तु आज भी मेरे पास है उसने ये नहीं सोचातुम्हारी आंखें देख कर मैं उदास हो जाता हूंये किसी कि याद दिलाती हैं तुम सामने मत आया करोवो मेरे आंखों में आज भी रहता है आंसू की तरहतुम सामने आते हो तो वो हर बार मुझसे दूर हो जाता हैजब तुम साथ थे तो सर्दी का एहसास ही नहीं होता थातुम क्या गए मेरे शहर में सर्दी की बारिश होने लगी हैवो दिन थे कि हम दोनों सर्दियों में दूर तक घूमा करते थेअब हमें धूप में भी सर्दियों का एहसास होत हैआप की खबर फैल गई है वीराने मेंआप सम्हल कर रहना घर आने जाने मेंदुश्मन वफादार था हर वार आगे से कियाअपने तो लगे रहे हमें पीछे से गिराने में ‹ पिछला प्रकरणशायरी - 3 › अगला प्रकरण शायरी - 5 Download Our App