शायरी - 9 pradeep Kumar Tripathi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शायरी - 9

दिल को अब दरिया बनाना है, अब मुझे खुद में ही डूब जाना है।
तुम्हारी खामोशी से मै परेशान हूं, अब अपना आसिया कबरिस्तान में बनाना है।।

क्या अजब की सान है मोला, गज़ब पहचान है मोला।
रकीबो का वो बादशाह है, उसे बादशाहत पर गुमान है मोला।।

इश्क है तो इश्क सरे अंजाम होना चाहिए
नही तो ये सारा जहां वीरान होना चाहिए
इश्क है तो इश्क सरे अंजाम होना चाहिए
नही तो ये सारा जहां वीरान होना चाहिए
उससे कहो कि आकर मुझसे माफ़ी मांगे
नहीं तो ये सर कलम सरे बाजार होना चाहिए

अब इश्क़ में माफ़ी नहीं होनी चाहिए
अगर हो गुस्ताखी तो फिर फांसी होनी चाहिए
किया है मैंने गुनाह इश्क़ करने का तुमसे
तो मेरी सजा भी अच्छी खासी होनी चाहिए

दिल की जगह खुदा को खिलौना बनाना चाहिए
और उस खिलौने में एक चाभी लगाना चाहिए
जो चले आते हैं यूं ही दिल के अंदर तक
अब उन्हें भी हमसे पुंछने का हक़ अदा की जानी चाहिए

सुना है जो तुमसे इश्क करेगा मर जाएगा
हां तो फिर....................वो कर जाएगा
उसे भी शौक है बहुत इश्क करने की
ये दिल है मेरा जाने दो बेचारा मर जाएगा

कुछ यूं पुंछते है लोग मेरा हाल यारों
जैसे कि मै कोई बीमार हूं
उनसे बोल दो की कोई बात नहीं
बस जरा सा इश्क़ कर लिया था

जान ही निकल जाती है जब तू मेरी जान जाती है
जब है तुझे मालूम मेरी जान है तू तो फिर क्यों जाती है

इश्क़ मोहब्बत प्यार वफा वादे कस्मे मिलन जुदाई ये सब हम दिल वालों के चोचले है
दीमाक वाले अब तो सिर्फ गेम खेलते हैं शाब

कफन में जेब होती है प्रदीप वर्ना उन्हें कैसे पता
ये मेरे पिछले जन्म के कर्मं है जो एक बेवाफ से दिल लगा बैठा

अब मेरा कीसिसे कोई वास्ता हीं नहीं रहा
लगता है वो मेरा आखिरी रास्ता था
अब कहीं कोई और रास्ता ही नहीं रहा

है अदा तुझमें गजब की तू बस अदाकारी कर
मोहब्बत नहीं होगी तुझसे तू दिलों का व्यापारी कर

मौत से है दुस्मनी क्या कहें ये तो हर दिन हर पल में मिलने आती है
आप से है दोस्ती क्या कहें आप तो कभी कभी हप्तों तक नहीं आते

ये कलम भी दिल का बोझ बढ़ा रही है
हाय दर्जी तू जेब भी तो बाईं ओर लगा देता है

चल मेरे मेहबूब अब घर जाते हैं,
एक दूसरे के दिल में उतर जाते हैं।
दरवाजे बंद कर लेना अंदर से,
वर्ना चुराने वाले तो हद से गुजर जाते हैं।।

मैं आइने को देखूं आइना मुझे देखे,
बस, तेरी आंखों का इससे ज्यादा काम नहीं है।
तू मझमें आइना देखे मै तुझमे आईना देखूं,
तू मुझमें रहो मै तुझमें इससे ज्यादा काम नहीं है।।

वो मेरी खिड़की के सामने फोन में कुछ करती है
बहुत दिनों से, ना वो कुछ बोल पाती है ना मैं कुछ बोल पाता हूं।

हर बार मुस्कराने का मतलब इश्क नहीं होता
कई बार नखरे भी दिखने होते हैं

आदमी भी अब कोरोना जैसा हो गया है,
Don't touch me भी टच होने के बाद बोलता है।

चलो ये कोरॉना भी ठीक टाइम पर आ गया,
आदमी तो अपने आप ही दूर होते जा रहे थे।

प्रदीप कुमार त्रिपठी


राधे ।।जै श्री राम।। राधे