शायरी - 2 pradeep Kumar Tripathi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शायरी - 2

1.
मेंरे वास्ताए तन्हाई से वास्ता हि कुछ यू हुआ।
मैंने मुफलिस ही कुछ ऐसा चुना जिससे रास्ता हि न तय हुआ।।
2.
ज़िंदगी के हर तजुर्बेकार से पूँछा है मैंने।
मौत में सुकून ना हो तो हर कोई जीना छोड़ दे।।
3.
मोहब्बत करना खता है ये जमाने को कहा पता है।
मोहब्बत में दिल जिगर जान ही नहीं रूहों का भी बिछड़ना मना है।।
4.
एक प्यार करने वाला हद से ज्यादा प्यार कर गया।
मेरे दर्द को ना मिटा सका तो मुझे ज़हर दे गया।।
5.
गुलाब के फूलों पर पड़े शबनम की मोतियों की तरह है मुस्कान उसकी।
आंखों से दिल में उतार लिया मगर हाँथ लगाने से डर लगता है कि बिखर न जाये।।
6.
क्या मालिक मुलाजिम को खरीद लेता है।
वक्त ही नहीं वो उसका नसीब लेता है।।
उनसे कहो कि जरा नरम दिल से बोला करें।
अकड़ में आगऐ झरने तो दरिया सूख जायेगा।।
7.
चलो अब दरिया में डूबने का हुनर सीखते हैं।
जो तैर कर निकल जाते है मोती उन्हें नहीं मिलती हैं।।
8.
दिल अब किसी वीरान मकान की सीढ़ी कि तरह हो गया है।
अब एहसास नहीं होता कौन चढ़ा है उतर जाने के लिए।।
9.
मुझे तो उनकी नज़रें लिखनी थी मैं तो मकाम लिख बैठा।।
मेरे दिल को चुराया है इसी नजरों ने सरेआम लिख बैठा।।
10.
मेरे मुफ़्लिसी का दरिया आसान नजर आता है,
अब खुदा हि मेरा निगेहबान नजर आता है।
मैं रहता हूँ जहाँ उसके बनाये आशियाने में,
अब वहाँ के दरीचों से समशान नजर आता है।।
11.
जो कहते थे तुम्हारे लिए जान भी देंगे,अब वो हमसे ख़फा रहते हैं ।
गलती हमारी है जो हमने जान नहीं वक्तऐ तोहफा माँग लिए।।
12.
हौसले से कहीं अब ज्यादा ढूढ़ लिया हमने।
पत्थर पे पत्थर नहीं अब सर पटकने का इरादा ढूढ़ लिया हमने।।
13.
अगर ज़िन्दगी में तुम्हें कुछ नाम करना है।
दिया है जख्म जिसने तुम्हें ज़िन्दगी उसी के नाम करना है।।
मुझे जख्मों का हर एहसास दिल से मिटाना है।
दिया है जख्म जिसने मरहम अब उसीसे लगवाना है।।
14.
हम उनसे जुदा हो गए क्या ।
वो हम पर फिदा हो गए क्या।।
मोहब्बत करने की ये सजा है क्या ।
या ये उनके मिलने की अदा है क्या।।
15.
दोस्त अब हम कम नहीं रखते।
जख्म अब हम नम नहीं रखते।।
ये मेरे दुश्मनों की इनायत है।
अब हम मरहम नहीं रखते।।
16.
जंग खुद से जारी होने वाली है।
दिल खो गया है मेरा तैयारी होने वाली है।।
वो तो पूजा की सजी थाल कि तरह चमकने वाले हैं।।
इश्क में हार उनसे अपनी इस बारी होने वाली है।।
17.
आज चाय मेरी हद से ज्यादा मीठी हो गई।
मुझे मेरे महबूब की याद आ गई।।
उनकी हर बात इतनी मीठी लगती थी।
चाय में शक्कर थोड़ी और थोड़ी और थोड़ी और हो गई।।
18.
एक सावरे के नैनो ने मुझे मार गई।
कल तक जीता आजथा आज जिन्दा कर गई।।
मैं मंदिरों में बैठा रहूँ इतना तो वक़्त नहीं।
हर रोते हुए को हंसा मैं उनमें हि बस गई।।
19.
एक सक्स था जो मुुुझेे पूरेे जहां में दिखता था।
पर्दा क्या उठा पूरा जहां दिख रहा वो सक्स नहीं था।।
20.
संतो का सत्संग करो और यह कमाते रहो।
जहां भी रहो जहा में वृंदावन बनाते रहो।।
श्री कृष्ण राम जिनके चरणों को ध्याते रहें।
हर वक्त श्वास श्वास में तुम भी राधे राधे ध्याते रहो।।
जिनके चरणों में बैठ श्री कृष्ण जी प्रेम पाते और लुटाते रहो।
उनके श्री चरणों में चित को लगाते रहो।।

प्रदीप कुमार त्रिपाठी

गोपला पांती हनुमना रीवा (म. प्र.)