भूख praveen singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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भूख

अमित चाय की दुकान पर बैठा हुआ था| उसकी नजर चाय की दुकान पर चाय की दुकान पर चाय बनाने वाली लड़की रेनू पर था|

साहब,चाय लाऊ क्या? रेनू ने अमित के पास जाकर पूछा|

हाँ ले आओ और एक सिगरेट का पैकेट भी दे देना| अमित ने रेनू से कहा|

अमित की नजर कई दिन से रेनू की तरफ है, रेनू देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है| पहले ये चाय की दुकान रेनू की माँ चलाती थी मगर कुछ दिनों पहले उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई जिसके चलते रेनू को दुकान को संभालना पड़ा| रेनू का पिता एक नंबर का शराबी का जो पूरा दिन नशे में धुत्त रहता था| रेनू का एक छोटा भाई था जिसकी देख रेख भी उसे ही करनी थी| रेनू ने जबसे दुकान सम्भाला तबसे अमित की नजरों में वो आ गई वो किसी भी तरह उसके साथ हमबिस्तर होना चाहता था मगर उसे कुछ सूझ न रहा था की कैसे वो ये काम करे बस उसे एक मौके की तलाश थी|

रेनू ने चाय और सिगरेट का पैकेट लाकर अमित को दिया अमित ने किसी को आस पास ना पाकर उसके हाथ को जोर से पकड़ लिया|

रेनू ने किसी तरह अपना हाथ छुड़ाया और वापस आकर चाय बनाने लगी|

रेनू पहले से अमित के इरादे को भांप चुकी थी मगर वो कुछ कहती नहीं थी क्यूंकि उसको पता था की इज्जत उसी की उछालेगी और कोई उसके लिए उसका सहारा बनकर खड़ा नहीं होगा| रेनू को ये चाय की दुकान चलानी थी क्यूंकि उसके और उसके भाई के लिए ये दुकान ही एक सहारा था इसलिए वो अमित के हरकतों को अनदेखा कर देती थी|

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अमित अपने कमरे में बैठ कर मोबाइल में रेनू की एक तस्वीर को ज़ूम करके देख रहा था| उसी वक़्त अजय जो अमित का रूममेट और क्लासमेट दोनों है कमरे के अंदर प्रवेश करता है, मगर इस बात का आभास अमित को नहीं हो पता है क्यूंकि वो रेनू की तस्वीर देखने में मग्न था|

जरा मैं भी तो देखूँ तो भाई साब क्या देखने में इतना ब्यस्त है की मेरी तरफ उनका ध्यान भी नही रहा, अमित के पास पहुँचकर उसके हाथ से मोबाइल छीनते हुए अजय ने कहा|

ये गलत बात है अजय, झल्लाते हुए अमित ने कहा| मगर अजय तब तक रेनू की तस्वीर अमित के मोबाइल में देख चुका था|

किसी के इजाजत के बगैर किसी की तस्वीर लेना गलत है अमित, हल्के गुस्से में अजय ने अमित से कहा|

ज्ञान मत दे यार, मेरा मोबाइल वापस कर, और तू अपने काम से मतलब रख न, अमित ने अजय को जबाब दिया|

तेरे पास कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की है जो कि तेरी गर्लफ्रेंड है फिर तू इसके पीछे क्यों पड़ा है बस 17 साल की है यार वो, तेरे से 6-7 साल छोटी है| अजय ने अमित को समझाते हुए कहा|

क्या फायदा ऐसी गर्लफ्रेंड का जो न तो किस करने दे न ही खुद को छूने दे, हमेशा यही कहना की शादी के बाद ये सब सही है अभी नहीं, मै तो 3 साल से झेलते झेलते थक चूका हूँ उसे बस इस साल कॉलेज ख़तम फिर उससे रिश्ता भी खत्म| अमित ने अजय से ये बात कही|

तुम्हे जो करना है करो मगर इस बेचारी रेनू को तो छोड़ दे, बेचारी एक गरीब लड़की है वो| अजय ने अमित को समझाते हुए कहा|

अरे यार, तो मै कंहा उसके साथ जबरजस्ती कर रहा हु या बलात्कार कर रहा हूँ अब क्या किसी को देखना भी गुनाह है क्या,

तुम्हे कुछ समझाना ही बेकार है, गुस्से में कहते हुए अजय वंहा से कमरे से बाहर चला गया|

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अजय, रेनू की चाय कि दुकान पर आकर बैठ गया| चाय लाउ भैया, रेनू ने अजय से पूछा |

हाँ छुटकी, ले आओ |

रेनू चाय की एक प्याली लाकर अजय को देती है, अजय चाय की प्याली अपने हाथों में लेता है|

छोटू का स्कूल फी जमा कर दिया न, चाय पीते हुए अजय ने रेनू से पूछा|

जी भैया, और मैं जल्द ही आपको पैसे वापस कर दूंगी, रेनू ने जबाब दिया|

अरे कोई जल्दी नहीं है जब हो जाये तब वापस कर देना नही तो चाय तो वैसे भी मैं तुम्हारे यंहा उधारी में ही पीता हूँ उसमे से काट लेना, हस्ते हुए अजय ने कहा|

आप भी ना भैया, वैसे शुक्रिया आपका की बुरे वक़्त में अपने साथ दिया मेरा, रेनू ने अजय से ये बात कही|

अरे कोई नहीं और याद रखना कभी भी जरुरत पड़े तो याद कर लेना, बहुत बड़ी तो नहीं मगर छोटी मोटी सहायता तो कर ही सकता हूँ| अजय ने रेनू का समझाते हुए कहा|

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रेनू अपने झोपडी के अंदर खाना बना रही थी, और कोने में बैठा उसका छोटा भाई किताबे पढ़ रहा था| उसी वक़्त उसका शराबी बाप झोपड़ी के अंदर घुसता है, वो पूरी तरह से नशे में धुत्त हुआ रहता है|

रेनू, मुझे कुछ पैसे दे मुझे शराब पीनी है, वो नशे में रेनू से कहता है|

बापू पैसे तो नहीं है दुकान से भी थोड़े बहुत पैसे आते है, घर में राशन भी ख़तम है वो भी लेना है, रेनू ने अपने बात कही|

तो मै क्या करूँ, मुझे पीना है मुझे पता है तूने पैसे कंहा रखे है मै खुद ले लेता हूँ, कहते हुए रेनू का शराबी पिता झोपडी में टंगी झोले की तरफ बढ़ा, रेनू खाना बनाना छोड़ कर उस झोले के पास पहुंची और उसे रोकने लगी मगर उसके पिता ने उसे दूर झटक दिया और उस झोले से जो भी तीन सौ, चार सौ रुपये थे निकालकर झोपडी से बहार चला गया और रेनू बस बेबस उसे देखती रह गयी| फिर मायूस होकर वो खाना बनाने लगी|

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अजय कमरे के अन्दर अपने सामान पैक कर रहा था|

कंहा जाने की तैयारी हो रही है अजय, अमित ने कमरे के अंदर प्रवेश करते हुए पूछा|

घर पर कुछ जरुरी काम आ गया है तो पापा ने बुलाया है तो एक हफ्ते के लिए घर जा रहा हूँ, अजय ने अमित को पूरी बात बताई|

ओह ऐसा है, चल बस स्टैंड तक छोड़ देता हूँ अमित ने कहा|

अरे नही तुम्हे परेशान होने की जरुरत नही है, मैं चला जाऊंगा, अपने बैग को पैक करके हाथ में उठाते हुए अजय ने जबाब दिया|

ठीक है जैसी तेरी मर्जी, कम से कम गले तो लग ले की वो भी नही लगाना है|

अमित के ये बात सुनकर अजय उसके पास जाता है और उसके गले लगाता है और फिर कमरे से बाहर बस स्टैंड की तरफ निकल जाता है|

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अमित बिस्तर पर लेते हुए लैपटॉप में फिल्म देख रहा था उसी समय उसकी मोबाइल की रिंग बजी, अमित ने मोबाइल की तरफ नजर घुमाई, निशा का कॉल था|

अभी इसको क्या कम पड़ गया, मन में बुदबुदाते हुए अमित ने कॉल को रिसीव किया|

बोलो निशा, क्या हुआ|

तुम हमेशा गुस्से में क्यों बात करते हो यार तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं मैं कभी तो प्यार से बात कर लिया करो, निशा ने नाराज होते हुए कहा|

गुस्सा कंहा हूँ यार, अब मेरी टोन ही ऐसी है, क्या करूँ मैं| अमित ने कहा|

अच्छा वो सब छोडो, ये बताओ क्या कर रहे थे बहुत मिलने का मन कर रहा था अमित, निशा ने अपने दिल की बात कही|

बस बोर हो रहा था तो फिल्म देख रहा था अजय भी आज घर चला गया है|

मैं आ जाऊ बोरियत खत्म करने, थोड़ा सा रोमांटिक होते हुए निशा ने कहा|

अमित कुछ सोचा और फिर हामी भर दी आने के लिए और कॉल डिसकनेक्ट किया और दोबारा फिल्म देखने लगा|

एक घंटे के बाद निशा, अमित के कमरे पर पहुंचती है, निशा को देखकर अमित दग रह जाता है|

क्या बात है जीन्स टीशर्ट पहने वाली लड़की साड़ी पहनकर आई है, अमित ने निशा को देखते हुए कहा|

वो सब छोडो, पहले ये बताओ कैसी लग रही हूँ मै? निशा ने अमित से सवाल किया|

कहर ढा रही हो यार मेरे तो जज्बात ही बेकाबू हो रहे है, अमित ने जबाब दिया|

अच्छा जी, निशा ने मुस्कुराते हुए कहा

बिलकुल मेरी जान कहते हुए उसने निशा को अपने तरह खींच कर कसकर पकड़ लिया और उसकी लटों ने अपने अंगुलिओं को लपेटने लगा|

और फिर निशा को किस करने की कोशिश करने लगा तो वो अमित से खुद को दूर कर लिया क्या हुआ| अमित ने पूछा|

ये सही नही है अमित, ये सब शादी के बाद करते है न, निशा ने अमित से कहा |

तुम्हारी यही प्रॉब्लम है यार, बस इसलिए मैं मिलता नहीं हूँ तुमसे, झल्लाते हुए अमित ने कहा और बिस्तर पर जाकर लेट गया|

अमित के मूड को सही करने के लिए निशा बिस्तर पर जाकर अमित के पास लेट गयी|

प्लीज समझा करो न अमित, अमित के सर पर हाथ फेरते हुए निशा ने कहा|

क्या समझू यार, तीन साल से मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हुन मगर आज तक एक किस भी तुमने मुझे नही करने दिया, आज तक मै ही तो समझ रहा हूँ ना, अमित नाराजगी में जबाब दिया|

ठीक है बाबा अगर तुम्हे किस करके ही खुशी मिलती है तो कर लो आज मगर उससे कुछ ज्यादा नहीं, निशा ने अमित से कहा|

निशा का इतना कहना कि अमित ने उसे अपने बांहों में भर लिया और उसके माथे को चूमते हुए उसके ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए और उसका चुम्बन करता रहा, ये अमित के जिंदगी का ऐसा पहला अनुभव था वो लगातार निशा के ओंठो का चुम्बन करता रहा और उस जोश में उसके हाथ निशा के ब्लाउज के बटम के पास पहुंचे, और वो उन्हें खोलने लगा, निशा उसे रोकने लगी मगर वो अपने आपे में नहीं था और उसने ब्लाउज के बटम तोड़ दिए| बड़ी मुश्किल से निशा ने अमित से खुद को छुड़ाया और गुस्से में कमरे से बाहर चली गयी|

अमित का मन एक अजीब ही दुनिया में जा चुका था वो पागलों की तरफ इधर उधर कमरे में भटकने लगा उसकी हालत ऐसी हो गयी मानो एक कुत्ते के मुंह से जैसे कोई मांस का कोई टुकड़ा छीन लिया हो|

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दीदी बहुत जोर की भूख लगी है, कुछ बनाओ न, रेनू का छोटा भाई भीम ने रेनू से कहा, घर में राशन नही था ये बात रेनू को पता था मगर वो ये बात अपने छोटे भाई को कैसे समझाती|

भीम एक काम से बाहर जा रही है आकर बनाऊ, रूंधे हुए गले से रेनू ने कहा|

ठीक है दीदी, मगर जल्दी आना बहुत भूख लगी है, भीम ने मासूमियत भरे लब्जो में कहा|

रेनू झोपडी से बाहर आकर राशन के दुकान पर गयी,

काका थोड़ा राशन दे दो न पैसे कुछ दिन में देती हूँ, रेनू ने दुकाम में बैठे दुकानदार से ये बात कही|

बुरा मत मानना रेनू, मगर तेरे पहले के भी कुछ पैसे उधार बाकी है, हमे भी धंधा करना है, माफ़ करना पहले उन्हें चुकाओ फिर राशन ले जाना, दूकानदार ने जबाब दिया|

रेनू के आँखों में आँसू आ गये वो वंहा से चली गयी और कुछ जगहों पर कोशिश की मगर उसे निराशा ही हाथ लगी| उसके जेहन में अजय का ख्याल आया और वो उसके कमरे की तरफ चल पड़ी| कुछ देर के बाद वो अजय के कमरे अपर पहुची कमरे में अमित उपस्थित था उसकी हालत अभी भी वैसे ही थी|

तुम यंहा पर, रेनू को देखकर अमित ने सवाल किया| अजय भैया कंहा है कुछ काम था उनसे मुझे, रेनू ने जबाब दिया|

वो तो घर गया है एक हफ्ते के लिए क्या हुआ मुझे बता दो कुछ जरुरी हो तो, अमित ने कहा|

रेनू ने कुछ नहीं कहा और वंहा से जाने लगी मगर उसके जेहन में अपने छोटे भाई की वो भूका चेहरा आ गया और वो मुड़ कर अमित के पास आई|

मुझे कुछ रुपये चाहिए थे, घर में राशन नही है, और छोटा भाई भूखा बैठा हुआ है, क्या आप मुझे कुछ रुपये दे सकते है, एक हताश भरे लब्जो में रेनू ने अमित से ये बात कही अमित से ये बात कही|

पैसे तो मैं दे सकता हूँ मगर उसके बदले मुझे क्या मिलेगा, अमित से रेनू से पूछा|

आप कहना क्या चाहते है, रेनू ने सवाल किया|

देख सीधे सीधे बात करता हूँ तुम्हे पैसे की जरुरत है अपनी और अपने भाई की पेट की भूख मिटाने के लिए और मुझे तेरी जरुरत है अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए, तू सोच ले कोई जबरजस्ती नही है, अमित ने रेनू की बेबस हालत देखकर अपना ये सौदा रखा|

रेनू पहले से ही अमित के गन्दी भावनाओं को समझती थी उसको समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे वो उठ कर खड़ी हुई और तेज कदमों से कमरे के बाहर जाने लगी|

मगर उसके कान में उसके छोटे भाई की वो आवाज गूंजी की जल्दी आना बहुत भूख लगी है| वो वापस अमित के कमरे की तरफ जाने लगी और कमरे के अन्दर पहुँचती है और कमरे के दरवाजे बंद कर देती है|

मुझे मंजूर है, एक बेबस भरे लब्जो में रेनू ने अमित से ये बात कही|

अमित को तो एक अर्से से मांगी हुई कोई मुराद पूरी हो गयी हो, उसके अंदर एक खुशी की लहर दौड़ गयी|

उसने रेनू को अपनी तरफ खींचा और उसके बदन से एक एक करके सारे कपडे निकाल दिए और जैसे एक कुत्ता मांस को नोच खाता है उसी तरह अमित ने रेनू के पुरे बदन को नोच डाला और उसके साथ हमबिस्तर हुआ|

रेनू, अमित के जिस्म की भूख मिटाने के बाद बिस्तर से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी, अमित भी बिस्तर से उठा और अपने पर्स से 5000 रूपए निकाल कर उसको थमा दिए, वो पैसे लेकर लड़खड़ाती हुई मगर तेज कदमों से राशन के दुकान पर राशन लेने पहुंची ताकि वो जल्द से जल्द वो अपने झोपडी पहुँचे और अपने छोटे भाई के पेट की भूख को मिटा सके|

बहुत अजीब, मगर सच था, एक मजबूर लड़की को अपने छोटे भाई के पेट की भूख मिटाने के लिए एक पराये इंसान के जिस्म की भूख मिटाया|

>>>>>>>>>>>समाप्त<<<<<<<<<<<<<