"तुम अपना... रंजो ग़म अपनी परेशा...नी मुझे दे दो....."
साहिर साहब का ये गीत रेडियो में बज रहा था । और वो उदास अपनी बालकनी में बैठा दूर खेलते बच्चों को देख रहा था । जबसे उसकी जिंदगी से आभा गई थी ,उसकी जिंदगी मायूसी और ग़म के सागर में डूब गई थी ।
वो सोच रहा था, रिश्ते भी कांच के प्याले की तरह होते हैं, जिस दिन टेबल पर आते हैं ,उनके टूटने का वक्त भी तय हो चुका होता है । कभी किसी हाथ की ज़रा सी लापरवाही उसे चकनाचूर कर देती है, जिसके टुकड़े अब सिवा चुभन और ज़ख्म देने के किसी काम के नही होते ।
आभा की हर कामयाबी की ख़बर उसके दिल मे चुभन पैदा करती , वो तड़फ उठता । उसने सोच रखा था कि आभा बस इसी तरह उसके सामने डोलती रहेगी और वो मनमाना बर्ताव करता रहेगा।
कितनी काबिल थी आभा,उसकी आवाज, उसके बोलने का अंदाज़ बेहद आकर्षक था और लोगों को प्रभावित करता था ,पर वो अपनी प्रतिभा को भूलकर वरुण के लिए समर्पित हो गई थी ।
वरुण शहर के नामचीन अख़बार का पत्रकार था। उसकी कलम की धार से सत्तासीनों के दिल धड़कते,सिस्टम में हलचल रहती ,कब किस पर गाज गिर जाए ।
पर इस कामयाबी ने वरुण को भरमा दिया था। शोहरत की चोटी पर पहुँच कर वो फिसलने लगा था । उसके दिमाग़ में अपने खास होने का अहसास गुरुर बन गया था । और इस दुनिया मे ये तो तय है कि ज्यों ज्यों आप कामयाबी की चोटी पर पँहुचते है वहाँ जगह तंग होती जाती है और आप बहुतों के निशाने पर आ जाते है । हर कोई आप पर निशाना लगाता है ,किसी का वार लग गया तो आप सीधे नीचे।
वरुण को बड़े बड़े प्रस्ताव मिलने लगे, जब इन सबका उस पर कोई असर नही हुआ तो फिर उसके दिल से खेलने की साजिशे होने लगी । उसकी कलम ने जिन पर वार किया था वो घायल सांप की तरह उसे डसने की फिराक में थे ।
वो बहुत खूबसूरत थी जहाँ भी जाती, जिस महफ़िल में होती, लोगों की निगाह उस ओर हो जाती । हर कोई उसकी नजदीकी पाने को बेताब रहता ।
एक शाम वरुण काफी हाउस में बैठा अपने प्रेस के साथियों के साथ किसी मसले पर चर्चा कर रहा था, और उसी वक्त उसकी धमाकेदार इंट्री हुई ।
"मि.वरुण ! नमस्कार ! मैं सना, आपकी बहुत बड़ी फैन ! "
"ओह ! थैंक" वरुण ने कहा
"क्या मैं आपके पास बैठ सकती हूँ ?" सना ने मोहक मुस्कान से कहा
"श्योर क्यों नही?" वरुण उत्सुक होकर उसे बैठने का इशारा किया ।
वरुण के साथी कुछ बातों के बाद वहाँ से चले गए, रह गए वरुण और सना ।
दोनो के बीच परिचय का आदान प्रदान हुआ, वे एक दूसरे से अलग अलग मिल चुके थे, लेकिन आपस मे परिचय आज इस काफी हाउस में हो रहा था । वरुण भी सना को लेकर उत्सुक था और आज ये कल्पना साकार हो रही थी । वरुण को उसने बताया कि वो और उसका पति दोनो मिलकर फ्लावर पॉट और बोनसाइ पेड़ो का कारोबार करते हैं, लोगो की छतों में सब्जी का गार्डन लगाते हैं,किसी के फार्म हाउस में हरियाली का डेकोरेशन करते हैं और इस फैलते शहर में उन्हें अच्छी कमाई हो रही है । उनका खुद का एक बगीचा है ,पर उन्हें बड़े फाइनेंस की जरूरत थी ताकि उसमें और भी ज्यादा इन्वेस्ट कर आगे बढ़ सकें । वरुण ने अपने परिचय में बताया कि उसकी शादी को दस साल हो चुके हैं और उनका एक बच्चा है ।
उस दिन के बाद उनका परिचय बढ़ गया और सना का उसके घर आना जाना भी हो गया । उसने उनके घर के छत की गार्डन बहुत अच्छे से सजवा दिया था । आभा से भी उसका परिचय हो गया था।
मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा और वरुण को ये अंदाजा बिल्कुल नही था कि उसकी जिंदगी में सना सन्नाटा लाने वाली है ।
10 साल की शादीशुदा जिंदगी में आभा और वरुण के बीच सबंध सामान्य थे । आभा बहुत समझदार थी ,उसने वरुण के काम मे कभी हस्तक्षेप नही किया ।
इधर सना ने वरुण से नजदीकी बढ़ाना शुरू कर दिया था और वो उसे किसी न किसी बहाने से अपने पास बुलाती ।
प्रेस की नोकरी में कहां कहां नही जाना पड़ता , फिर देर रात तक पेज लगाना वरुण का रोज का काम था ,इसलिए वरुण के आने जाने पर, कहीं रुकने पर आभा को शक की कोई गुंजाइश नही थी।
आज ठंड कुछ ज्यादा थी । कुहरा छाया हुआ था, लोग घरों में दुबके थे । वरूण एक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग बना रहा था और तभी सना का काल आया । उसने उसे अपने घर बुलाया था । वरुण उसे इंकार नहीं कर सका ।
आज सना के घर मे उसके अलावा कोई नही था। वो अकेली बैठी थी । उसकी टेबल पर कांच के प्याले रखे थे और एक मंहगी शराब की बोतल । उसने वरुण का स्वागत किया और हाथ पकड़ कर पास में बैठा लिया । उसने दो पैग बनाया और एक ग्लास वरुण को दिया । वरुण सिप लेने लगा और शराब की मस्ती उसके दिमाग पर छाने लगी ।
इस सर्दी के मौसम में इस माहौल में एक तन्हा बेहद खूबसूरत लड़की के साथ ,जो उसे आमंत्रित कर रही थी ,उसके साथ घड़ी दो घड़ी बैठना और उसपर शराब का प्याला ,ये सब करुण को बेहद कामुक बना रहे थे ।
बातों के बीच सना उठी और किचन में गई ,उसे जाता देखकर वरुण खुद को काबू में नही रख पा।रहा था । और फिर उसकी मनचाही मुराद पूरी होने लगी। जब सना ने वरुण को एक आंख मारकर इशारा किया । वो उसके पास आकर बैठ गई,, उसका गाउन बेहद डीप कट था, जिससे उसके सीने के उभार बेहद कामुक लग रहे थे । वरुण ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर एक चुम्बन ले लिया । सना उसके कंधे पर निढाल होकर टिक गई । वरुण के हाथ उसकी देह पर फिसलने लगे । अब वो इस कामुक लड़की के सम्मोहन में घिर गया था और फिर उसकी मनचाही मुराद पूरी हो गई । उसे उस दिन सना से अपूर्व सुख मिला।
ये सिलसिला चलने लगा । मौके पर उसका काल आता और वरुण के लिए रुकना मुश्किल हो जाता। कभी कभी शौकिया पीने वाला वरुण अब अक्सर पीने लगा था । घर में भी आभा के साथ उसका बर्ताव बदल गया ।
सना की गिरफ्त में वरुण नशे का आदी हो गया और उसकी काम के प्रति लापरवाही बढ़ने लगी। साथ साथ सना से उसकी नजदीकी को सब जानने लगे थे। सना ने उसके नाम का इस्तेमाल कर नेताओ, अफसरों से अपना काम बनवा लिया और खूब मलाई बटोरी, साथ ही वो वरुण को बर्बाद करने की साजिश में किसी के इशारे पर काम कर रही थी । सना को उसका भी ईनाम मिल रहा था ।
वरुण का ग्राफ गिरता गया और आखिर उससे वो नामचीन अख़बार छूट गया । आभा से तनाव बढ़ने लगा । घर मे किल्लत आने लगी ,क्योकि काम की गुणवत्ता खराब होने से अख़बारी जगत में ऊंची बोली वाला कलमकार वरुण का भाव गिर गया था।
अब उसने आभा से झगड़ना शुरू कर दिया था क्योंकि घर की जरूरतें पूरी नही हो पा रही थी । शराब ने वरुण की जेब मे डाका डाल दिया था । उसे सना की चाहत थी, पर सना चढ़ते सूरज को सलाम करती थी और जो अस्त हो रहे हों उन्हें बेरहमी से भूलने में विश्वास करती थी । उसे पैसा चाहिए था या फिर किसी रसूखदार का साथ ताकि वो अपनी मुराद पूरी कर सके । वो किसी एक के खूंटे में बंध कर गाय की तरह नही जी सकती थी ।
वरुण की नशे से बर्बादी और रोज की कलह से छुटकारा पाने के लिए आभा ने उसे काफी समझाया ,उसके साथ हर समझौता करके रही, पर वरुण की आदत नही बदली । कल का अख़बार का दबंग हीरो,करुण आज लोगों की नफ़रत झेल रहा था। लोग उससे नजरें चुराने लगे थे । और आखिर में
आभा ने उससे अलग होकर,अपने आंसू पोछ खुद काम सम्हालने का फैसला ले लिया ।
आज वो एक बड़ी इवेंट कंपनी की डायरेक्टर है और अपनी आवाज़ का जादू बिखेर कर उसने सबको सम्मोहित कर दिया था । उसके प्रोग्राम के किस्से रोज अखबारों में छपते । कल तक वरुण की कलम में ऐसे किस्से छपते और कोई स्टार बन जाता । आज वरुण खुद बेकार , नशेड़ी होकर पड़ा था । सना ने उसके जीवन में जहर घोल दिया था । और जब उसे ये सारी साजिश समझ मे आई तब सब कुछ बर्बाद हो गया था ।
वरुण अब जान गया था कि उसे किसी के खिलाफ खबर छापने और उसकी काली करतूतों को उजागर करने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी।
लेकिन अभी भी आभा एक उम्मीद थी । वो अगर घर छोड़कर गई थी तो वरुण के व्यवहार के कारण।
वो अपने कमरे में वापस आया और देरतक रोता रहा । हर उन दिनों को याद कर ,आभा के साथ सुकून भरी जिंदगी याद कर ...और फिर नफरत और हिकारत से उसने खुद को आईने में देखा और शराब की बोतल और उन कांच के प्यालों को।
उसने मन ही मन कहा, " कांच के प्यालों के टूटने का वक्त अब आ गया है ,,,," और उसने उन प्यालों को तोड़कर डस्ट बीन में डालकर आभा को फोन मिलाया,,,
हेलो वरुण कैसे हो ? आभा की जानी पहचानी मधुर आवाज सुनकर वरुण देर तक रोता रहा ....दिल की गहराई से निकले उसके अफ़सोस की आवाज को आभा ने सुन लिया था और उसे ढाढस बंधा रही थी । और..... रेडियो पर वो गाना बज रहा था,,,
"तुम अपना... रंजो ग़म अपनी परेशा...नी मुझे दे दो....."