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प्यार के लम्हे

आज बसंत पंचमी है। इस बार बसंत पंचमी और 14 फरवरी वेलेंटाइन डे एक साथ हो गए हैं । बसंत पंचमी में माँ सरस्वती जी की पूजा के साथ साथ महाकवि, महाप्राण निराला जी याद किये जाते हैं । पर इन तीनो में युवामन को प्रेम रस का प्रतीक वेलेंटाइन डे ज्यादा भा रहा है और आज इसको हवा भी ज्यादा मिल रही है ।

युवा मन की बात ही निराली है, हर आयोजन में वो अपने प्यार के साथ रहना चाहता है,उसे पल पल जीना चाहता है । क्योकि,वो भी किसी से जुदा नही ,उसके भी सीने में धड़कता दिल है और किसी न किसी से प्यार है,,,

आज बड़ी हलचल है,, बहुत सुंदर है सारा वातावरण । मन उत्साह से भरा है , युवा मन अपने सपनो की दुनिया मे खोया हुआ है,हसरतें लिए, अपनी प्रेमिका की याद में डूबा वो उत्साह से पूजा की तैयारी और आयोजन की व्यवस्था में लगा है । कल रात की बात है उन दोनो की अच्छी मुलाकात हुई थी ,उससे एकांत में काफी देर तक बातचीत हुई, उसकी भी दिलचस्पी देख उसका मन बहुत प्रफुल्लित है । क्या जादू है प्यार में ,प्रेयसी से मिलने की उत्सुकता और घबराहट ,मिलने पर एक दूसरे की आंखों में न जाने कितनी देर तक डूबा रहना, आंखों ही आंखों में एक दूसरे को पी जाने की हसरत, फिर बातचीत में थरथराहट,,,बड़ी देर में सहज हो पाना,,,बड़े अंतराल के बाद की मुलाकात में कुछ ऐसा ही होता है,,,। उससे मिलने की हर रोज तडफ़, कोशिशें, मिलने के बहुत से बहाने और बहुत से कारणों की तलाश ,तब जाकर कुछ देर एकांत में मुलाकात , और तभी उनके बीच अचानक कुछ लोगो का आसपास गुजरते हुए उन्हें घूरना,,,पर इसकी परवाह कौन करता है । मिलन की प्यास तो ऐसी प्यास है, जो किसी बात की फिक्र नही करती,,

     रात उनके बीच बड़ी देर तक बातें हुईं ,फिर बातों बातों में उसके नर्म हाथ थामकर वो उसे देर तक देखता रहा ,उसकी हथेलियों को सहलाता रहा,,उसे बहुत दिनों से ख्वाहिश थी कि उसके बालो में वो एक सेवंती या गुलाब का फूल लगाये,,आज वो हसरत भी उसने पूरी कर ली ,,,उसके बालों के नजदीक जाकर, जब उसने उसे छुआ तो उसके दिल दिमाग मे एक अजब सी मस्ती छा गयी,,  प्यार के नशे में वो डूब सा गया ,,कुछ भी याद नही,,, बस उसके घने काले बालों में, घने बादलों के बीच होने का अहसास,,,उसे लगा कि क्या यही जवां दिलो की कहानी है । प्यार का पहला नशा,,, पहला खुमार,,,ऐ दिले बेकरार,,, तू ही बता,,,
    

  आज सुबह कल की उन्ही यादों के साथ मस्ती में डूबा मन पूजा की तैयारी में लगा हुआ है । पूजा मंडप की सजावट में उसकी प्रेमिका का अपनी सहेलियों के साथ खिलखिलाकर काम करना,,,और उसका अपने दोस्तों से मस्ती  । बहुत यादगार रहा सब कुछ । स्मृतियों में सदा सदा के लिए बस जाने वाला पल ।

दोपहर तक सारा पूजा पाठ ,भोग प्रसाद का कार्यक्रम हो गया फिर जमी सबकी महफ़िल और फिल्मी गानों का दौर शुरू हुआ ,, कितनी तेजी से गुजर गए वो पल ,,,उस महफ़िल में बार बार एक दूसरे को देखने को बेताबी,,,इन दिनों बाकि सबको इस बात का अहसास हो गया था कि उनके बीच प्रेम की बेल फैल चुकी थी ,,,और उन्हें भी पता था कि वे सब उनके प्यार को जानते हैं । और ये अच्छा ही था ऐसा होने से उनके बीच किसी के आने की कोई गुंजाइश नही थी ।

    दिनभर की मौज मस्ती के बाद  मूर्ति विसर्जन के लिए सब गए,  एक बड़ी गाड़ी के पीछे की ट्राली में वे सब बैठ गए । शाम ढल रही थी ,माँ सरस्वती की जय जयकार करते  सब नदी के किनारे पहुँचे। नाव से मूर्ति विसर्जन कर सब फिर उसी ट्रॉली में बैठ गए । वे दोनों भी पास पास आ बैठे ,दो दिलों के पास आने के लिए किसी संवाद की जरूरत नही वहां तो बिना संवाद के मिलने और नजदीक आने का सारा प्लान बन खुद ब खुद बन जाता है ।

       वे कुछ इस तरह बैठे कि वे बहुत पास पास थे । अंधेरा घिर चुका था,,, और उनके हाथ एक दूसरे से सट गए थे,, उनकी उंगलिया अपने आप एक दूसरे से लिपट गयीं थी,,,उसकी नर्म बाहों पर उसके हाथ चलने लगे । सारे रास्ते वे अपनी हथेलियों से पूरे मिलन का स्वर्गिक आनंद लेते रहे,,, रास्ता कब खत्म हुआ ये अहसास ही नही हुआ। कल रात उसके बालो में जो फूल उसने लगाये थे वो आज भी उसने सारादिन अपने बालों में लगाये रखा, जिसे देख देख वो काफी खुश होता रहा ।

    रात जब सबने एक दूसरे को अलविदा कहा तो उसने उससे वो फूल वापस ले लिए  । वो प्रेम की देवी को अर्पण किया वो फूल हमेशा के लिए सहेजकर रखना चाहता था, ताकि उसके भाव में प्रेम सगाई का सुख सदा सदा के लिए बना रहे ,,, उसने उन फूलो को सहेज कर अपनी डायरी के पन्नो में दबा दिया ।

उस वक्त तो वो यही मानता था कि ये अहसास कभी खत्म नही होने वाला ,पर ऐसा होता नही !उसे लगता कि रहती दुनिया तक उसका प्यार अमर रहेगा ,पर पल पल बदलती दुनिया में ये सब कहाँ टिकने वाला था,, बदलाव तो इस दुनिया का बेहद जरूरी दस्तूर है । धीरे धीरे सब बदल गया । इस बदलाव को उसका मन कभी स्वीकार नही कर सका, यहाँ  जिंदगी रोज नए नए नजारे दिखाती है, चुनोतियाँ देती रहती है । उसे भी नीरस कामो में लगना पड़ा पर भीतर का शायर जिंदा रहा,, वो अपनें भावो को कलमबद्ध करता रहा।
   

     तय समय पर उन्होंने शादी कर ली थी । गृहस्थी के कुछ साल बहुत खुशनुमा रहे, पर बाद में सब भूले बिसरे से हो गए, इन दिनों वैसी तडफ़ न जाने कहाँ खो गयी। बच्चे और उनका भविष्य,पैसे और घर की जरूरतें और उनके लिए भागम भाग ने दोनों को पास पास रख कर भी दूर कर दिया था ।  दोनो सारा दिन उलझे रहते । इस तरह 20 बरस गुजर गए । उसने अपने आपसी रिश्ते में ऐसी नीरसता और ठंडेपन की कभी कल्पना नही की थी, पर समय और हालात ने सब कुछ खत्म सा कर दिया था । किन्तु उसने अब ठान लिया कि वो इस तरह जिंदगी को मनहूस नही होने देगा ।

     अपने स्टडी रूम में बैठा बैठा वो सोच रहा था कि अचानक उसे अपनी पुरानी डायरी का ख्याल आया । उसने उन्हें अलमारी से निकाल कर एक एक पन्ने पढ़ने लगा । उस दौर के वो अहसास जो उसने शब्दों में पिरोये थे ,उसे लगा कि वो उस समय और उस जगह पर पहुंच गया है । और तभी एक डायरी से वो फूल जो सूख कर पन्नो से चिपके थे, नीचे गिर पड़े ,उसने उन्हें उठाया अपने नथुनों के पास लाकर उसे सूंघने लगा । उसे वही अहसास वही प्रेम की ज्वाला महसूस हुई,,जब ये फूल उसने उस दिन उसके बालो में लगाये थे।

     शाम जब सूरज किसी और गावँ की ओर बढ़ रहा था ,,धुंधलका छा रहा था ,तब ड्राइंग रूम में बैठा वो किचन में सब्जी काट रही अपनी उसी प्रेमिका को देख रहा था ,जो उसकी पत्नी बनकर गृहस्थी का जरूरी रस्म निभा रही थी,,उसने उसे आवाज देकर अपने पास बुलाया । वो जब पास आई तो वही फूल उसने उसे दिखाया । उसे देख वो भी भावुक हो गयी । दोनो बहुत देर तक पास पास बैठे रहे , फिर दोनों ने संकल्प लिया कि कुछ दिनों की छुट्टी लेकर वे साथ साथ गुजारेंगे । उन्ही जगहों पर जाएंगे, जहां उनका प्यार परवान चढ़ा,,,उन्होंने आज शाम फ़िल्म देखने का प्लान बनाया ।

आज वेलेंटाइन डे था, वे सारा दिन साथ रहे, फ़िल्म देखी और अब रात को लौट रहे थे । अपनी कार ड्राइव करते हुए उसने पास बैठी अपनी प्रेमिका का हाथ धीरे से दबाया और कहा "आई लव यू जानू,,,"
उसने मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा और एक पप्पी उसके गालों पर जड़ दी ,,,,

बीस बरस का अंतराल पल भर में खत्म होकर उन दिनों के बेहद करीब आ गया था ।


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