अक्लमंदी Ajay Kumar Awasthi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अक्लमंदी

इन दिनों राधा को देसी उपचार के प्रचार प्रसार का भूत सवार है । वो बात बात पर देसी तरीके से होने वाले ईलाज की खूब तरफदारी करती है । चूर्ण बनाना, लेप लगाना, जड़ी बूटी पीस कर खाना सबको हर तकलीफ में यही सलाह देती है । रमन उसे समझाता कि आज समय पहले जैसा नही रहा विज्ञान की बदौलत ईलाज और जाँच के बेहतर तरीके विकसित हो गए हैं । हमे उनपर विश्वास करना चाहिये । इन बातों का उसपर कोई असर नही होता ,वो किसी भी जाँच के लिए तैयार नही होती ,जबकि कुछ तकलीफ़ें उसे बनी रहती । पर कहते हैं , जब खुद पर न बीते तब तक अक्ल नही आती । और उसके साथ ऐसा ही हुआ ,,

एक सड़क दुर्घटना जो उसके साथ हुई उसने उसकी आँखें खोल दी ।

हुआ कुछ ऐसा कि , एक दिन वो अपनी मोपेड से बाजार जा रही थी । रास्ते मे गाय का गोबर पड़ा था, उसे ध्यान नही रहा और उसकी मोपेड का पिछला चक्का उसमे आ गया, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया और वो फिसल कर बुरी तरह गिर गई । जब वो किसी तरह उठी तो उसके दाहिने पैर की एड़ी में बहुत तेज दर्द हो रहा था । उससे खड़ा भी नही हुआ जा रहा था, एक दो स्थानों पर खरोंच आ गई थी । फिर लोगों की सहायता से वो घर पहुँची ।

उसने अपनी जानकारी के अनुसार तुरंत कोई देसी तेल और हल्दी का लेप लगाकर बिस्तर पर पड़ी रही । उसे लगा कि इससे दर्द और सूजन कम हो जायेगी, पर पूरा 24 घण्टा बीत गया उसे रत्ती भर भी आराम नही मिला । वो कभी कुछ कभी कुछ नुस्खे अपना कर अपना इलाज करती रही।

उसके पति रमन ने उसे सलाह दी कि चलो हड्डी के डॉक्टर को दिखा आते हैं एक्सरे वगैरह आदि करा लेते हैंब। पर राधा ने नाराजगी के साथ मना कर दिया, उसने ये तर्क देकर रमन को शान्त कर दिया कि
" क्या पहले जब एक्सरे ,ऑपरेशन और प्लास्टर नही थे तब क्या लोगों की टूटी हड्डियां जुड़ती नही थी?
आजकल के डॉक्टर लूटते हैं सब पैसे कमाने की चाल होती है,दुनिया भर के किस्से बताकर डॉक्टर मरीज को डरा देते हैं और फिर मनमाना पैसा वसूल लेते हैं,,,"

उसकी बहस से सब चुप हो जाते लेकिन इन देसी उपचारों से राधा के पैर की सूजन और दर्द में अंतर नही आया । फिर उसकी सहेली ने बताया कि दूर गावँ में एक बाबा जी रहते हैं , जो हड्डी का ईलाज केवल भभूति और तेल से करते हैं । बस फिर क्या था राधा ने तुरंत वहाँ के लिए रवानगी डाल दी । लंबे सफर के बाद वे उस गाँव मे पहुँचे ।
बाबा ने भभूति और तेल दे दिया वो बड़े विश्वास से उसे ले आयी । इस तरह 2 से 3 सप्ताह बीत गए पर बिना सहारे के राधा का चलना मुश्किल हो गया।
सारा दिन बिस्तर में पड़े पड़े राधा की मनोदशा भी खराब हो रही थी, पर वो डॉक्टर के पास जाने को तैयार नही थी । उसे बाबा की भभूति और तेल का भरोसा था जो अब काम नही आ रहा था ।
आखिर झुंझला कर एक दिन रमन ने एम्बुलेंस बुलवा कर राधा को अस्पताल में भर्ती करवा ही दिया । राधा चिल्लाती रही ,पर उसने एक न सुनी।
सारी जांच के बाद डॉक्टर ने जो रिपोर्ट दिखाई उससे राधा की जिद और और आधुनिक ईलाज के प्रति दुर्भावना जाती रही और उसे इसका बेहद पछतावा हुआ ।

उसकी जांच रिपोर्ट ,और एक्सरे में उसकी एड़ी की बारीक हड्डी 2 जगहों से बुरी तरह टूटी थी और ईलाज जल्दी न कराने से उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो गई थी । अब केवल प्लास्टर से काम नही चलते वाला था ऑपरेशन की जरूरत थी । उसे डायबिटीज और ब्लड प्रेशर भी था जिसकी जांच उसने कभी नही कराई थी ।
उसका ऑपरेशन हुआ दवाइयां चलीं और
काफी लंबे समय तक ईलाज के बाद वो चलने फिरने के काबिल हो सकी ।
अब राधा परहेज से रहती है और समय समय पर अपने ब्लड की जांच कराती है ।

डॉ मित्तल ने उसे समझाया था ।
"देखो राधा ,निसन्देह प्राकृतिक तरीको से अपने शरीर की देखभाल करनी चाहिए , हल्दी,नीम, लसहुन्,अदरक, दही ये सब अमृत हैं साथ ही आयुवर्दिक जड़ी बूटी असरकारी होती हैं, पर आज जबकि जाँच की आधुनिक मशीनें आ गयी है, जो हमारे शरीर का परीक्षण कर अंदरूनी भाग की सटीक जानकारी देती हैं ,उसका सहारा हमे लेना चाहिए, यदि आप समय रहते नही आती तो ब्लड प्रेशर और शुगर आपको मरनासन्न कर देते या फिर आपको लकवा मार सकता था,स्ट्रोक्स आ सकता था ।
जांच और वैज्ञानिक रुप से प्रमाणित दवा आज हमारी जीवन रक्षक हैं । उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिये और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाये रखने के लिए आयुर्वेद का सेवन करना चाहिए ।"
इन बातों को सुनने के बाद राधा ने संकल्प लिया कि हर मर्ज की पहले जांच करानी चाहिए फिर ईलाज का विकल्प अपनाना चाहिये,,,,