कभी अचानक किसी विस्फोट की तरह, किसी मशीन के विशाल जबड़े में फंसकर टुकड़े टुकड़े हो जाना ,किसी तेज रफ्तार गाड़ी के पहिये के नीचे .कभी आहिस्ते से शरीर के किसी एक सिरे से रोग के संक्रमण के अजगर से निगलना शुरू ....मौत के अनगिनत रूप हैं .वो बेवजह नही आती कारण बता के आती है .हम जो अब तक जिन्दा हैं खुद को तसल्ली देते रहते हैं, ऐसा हुआ,वैसा हुआ इसलिए मौत आई .
यह मौत जब अचानक आती है तो कुछ और अहसास है और धीरे धीरे पास आती है तो कुछ और अहसास है .
कुछ इस तरह के अहसास वाले थे वे दिन ,जब चेन्नई के अपोलो हास्पिटल में मेरी भांजी को डॉक्टर ने जवाब दे दिया था . उसे जन्म से लाइलाज हॄदय रोग था . उसे हम आज से २५ साल पहले मद्रास लेकर गए थे क्योंकि यहाँ ईलाज की ऐसी कोई सुविधा नही थी . उसकी जाँच के बाद पता लगा कि एक से दो साल के अन्दर उसका हॄदय जवाब देने वाला था . उसदिन हम उदास थे . अपने बोझिल मन को बहलाने हम सब मरीना बीच गये थे . विशाल नीला समुद्र और उसकी लहरें किसी सर्प की फुफकारती जीभ की तरह लग रही थी . दूसरों के लिए वो मजेदार लहरें थी . हम लोगों के लिए आने वाली तकलीफों का अहसास थी और धीरे धीरे आती मौत की गंध .
उस कल की कल्पना से जो उस बच्ची की जिंदगी को खत्म करने वाला था मेरे नीचे से ऊपर तक सिहरन दौड़ गयी. वे हसीं नज़ारे हमे एक तरह की तकलीफ दे रहे थे . और फिर वही हुआ जो होना था . दुनिया की कोई भी दवा काम नहीं आई और एक एक दिन मौत उसके करीब आती गयी . मुझे लगा यही मौत की डरावनी गंध है . इस बुरे दौर में जब कोई उम्मीद बाकी न रहे उस पर भी कुदरत अपने पिटारे से नए नये खिलौने निकालकर हम रोते हुए बच्चों का दिल बहलाती है . दिल को मानने पर मजबूर कर देती है कि यह तो होना ही था . पर उस माँ को कोई नहीं बहला फुसला सकता जिसकी गोद में उसकी सन्तान अंतिम सांस ले रही हो ....वो लगभग आधी मर चुकी होती है अपनी सन्तान की मौत के बाद .
अंततः २४ घंटे के संघर्ष के बाद उसकी सांसे थम गयी . कल जब हम समुद्र के किनारे खड़े थे तब पानी की दहाड़ती लहरें भयानक डर पैदा कर रही थीं . आज चिता की आग की लपटें लपलपा कर आकाश को छूने को बेताब हो रही थीं और हमे डरा रही थीं . उन लपटों को नाचने में उस मासूम की देह भी साथ दे रही थी .
आग,हवा ,पानी,ये जहाँ जिन्दगी का आधार हैं वहीँ मौत की गंध भी .
धरती कहती है मेरे आँचल की मिटटी से तू बना अब तुझे उसी मिटटी में वापस आना है ...
तू बच के कहाँ जाएगा,,,तुझे मिटाने के लिए ये हवा,ये पानी और ये आग कोई कसर बाकी नही छोड़ेंगे,,,
आकाश कहता है तुझे इन हवाओं में बिखर जाना है,,,यहां तेरा कुछ भी तेरा नही है,,,
जो बच्चा आपकी गोद मे खेलते खेलते बढ़ रहा हो वो जिंदगी के सुनहरे पलों को जीना चाहता हो उसे मौत निगल रही हो यह मंज़र बेहद गमगीन और तकलीफदेह है,,,,,
समय जरूर मरहम लगा देता है पर जख्मों के निशान नही मिटते,,,आप चीखते चिल्लाते नही हैं पर अहसास हैं कि मिटते नही,,,
वक्त गुजरता गया और आधी अधूरी उसकी माँ ने एक दिन अपने प्राण छोड़ दिये क्योकि वो उसकी सबसे प्यारी बच्ची थी जिसके जाने के बाद वो हर दिन रोती रही,,,,डॉक्टर ने यहाँ तक कह दिया था कि उनके आंसू की थैली सूख चुकी है और अब इस तरह से शोक मनाते रहे तो नुकसान हो सकता है,,, उनके दो और बच्चे थे जिनसे घर मे रौनक थी पर माँ का एक हिस्सा बार बार उसी दुःख भरे दिनों की ओर लौट जाता,,,,
कैसा लगता है जब कोई अपना किसी असाध्य रोग की गिरफ्त में आ जाता है,,,जब लगता है कि उसकी चंद सांसे बचीं हैं और अब वो हमारे बीच नही रहेगा,,,घर का कोई उम्रदराज बुजुर्ग भी जब असहाय हो जाता है तब दुःख होता है,,,
धीरे धीरे करीब आती मौत का सामना करने की ताकत जुटानी होगी,,, जब जिंदगी हसीन लगती है तो ये सब कुछ खत्म कर देने वाली मौत से क्या डरना,,,बार बार दिल को ये समझाना होगा कि ए दिल तू डर मत रोज रोज कल की फिक्र में घबरा मत तू बस आज जी ले जी भरकर जब तू आज में जीना सीख जाएगा तब मौत का ख़ौफ़ तुझे नही सताएगा,,,