अधूरी ख्वाहिश Roopanjali singh parmar द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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अधूरी ख्वाहिश

वो बस दोस्त बनना चाहती थी और बन गई .. भगवान से जैसे उसे सब कुछ मिल गया.. एक मन माँगी मुराद जो पूरी हो गई......
.....

कनक नाम है इसका.. एक आम सी लड़की,
जिसकी ख्वाहिशें बहुत कम थी.. बहुत ज़्यादा कम!
उसने हमेशा समझौता किया था अपने अरमानों से, या यह कहना चाहिए कि उसने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश से ही समझौता कर लिया था।
मनन उसके कॉलेज में ही पढ़ता था। जिसे कनक दिल ही दिल में प्यार करती थी, पर कह नहीं पाई क्योंकि उसके लिए प्यार लफ्ज़ पर ही यकीन करना बहुत मुश्किल था।
इसलिए नहीं कि कभी किसी ने उसका दिल तोड़ा था, बल्कि इसलिए कि उसे प्यार से डर लगता था।
वो प्यार का केवल एक ही अंत समझती थी, और वो या तो बेवफाई थी या खो देना प्यार को।
..
बात तब की है, जब कनक अपनी पढ़ाई में मशगूल होकर किताबों को पढ़ रही थी कि अचानक एक किताब में उसने किसी की फ़ोटो दबी हुई देखी।
अरे ये तो मनन है.. कनक ने खुद से ही कहा।
कनक कुछ समझ नहीं पाई। उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे चोरी करते पकड़ा हो।
पर फिर उसे याद आया कि जब वो यह किताब कॉलेज से ले जाना चाहती थी और अपनी फ्रेंड से उसने issue कराने की बात की थी तो फ्रेंड ने बताया था कि यह बुक तो मनन के पास है।
अब कनक के समझ में यह बात आ गई थी.. कि शायद मनन ने ही गलती से यह फ़ोटो किताब में दबा दी होगी या गलती से रख कर भूल गया होगा।
अब कनक को समझ नहीं आ रहा था कि वह फोटो देने जाए, या ना जाए, और वह फोटो रख भी नहीं सकती थी। यह सोचकर वह फोटो देने गई। मनन अपने दोस्तों के साथ बैठा था कनक ने पास जाकर कहा तुम्हारी फोटो.. शायद तुमने गलती से इस बुक में रख दी थी। पहले तो मनन को कुछ समझ नहीं आया, पर बाद में वह समझ गया की उसने ही गलती से फ़ोटो किताब में रख दी थी, और मनन ने फोटो रख ली, लेकिन कहा कुछ नहीं।

कनक ने गुस्से में कहा शुक्रिया अदा करना भी नहीं आता क्या..? तो मनन को हंसी आ गई और उसने हंसते हुए कहा थैंक्स.. लेकिन कनक ने कोई जवाब नहीं दिया और वह पलट कर चली गई।
.....
फिर कुछ दिन जब कनक कॉलेज नहीं आई तो मैम ने मनन से कहा कि वह कुछ जरूरी नोट्स ले जाकर कनक को दे दे। अब मनन को कुछ समझ नहीं आया कि वह ऐसे बिना बताए उसके घर कैसे जा सकता है, और फिर घर का एड्रेस भी तो पता नहीं था, पर मैम ने कहा है सोच कर मनन, कनक की फ्रेंड से एड्रेस पूछ कर उसके घर गया..
गेट कनक की माँ ने खोला था। उन्होंने कनक को आवाज़ दी.. कनु तुम्हारा फ्रेंड आया है..

कनक आई तो चौंक गई। मनन ने छेड़ने के अंदाज़ में कहा कि मतलब 'कनु' it's a nice name..
कनक ने कहा.. कनक का short है ok..
तो मनन ने हँसते हुए कहा कि.. ok wow MATLAB 'kanak' it's a nice name..
फिर कनक ने कहा.. अच्छा! तो मनु भी कितना अच्छा नाम है.. है ना?
हाँ, क्यों नहीं.. अब और अच्छा हो गया है मिस कनु.. और ऐसा कहकर मनन हँसने लगा।
कनक ने कहा.. तुम यहाँ क्यों आये हो?
मनन ने नोट्स दिए और कहा.. मैम ने भेजा था इन्हें देने के लिए।
कनक ने कहा.. ohhh thanks
मनन ने कहा.. तुम्हें तो शुक्रिया अदा करना भी नहीं आता, चाय- कॉफी के लिए पूछोगी या नहीं..?
कनक ने कहा .. नहीं! अपने घर जाकर पीना।
तभी कनक की माँ चाय लेकर आ गयीं और मनन को बैठने के लिए कहा।
ऐंसा नहीं था कि कनक को मनन का आना बुरा लगा था, बस उसे ये नहीं पता था कि वो इतनी बातें भी कर सकता है।
..
फिर बातों का सिलसिला शुरू हुआ और एक दूसरे के घर आना जाना भी। अब तो मम्मीयां भी मिलने लगी थीं, दोनों हमेशा एक- दूसरे के बच्चों की तारीफें करतीं..
और इस तरह दोनों दोस्त बन गए,, कनक तो हमेशा से यही चाहती थी। यहां तक कि वह तो मनन से बहुत प्यार करती थी। पर खो देने की डर से कह ना सकी। मनन भी उसे प्यार करने लगा था और वह चुप रहने वालों में से नहीं था। उसने कनक को बहुत ही प्यारे तरीके से अपने मन की बात कह दी। और वह प्यार तरीका था कि उसने उसे सबके सामने मतलब दोनों फैमिली के सामने प्रपोज किया।
और i love you कह दिया।
लेकिन कनक ने उसे बहुत जोर से तमाचा मार दिया।
मनन को विश्वास ही नहीं हुआ। उसके आंसू आ गए उसने कहा क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती..?
कनक ने कहा हाँ नहीं करती.. तुम तो मेरी दोस्ती के भी लायक नहीं हो। मेरी नजरों के आगे से दूर हो जाओ और फिर कभी सामने मत आना।

ना मनन कुछ समझ पा रहा था और ना कोई और..
कनक अपने रूम में जा चुकी थी और मनन भी अपने परिवार के साथ चला गया। मनन के मन में हजारों सवाल थे, पर वो किससे पूछता। वह मनु को भूल जाना चाहता था, पर मुमकिन नहीं था वह नफरत करना चाहता था लेकिन हो नहीं पाती।
..

उसने उस दिन के बाद कनक से मिलने की बहुत कोशिश की पर हमेशा कनक नहीं मिली.. और ना कॉल ही लिए और कुछ दिन निकल गए। मनन टूट चुका था वह जानता था उसका प्यार सच्चा है फिर क्यों कनक ने ऐसा किया?
वो हर बात उससे शेयर करती थी, लेकिन इसकी वज़ह क्यों नहीं बताई? और बिना कुछ कहे उसे तमाचा मार दिया, उसकी ग़लती क्या थी?
वो जानता था कनक खोने से डरती है, लेकिन यह वज़ह नहीं हो सकती इसका भी उसे पूरा यकीन था..
उसने कनक को रोज एक ही मैसेज किया कि वो बस एक मिनट के लिए बात कर ले, बस एक मिनट के लिए मिल ले या फ़ोन उठा ले, लेकिन मनु को मैसेज का जवाब कभी नहीं मिला।
अब मनन हर हाल में जवाब चाहता था। उसने ठान लिया कि वो कनक से मिलकर ही रहेगा।
..
इस बात को हुए बहुत दिन हो चुके थे, और एक महीना होने में बस दो दिन रह गए थे। बस मनन अगले दिन कनक से किसी भी तरह मिलने के लिए घर से निकल गया। वह अपनी कार में बैठा कुछ सोच ही रहा था कि अचानक मनन को कनक की माँ दिख गयी। वो उनके पास गया और पूछा कनक कहाँ है? उन्होंने बताया कि जिस दिन वह वाक्य हुआ उसके अगले दिन ही वह बेंगलुरु चली गई थी। उसने हमारे सवालों का भी जवाब नहीं दिया। क्योंकि इतना तो मुझे भी पता है और उसके पापा को भी कि वह तुमसे बहुत प्यार करती है। लेकिन फिर अचानक क्या हुआ, क्यों उसने ये सब किया, किसी को नहीं पता। ना वह हमसे ही कुछ कहती है। यहाँ तक कि उसने हमसे बात करना छोड़ दिया है, ना हमें उसके पास जाने देती है..
बहुत रोई थी वो उस रात....
..

लेकिन फिर एकदम खामोश हो गयी।
इतना सब सुनने के बाद मनन को ऐसा लग रहा था कि वह सातवें आसमान पर है। उसे आज ये पता चला है कि वह भी उससे प्यार करती है। उसके लिए वो रोई थी। उसने कहा आंटी मुझे यकीन था कि वो मुझसे प्यार करती है पर आज इस बात का पता चला है। कहां है वो..?
मुझे आप एड्रेस दे दो मैं आज ही वहां जाऊंगा।
..
और एड्रेस लेकर वह निकल गया। फ्लाइट से जाने के कारण उसे ज्यादा टाइम नहीं लगा। वो आज इतने दिन बाद बहुत खुश था। वह पूरे टाइम कनक को सोचता रहा। हर जगह उसे कनक दिख रही थी। रात हो चुकी थी।
वह एड्रेस वाली जगह पर पहुंचा और नॉक किया।
मुंह पर कपड़ा रखे और नीचे सिर किये एक लड़खड़ाती हुए लड़की ने गेट खोला। और गेट खुलते ही वो मनन की गोद में गिर गई। मनन ने देखा यह तो कनक थी..
ब्लड ही ब्लड था कपड़ों में। वह घबराकर उसे हॉस्पिटल ले गया, लेकिन फायदा नहीं हुआ.. क्योंकि डॉक्टर ने कहा इनके पास ज्यादा वक्त नहीं है। सिर्फ 1 दिन ही है मनन बिखर चुका था। उसने कहा.. कनक को क्या हुआ है डॉक्टर? डॉक्टर ने कहा.. इन्हें ब्लड कैंसर है।
मनन बहुत रोया.. वो बेहोश कनु को देखता रहा।
जब कनक को होश आया तो उसने कनक से कहा मुझे बताया क्यों नहीं..?

कनक ने कहा बहुत देर हो चुकी थी मनु.. मेरे पास बस एक महीना ही था. जिस दिन आखिरी बार तुम मेरे घर आए थे उस दिन सुबह मुझे खून की उल्टी हुई थी.. मैं डॉक्टर के पास गई और मैंने डॉक्टर से पूछो मुझे क्या हुआ है.? डॉक्टर ने चेकअप कराया और कहा मुझे ब्लड कैंसर है। बस एक महीना ही बचा है। लास्ट स्टेज है।
मैं कुछ समझ नहीं पाई। चाहती थी चीख- चीख कर रोलूँ, लेकिन नहीं रो सकी।चाहती थी माँ-पापा और तुम्हें सब बता दूं। लेकिन नहीं बता सकी। मैं तुमसे, और माँ- पापा से कैसे कहती है, और क्या कहती है इसलिए उन्हें नाराज करके और तुमसे रिश्ता तोड़ के आ गई। यहां अनजान लोगों में।
पर देखो आज तुम्हें तब पता चला जब मैं तुमसे ये भी नहीं कह सकती कि तुम थक गए होगे, अभी आराम करो हम कल बात करेंगे और कनक रोने लगी..
..
मनन चुप था.. फिर उसने कनक को गले लगाया और कहा कनु मैंने तुमसे हर दिन, हर पल बस 1 मिनट मांगा था.. पर तुमने मुझे 1 सेकंड भी नहीं दिया।
मुझ पर एक मेहरबानी कर दो.... please मुझे आज का पूरा दिन दे दो.. बस इस आज के दिन के अलावा मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए। मैं आज में अपनी पूरी जिंदगी जीना चाहता हूँ..

मनु बोलता जा रहा था, इस बात से बेखबर कि कनु जा चुकी थी..

©रूपकीबातें