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अपना अपना हिस्सा

तकरीबन 50 साल पहले वो इलाका शहर का बाहरी भाग था,जहाँ के रहवासी प्रायः खेतिहर मजदूर थे या फिर कुछेक के पास बहुत थोड़ी जमीन थी,जिसमे वे खेती किया करते थे .उनका रहन सहन ठेठ देहाती था .इस इलाके के युवा और बुजुर्ग शहर में जाकर मिस्त्री,बढ़ई और पेंटर का काम किया करते ,उनकी ओरतें घरो में झाड़ू पोछा करके कमाती थीं . मर्दो की कमाई का बड़ा हिस्सा शराबखोरी में खर्च हो जाता . ओरतों के भरोसे बच्चो की परवरिश होती .
इन्ही के बीच का एक पात्र है रामधनी. जिसके बाप की बहुत थोड़ी जमीन थी और संताने पांच थीं मतलब रामधनी के चार और भाई थे . सभी कुछ न कुछ कमा लेते थे, पर सबको शराब पीने की आदत थी .रामधनी सबसे छोटा था ,उसे लोग ड्रिंक मास्टर कहते थे कुछ लोग तो उसे शराब का टैंकर भी कहते थे.
मैं रामधनी को रोज सुबह सायकल से काम पर जाते देखता था . और शाम को घर आने के बाद कुछ साथियों के साथ पैदल शराबभट्टी की ओर जाते देखता .वो पीकर लौटता ओर घर मे रोज महाभारत मचता . हो हल्ले केसाथ उनकी रात गुजरती . उसकी पत्नी सांवली थी किन्तु आकर्षक थी लेकिन उसके चेहरे पर शराबी पति का आतंक झलकता था . वो रामधनी के दो बच्चो की माँ थी, पति के शराबी होने के कारण घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चलता था उसे भी घरों में झाड़ू पोछा का काम करने जाना पड़ता .उनकी गाड़ी जैसे तैसे चल रही थी.
इन गलियों मे सुबह थोड़ी हलचल होती ,फिर ऊंघती दोपहरी और फिर शाम को नए नए तमाशे,कोई झूमता आ रहा होता ,कोई नाली में गिरा होता,कोई रिक्शे पर लदा बड़बड़ाते लौट रहा होता और कोई रिक्शेवाले से लुट कर लौट रहा होता. अक्सर सुनसान रास्ते पर रिक्शेवाले उनकी जेबें खाली कर फरार हो जाते, होश आने पर वे सुबह सुबह घर लौटते.
पर जैसा कि परिवर्तन कभी आहिस्ते से तो कभी तेज आँधी की तरह जिंदगी में आता है . रामधनी के साथभी कुछ ऐसा हुआ . एक तो शराब की बुरी लत उस पर एक चोंधियाने वाली घटना .उसकी जिंदगी में अचानक उथल पुथल मच गई .
हुआ यूं कि इस शहर को राजधानी का दर्जा मिल गया. पूरे राज्य का सरकारी कामकाज इस शहर से संचालित होने लगा ,बड़े बड़े ऑफिस , कॉलोनी और बाजारों के लिए जमीन की मांग बढ़ गयी ,जिसका सीधा असर इस मुहल्ले की आसपास की खाली जमीन पर भी पड़ा .जिस जमीन को हेक्टेयर में कोई लेने को राजी न होता था उसे एक एक फुट के हिसाब से खरीदा जाने लगा . बड़े दलाल सक्रिय हो गए . जिनकी थोड़ी बहुत भी जमीन थी उन्हें मुँहमाँगा दाम मिलने लगा, वे दलालो के प्रलोभन में आ गए . उनकी जमीन के बहुत ज्यादा दाम मिले ,रामधनी के भी भाग खुल गए. बंटवारे में मिली आधा हेक्टेयर जमीन का दाम 20 से 25 लाख हो गया . उसने अपने हिस्से की जमीन बेच दी . इतने सारे रुपये देखकर उसकी आंखें चुंधिया गयी. कल तक वो उधार में डूबा रहता ,पूरी पगार उसे कभी नही मिली थी . आज वो सारी दरिद्रता से मुक्त हो गया था . उसने उन पैसों से पहले अपनी झोपड़ी तोड़कर छतवाला पक्का मकान बनवाया . उसके पैसे का सदुपयोग देख मुझे हार्दिक संतोष हुआ . लेकिन उसका मकान मात्र 4 लाख में बन गया, बाकी बचे पैसे उसे दीवाना बना रहे थे, उसने उन्हें अपने हिसाब से उड़ाना शुरू कर दिया .उसने एक बाइक खरीदी, जिससे वो काम पर जाता . फिर शाम को दो चार पैग पीकर लंबी सैर पर निकल जाता.
अब उसकी जिंदगी में बहार आ गयी थी, वो पहले केवल शाम को पीता था अब सुबह से शुरू हो जाता था. कुछ मुफ़लिस उसके सच्चे यार बन गए थे .ऐसा अक्सर होता, शाम को शराब पीकर वो शहर की सड़कों पर घूमा करता .कल तक जब उसके पास सिर्फ एक सायकल थी दो चार किलोमीटर चलाना भारी पड़ता था अब तीस चालीस किलोमीटर कोई दूरी नही लगती थी .पैसे की गर्मी भी अजब होती है ,पर उस गर्मी से सबकुछ अपने हिसाब से नही चलाया जा सकता . उसने सोचा वक्त अब उसकी मुट्ठी में है, पर वक्त उसकी जड़ काटने के लिए अपनी कुल्हाड़ी में धार चढ़ा रहा था .
और एक शाम उसने कुछ ज्यादा पी ली और अपने एक साथी के साथ घूमने निकला . बात रफ्तार की होने लगी, मशीन की ताकत को अपनी ताकत के नीचे लाने की जिद में वो रफ्तार बढाता गया . कुछ शराब ,कुछ पैसे का नशा और कुछ रास्ते का अंधकार सब उसकी नजर को धुंधला कर रहे थे,जिसके कारण एक बिगड़ा ट्रक जो रास्ते मे खड़ा था, फर्लांग की दूरी से भी दिखाई नही दे रहा था, बस,,,,उसकी मोटरसायकल सीधे ट्रक से जा भिड़ी वो और उसका साथी जमीन पर ,उसके पैर बुरी तरह जख्मी हो गए, हड्डियां कई जगहों से टूट गयी .रामधनी महाशय अस्पताल में . बड़े बड़े आपरेशन हुए कई प्लास्टर और टांके लगे और अगले छः महीने अस्पताल में रहने की मजबूरी . बिस्तर पर दर्द से कराहते रामधनी का नशा गायब था .सेवा में उसकी बीबी लगी रहती .
बीवी के साथ साथ उसका एक साथी भी उसकी सेवा में लगा रहा.रामधनी की रात कराहते, दर्द से छटपटाते कटती वो लाचार हो चुका था ,उसकी लाचारी देखकर उसकी बीबी के मन मे ये ख्याल जरूर आता कि कल का शराबी शेर आज गीदड़ की तरह उसके सामने पड़ा है, जिसने सिवा ठोकरों के उसे कभी सुख नही दिया . किसी तरह उसकी सेवादारी के दो महीने बीतते बीतते उसकी बीबी ओर उसके साथी के बीच कुछ कुछ होने लगा .क्योकि वे दो ही उसके पास हमेशा बने रहते बाकि लोग केवल ओपचारिकता निभाने आते थे .दो महीने से साथ साथ रहते दोनो एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे . हालात के मारे वे दोनी लंबे समय से देहसुख के प्यासे थे . उसकी बीबी नही थी और इसका पति रहकर भी नही के बराबर था .
वो उसकी सेवा करते करते पस्त हो गयी थी ,उसे याद नही कि रामधनी कभी उसे प्यार भरी नजरों से देखा था या उसे छुआ था . वो उस छुवन से बरसो दूर थी . त्रस्त ओर पस्त पत्नी को एक सहारा मिल रहा था .एक रात रामधनी दवा ओर इंजेक्शन के असर से लगभग बेहोश था अस्पताल में सन्नाटा था ,सब दूर दूर सो रहे थे ,पर ये दोनों आस-पास ही फर्श पर चादर कम्बल डालकर सो रहे थे. आज दोनो कुछ ज्यादा ही नजदीक सो रहे थे पास पास होने की अजब मस्ती दोनों को मदहोश कर रही थी .दोनो देहसुख की कल्पना से रोमांचित हो रहे थे . उससे रहा न गया उसके हाथ उसकी कमर के आसपास चलने लगे, उसने अचकचाकर पहले उसे देखा फिर मुस्कुरा कर अपनी मौन स्वीकृति दे दी . अब ये सिलसिला अस्पताल में सेवा के साथ साथ चलने लगा दोनो एक दूसरे के प्यार में पागल होने लगे . रामधनी की बीबी को लगा कि इस बीमार का चलपाना नामुमकिन है और जो कुछ था सब पहले शराबखोरी में जा चुका था, जो बचा है वो अब अस्पताल में खत्म होनेवाला था . उसे कोई सहारा कहीं नजर नही आया . उसने भी उसका हाथ थाम लिया और एक दिन वे दोनों वहीं से भाग निकले .
बेचारा रामधनी शरीर से लाचार तो हो ही गया था अब पत्नी से भी वंचित हो गया . रामधनी का पैर ठीक न हो सका ,संक्रमण बढ़ता ही गया और एक दिन अस्पताल में वो हमेशा के लिए खामोश हो गया .
रामधनी , उसकी वीबी ओर उसके दोस्त सबका अपना अपना दुःख और सुख इन छः महीनों में अलग अलग रहा. रामधनी जिस बिस्तर पर नर्क भोग रहा था ,उसके नीचे उसकी बीबी और उसके दोस्त की हनीमून की सुखद कल्पना आकार ले रही थी और साकार हो रही थी . उसने वहाँ अपनी अंतिम सांसें ली और वे दोनों उस जगह पर अपनी सांसे जोड़ रहे थे. रामधनी के लिए सबकुछ खत्म हो रहा था उन दोनो के लिए नया शुरू हो रहा था .सब एक ही वक्त में अपने अपने हिस्से के फल का स्वाद पा रहे थे .
रामधनी के लिए ---- उसने उस दिन ज्यादा न पी रखी होती तो पैसा,बीबी और अपनी जान से हाथ न धोना पड़ता....
उसकी बीबी के लिए---- रामधनी की दुर्घटना उसकी जिंदगी में प्यार और सुकून बन कर आये थे .
उसके दोस्त के लिए---- सेवा के बदले मेवा ले लिया,,खुद लाचार किसी और लाचार का सहारा बन गया तो क्या गुनाह कर लिया?


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