हिना Ved Prakash Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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हिना

हिना

खूबसूरत हिना को पत्नी रूप में पाकर सुहैल बहुत खुश था, दिल्ली में रंजीत नगर के तीन कमरों वाले फ्लैट में अपनी गृहस्थी की शुरुआत की।

“”अब तो पूरा हफ्ता गुजर गया, कब तक छुट्टी करोगे, आज नहीं तो कल, काम पर तो जाना ही पड़ेगा, कमाओगे नहीं तो खाएँगे क्या? हिना ने सुहैल को समझाना चाहा........

“हिना मेरी जान! तुम इतनी खूबसूयत हो कि तुम्हें छोड़ कर जाने का मन ही नहीं करता, दिन रात तुम्हारे पास रहकर भी दिल नहीं भरता, ना जाने कैसी प्यास है, कुआं मेरे पास है फिर भी मेरे प्यार की प्यास नहीं मिटती।” सुहैल ने कहा........

“हाँ सुहैल, मन तो मेरा भी यही करता है कि बस तुम्हारी बाहों में जकड़ी रहूँ, कभी भी ना निकलूँ लेकिन गृहस्थी चलाने के लिए रुपए भी तो चाहिए।” हिना बोली……..

“अच्छा ठीक है, कल से मैं काम पर जाना शुरू कर दूंगा, आज तो जी भर कर प्यार कर लेने दो” और अपनी दोनों बलिष्ठ बाहों में हिना को कस कर बिस्तर पर लेट गया।

सुहैल मैकेनिक था, स्कूटर सुधारने की एक छोटी सी दुकान थी, सुबह से शाम तक काम करता तो गुजारे लायक कमा लेता, कुछ पैसे बचाकर ही उसने यह फ्लैट खरीद लिया था।

शादी के बाद घर के खर्चे बढ़ गए तो सुहैल इसी जुगाड़ में लगा रहता कि किसी तरह आमदनी भी बढ़ जाए।

उस दिन वह कश्मीरी युवक अपनी मोटर साइकल ठीक करवा रहा था, सुहैल अपने काम में लगा था, युवक वहीं दुकान में पड़े स्टूल पर बैठा था।

युवक ने कहा, “सुहैल भाई एक बड़ी समस्या आ गयी है, मैं जहां रहता हूँ मुझे वह कमरा खाली करना है, अगर आपकी निगाह में कोई कमरा हो तो बता देना, अभी तक तो मैं पेईंग गेस्ट बन कर रह रहा था, खाने की भी कोई चिंता नहीं थी, महीने में दस हजार देता था, सुबह चाय नाश्ता करके काम पर निकल जाता और शाम को आकर बस रात का खाना खाता, दिन में तो बाहर ही खा लेता था।”

“हाँ मैं बता दूंगा, आप अपना नाम और फोन नंबर एक कागज पर लिख कर दे जाओ।” सुहैल बोला........

कश्मीरी युवक ने अपना नाम ‘नसीर’ एवं फोन नंबर एक कागज पर लिख कर सुहैल को दे दिया।

शाम को घर आकर सुहैल ने घर में घुसते ही हिना को अपनी बाहों में भर लिया।

“क्या कर रहे हो, दरवाजा तो बंद करने दो प्लीज,” हिना बोली....

खाना तैयार था, सुहैल ने खाना खाते वक्त उस कश्मीरी युवक नसीर के बारे में बताया।

सुहैल बोला, “हिना अगर तू बुरा ना माने तो एक बात कहूँ, क्यों ना हम अपना एक कमरा उसको किराए पर दे दें, अभी हमें तीसरे कमरे की जरूरत भी नहीं है और दस बारह हजार रुपए बंधे बँधाये हर महीने हमें मिल जाया करेंगे, जहां तक चाय नाश्ता और खाने की बात है तो अभी तुम हम दोनों के लिए पकाती हो, इसी में तीन लोगों का भी पक जाएगा।”

हिना कहने लगी, “हाँ सुहैल, वह तो ठीक है लेकिन देख लो, पता नहीं कैसा आदमी होगा।”

“अरे भाई उसकी तुम चिंता ना करो, पढ़ा लिखा युवक है, कहीं बड़ी नौकरी करता है और सबसे बड़ी बात पक्का मुसलमान है, कभी दगा नहीं देगा, उस दिन जब दुकान पर आया था तो नमाज का वक्त हो गया, उसने वहीं चटाई बिछाकर नमाज अदा की, बता रहा था कि वह पांचों वक्त की नमाज अदा करता है कहीं भी हो किसी भी हाल में हो लेकिन नमाज पढ़ना नहीं छोडता।” सुहैल ने हिना को समझाया........

“ठीक है, जैसा तुम्हें अच्छा लगे, मुझे तो कोई ऐतराज नहीं।” हिना बोली........

“और वह युवक नसीर सुबह ही निकल जाएगा, शाम को आएगा, आकर खाना खाकर अपने कमरे में सो जाएगा।” सुहैल ने बताया........

इस तरह हिना को राजी करके सुहैल ने नसीर को बुला लिया और अपने फ्लैट का एक कमरा उसको बारह हजार रुपए महीने पर रहने के लिए दे दिया।

हर महीने बंधे बँधाये 12 हजार रुपए मिलने लगे जिसको हिना अपने पास रखती। हिना के पास पैसा जुडने लगा तो उसका लालच बढ्ने लगा, एक दिन उस युवक ने हिना की आँखों में वह लालच पढ़ लिया।

“आप लोग यहाँ बस इतना ही कमा पाते हो जिससे आपके खर्चे पूरे हो सकें, शौक पूरा करने लायक धन कमाने के लिए थोड़ी सी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।” नसीर ने हिना से कहा ........

हिना ने पूछा, “वो कैसे?”

“आप लोगों को मेरे साथ कश्मीर चलना पड़ेगा, सुहैल भाई जान मैकेनिक तो है ही, बस एक छोटी सी एक महीने की ट्रेनिंग करनी पड़ेगी, फिर देखना रुपए कैसे बरसेंगे आप लोगो पर।” नसीर ने समझाया।

हिना ने सुहैल से बात की सुहैल को भी नसीर की बात अच्छी लगी। क्योंकि सुहैल नसीर को एक पक्का मुसलमान जो ईमान का पक्का हो मानता था और उसको पूरी उम्मीद थी कि नसीर उसको धोखा नहीं देगा।

सुहैल अपनी दुकान व घर बंद करके हिना को लेकर कश्मीर के सोपोर में चला गया। नसीर का घर भी वहीं था, नसीर ने दोनों को अपने घर में ही रख लिया।

अगले दिन नसीर ने एक आदमी के साथ सुहैल को ट्रेनिंग लेने भेज दिया जो एक महीने की थी और उसको पूरा भरोसा दिलाया कि वह हिना की तरफ से बिलकुल बेफिक्र रहे, हिना अब मेरी ज़िम्मेदारी है, यहाँ इसको किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी।

नसीर ने जिस व्यक्ति के साथ सुहैल को भेजा, वह उसको सीमा पार करा कर आतंकी कैंप में ले गया जहां पर और भी बहुत से युवा आतंक का प्रशिक्षण ले रहे थे।

सुहैल समझ गया कि उसके साथ धोखा हुआ है, जिस नसीर को उसने सच्चा मुसलमान समझा था वह तो आतंकवादी देशद्रोही निकला और चुप रह कर सब कुछ सहकर अब वहाँ से निकलने का मौका ढूँढने लगा।

नसीर एक दो दिन तो ठीक रहा, तीसरे दिन उसने हिना को कमरे में बंद करके उसका शारीरिक शोषण किया, बार बार समझाने और मना करने पर भी नसीर नहीं माना, बल्कि नसीर ने हिना से कहा, “अगर अपने सुहैल को जिंदा देखना चाहती है तो जैसा में कहता हूँ वैसा ही करती रह।”

हिना भी अब समझ गई थी कि वे दोनों फंस गए हैं, वह भी चुप रहकर नसीर के सभी अत्याचार सहती रही।

नसीर हिना का बार बार शारीरिक शोषण करता रहा और हिना उसके अत्याचार सहने के साथ साथ उसके दोस्तों के भी अत्याचार सहती रही।

हिना वहाँ से निकल कर भागने का मौका ढूंढ रही थी कि एक दिन नसीर ने आकर कहा, “आज मेरे दस बारह दोस्त खाने पर आएंगे, रात में यहीं रहेंगे, मौज मस्ती भी करेंगे, किसी को भी मना मत कर देना, नहीं तो सुबह ही तेरे इस खूबसूरत जिस्म के टुकड़े काट कर कुत्तों को खिला दूंगा।”

हिना बुरी तरह डर गयी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और वह किसी भी तरह वहाँ से निकल भागने का मौका तलाशने लगी।

सुहैल को आतंकवादी कैंप में प्रशिक्षण दिया जा रह था, चारों तरफ पहरा था, कहीं कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता था।

एक दिन जब सभी थक कर सो गए तो रात के दो बजे सुहैल ने देखा कि यही मौका है यहाँ से भाग निकलने का और वह उस आतंकवादी कैंप से निकल सीधा सीमा की तरफ भागा, वहाँ रहकर उसको सीमा की दिशा का ज्ञान तो हो ही गया था।

सीमा पार करते हुए, पाकिस्तान की सुरक्षा बल की नजरों से तो वह बच गया लेकिन भारतीय सुरक्षा बल के जवान ने उसको देखते ही गोली चला दी, सुहैल भाग्यशाली था कि गोली उसे नहीं लगी और सुहैल अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर बड़े ज़ोर से चिल्लाया, “गोली मत मारना, मैं आतंकवादी नहीं हूँ, भारत का ही नागरिक हूँ, मुझे अपने पास आने दो मैं आपको सब कुछ बता दूंगा।”

जवान ने सुहैल को पकड़कर उसके दोनों हाथ पीछे बांध दिये और कैंप में ले जाकर पूछ ताछ करने लगे।

सुहैल की बातों पर सुरक्षा बल के जवानों को विश्वास नहीं हो रहा था अतः वे उससे सच्चाई जानने के लिए तरह तरह की यातनाएं भी दे रहे थे।

उसी रात सुरक्षा बलों के कैंप में एक स्त्री दौड़ते हुए और बचाओ बचाओ का शोर मचाते हुए घुसी।

यह स्त्री कोई और नहीं हिना ही थी जो उस रात पार्टी की मद में चूर नसीर और उसके सभी आतंकवादी दोस्तों को चकमा देकर भाग निकली थी।

हिना ने सुरक्षा बलों को बताया, “मैं नसीर की कैद थी, नसीर मुझ पर घिनौने अत्याचार कर रहा था, उसने मेरे पति सुहैल को न जाने कहाँ भेज दिया है।” और फिर वह बोली, “आज नसीर अपने दस बारह आतंकवादियों के साथ अपने घर में पार्टी कर रहा है।”

हिना के बताने पर सुरक्षा बलों ने नसीर के घर को चारों तरफ से घेर लिया। स्वयं को घिरा पाकर आतंकवादी घर के अंदर व ऊपर से अंधा धुंध फायरिंग करने लगे, पूरी रात फायरिंग होने पर भी आतंकवादी शांत नहीं हुए बल्कि वे और भी उग्र होकर सुरक्षा बलों पर फायरिंग करने लगे। आखिर में सुरक्षा बलों ने पूरे मकान को बम से उड़ा दिया और नसीर सहित सभी आतंकियों के परखच्चे उड़ गए।

सुरक्षा बलों ने जब हिना के मुह से सुहैल का नाम सुना तो उन्होने हिना को उस सुहैल से मिलवाया जिसको सुरक्षा बलों ने सीमा पार करते हुए पकड़ा था।

हिना अपने पति को तुरंत पहचान गयी और उससे लिपट कर रोने लगी। सुहैल ने कहा, “हमने जिस नसीर को खुदा का बंदा समझा, सच्चा मुसलमान समझा वह तो देश और धर्म दोनों का गद्दार निकला।”

सुरक्षा बलों ने हिना और सुहैल को दिल्ली भेजने का प्रबंध किया।

आज भो दोनों पति पत्नी उस समय को याद करके काँप जाते हैं और कहते हैं, “ये कश्मीर के आतंकवादी मुसलमान नहीं राक्षस हैं जिन्हे जहन्नुम पहुंचाना बहुत जरूरी है।”