वतन के सपूत Namita Gupta द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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वतन के सपूत

        वतन आजाद रहेगा
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आजाद है अपना  वतन आजाद रहेगा ।
किसकी मजाल है जो इस पर आंख धरेगा ।
मुश्किलों से हमने पाई है आजादी 
लाखों ने जिंदगी अपनी दांव लगा दी ,
सोन- चिरैयाँ  फिर से देश बनेगा ।
 आजाद , भगत सिंह जो शहीद हो गए
हंसते हुए लाखों फांसी पर चढ गए ,
कुर्बानियां इनकी न कोई व्यर्य करेगा ।
आज भी सीमा पर जो लड़ रहे सैनिक
आतंकियों के हाथों शहीद हो रहे दैनिक 
इन वीरों का सम्मान जन सौ बार करेगा ।
जिस ने खाई है सीने पे गोलियाँ ,
 पराक्रम पर जिनके लगती हैं बोलियाँ ,
 होने दो कुछ भी वो  तो अपनी जेब भरेगा ।
जातियों ‘औ’ धर्म में सबको बाँटकर ,
 हम  सब को आपस मे फिर लडाकर ,
वोटो के लिए अपनी वो रोटियां सेकेगा ।
कोई भी इस आग से  अब न खेल पाएगा,
 वो  वार हमारा नही फिर झेल पाएगा ,
 फिर सत्ता से उसको  हम बाहर  करेगा ।
आजाद है  अपना वतन  आजाद रहेगा ।।



       रास्ट्र के मतवाले होगे 
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जिंदगी में उनके उजाले होंगे
जिन्होंने मां बाप पाले होंगे ।
बात करते हैं माया ,मोह ,संसार की,
उनके जीने के ढंग भी निराले होंगे ।
ऐ, काफिर मत सेको यहां मजहबी रोटियां,
हर कूचे ,चौराहे बहुत बवाले होंगे ।
जोड़ने की बात कोई करता नहीं,
तोड़ने को लाखों जिहादी दीवाने होंगे ।
यह मेरा नहीं है ,घर ,तो तेरा जल रहा ,
कहने वालों के दिल कितने काले होंगे ।
एक मिट्टी, एक राष्ट्र, एक धर्म बना ,
उस पर चलने वाले राष्ट्रधर्म मतवाले होंगे ।
 मुँह घुमा कर मुझसे चल दिए ऐसे,
हर एहसासे -वतन हमारे  हवाले होंगे ।



         “    वीर जवानों तुम्हें नमन “
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हे! वीर जवानो तुम्हें नमन ,
रण मे तुम ल्क्ष्य संधान करो ।
जिसने भी तुम्हें ललकारा है ,
चूर उसका अभिमान करो ।।
         इस देश की रक्षा की खातिर,
         तुम प्रहरी बनकर खड़े रहो ।
         ढोकलाम हो या चुसूल हो ,
          सीना ताने अडे रहो ।।
वीर शिवाजी और प्रताप ने ,
रण मे  लहू बहाया है ।
आजाद ,भगत सिंह, बापू ने ,
दुश्मन का शीश झुकाया है ।।
            चाहे हो तूफान ,बाढ या ,
            हर आपदा में तत्पर हैं ।
             घर हो या बाहर की जंग हो ,
               करते  मुकाबला डटकर है ।।
ऐ, मेरे वतन के रखवालो ,
कुर्बानी व्यर्थ न जाएगी ।
अमर शहीदों की गाथाएं,
सदियों तक गाई जाएंगी ।।
               “ नमिता “










॥ दस्तूर निराला है ॥

गजब यह खेल है दुनिया का
अजब दस्तूर निराला है
कुछ भूखे पेट सोते हैं
कोई फेंके निवाला है ।।
         दलगत राजनीति में
         कहीं जनतंत्र खोया है ।
         कहां गए जन-- जन के वादे,
          यहाँ हर आंख रोया है ।।
यह जिसने पाई है सत्ता ,
उसी ने जम के लूटा है
शहीदों ने जो देखा था
सपना हरदम टूटा है ।।
                 यहां बहू – बेटी की अस्मत से ,
                   लोग खिलवाड़ करते हैं ।
                    किसी की कोख लुटती है,
                ‘    औ ‘   कोई देते हलाला है ।।
यहां उल्फत के चमन में
नफरतें कौन बोता है ।
कान्हा की दीवानी राधा को,
‘राणा ‘विषपान देता है ।।
                 कहीं ना रिश्ते नाते हैं
                कोई ना सखा सगा है ।
                जो भी मिलता है उसके
              मन में चले द्वंद्, ज्जाला है ।
                           यहां अपनों के मन में खोट होती है
                          उनकी बाते ही दिल को चोट देती है ।
                           जो करते तन- मन है घायल
                            उनसे खुद को मुश्किल से संभाला है ।।
      नमिता ‘प्रकाश’   




“ धरती का मस्तक चूम के ,
       हम इसको सजदा करते हैं ।
हम मातृभूमि के मतवाले ,
           अपनी जान कुर्बान करते हैं ।।“
                           ‘    नमिता’















          ॥        राम रहीम की संतानों  ॥
मत बांटो अब इंसानों को ,
राम रहीम मरियम की संतानों को ।
          उधर धर्म की बातें करते हैं ,
          वह कितने अधर्मी होते हैं ।
         औरों को ज्ञान बांटने वाले ,
         खुद कितने बेदर्द होते हैं ।।
बच के रहना सदा इन पाखंडी शैतानों सको,
मत बाँटो ……………….                                 ।
         जाति धर्म का भेद बता कर ,
          सदा हमें लड़ वाते हैं ।
          अपनों के मध्य में फूट डाल
         यह दंगे भी करवाते हैं  ।।
सदा दूर ही रखना इन तथाकथित भगवानों को ।
मत बाँटो……………………………..                          ।।
         कहीं भाषा कहीं वर्ग भेद,
         कहीं जाति , राज्य की लड़ाई है।
        इन सब ने एकजुट होकर
      अपनी आजादी पाई है
  क्या रब, खुदा ,मालिक ,भगवान,
        इन सब ने एक बात बताई है
      यह सारे जीव हैं अंश मेरे ,
      इन सब में मेरी खुदाई है ।।
अपने ही पापों में जलने दो इन शैतानों को ,
मत बाँटो ……..                                           




  ॥  ऐ वीर जवानों ॥
हे वीर जवानो सीमा पर तुम 
               प्रहरी बनकर खड़े रहो ।
जब तक सांसों में दम है
         तब तक जिद पर अड़े रहो ।
दुश्मन को जब तक गिरा न दो ,
                रण मे तुम तब तक खड़े रहो ।
चट्टान  सरीखा बन कर के,
                राहों में इनकी पड़े रहो ।
जो मातृभूमि की खातिर लड़कर ,
                   अपनी जान गवांते हैं ।
वो ही सीमा के रक्षक ,
                  असली देशभक्त कहलाते हैं ।
कमजोर हमें करने को जो
                     आतंक की फसलें बोता है ।
अपनी जाँ अपनों का साथ ,
                  फिर  अपना घर भी खोता है ।
कश्मीर हमारा है कहकर,
                  क्यों बार-बार उकसाते हो ।
क्या द्रास, कारगिल भूल गए ,
                     जग मे थू ,- थू करवाते हो ।
हे ! भारत के वीर सपूतो ,
                कुर्बानी व्यर्थ न जाएगी ।
वीर शहादत की गाथाएं ,
                   सदियों तक गाई जाएंगी ।।




        ॥   हमारा ताज कश्मीर ॥

फूलों की घाटी में किसने ,फिर यह आग लगाई है ।
छेड़ के वीर सपूतों को , शामत अपनी बुलवाई है ।।
कश्मीर है गौरव मेरा , हम इसे नहीं दे सकते हैं ।
जिसने इस पर आंख गडाई ,उसकी जा ले सकते हैं ।
हवा में जिसकी खुली हुई है केसर की मस्ती यारों ,
 केसर और फूलों से महके यह कश्मीर की घाटी है ,
अमरनाथ बाबा के दर पर अमृरत्व मिले बर्फानी में,
डल झील शिकारे में पलती कितनी प्रेम कहानी है ,
जब भी दुश्मन ने इस पर नजर है नजरे अपनी गिराई है,
इतिहास साक्षी रहा सदा उसने फिर जान गवाई है ,
कश्मीर है गौरव मेरा यह मेरे सर का ताज है,
मेरे जिगर का टुकड़ा है यह मेरा सरताज  है ।
       नमिता ‘प्रकाश “
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