चांदनी रात
दर्शिता शाह
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रात गुमसुम
रात गुमसुम है आँख गुमसुम है
होठो पे आई हुईंबात गुमसुम है
रूठ कर वो गये याद गुमसुम है
रोग दिल का लगा यार गुमसुम है
चांदनी रात में प्यार गुमसुम है
रातरानी खिली चाँद गुमसुम है
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मखमली आवाज
मखमली आवाज गुम क्या हुई ?
गज़ल अनाथ हो गई ॥
दर्द से दामन भर गया ।
दिल का चैन-ओ-सुकु ले गई ॥
होश ही उड गए सुना जग ।
उम्रभर का गम दे गई ॥
चल दिये तो जाना खोया क्या ?
पाने की चाहत अधूरी रह गई ॥
चाहो तो दोलत शौहरत ले लो ।
वो रुह-ए-पाक आवाज लोटा दो ॥
कागज़ की कश्ती बारीश का पानी ।
चंद कहानीयाँ ही रह गई ॥
शाम से आँख मे नमी सी है ।
आपकी कमी हंमेशा रहेगी ॥
फरियाद दिल मे रह जाएगी ।
आँखो से क्या बात हो पाएगी ॥
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पंखी
पंखी संग उडना चाह्ता हुं ।
आसमान में रहना चाहता हुं ॥
साथ मील जाए गर हमसफर का
अंतरीक्ष में रहना चाहता हुं ॥
पतंग तो बस बहाना है आज ।
क्षितिज में उडना चाहता हुं ॥
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नाम
होठो पे नाम है ।
हाथ में जाम है ॥
इश्क में देख सखी ।
मीला ईनाम है ॥
प्यार में आंसु का ।
क्या बलम काम है ॥
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बंधन
काश ये बंधन ना होते ।
हाथ में कंगन ना होते ॥
हुश्न युं शरमाता ना तो ।
गालों में खंजन ना होते ॥
भवरा जाता भी कहां जो ।
फूलों के जंगल ना होते ॥
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केसा ये बंधन है ?
हाथ में कंगन है ॥
हुश्न शरमाया देख ।
गालो में खंजन है ॥
भवरों के लिये तो ।
फूलों के जंगल है ॥
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शिक्षा
शिक्षा स्कुल में मिलती है।ज्ञान अनुभव से मिलता है।।
शिक्षा ज्ञान बढाती है ।
ज्ञान मान बढाता है ॥
शिक्षा परीक्षा लेती है ।
ज्ञान परीक्षा देता है ॥
शिक्षा बाहर से मिलती है ।
ज्ञान अंदर से मिलता है ॥
शिक्षा समज देती है।
ज्ञान राह दिखाता है।।***
मौसम
आज मौसम एक बडा सैलाब लेके आया है ।
हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा देखो छाया है ॥
जीस्त पे भारी पडा हे एक ही पल का ये कहर ।
साथ अपने आंधी में दुनिया बहा के लाया है ॥
पल दो पल में ओझल हुई शहरो की रोनक कहां ।
सोचते हे हम क्या खोया हे हमने, क्या पाया है ॥
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पत्थरो
पत्थरो ने तरासा है प्यार को ।
फूल मुरजा जाते है पल दो पल में ॥
दुनिया को दी है निशानी प्यार की ।
खुश्बु लूटा जाते है पल दो पल में ॥
लोग सदियों से यहां आते है ओर ।
चैनो-सुकु पाते है पल दो पल में ॥
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छांव
छांव में धूप को तरसुं ।
बूढा हुं रुप को तरसुं ॥
है मन पर बोझ बड़ा भारी
शिखरों में कूप को तरसुं ॥
कैसा नादां हुं दुनिया में ।
फ़ज़ल के सूप को तरसुं ॥
कृपा
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धूप
ठंड में धूप को तरसुं ।
ख्वाब में रुप को तरसुं ॥
आगन में भूखे बच्चो की ।
थाली में सूप को तरसुं ॥
रोशन सारा जहां करके ।
नादां हुं कूप को तरसुं ॥
रेत के सूखे समदर में ।
तृष्णा के सूप को तरसुं ॥
नग्नता है बूरी चीज तो ।
नंगा हुं कूप को तरसुं ॥
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ठंड में धूप को तरसुं ।
संग हुं रुप को तरसुं ॥
रेत के सूखे समदर में ।
तृष्णा के सूप को तरसुं ॥
नग्नता है बूरी चीज तो ।
नंगा हुं कूप को तरसुं ॥
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मेरा आकाश है कहा ?
याद की वादी है जहा .
हमसफर थे जो कल सखी ,
बैठे परदेश मे वहा .
याद की ॠत छाई है ,
आज साजन चले वहा .
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जाम होंठो से लगाने दो ।
प्यास बढती जाती है ।
जाम होंठो से लगाने दो ।।
आए है सूरालय मे पीने के लिये ।
पल दो पल खुशी से जीने के लिये ।
जीद अपनी छोडो साजन ।
नाम होंठो पे अब आने दो ॥
ईश्क कीया है तो डरना कैसा राज ।
जो भी होगा देख लेगे अब तो हम ।
प्रीत अपनी जोडो साजन ।
होंठ होंठो से लगाने दो ॥
जाम होंठो से लगाने दो ।।
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भारत
मेरे भारत की दशा देखो ।
पेट भूखा, नंगा तन देखो ॥
चोरी, भ्रष्टाचार में डूबे ।
है विदेशो में तुम धन देखो ॥
हर कही उजडी है आजादी ।
चोतरफ से उखडा मन देखो ॥
भेडिये बसते है इंसा में ।
लगता है अब देश वन देखो ॥
पैसा ही पहेचान है यारो ।
प्यार से बढकर धन देखो ॥
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जिंदगी
जिंदगी का सफर पूरा करने में तलवार की धार पर चल रहा हुं ।
हाल दिलका सुनाने के वास्ते में दीवार की धार पर चल रहा हुं ।।
हाय उनकी हस्त रेखा में मेरा ही भाग्य क्युं केद है सोचता हुं ।
जब कभी जाना तो बीच सहरे में मझधार की धार पर चल रहा हुं ।।
राह कांटो भरी और खूं में डुबे पांव, आंखोमे घेरी उदासी ।
गुमसुदा यू तडफडाते लोगो की तकरार की धार पर चल रहा हुं ।।
ताजगी, खुश्बु, चांदनी चाहो तो प्रकृति के इस रंगो में डूबो ।
सार संसार का समजाने युग से संसार की धार पर चल रहा हुं ।।
रोते है पैरोंके छाले किसमत पर, सावन के घनधोर बादल हो जैसे ।
आज कल उनसे इकरार करवाने इनकार की धार पर चल रहा हुं ।।
भ्रष्ट सरकार के विरुध्ध लोगोमें जो असंतोष है उस पर बोला ।
मुँह से चार अलफास क्या निकले अखबार की धार पर चल रहा हुं ।।
सर्दीकी कांपती रातोमें आँखोके जालोसे छन कर आता है प्रकाश ।
बंध आंखो के भीतर उभरते हुए आकार की धार पर चल रहा हुं ।।
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सावन में सूखा पडा, फागुन में बरसात ।
मौसम भी करने लगा बैमौसम की बात ॥
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परदों
आंखोसे नफरत के परदों को हटाकर देखो तुम ।
दिलोसे यादों के पन्नो को मिटाकर देखो तुम ।।
खून का सागर बहेगा जंग से नादां समज ।
रास्तोंमे प्यारकी जाजम बिछाकर देखो तुम ।।
फेंक दो हथियार सारे, लूटा दो जां देश पे ।
प्रेमके फूलोसे राहोको सजाकर देखो तुम ।।
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मुलाकात
बाद मुददत के उनसे मुलाकात हुई तो भी क्या ?
परदें में चांदनी से भरी रात हुई तो भी क्या ?
चूप के से बैठे थे यूं होठो को वो सीए हुए के ।
आंखो ही आंखो मे घंटो बात हुई तो भी क्या ?
जिंदगी लेती है इतने मोड क्यूं ये सोचता है दिल ।
जीवन की सोगठाबाजी में मात हुई तो भी क्या ?
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प्यार
प्यार अंधा होता है ।
अंधा बंदा होता है ।।
कविकी किस्मतमें सदा ।
धंधा मंदा होता है ।।
क्युं गलेमें प्यार का ।
मीठा फंदा होता है ।।
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दर्द का रिस्ता
दर्द का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।
याद का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
कैसी कैसी ये दास्ता लिखता रहता यहां ।
प्यार का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
आंखो आंखो में होते थे जो इशारे सखी ।
बात का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
लड गई कीसीसे निगाहें शरारत में यूं ।
श्याम का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
छेड दिये सजन ने दिलोके सूरो को आज ।
साझ का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
एक दिन में शरीर मिट जाएगा मिट्टीमें ।
नाम का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
युगो युगो से साथ जो गुजारी थी कई ।
सांम का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
दिल में छुपा रखा था यूं गहेरे दर्द को ।
राझ का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
बंदगी की तरह पूजा जिसको हंमेशा से ।
पाक का रिस्ता दूर तक साथ निभाता है ।।
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आस
आस को समझो सनम ।
प्यास को समझो सनम ।।
हुं अगर मैं खास तो ।
खास को समझो सनम ।।
चल रहा मधु मास है ।
मास को समझो सनम ।।
दास भी इंसान है ।
दास को समझो सनम ।।
आज मेरा वास है ।
वास को समझो सनम ।।
वक्त इक आभास है ।
भास को समझो सनम ।।
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प्रेम की भूखी
प्रेम की भूखी है ।
किस ने तक चूकी है ॥
चूस रस मनभर के ।
नव कली खीली है ॥
बंध होठ की आज ।
बात सुन सीधी है ॥
प्रेम की ऊष्मा से ।
जिंद्गी सींची है ॥
हाथ की म्हेंदी देख ।
गालों पे खीली है ॥
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तेरी यादें
तेरी यादें कभी मन से विस्मॄत ना हो ।
प्यार अपना कभी जग मे तिरस्कॄत ना हो ॥
छोड दी इस लिये हमने दुनिया कभी की ।
सांस लेना यहां शायद अधिकॄत ना हो ॥
फूल ही फूल राहोमें बिछा रखे है ।
राह तेरी कभी भी कंतकृत ना हो ॥
क्युं यही डर लगा रहता है बार बार ।
प्यार कायनात में कभी बहिस्कृ ना हो ॥
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वजह
चोंट खाने की वजह भी तो पता चले lजाम पीने की वजह भी तो पता चले ll
भूल ना पाए जिसे लाखो कोशिस के बाद lयाद आने की वजह भी तो पता चले ll
कौन सा है दर्द जो छुपाना चाहते हो llयुं मुस्कुराने की वजह भी तो पता चले ll
यू भरी महफ़िल से उठ कर पास आ गए lपास आने की वजह भी तो पता चले l
दूर जा बैठे थे मुँह फूलाके कई दिनो lबात करने की वजह भी तो पता चले l
***
ग़ज़ल
ग़ज़ल चांदनी सी धुंधली होती है lनजर चांदनी सी नशीली होती है ll
महौब्बत की राह में ली हुई हर lकसम चांदनी सी उजली होती है ll
दिलो से निभाई हुई सुनो हर lरसम चांदनी सी पाकीजा होती है ll
किसी याद मैं गुनगुनाटी प्यार की lनजम चांदनी सी रसीली होतो है ll
इश्क में सदा जुनून से जीने की llलगन चांदनी सी रंगीली होती है ll
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चांदनी रात
वो चांदनी रात के लम्हे भूल ना पाएगी आंखे । मौसम आते जाते रहेगे तुम्हें भूल ना पाएगी आंखे ।।
आप तो चल दिए उजालो को और मुस्कुराते हुए ।नशीली नजरों का नशा भूल ना पाएगी आंखे ।।
लौट के कोई वापस नहीं आया उस जहा से है पता । रूप की रानी की अदाकारी भूल ना पाएगी आंखे ।।
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