देश का महापुरुष कैसा हो ?
मास्टर जी ने आदेश दिया- 'राष्ट्रगान सुनाओ।'' छात्र ने सावधान की मुद्रा में खड़़े होकर गाना शुरू किया- ''बीड़ी जलइले जिगर में जिगर में बड़ी आगहै।''
मास्टर जी भड़क गए- ''चोप्प। ये राष्ट्रगान है बे ? 'जन-गण-मन' को भूल गया? छात्र ने कान खुजाते हुए फरमाया- ''वो तो मेरे बाप को याद है, मुझे तोयहीच्च आता है सर। एक और है- 'ढिंक चिका, ढिंक चिका।''
मास्टर बड़बड़ाया- ''बर्बाद हो गए रेे ससुरे, तुम लोग। खैर, देश के कुछेक महापुरुषों के नाम बताओ।'' छात्र ने दांत निपोरते हुए जवाब दिया- ''सर्वश्रीदाउद इब्राहिम, मल्लिका, कैटरीना, सल्लू, लल्लू आदि-आदि।''
मास्टर जी चीख पड़े- ''ये क्या मज़ाक है? मैं तुमसे महापुरुषों के नाम पूछ रहा हूं और तुम हो कि 'खलनायकों' के नाम पेले जा रहे हो ?''
छात्र हंसा- ''मैं तो महापुरुषों के ही नाम बता रहा हूँ श्रीमान्। दाउद इब्राहिम को आप महापुरुष नहीं मानते? अरे, जो शख्स देश के प्रधानमंत्री की नींदहराम कर दे, सरकार को मुसीबत में डाल दे, वह भला साधारण आदमी कैसे हो सकता है ? आजकल तो ऐसे ही महापुरुष 'मार्केट' में चल रहे हैं!''
मास्टर ने पूछा- ''तो ये भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाषचंद्र बोस आदि कौन थे ? इनके नाम तो तुम बता ही नहीं रहे हो ?''
छात्र ने चौंकते हुए कहा- ''ऐं, पहली बार सुन रहा हूँ ये नाम। कौन लोग थे ? क्या ये भी किसी घोटाले-फोटाले या बम कांड में फंसे थे ?''
मास्टर ने पहले अपना माथा ठोका, फिर बोले- ''अरे नालायक, ये लोग इस देश को आज़ाद कराने के लिए बम रखते थे, बम। घोटाले नहीं करते थे।समझे ?''
छात्र बोला- ''अच्छा-अच्छा, जैसे अपने संजू बाबा एके फिफ्टी सिक्स रायफल रखते थे ?''
अब मास्टर जी का माथा सरक गया- ''लगता है, तुमने 'पी' रखी है!'' छात्र हंसा- ''मैंने नहीं सर, मास्टर जी, आपने पी रखी है। अरे, आजकल के महानबच्चों से पूछते हो राष्ट्रगान जानते हो, महापुरुषों के नाम बताओ। ये भी कोई प्रश्न है भला ?''
''तो फिर कैसे प्रश्न पूछूं मेरे बाप, तू ही बता दे।'' मास्टर ने पूछा।
छात्र मास्साब के इस सवाल पर हंस पड़ा- ''जैसे कि मल्लिका शेरावत, राखी सावंत और पूजा बेदी जैसी हीरोइनों के शरीर पर कम से कम कपड़े होने काकारण क्या है ?''
मास्टर ने पूछा- ''चल बता तो क्या कारण है ?''
छात्र ने कहा- ''कारण साफ है। ये हीरोइनें महात्मा गांधी की सच्ची चेलियां हैं। महात्मा गांधी देश की गरीबी को देखकर लंगोटी पहनते थे, ये हीरोइनें अपनी अमीरी से ऊब कर कपड़े उतार रही हैं।''
-''देखो, तुम हद से ज्यादा बढञते जा रहे हो,'' मास्टर जी चिढ़ चुके थे- ''चुपचाप मेरे सवालों का सीदा जवाब दो। हां, बताओ देश का राष्ट्रीय फलकौन साहै।''
-''भ्रष्टाचार उर्फ घोटाला।'' छात्र ने चहकते हुए जवाब दिया- ''सबसे शानदानर, जानदार और स्वादिष्ट फल है मास्टर जी।''
-''मैं तुमसे फल के बारे में पूछ रहा हूँ।'' मास्टर जी ने प्रश्न दोहराया।
-''ये फल ही है मास्टर जी, आजकल यही फल ऐसा है, जिसे देश का हर आदमी खा रहा है। हमारे नेताओं का प्रिय फल है भ्रष्टाचार। अफसरों की जान है-भ्रष्टाचार। जिधर देखो, भ्रष्टाचार के पेड़ खड़़े हैं। आप इस 'फल' से कैसे वंचित रह गए ?'' छात्र ने सवाल किया।
गरीब मास्टर फल के नाम पर ललचाने लगा। बोला- ''मैंने बहुत दिनों से कोई फल नहीं खाया है। ये फल कहां पाया जाता है बेटे ? मुझे भी दो-चारलाकर दो न। बच्चे कह रहे थे स्कूल से लौटोगे, तो फल लेते आना।''
छात्र हँस पड़ा। कहने लगा- ''मास्टर जी, आप अपने छात्रों से कहो, तुम लोग मेरे घर ट्यूशन पढऩे आओ, वरना फेल कर दूंगा। बस इतना बोलते हीभ्रष्टाचार का फल आपकी फटी झोली में टपकना शुरू हो जाएगा। पर्चे आउट करवाओ, प्रश्न पत्रों की सत्य प्रतियां मुहैया करवाओ और मनचाहा फलपाओ।''
मास्टर ने पूछा- ''बेटे, तुम्हारे पिता क्या करते हैं ?''
छात्र ने तपाक से कहा- ''पॉलिटिशियन हैं। उनका नाम है पलटू भैया? नाम सुना होगा?''
मास्टर जी समझ गए कि लड़का इतना तेज, होशियार क्यों और कैसे है।
मास्टर जी ने छात्र की बात मान ली और भ्रष्टाचार के फल का स्वाद चख लिया अब उनके पास फटा हुआ झोला नहीं है। प्यारा ब्रीफकेस है। उनके घर केबच्चे मीठे-मीठे फल खा रहे हैं और मास्टर जी छात्रों को पढ़ा रहे हैं- 'देश का महापुरुष कैसा हो- पलटू भैया जैसा हो।''