बात उन दिनों की है, एक मकान बना कर रहना, एक मिसाल और योग्यता थी। मकान अगर मंजिले हो, तो कया बात, बहुत अमीर समझे जाने वाला शक्श....." हाहाहा, "हसता हुँ, आपने पर.... ये दोगला पन ही था..... मकान या घर या कलोनी, बीस साल तक बैंक की कर्ज़ादार थी। ईटे, सिमट, सरिया, रेता, बजरी.... और मजबूती समान की, कया कहते हो साहब ------ नहीं कारीगर ही इस को मजबूत बना सकता है, कया झूठ बोल रहा हुँ। "लो कर लो बात।" शर्मा जी मकान बना रहे हो। "

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मंजिले - भाग 1

(1) -----लम्बी कहानी एपिसोड टाइप ------ ----- मंजिले ----- बात उन दिनों की है, एक मकान बना कर रहना, एक मिसाल और योग्यता थी। मकान अगर मंजिले हो, तो कया बात, बहुत अमीर समझे जाने वाला शक्श....." हाहाहा, "हसता हुँ, आपने पर.... ये दोगला पन ही था..... मकान या घर या कलोनी, बीस साल तक बैंक की कर्ज़ादार थी।ईटे, सिमट, सरिया, रेता, बजरी.... और मजबूती समान की, कया कहते हो साहब ------ नहीं कारीगर ही इस को मजबूत बना ...और पढ़े

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