दानी की कहानी

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दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों को अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं | बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है | वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने में क्या होता रहा है ? नहीं जी ,ये दानी नाम नहीं है ,यह तो जबसे वे दादी-नानी बनी हैं बच्चों ने उनका नाम दानी रख लिया है --यानि दादी और नानी ,दोनों को यदि शॉर्ट में कहें तो दानी ! यह बड़ी मज़ेदार बात है ,जब गर्मी की छुट्टियों

नए एपिसोड्स : : Every Friday

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दानी की कहानी - 1

मीठी सुपारी --------- दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने में क्या होता रहा है ? नहीं जी ,ये दानी नाम नहीं है ,यह तो जबसे वे दादी-नानी बनी हैं बच्चों ने उनका नाम दानी रख लिया है --यानि दादी और नानी ,दोनों को यदि शॉर्ट में कहें तो दानी ! यह बड़ी मज़ेदार बात है ,जब गर्मी की छुट्टियों ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 2

पापा वो रहे (दानी की कहानी ) --------------------------- दानी जब कहानी सुनाने बैठतीं या तो अपने ज़माने की या फिर कोई पौराणिक कथा सुनाने लगतीं ,जिससे बच्चे अब तक बोर हो चुके थे इसलिए जब चॉयस की बात आती तो सबकी एक ही राय होती कि दानी अपनी ही कहानी सुनाएँ दानी भी खूब मज़े लेकर अपने बीते दिनों में पहुँच जातीं यह तबकी बात है जब दानी लगभग पाँच वर्ष की रही होंगी उन दिनों उनके पिता दिल्ली में सरकारी नौकरी करते थे ,दानी उनके पास रहतीं व वहीं एक मॉन्टेसरी ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 3

आप झूठ क्यों बोले ?(दानी की कहानी ) ------------------------------------ दानी की एक चचेरी बहन थीं शीलो जीजी (दीदी )जिनकी दानी की मम्मी के बराबर थी और बच्चे दानी से कोई छोटा ,कोई बड़ा जिनके बच्चों की दानी से प्रगाढ़ मित्रता थी यानि शैतानी वाली दोस्ती ! उनके घर भी आसपास थे अत: दानी उन बच्चों की मौसी होते हुए भी दोस्त अधिक थीं दानी अपनी बहन के बच्चों के साथ खूब उधम मचाती थीं जीजी के पति यानि दानी के जीजा जी कस्टम में कमिश्नर थे भारी रौब-दाब ! हाँ ,उन दिनों ऐसे पदों पर ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 4

प्रार्थना (दानी की कहानी ) ----------------------- दानी की एक पक्की दोस्त हुआ थी चुन्नी ,जो आज भी अमेरिका के ओहायो से उनसे अक्सर बात करती रहती हैं उस दिन फ़ोन पर दोनों ठहाके लगाकर हँस रही थीं अब बच्चों से कुछ छिप जाए ,ये संभव है क्या ? ज़रूर दानी की उन्हीं बचपन की दोस्त का फ़ोन है --- हमें भी बताइये न दानी ,क्यों हँस रही थीं? दानी ने जो कहानी सुनाई वो यह थी उन दिनों हम दोनों सहेलियाँ शायद पाँच छह साल की रही होंगी एक दिन शाम को ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 5

चंपक की माँ (दानी की कहानी ) ---------------------------- नन्ही कुनमुन खाने बड़ी चोर थी उसकी मम्मी उसका खाना दानी के पास रख जातीं दानी उसे छोटी-छोटी कहानियाँ सुनाकर खाना खिलातीं एक दिन कुनमुन को खाना खिलाते समय बड़ी प्यारी सी कहानी सुनाई दानी ने और कुनमुन रानी ने गपगप करके सारा खाना ख़त्म कर लिया वह कहानी कुछ ऎसी थी --- चंपक चूहा खाना खाने में अपनी मम्मी को बड़ा परेशान करता और तो और उसे तो स्कूल में भी टिफ़िन ले जाना पसंद नहीं था स्कूल जाते समय हमेशा माँ ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 6

पहलवान दी हट्टी (दानी की कहानी ) ------------------------------------- काफ़ी छोटी थीं दानी तब जब 'दिल्ली पब्लिक स्कूल' अपने पिता के पास दिल्ली में पढ़तीं थीं तबकी एक मज़ेदार घटना बच्चों को सुनाईं उन्होंने छुटियों में कभी-कभी उनके चाचा के बच्चे भी दिल्ली घूमने आ जाते उन दिनों उनकी एक चचेरी बहिन व एक भाई गाँव से आए हुए थे दानी के पिता ने पीछे की जाफ़री जो उन दिनों लोधी कॉलोनी के सभी क्वार्टर्स में पीछे की ओर बनी रहती थी ,उस पर ख़सख़स के पर्दे लगवा दिए थे जिससे बच्चे भयंकर धूप और लू ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 7

वो ही है (दानी की कहानी ) ------------------------ दानी की झोली में दिल्ली की सी कहानियाँ जैसे उनकी साड़ी के पल्ले में बँधी रहती थीं वो एक-एक करके उनको निकालतीं लेकिन उनके पल्लू की कहानियाँ खत्म ही नहीं होती थीं जब दानी दिल्ली में पढ़ रही थीं तब बेहद शरारती थीं ,जी हाँ --यह सब वो अपने आप बताती थीं वहाँ सब ब्लॉक्स में अर्धगोलाकार में दोमंजिले सरकारी फ्लैट्स टाइप के क्वार्टर्स बने होते थे ऊपर -नीचे अलग-अलग परिवार रहते थे उन दिनों दानी के पिता 'मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स' में 'सेक्शन ऑफ़िसर' थे ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 8

बंदर पढ़ लेंगे (दानी की कहानी ) -------------------------- दानी के बच्चे हैं ,दानी अपने बच्चों के बालपन की कहानी भी अपनी तीसरी पीढ़ी से साँझा करती रहती हैं बच्चों को बड़ा मज़ा आता ,सोचते ---जब हमारे मम्मी-पापा इतने शैतान थे तो अगर हम शैतानी करें तो क्या बात है दानी बच्चों को समझातीं-- बच्चों को शैतान होना चाहिए ,बल्कि हम बड़े भी बच्चों के साथ बच्चे बन जाते हैं ,यह कितनी अच्छी बात है तो फिर आप हमारी शैतानी पर हमें क्यों डाँटतीहैं ? डाँटती नहीं बच्चों ,मैं तुम्हें समझाना चाहती हूँ कि हमें ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 9

मर्द की ज़ुबान (दानी की कहानी ) ------------------------------ दानी बहुत बातूनी ! दादी,नानी गईं थीं लेकिन उनका बच्चा उनके भीतर कभी भी कुनमुनाने लगता सभी बच्चों को बुलातीं ,बच्चे समझ जाते दानी की अपने बचपन की कहानी शुरू होने वाली है इस बार की कहानी तो और भी मज़ेदार थी ,साथ ही एक प्रश्न भी खड़ा कर रही थी और साथ ही संदेश भी दे रही थी वह कुछ यूँ थी एक बार दानी के मम्मी-पापा कुछ बात कर रहे थे दानी की मम्मी दानी के पापा ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 10

व्हाट इज़ दिस ? !(दानी की कहानी ) ------------------------------ बात बड़ी बहुत पुरानी जब दानी की शादी हुई थी तब दानी बीस वर्ष की थीं उन दिनों हर घर में फ्रिज और टेलीफ़ोन नहीं होते थे खाना भी पहले स्टोव पर बनता जिसे प्राइमस कहा जाता था मज़े की बात की दानी को प्राइमस जलाना भी नहीं आता था दानी के घर पर तो कच्चे-पक्के कोयलों की अँगीठी पर खाना बनता था उनके यहाँ एक सेविका थी विमला ,वो घर का सारा काम करती सो उन्हें अँगीठी जलानी भी नहीं आती थी वैसे ,आप ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 11

धरती तो हरी हुई (दानी की कहानी ) ------------------------------- दानी की एक बहुत क़रीबी दोस्त उनकी दोनों बेटियाँ विदेश में रहती हैं जब भी उनके बच्चे भारत आते ,यहाँ का पर्यावरण देखकर बहुत दुखी हो जाते दानी की मित्र की बड़ी बेटी सिंगापूर में तो छोटी बेटी जेनेवा में रहती हैं बड़ी वाली के एक बेटा ,एक बेटी हैं तो छोटी के दो बेटियाँ हैं लगभग हर वर्ष भारत आने से वो दानी के बच्चों की दोस्त भी बन गईं हैं इसलिए जब भी दानी अपनी दोस्त से बात करती हैं वे अपनी बेटी के ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 12

थोड़ा गरम कर दो न !(दानी की कहानी) ------------------------------------ अब तो की शादी को पचास साल से ऊपर हो चुके हैं लेकिन यह बात तबकी है जब दानी की शादी हुई थी , उनकी उम्र शादी बीस वर्ष थी दानी के पति यानि बच्चों के दानू एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर थे तीन वर्षों में दानी के बेटे और बेटी का जन्म हो गया और जैसा दानी अपनी तीसरी पीढ़ी को बताती हैं ,उनकी नाक में दम हो गया क्योंकि दानी एक बच्चे को सुलाती थीं तो दूसरा उठ जाता था जब वे थोड़े ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 13

दानी की कहानी -------------------- दानी की नानी बड़ी बोल्ड थीं लोग कहते हैं कि दानी अपनी नानी पर गईं हैं अँग्रेज़ों का ज़माना था तब और दानी की नानी अपने एक ड्राइवर के साथ दिल्ली से बंबई गईं थीं बीच में वे अहमदाबाद भी रुकीं ,जहाँ उनकी दोस्त रहती थीं दानी बताती हैं कि उनकी नानी बिलकुल कस्तूरबा बाई जैसी लगती थीं हम बच्चों ने तो उनके मुँह से बात सुनी है वरना बच्चों को कैसे पता चलता कि दानी की नानी ऎसी थीं दानी अपनी कहानी में अपने चरित्रों का ऐसा ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 14

दानी की कहानी ------------------ महाशिवरात्रि पर कुछ प्रश्न ! ------------------------- दानी हर घर में होती हैं यदि परिवार एकसाथ,एकजुट होकर रहे बच्चों की उनसे बहुत अच्छी मित्रता होती है और वे बच्चों से घिरी रहकर कहानी या खेल के माध्यम से बच्चों को बहुत सी महत्वपूर्ण सूचनाएँ पहुँचाती रहती हैं --लेकिन यदि बच्चे एकल परिवार में पल रहे हों तो वे उस आनंद व ज्ञान से वंचित रह जाते हैं समझे न ? दानी का अर्थ है -----दादी-नानी ! और दादू-नानू भी ! ये ऐसे माया में डूबे बंदे हैं ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 15

गोलू--मुन्ना (दानी की कहानी ) --------------------------- दानी की अम्मा जी भी एक स्कूल प्रधानाचार्य थीं पूरा पढ़ाकू माहौल ! अब भला बच्चों की तो ऐसी-तैसी होगी ही न ऐसे में कितनी उम्मीदें पालने लगते हैं ऐसे परिवार के बच्चों से लोग ! ठीक है ,ज़रूरी थोड़े ही है परिवार में सारे ही पढ़ाकू हों-- आठ साल के गोलू ने कहा जब दानी अपने ज़माने की ,अपने परिवार की बातें सुनातीं नन्हा गोलू भुनभुन करता पर,आप हर समय ये ही कहानी सुनाती रहती हैं -- अच्छी बात तो है ,हम सबको यह बात समझनी चाहिए न --- मुन्ना बड़ा ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 16

दानी की कहानी(मूल से प्यारा ब्याज़ ) -------------------------------- समय के गुजरने के साथ दानी हमें और भी सचेत लगती हैं मम्मी कहती हैं हमने अपनी दादी-नानी को देखा ,इतनी उम्र में वो बिस्तर में माला लिए बैठी रहती थीं ,जो खाना मिल गया ,वो चुपके से खा लिया और ये तुम्हारी दानी हर समय रसोईघर के चक्कर मारती रहती हैं आज भी ज़बान चटकारे मारती है इनकी --! पता ही नहीं चलता --मम्मी इनसे क्यों नाराज़ रहती हैं दानी सबको अच्छी बातें सिखाती हैं ,सब बच्चों से एक्स व्यवहार करती ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 17

दानी की कहानी -------------- दानी बहुत दिनों बाद बच्चों से मिल सकीं दानी कुछ दिनों के लिए अपनी सहेलियों के साथ पर्यटन पर चली गईं थीं जैसे ही वे वापिस आईं ,बच्चों ने उन्हें अपने झुरमुट में घेर लिया सबकी आँखों में कई अन्य सवालों के साथ एक बड़ा सवाल भरा हुआ था दानी हमारे लिए क्या लाई होंगी ? लेकिन यह नहीं पूछा ,उन्होंने कहा दानी ! आप नहीं थीं तो हमें किसी ने कहानी भी नहीं सुनाई -- अब मैं आ गई हूँ न ! अब ससुनाउंगी न कहानी--- दानी व ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 18

दानी की कहानी -------------- मम्मा ! चलो न ,कब से प्रौमिज़ करती हैं पर पूरा करतीं -- चुनमुन ठुमक रही थी अब वो क्या समझे माँ की व्यस्तताएँ ! उसे अपनी शॉपिंग से काम ! कुमुद को एक ही दिन मिलता था छुट्टी का स्कूल मैं पढ़ाती थीं वे ! शनीवार को भी अध्यापिकाओं को आधे दिन के लिए जाना पड़ता हर रोज़ सुबह का समय तो पता ही नहीं चलता था पूरे घर के लिए नाश्ते-खाने की तैयारी में कहाँ बीत जाता !! महाराज खाना बनाने आते ,दानी के व ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 19

दानी की कहानी ----आपको सोचना चाहिए था न ! ------------------------------------------- दानी बच्चों के कुछ न कुछ करने को हर समय तत्पर रहतीं कभी बच्चों को कहानी सुनातीं ,कभी उनके लिए कोई कविता ही लिख डालतीं जो वे कहते ।उनके लिए खाने के लिए भी बना देतीं जबकि मम्मी थकी रहतीं थीं छोटा चीनू बड़े पाशोपेश में रहता ,मम्मा तो इतनी यंग हैं फिर भी थक जाती हैं दानी इतनी बड़ी हैं ,बुज़ुर्ग हो रही हैं फिर भी हर समय सभी बच्चों के लिए कुछ न कुछ करने को तैयार रहती हैं ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 20

दानी की कहानी -------------- दानी की ज़िंदगी में छोटे बच्चे बड़ी अहमियत हैं वैसे ये कोई नई बात नहीं है एक उम्र के बाद बच्चों का साथ ही स्वर्ग लगता है ये वही बात है न 'मूल से ज़्यादा ब्याज़ प्यारा ' अच्छा दानी एक बात बताइए --- मीनू अब बड़ी हो रही थी और बच्चों के साथ मीनू भी दानी की कहानियों,लोरियों के बीच बड़ी हो रही थी 'टीन-एज' की अपनी एक उड़ान होती है नए -नए पंख मिल रहे होते हैं ,उड़ान के लिए सीमा में बंधी इजाज़त ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 21

दानी की कहानी -------------- दानी कुछ ज़्यादा ही संवेदनशील थीं अपनी सब बातें भी बच्चों से साझा करतीं उन्होंने अपनी तीसरी पीढ़ी से अपनी बेटी की एक बात शेयर की एक दिन उनकी बड़ी बेटी रीनी ऑफिस से अपनी गाड़ी से घर आ रही थी वह घर के मेन गेट से गाड़ी अंदर रख ही रही थी कि बगीचे में लगे हुए पेड़ पर से एक डव पक्षी का बच्चा न जाने कैसे उसकी गाड़ी के आगे के टायर से टकरा गया पक्षी के मुख से हल्की सी चीं की आवाज़ ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 22

दानी की कहानी --------------- दानी की बातें जैसे मलाई कोफ़्ते ! बड़े ही मस्त बच्चे खाने से तो क्या चटकारे लेते होंगे जो दानी की कहानी से चटकारे लेते हैं उस दिन बारिश बहुत तेज़ी से पद रही थी लाइट आती,फिर चली जाती सारे बच्चे दानी के कमरे में मस्ती कर रहे थे अच्छा ! तुम लोग एक बात बताओ ,कौन है जो अंधेरे से नहीं डरता ? दानी भी कैसी बात करती हैं !अंधेरे से तो सभी डरते हैं दानी भी तो --- दानी ! क्या आप भी ---हम ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 23

दानी की कहानी ----------------- दानी के बगीचे में रंग-बिरंगे और उन फूलों में खेलते हम सब बच्चे ! कभी तितलियाँ पकड़ते कभी उनके पीछे भागते और न पकड़ पाने पर गंदा सा मुँह बनाकर रोते दानी बेचारी आतीं और हम रोते हुए बच्चों को चुप करने में उनका कितना ही समय खराब हो जाता उस दिन शिवांग भैया दानी की बात सुना रहे थे कि सोनू जी चुप न रह सके दानी को समय की क्यों परवाह थी ? उन्हें क्या कोई काम करना पड़ता था ? अरे ! करना पड़ता ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 24

दानी की कहानी --------------- शायद --नहीं शायद नहीं , अवश्य ही यह हर हर समय होता है ,होता है ,होता रहेगा कुछ सत्य शाश्वत होते हैं जैसे सूरज का ,चाँद का निकलना,जैसे स्नेह का पनपना ,माँ की चिंता --- दानी इन्हीं बातों को लेकर कुछ न कुछ सुनाती ,सिखाती रहीं अब कौन कितना सीख पाया ,यह तो कुछ पता नहीं लेकिन यह स्वाभाविक है कि जीवन में कई स्थितियाँ ऐसी होती हैं जिनमें कठिनाई के बावजूद भी हमें संभलकर आगे चलना होता है बच्चे दानी से कई बार कहते --- दानी ! आप हमें कितना सिखाती,समझाती ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 25

दानी की कहानी -------------- बच्चों के साथ का दानी का सफ़र बड़े मज़े में कट रहा है के साथ दानी को सदा अपने बालपन की याद आ जाती वे बच्चों में बच्ची ही तो बन जातीं खूब ठाठ से रहती थीं दानी ! कोई नहीं समझ पाता कि उनके मन में क्या चल रहा है ? सब बच्चे उनके साथ खेलना चाहते ,उनकी बातें सुनना चाहते उनकी इच्छा रहती कि वे दानी के पास ही बने रहें लेकिन यह संभव कहाँ था ? बच्चों के अपने कार्यक्रम ! अपनी व्यस्तताएँ ! अपने होम-वर्क ! ...और पढ़े

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दानी की कहानी

दानी की कहानी - ---------------- दानी इस बार बहुत दिनों बाद अपने नाती से मिल सकीं थीं | अधिकतर यहीं रहतीं थी लेकिन बीच में उनका मन हुआ कि वे कुछ दिन हरिद्वार रहकर आएँ | उन्होंने हरिद्वार के कनखल स्थान में गंगा के किनारे बने हुए आर्य समाज के आश्रम में एक दो कमरों की कुटिया बनवा ली थी | उनका मन होता तो वे परिवार में आ जातीं ।मन होता तब अपनी कुटिया में रहने चली जातीं | सभी बच्चे उनके साथ खेलना ,उनकी बातें सुनना बहुत मिस करते | दानी को भी परिवार में रहना अच्छा ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 26

-------------------- बड़े दिन हो गए बच्चों ने दानी की कहानी नहीं सुनी चलें आज तो उनको कहानी ही होगी वरना बच्चे दानी से नाराज़ होने में कहाँ टाइम लगते हैं मुँह फुलाकर कुप्पा हो जाते हैं आज जब बच्चे आए तो दानी मन से तैयार ही बैठी थीं कि इन्हें कहानी सुनाई जाए तो कौनसी ? उन्होंने अपने मन में सोच लिया था कि आज उन्हें नई बात बताएँगी चलो, बहुत दिन हो गए, तुम सबको कहानी सुनाती हूँ दानी ने कहा तो बच्चे खिल उठे अच्छा बताओ, कौनसी कहानी सुनोगे ? दानी ने बच्चों के ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 27

क्या ढूंढ रही हो राधा दानी ने पूछा तो राधा ने मुस्कुरा कर कहा : दानी मैं मन तेल ढूंढ रही हूँ दानी ने हंसकर पूछा : क्या करोगी नौ मन तेल का? राधा ने कहा : छुटकी कह रही थी कि ना नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी तो मैं नौ मन तेल ढूंढ रहे हैं जिससे मैं नाचने लगूं। और राधा खिलखिला कर हंसने लगी। राधा इस घर में काम करने वाले लड़की थी जो बच्चों से हर समय मजाक करती रहती बच्चे भी उसे बहुत प्यार करते थे दानी ने कहा था ऐसी ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 28

अकल बड़ी या भैंस? इसका अर्थ मालूम है दानी ने पूछा। जी, दानी इसका अर्थ तो बहुत है। ठीक है तो रोजी जी आप बता दीजिए। अब अकल का मतलब बुद्धि और भैंस वह जिसका हम दूध पीते हैं, चाय बनाते हैं। बिल्कुल ठीक, हमारी रोजी़ तो बहुत होशियार हो गई है। दानी ने खुश होकर कहा। दानी, अकल तो दिखाई नहीं देती ना इसलिए भैंस जब दिखाई देती है तो कितनी बड़ी होती है। इसका मतलब यही हुआ ना कि भैंस बड़ी है। हत तेरे की मुझे तो लगा था मेरी रोजी बड़ी ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 29

------------------------ रवि -शशि के कमरे में से आज फिर शोर आ रहा था दोनों जुड़वाँ, दोनों की एक सी ही दोनों एक ही कक्षा में और दोनों के बीच चकर-चकर एक जैसी ही न एक झुकने को तैयार, न दूसरा रुकने को दानी से दोनों ही बहुत प्यार करते, बहुत सम्मान भी ! बहुत कुछ सीखते थे उनसे ! कहानियाँ सुनने का भारी शौक ! और दानी --उनका बस चलता तो सारे बच्चों को गले में चिपकाए घूमतीं दानी पर यह बात सौ फ़ीसदी सही बैठती थी, 'मूल से ज़्यादा ब्याज़ प्यारा ' कभी-कभी ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 30

-------------------- शाम का समय था दानी बरामदे में और बच्चे बागीचे में ,हर रोज़ की तरह से चलो ,आज पड़ौस के पेड़ से चीकू तोड़ेंगे -- बच्चों में फुसफुसाहट हो रही थी दानी को पता चल गया न तो बस ----- तुम बहुत डरपोक हो --भला दानी को कौन बताएगा ? हम हर बार यही तो सोचकर शरारत करते हैं कि दानी को पता ही नहीं चलेगा -- हाँ--पर होता क्या है ? हर बार तो दानी को पता चल ही जाता है ये कोई चुगलख़ोर हमारे बीच में ही पल रहा है --- सबसे ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 31

-------------------- कुछ साल पहले दानी यू.के मित्रों के पास गईं थीं उनके वहाँ बहुत सारे मित्र हैं बहुत पहले जब वे युवा थीं तब गईं थीं इसलिए उनके मित्र उन्हें बार-बार बुला रहे थे दानी के बच्चों ने सोचा कि उम्र के ढलते दानी जाने में मज़बूर हो जाएँगी इसलिए उन्हें जाना चाहिए दानी मन से खुश भी थीं क्योंकि उनके मित्र उनसे मिलने कई बार आ जाते थे लेकिन दानी का जाना ही टल जाता था उनके सारे मित्रों की उम्र उनके ही बराबर थी इसलिए सभी को लगता ,साथ में कुछ दिन गुज़ारने ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 32

दानू ने कढ़ी बनाई ------------- दानी अपनी बातें सुनाते हुए हर बार किसी न किसी ऎसी बात का ज़िक्र जिससे बच्चों को कोई न कोई सीख मिलती इसके लिए हमने कभी उनको डाँटते हुए नहीं देखा वह बात को इस प्रकार से घुमाकर मनोरंजक तरीके से बातें सुनतीं कि हमें लगता कि हमें भी कुछ ऐसा तो करना चाहिए जो किसी न किसी के लिए उपयोगी हो समाज के लिए हम कुछ कर सकें हमें हमेशा दानी या तो झूले पर बैठी हुई मिलतीं या फिर बरामदे में अपनी उस कुर्सी पर जिस पर पहले ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 33

दानी की कहानी---खुल जा सिमसिम ------------------------ अलंकार कितना सुंदर नाम है। दानी ने ही तो रखा था लेकिन सारे उसे अल्लू अल्लू कहते। कभी-कभी तो अल्लू से वह उल्लू हो जाता वह चिढ़ जाता और कई दिनों तक खेलने न आता। अलंकार ठीक तो है न? जाओ उसके घर देखकर आओ। दानी आदेश देतीं और फिर खुलती उनकी पोल.और दानी का सुनना पड़ता व्याख्यान दानी के परिवार के बच्चों के लिए ही वह केवल दानी नहीं थीं दानी वह सबके लिए थीं यानि पूरे मुहल्ले के लिए किसी के घर में नवजात शिशु का आगमन होता ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 34

------------------- बच्चे दानी से बहुत सी बड़ी-बड़ी बातें भी करते रहते थे उन बच्चों में सभी उम्र बच्चे होते कई बार बच्चे दानी से बहुत सी बड़ी बड़ी बातें पूछ बैठते जो दानी को उन्हें समझानी ज़रा मुश्किल ही हो जातीं फिर भी वे कोशिश करतीं कि उन्हें समझा सकें दानी ! मेहनत बड़ी या भाग्य ? समझ में नहीं आता ! सौम्य ने उस दिन पूछा एक बच्चा कुछ पूछता तो सारे बच्चे उसके साथ दादी के पास आकर खड़े हो जाते और ऐसे समझने की कोशिश करते मानो सब समझ जाएँगे इसीलिए ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 35

----------------- दानी को बिलकुल पसंद नहीं था कि छोटे बच्चे चाय पीएँ उनका कहना था कि आज व्यवहार ऐसा हो गया है कि जब हम मित्रों या रिश्तेदारों के घर जाते हैं अब सब लोग ही अधिकतर चाय या कॉफ़ी पिलाते हैं आजकल छोटे बच्चों को भी चाय पिलाने लगे हैं जबकि उन्हें चाय पिलाने की कोई ज़रूरत नहीं है उनके विकास के दिन होते हैं और उन्हें कैल्शियम की बहुत ज़रूरत होती है इसलिए उन्हें दूध देना चाहिए तुम लोगों को पता है, हमारे जमाने में तो चाय-वाय होती ही नहीं थी बल्कि तुम ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 36

========= इस बार बहुत दिन बाद सारे बच्चे इक्कठे हुए थे। जैसे-जैसे बड़े होते जा रहे थे, कोई हॉस्टल कोई दूसरे शहर में कॉलेज में पढ़ने जाने लगे थे। फिर भी दानी के बिना उनका दिल न लगता। हाँ,अभी चुनमुन, तनु, चुटकी ---थे तीन / चार परिवार के बच्चे जो चाहते कि दानी उनके पास ही रहें। दानी ने हरिद्वार में अपने लिए एक जगह बना ली थी जहाँ उन्हें कई दोस्त मिल गए थे। वे सब साथ में मिलकर घूमने जाते, और बढ़ती उम्र में भी बहुत मस्ती से रहते। दानी की एक मित्र बहुत अच्छी संगीतकारा रही ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 37

दानी की कहानी ======== जब दानी गुजरात में आईं उन्होंने बहुत सी नई चीज़ें । महसूस कीं और उन्हें आश्चर्य भी हुआ | हम कैसे जान सकते थे ,उन्होंने अपने आप ही हमें बताया था इसीलिए पता चला | हम उनके बारे में बहुत सी बातें जानते थे ,जानते थे कि वे बचपन में बहुत शरारती थीं लेकिन सब उनको बहुत प्यार करते थे क्योंकि वे बहुत सभ्य व सबका कहना मानने वाली थीं | शरारत पर वे हमें भी कुछ नहीं कहतीं लेकिन उनका कहना था कि शरारत करने के लिए तहज़ीब होनी ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 38

============= दानी इतनी शिक्षित थीं कि सब बच्चों को उन पर गर्व होता था । कोई शब्द अँग्रेज़ी का या हिन्दी का उसके उच्चारण और प्रयोग के बारे में दानी बहुत सचेत रहती थीं। वे अक्सर अपनी बहू-बेटियों को समझातीं कि उन्हें अपने बच्चों की छोटी-छोटी गलतियों पर ध्यान देना चाहिए। "माँ ! इतना समय कहाँ है कि हम एक-एक शब्द को इन्हें समझाते फिरें, उलझते फिरें इन बच्चों के प्रश्नों से ?" एक दिन बातों ही बातों में दानी ने अपनी बहुरानी यानि सुमी की मम्मी से कहा था तब उन्होंने दानी को यह उत्तर दिया था। दानी ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 39

======== कैसी घनघोर बारिश थी उस दिन जब बच्चे बिना किसी को बताए जाने कब चुपचाप घर से निकलकर पहुँच गए थे | रामबाग बहुत खूबसूरत बड़ा सा बाग है जिसमें जाने कितने भिन्न-भिन्न प्रकार के पेड़-पौधे अपनी छटा बिखराए रहते हैं और अक्सर बच्चे दानी के साथ यहाँ आ पहुंचते हैं | वैसे दानी के बंगले में भी इतने रंग-बिरंगे भिन्न-भिन्न प्रकार के पौधे हैं कि हर दिन शाम को उनके बगीचे में पड़ौस के सारे बच्चों की भीड़ लगी रहती है | इस परिवार के बच्चों के साथ खेलने के लिए सारे बच्चे आ धमकते हैं | ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 40

दानी की कहानी =========== अन्नू और काव्या की वैसे तो खूब पटती थी लेकिन बस एक ही चीज़ में लड़ाई होती और वह भी ऐसे जैसे एक दूसरे के जानी दुश्मन हों | जन्म से ही पड़ौस में रहने के कारण और एक ही आयु होने के कारण स्कूल भी एक ही में प्रवेश मिल गया था और दोनों एक ही औटोरिक्षा में जाते | मज़े की बात यह थी कि एक साथ नाश्ता करते और ऐसे बाँटकर खाते कि यदि किसी कारण एक का मन खाने का न हो तो दूसरे का मन भी न हो | "ये ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 41

------------------- देवांशी को पता ही न चलता कि उसे स्कूल जाना है, रोज़ाना उसे बार-बार उठाना पड़ता | अब वह बड़ी हो रही थी और सारे बच्चे अपने आप स्कूल जाने के लिए एलार्म लगाकर अपने आप उठ जाते थे| कितनी बार तो स्कूल-बस निकल जाती और वह तैयार ही न हो पाती | दस वर्ष की होने जा रही थी लेकिन एक बार सो गई तो उसे इतनी गहरी नींद आती कि बस उसका उठना मुश्किल हो जाता था | दानी ने नियम बना दिया था कि सब बच्चों को दस बजे सो ही जाना है | बच्चे ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 42

--------------------- दानी इतने सुन्दर तरीके से किसी भी बात को समझाती हैं कि सब बच्चे मज़े से कहानी सुनते और कुछ न कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश करते हैं। एक दिन बच्चों में होड़ लगी थी, एक अपनी डींग हाँक रहा था तो दूसरा अपनी। "यहाँ आकर बैठो, तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ।" दानी ने अपनी किताब बंद करते हुए बच्चों को बुलाया। "चलो, कहानी सुनाती हूँ जो अभी कुछ दिन पहले पढ़ी है।" बच्चे दानी के पास आकर बैठ गए। क्षण भर में उनकी बहस ख़त्म हो गई और वे दानी की ओर उत्सुकता से देखते हुए ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 43

रमुआ, घर का बहुत पुराना सेवक काफ़ी दिनों से गाँव गया हुआ था | छुट्टी एक महीने की ली लेकिन जब तीन महीने बीत गए और उसका कोई आता-पता नहीं चला दानी ने पड़ौस की रमा आँटी से पूछा कि यदि कोई उनकी नज़र में ऐसा जरूरतमन्द हो जिसे काम की ज़रूरत हो तो उसे हमारे घर भेज दें | "आपके रमुआ को क्या हुआ ?" उन्होंने दानी से पूछा | "पता नहीं महीने के लिए गाँव गया था, आज तीन महीने हो गए हैं कोई खबर ही नहीं है उसकी | "दानी परेशान तो थीं हीं क्योंकि रमुआ ...और पढ़े

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दानी की कहानी - 44

दानी की कहानी =========== "आज स्कूल से आते ही क्या हो गया ? क्यों झगड़ते आ रहे हो ?" की आदत थी, कोई और हो या न हो लेकिन वे बच्चों के स्कूल जाने के समय और उनके आने के समय गेट पर ऐसे तैनात हो जाति थीं | बेशक उनके पैर दुखते लेकिन पेड़ की छाँव तले एक कुर्सी रखी ही रहती थी | फिर वे बेचैनी से उधर की ओर देखती रहतीं जिधर से बच्चों का ऑटोरिक्षा आता है | अक्षत आज काफ़ी नाराज़ लग रहा था | उसने दानी बात का उत्तर नहीं दिया और अपने ...और पढ़े

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