दानी की कहानी - 41 Pranava Bharti द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दानी की कहानी - 41

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देवांशी को पता ही न चलता कि उसे स्कूल जाना है, रोज़ाना उसे बार-बार उठाना पड़ता | अब तो वह बड़ी हो रही थी और सारे बच्चे अपने आप स्कूल जाने के लिए एलार्म लगाकर अपने आप उठ जाते थे| कितनी बार तो स्कूल-बस निकल जाती और वह तैयार ही न हो पाती | दस वर्ष की होने जा रही थी लेकिन एक बार सो गई तो उसे इतनी गहरी नींद आती कि बस उसका उठना मुश्किल हो जाता था | 

दानी ने नियम बना दिया था कि सब बच्चों को दस बजे सो ही जाना है | बच्चे उनकी बात मानते भी थे | अगर दस बजे सो जाती है तो सबके साथ उठ क्यों नहीं पाती? दानी सोचतीं | सब बच्चे लगभग उतना ही थकते थे जितनी देवांशी ! छुट्टी वाले दिनों में सब सुबह उठकर घूमने या तैरने भी जाते,उसे छुट्टी वाले दिन भी उठने में मुश्किल होती | 

समझ में नहीं आ रहा था, कैसे उसे सुबह जल्दी उठने की आदत डाली जाए | दानी का तो मानना था कि प्रात:काल का समय हर चीज़ के लिए अच्छा होता है | वह अपने बालपन की बातें भी बच्चों को सुनाती रहती थीं | उनके पिता उन्हें पढ़ाई के लिए सुबह जल्दी उठा देते | सुबह वे सब भाई -बहन उठकर, फ़्रेश होकर याद करने का काम करते, लगभग एक से डेढ़ घंटे उनकी पढ़ाई होती | उसके बाद वे स्कूल के लिए तैयार होते | 

बच्चों के लिए सुबह इतनी जल्दी उठना थोड़ा सा मुश्किल होता लेकिन दानी की बात समझने के बाद बड़े बच्चों ने महसूस किया था कि जितनी जल्दी वे सुबह में याद करने का काम कर लेते हैं, उतनी जल्दी रात में या किसी और समय नहीं कर पाते | इसलिए उन्हें सुबह जल्दी उठने की आदत पड़ गई थी और वे सब अपने अनुसार काम भी कर लेते और छुट्टी वाले दिनों में अपनी रुचि की चीज़ें करके आनंद भी कर लेते | 

एक दिन बड़े भैया देवी ---यानि देवांशी को जगाने कमरे में गए ,हमेशा की तरह अं --अं करके वह फिर करवट बदलकर सो गई | बड़े भैया भुनभुन करके दानी के पास आ गए | 

"दानी ! मेरे बस की बात नहीं है यह लड़की ---" भैया ने कहा | 

"कुछ चक्कर तो है,सारे बच्चे अपने टाइम से उठ जाते हैं,या तो यह ठीक नहीं है या फिर ---" दानी ने कहा| 

"दानी! डॉक्टर के पास ले जाते हैं इसे, ऐसा न हो कहीं इसे कुछ बीमारी हो गई हो | " भैया ने कहा | 

"कल,मम्मी पापा के साथ इसे डॉक्टर साहब के पास भेजूँगी ---" दानी ने चिंता से कहा | 

अगले दिन दानी ने बच्ची को डॉक्टर को दिखाने का प्रस्ताव रखा | उसके मम्मी-पापा उसे डॉक्टर के पास ले गए | डॉक्टर साहब ने बताया कि बच्ची की नींद पूरी नहीं होती | उसकी नींद का ख्याल रखा जाए| कुछ विटामिंस लिख दिए, डाइट-चार्ट बना दिया | कहा, बच्चों को फल आदि का अधिक सेवन करवाना चाहिए | दानी ने मन में सोचा 'आजकल के बच्चे कहाँ कुछ ढंग का खाने की सुनते हैं | ठीक डाइट न लेने से मन और तन दोनों पर असर पड़ता है | '

"दानी ! देवी को अपने पास सुलाइए, सब ठीक हो जाएगी | " बड़े भैया देवांश ने कहा | 

"ऐसा क्या हुआ ?" दानी ने चिंता व्यक्त की | 

"अपनी जान की दुश्मन हो रही है ये ---"

"क्यों ?ऐसा क्या हुआ ?" दानी ने चिंता से पूछा | 

"जब हम सब सो जाते हैं तब यह चुपचाप उठकर मेरा या अन्नू दीदी का फ़ोन चुपके से उठा लेती है और रात में न जाने कब तक उस पर गेम्स खेलती रहती है | इसीलिए तो सुबह उठ नहीं पाती और इसका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता | "

हाँ,यह तो गड़बड़ था | नींद पूरी नहीं होने से पूरे सिस्टम पर असर पड़ना था ही | 

दानी ने देवांशी को बुलाया और उससे सब बात उगलवाई | थोड़ी देर नानुकर करके उसने स्वीकार किया कि वह लगभग आधी रात तक गेम्स खेलती है | 

दानी और सब घर के लोग उससे नाराज़ थे | वह रोने लगी और उसने दानी से वायदा किया कि वह अब यह नहीं करेगी और सब बच्चों के जैसी ही अच्छी बनने की कोशिश करेगी | 

"तुम मेरे पास सो जाओ कुछ दिन फिर अपने आप आदत पड़ जाएगी,सिस्टम में आ जाओगी | "दानी ने समझाया | 

देवांशी खुशी खुशी दानी के पास सोने लगी | दानी उसे कहानी सुनातीं और वह आराम से कहानी सुनते-सुनते सो जाती | धीरे-धीरे वह सब बच्चों की तरह से रहने लगी,उसका सब सिस्टम ठीक रहने लगा | 

"मेरी अकल पर पत्थर पड़ गए थे दानी ---अब मैं सबसे अच्छी बनकर दिखाऊँगी | " देवी ने दानी से चिपटकर प्यार से कहा | 

"क्या--क्या --क्या बोली ?" दानी ने पूछा

"तुम्हें पता है इसका क्या मतलब है ?"

"जी,दानी,दिमाग खराब हो जाना | ठीक है न दानी ?"

"हाँ,तुम्हें किसने बताया?" दानी ने उत्सुकता से पूछा | 

"एक दिन दीदी कह रही थीं ,फिर उन्होंने ही मुझे समझाया था कि इस मुहावरे का यह मतलब होता है | "

वह हँसते-हँसते दानी से लिपट गई | 

 

डॉ.प्रणव भारती