दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान में गई। बोली अच्छा बहन अब हम जाती है अम्मा आ गई है । अगर उन्हें भनक भी लग गई कि हम दोनो छतपर गए थे तुमसे बात कर रहे थे तो आज पिट जाएगी हम दोनों हीं।ये कहते हुए दोनों दौड़ते हुए नीचे आई और जल्दी जल्दी काम निपटाने का दिखावा करने लगी।

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गुलाबो - भाग 1

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान में गई। बोली अच्छा बहन अब हम जाती है अम्मा आ गई है । अगर उन्हें भनक भी लग गई कि हम दोनो छतपर गए थे तुमसे बात कर रहे थे तो आज पिट जाएगी हम दोनों हीं।ये कहते हुए दोनों दौड़ते हुए नीचे आई और जल्दी जल्दी काम निपटाने का दिखावा करने लगी। ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 2

गुलाबो -२उस दिन गुड़ और सत्तू कांड को लेकर अम्मा ने गुलाबो और रज्जो खूब पिटाई की थी। साथ में ताकीद भी कर दी थी कि अब अगर कोई कांड किया तो सीधा मायके भिजवा देंगी।छड़ी की मार से गुलाबो की उज्ज्वल पीठ पर नीले निशान पड़ गए थे। उसके आँसू रज्जो से ना देखे जा रहे थे...।जैसे ही अम्मा बाहर गई। बड़ी होने के नाते रज्जो अपना दर्द भूल कर गुलाबो की पीठ पर बने गुलाबी-गुलाबी निशान देखने लगी। हल्दी वाला दूध तो ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 3

गर्मियों में जय और विजय के साथ-साथ उनके पिता विश्वनाथ भी घर आए थे। इस बार अच्छी बचत हो थी, इसलिए सोचा गया कि पक्का दालान बनवा लिया जाए। जिससे मेहमानों के आने पर घर की बहुओं को कोई परेशानी ना हो। सारा इंतजाम किया गया। रेत सीमेंट ईट सब इकट्ठा किया गया । फिर मजदूर लगा कर काम शुरू हो गया । दालान बनने में तय समय से ज्यादा वक्त लगने लगा । सभी की छुट्टियां खत्म होने लगी। विश्वनाथ जी ने फैसला किया कि वो और जय चले जाते है; विजय रुक कर काम करवाएगा। फिर जब ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 4

गुलाबो के परदेश चले जाने से रज्जो बिलकुल अकेली हो गई। पहले हर वक्त गुलाबो साथ रहती। उसकी चपलता सास की डांट भी ज्यादा देर तक याद नही रहती थी। गुलाबो जैसे रज्जो की आदत हो गई थी। उसका बचपना, उसकी अल्हड़ हंसी से रज्जो की सारी चिंता पर विराम लग जाता था। काम तो सारे वो खुद ही करती पर गुलाबो साथ साथ लगी रहती, हाथ बंटा देती, तो जी लगा रहता। गुलाबो की चांद चपड़ चपड़ उसे से उसे काम करने की ऊर्जा मिलती। वो गुलाबो को बहुत याद करती। घर का सारा काम काज निपटाते ही ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 5

जब गुलाबो से जगत रानी ने सभी को पेड़े लाकर देने के लिए और खुद के लिए पानी लाने बोला तो ना चाहते हुए भी उसे वहां से जाना पड़ा। उसे अपनी उस खास चीज की चिंता थी की कही अम्मा न देख ले। पर थोड़ी तसल्ली थी की उसने उसे अखबार के नीचे छुपा कर रक्खा है। अपनी आदत अनुसार वो चिढ़ती हुई वहां से पानी और पेड़े लाने चली गई।इधर जगत रानी को अंदाजा हो ही गया था की बक्से की सतह और अखबार के बीच में अंतर है। गुलाबो के जाते ही झट से अखबार थोड़ा ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 6

गुलाबो रज्जो से बोली, "अच्छा दीदी चलती हूं अम्मा के हुक्म के मुताबिक अपने कमरे में आराम करना है मैं तो यही तुम्हारे साथ ही लेट जाती। और जी भर के गप्पे लड़ाती । पर…" इतना कह गुलाबो मुंह बनाते हुए अपनी मजबूरी जाहिर कर रज्जो के कमरे से बाहर जाने लगी।"ठीक है छोटी जा….।" रज्जो बोली।इधर जगत रानी इसी इंतजार में बैठी ये देख रही थी की कब गुलाबो अपने कमरे में जाए। जैसे ही गुलाबो को जाते देखा, उससे पीछे ही उसके कमरे में जगत रानी भी चल दी।गुलाबो के कमरे में जाते ही कुछ देर बाद ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 7

भाग 7आपने पिछले भाग में पढ़ा की गुलाबो परिवार वालों के साथ गांव आती है। उसके मां बनने की होने पर जगत रानी बहुत खुश होती है। अब वो इस हालत में गुलाबो को शहर नही भेजना चाहती है। इधर गुलाबो ने अपना सारा सामान सहेज कर बक्से में रख लिया है। पर जगत रानी उसकी बजाय इस बार बड़ी बहू रज्जो को साथ भेजने का विचार व्यक्त करती है। अब आगे पढ़े।गुलाबो भोली भाली थी पर उसे गुस्सा भी बहुत आता था। रसोई में सास की बातें उसे तीखी मिर्च से भी तीखी लग रही थी। अब उसे ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 8

भाग 8रज्जो पति,देवर और ससुर के साथ शहर पहुंची। गंभीर रज्जो को बाहर के माहौल से कोई लेना देना था। वो वहां पहुंच कर जल्दी ही अपनी छोटी सी गृहस्ती में रम गई। खाना पीना और घर का सारा काम तो गुलाबो भी करती थी। पर रज्जो की बात ही अलग थी। वो बेहद कुशलता से झट पट सारे काम निपटा देती। उन्हें साथ ले जाने टिफिन भी देती। जबकि गुलाबो सिर्फ सुबह ही उन्हें कुछ बना कर खिला पाती थी। रज्जो ज्यादा बातूनी नही थी तो पास पड़ोस की महिलाओं से भी कोई खास लगाव नहीं रक्खा था। ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 9

भाग 9धीरे धीरे करके गुलाबो का गर्भावस्था समय कट रहा था। शुरुआत में तो राज रानी ज्यादा जोर नही थी किसी भी काम के लिए। पर छह महीने बाद वो उसे थोड़ा बहुत काम उससे करने को कहती। ना काम करो तो भी थोड़ा चलो फिरो जिससे बच्चे के जन्म में कोई परेशानी नहीं हो। पर गुलाबो को आराम करने की तलब लग चुकी थी। वो खुशी से कुछ भी करना नही चाहती थी। अब समय बिलकुल करीब आ गया था। घर में कोई मर्द नही था। राज रानी अकेले क्या क्या कर पाएगी..? इस बारे में सोच कर ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 10

भाग 10विजय बड़े ही उत्साह से भरा हुआ अपने घर पहुंचा। राज रानी तो उसका इंतजार कर ही रही पर गुलाबो को कुछ पता नही था की उसका पति विजय आ रहा है। कुछ उसके गर्भावस्था के कारण और कुछ उसके आलस ने उसका वजन बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। उस दिन भी सास के हाथों का स्वादिष्ट खाना खा कर वो सो रही थी। हमेशा की तरह खाना खाने के बाद नींद आने पर बहाना बनाया की अम्मा मेरा पेट दुख रहा है। और सदा की भांति राज रानी भी दिलासा देते हुए बोली, "घबरा ना बहू, जा ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 11

पिछले भाग में आपने पढ़ा विजय अम्मा के बुलाने से घर आता है। गुलाबो के लिए वो सब से कर साज श्रृंगार का सामान लाता है। वो गुलाबो को उसे दे नही पाता अम्मा बीच में आ जाती हैं। अब आगे पढ़े। वैसे तो गुलाबो कोई बहाना बना कर खाना बनाने से अपनी जान बचा लेती। पर आज तो विजय आया था।तन मन एक नई स्फूर्ति से भर गया था। आज उसका दिल किसी भी बहाने जी चुराने का नही कर रहा था। काम वाली महाराजीन आ गई थी। पर गुलाबो आज सब कुछ विजय की पसंद का बना ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 12

भाग 12गुलाबो प्रसन्नता से विजय का लाया सामान देख रही थी। कभी वो अपने हाथ हिला कर चूड़ियां खनकाती कभी विजय की लाई हुई लिपिस्टिक होठों पर लगाती। उसने सुरमा भी अपनी आंखो में सजा लिया। विजय गुलाबो को देख कर प्रेम से सराबोर हो रहा था। गुलाबो ने देखा विजय मुग्ध है उसे देख कर। यही सही वक्त है अपनी बात रखने का। विजय कभी नही टालेगा उसकी बात। तभी गुलाबो इठलाते हुए उलाहना देते हुए बोली, "देखो जी.! मुझसे अम्मा का चिक चिक नही सहा जाता। वो हर बात में मुझे सुनाती रहती है। अब तुम बताओ...क्या ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 13

भाग 13पिछले भाग में आपने पढ़ा की मां की मदद के लिए विजय शहर से गांव आता है। जिससे के प्रसव के समय अम्मा को कोई परेशानी ना हो। विजय के आने के कुछ दिन बाद ही वो दिन भी आ गया जिसकी सभी को प्रतीक्षा थी। अम्मा विजय से दाई अम्मा को बुला कर लाने को कहती है। अब आगे पढ़े।विजय दाई अम्मा को ले कर घर पहुंचता है। जगत रानी उसी की प्रतीक्षा दरवाजे पर खड़ी कर रही थी। जैसे ही दाई अम्मा आई जगत रानी बोली, "दाई अम्मा मुझे गुलाबो के अंदर परिवर्तन दिख रहा है। ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 14

भाग 14गुलाबो मन ही मन रोज सपने संजोती की अब वो यहां से चली जायेगी। बच्चे का गहरा रंग भी अच्छा नहीं लगता था। पर अपनी औलाद थी इस लिए स्वीकार करना ही था। पर वो मन ही मन सोचती शहर जाऊंगी तो खूब अच्छी अच्छी क्रीम खरीद कर मुन्ने को लगाऊंगी तो जरूर इसका रंग साफ हो जाएगा। ये सोच कर गाढ़े रंग का मलाल थोड़ा कम हो जाता।विश्वनाथ जी जितनी छुट्टियां ले कर आए थे उससे ज्यादा रुक गए थे। अब बस जल्दी से जल्दी जाने की तैयारी थी। जाने की तैयारियों में गुलाबो का ध्यान लगा ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 15

भाग 15आपने अभी तक पढ़ा की शहर जाने की तैयारी हो चुकी है और सुबह विजय देर तक नही जगत रानी उसे जगाती है। फिर जल्दी तैयार होने को बोलती है। अम्मा की बात सुन विजय रात की बात याद दिलाता है उन्हें की उन्होंने ही तो मना किया है जाने से ये कह कर की तू यहीं रह।अम्मा विजय की बात सुन बहुत नाराज हो गई। वो बोली, "तेरा दिमाग खराब है..? मैने तुझे जाने से रोका..? अरे..! वो तो मैने व्यंग किया था तुझे। और तू सच मान बैठा…? अरे …! बावरे एक बच्चे का बाप बन ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 16

भाग 16पिछले भाग में आपने पढ़ा की विजय शहर नही जाता गुलाबो की इस शर्त की वजह से की तो उसे भी साथ ले जाए या खुद भी नही जाए। गुलाबो की दूसरी बात मान विजय भी नही जाता। अब आगे पढ़े।समय लगता है पर विजय धीरे धीरे कर के खेती बारी के सारे काम सीख जाता है। नौसिखिए विजय को जगत रानी बताती, समझाती रहती की कब और कितना खाद डालना है, कब किस तरह बीज डालना है, कब कब और कितनी बार सिंचाई करनी है..? सब अम्मा के देख रेख में विजय अच्छे से सीख ले रहा ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 17

भाग 17जितने भी दिन रज्जो गांव में रही कोई भी दिन बिना तानों के नही बीता उसका। गांव या से कोई भी अगर मिलने आ जाता तो जगत रानी का रोना शुरू हो जाता। दबे स्वर में ही सही पर वो रज्जो को बांझ कहने लगी। वही गुलाबो की सारी गलतियां बस पोते को दे देने से माफ हो गई थी। अब रज्जो भी घर ज्यादा दिन नहीं रुकना चाहती थी। बात बात पर अपमान से अच्छा था की वो लखीमपुर ही रहती। रज्जो भले ही जय से कुछ नही कहती थी। पर जय भी कोई अंधा, बहरा तो ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 18

भाग 18जगत रानी रज्जो को बांझ समझती थी। पर इस तरह सामने से कभी बांझ का संबोधन नही दिया सास जगत रानी के आदेश पर गुलाबो ने जेठानी रज्जो के हाथ से भोग की थाली ले ली। गुलाबो के भोग की थाली हाथ से लेते ही रज्जो बुत बन गई। जगत रानी गुलाबो और बच्चों को साथ लेकर पूजा करवाने मंदिर चली गई। साथ ही रज्जो को आदेश दिया की गेंहू रक्खा है शाम के खाने के लिए आटा नही है। जाता (घरेलू आटा पीसने की चक्की) में वो गेंहू पीस डाले। जगत रानी गुलाबो और बच्चों को ले ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 19

भाग 19पिछले भाग में आपने पढ़ा की जगत रानी रज्जो को बांझ कहते हुए मन्दिर ले जाने से मना देती है। रज्जो को जय का दोस्त रतन तसल्ली देता है की वो जरूर मां बनेगी। अब आगे पढ़े।रज्जो के उठ कर रसोई में जाते ही दबे स्वर में जय रतन से बताने लगा, "यार अब तू ही बता की मैं अम्मा का क्या करू..? जब भी वो मुझे अकेले पाती हैं, दूसरी शादी की बात करती है। अब तू ही बता… क्या बच्चा नहीं हो रहा तो मैं दूसरी शादी कर लूं..? रज्जो जिसे सात जन्मों तक साथ निभाने ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 20

भाग 20पिछले भाग में आपने पढ़ा की जय, रतन की बताता है की अम्मा उसकी दूसरी शादी करवाना चाहती पर उसने इनकार कर दिया। जय अम्मा के तानों से रज्जो को बचाने के लिए छुट्टी बाकी खत्म होने के पहले ही चला जाता है। विश्वनाथ जी। घर बनवाने के लिए कुछ दिन और रुक जाते है। अब आगे पढ़े।जैसे जैसे समय बीत रहा था रज्जो की गोद भरने में देरी हो रही थी। उसकी ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ती जा रही थी। सुबह शाम उसकी आराधना का समय बढ़ने लगा। वो हर वक्त करुण स्वर में मां विंध्यवासिनी की ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 21

भाग 21पिछले भाग में आपने पढ़ा की रज्जो को आभास होता है की वो मां बनने वाली है। उसकी पाठ, भक्ति का प्रसाद उसे अम्बे मां ने दे दिया था। इस खबर से दोनों के जीवन में खुशियों की बरसात होने लगती है। अब आगे पढ़ें।जय भले ही अपने मन की व्यथा रज्जो से नहीं व्यक्त करता था, पर दुख उसे भी होता था रज्जो के लिए बांझ की उपमा सुन कर। और वो भी कोई बाहरी कहता तो उसकी भावना को उतनी ठेस नहीं पहुंचती..? पर खुद अपनी ही मां से रज्जो के लिए बांझ शब्द सुनना ज्यादा ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 22

भाग 22पिछले भाग में आपने पढ़ा की रज्जो को अपने मां बनने की आहट सुनाई देती है। कुछ समय जय उसे घर अम्मा की देख रेख में छोड़ जाता है। पर जगत रानी उसे अलग उसके घर के हिस्से में रहने को बोलती है। सास की आज्ञा का पालन कर रज्जो घर के अपने हिस्से में रहने लगती है। और जय वापस चला जाता है। अब आगे पढ़े।रज्जो जब भी गुलाबो के बच्चों को देखती बुलाने का इशारा करती। बच्चे पहले तो अपनी मां और दादी के डर से नहीं आते थे। पर कुछ समय बाद जैसे ही वो ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 23

भाग 23पिछले भाग में आपने पढ़ा की सास जगत रानी, रज्जो को ताना देती है की मां नही बन रही तो वो उसका ढोंग कर रही पेट पर साड़ी लपेट कर। इस बात से आहत रज्जो बिखरने लगती है उसे सास की ही बात सच लगने लगती है। वादे के मुताबिक जय जल्दी ही घर आता है। अब आगे पढ़े।इधर जय को अकेले पाते ही जगत रानी उससे भी वही बात कहने लगी बोली, "जय बेटा तू शादी को राजी नहीं होता..? और तेरी ये रज्जो पेट पर साड़ी बांधे घूम रही है। अब साड़ी बांध कर पेट तो ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 24

भाग 24पिछले भाग में आपने पढ़ा कि जय, रतन से मिलने उसके घर जाता है। रतन से अपनी दिल परेशानी बताता है। रतन उसे सुझाव देता है की वो पास के शहर में चला जाए और रज्जो भौजी की जांच करा ले सब पता चल जायेगा। जय रतन की बात मान रज्जो को ले कर शहर जाता है। अब आगे पढ़ें।जय रतन के बताए अनुसार रज्जो को ले कर पास वाले शहर जाता है। वहां के जिला अस्पताल में वो बड़े डॉक्टर साहब को दिखाता है। डॉक्टर रज्जो की जांच करते है। रज्जो की परेशानी पूछते है। रज्जो डॉक्टर ...और पढ़े

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गुलाबो - भाग 25

भाग 25पिछले भाग में आपने पढ़ा की जय, रज्जो को आश्वस्त करने के लिए एक्स रे करवाता है। सब ठीक होने पर डॉक्टर की राय से रज्जो को अपने साथ ले कर चला जाता है। अब आगे पढ़े।वैसे तो उस वक्त गर्भ के समय डॉक्टर को दिखाने का चलन नहीं था। पर रज्जो की बात अलग थी। इस कारण जय रज्जो को डॉक्टर को दिखाता था। जय रज्जो की पूरी देख भाल करता। घर के काम काज में भी सहयोग करता। कोई भी भारी काम उसे नही करने देता। समय अपने रफ्तार से चल रहा था। धीरे धीरे वो ...और पढ़े

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