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मिडिल क्लास के कारनामे

मिडिल क्लास के कारनामे

सब कुछ अच्छा चल रहा था | अच्छा का मतलब पैसे को लेकर कोई खिटपिट या मचमच नहीं चल रहा था, उस 2 बी. एच. के. वाले फ्लैट में जिसमें अक्सर ही घर का बजट गड़बड़ा जाता था कभी सोहन की टयूशन फीस को लेकर तो कभी मीना की स्पोर्ट्स क्लास के चलते और इससे मुक्ति या निजात पा ली जाय तो अम्मो की बी पी और शुगर की दवाई सबकी खुशियाँ ले डूबती | ये तो बहाने थे लोगों को बताने के, ताकि लोग समझे कि कितने जोड़ तोड़ करने पड़ते हैं फ्लैट में रहनो वालों को, भले ही कितना कमाएं !! लोग कौन थे ! पड़ोसी नहीं ! पड़ोसी से क्या छिपेगा रिश्तेदारों के सामने मोबाइल पर बेचारे जरुर बन जाते थे और जब तब मिडिल क्लास होने का रोना रो देते थे | कौन देखने आ रहा है! इतनी दूर १००० किलोमीटर और आ भी जायेगा तो एक आध दिन से ज्यादा रुकने ही कहाँ देते हैं ये लोग | दरअसल बात ये थी कि उन सभी के महंगे शौक अधूरे रह जाते थे मसलन शर्मा जी का गोल्फ क्लब के डोनेशन, मिसेज शर्मा जी की किटी पार्टी, बच्चों का प्ले स्टेशन का सपना तो एक जवान सपना बनकर रह गया था, हजारों का खेल था और पूरा होता भी तो कैसे जब भी ये बात उठती तो बच्चों की दादी टप से बोल पड़ती थीं कि घर में अगर प्ले स्टेशन आया तो उनकी अर्थी का इंतजाम पहले कर दिया जाय फिर बच्चों का उनके तकिया और पंखे को उनके सर के ऊपर से उछालकर खेलना, फिर अम्मो का चिल्लाना, सब कुछ बड़ा ही नाटकीय दृश्य हो उठता था |

बच्चों की दादी यानी अम्मो!! अम्मो इसलिए क्यूंकि सब उन्हें इसी नाम से बुलाते थे | मिस्टर शर्मा को पैदा करके उन्होंने कुछ ज्यादा ही कृपा कर दी थी जो इस उपाधि से विभूषित थीं | उनको इस बात से सख्त चिढ़ थी कि बच्चे धीरे से, इंसान की बजाय रोबोट बन जायें और फिर एक दिन कहें - आई ऍम नोट योर स्लेव, चार्ज मी ओर आई विल किल यू !! अरे!! पहले प्ले स्टेशन फिर मोबाइल फिर कंप्यूटर, और न जाने क्या क्या !! पहले से ही इलेक्ट्रोनिक खिलौने कम थे क्या बच्चों के पास!! हर वक़्त जब भी मौका पाकर, मीना रिमोट वाली कार घर में कठपुतली की तरह नचाती थी उपर से

सोहन के हैण्ड विडियो गेम की आवाज़ हर वक़्त सुई की तरह अम्मो के कान में चुभे ये तो कतई बर्दाश्त वाली बात नहीं !!!

कुछ दिनों बाद दिवाली थी | हर बार दिवाली में इस घर का बजट वास्तव में गड़बड़ा जाता था | अरे! गज़ब के उत्साही थे और धार्मिक और परम्परावादी भी फिर चाहे पटाखे दगाने की बात हो या गणेश लक्ष्मी पूजन हो या फिर बालकनी में झालरों से जगमग रोशनी करने की बात हो | किसी काम में पीछे नहीं था शर्मा परिवार का एक भी सदस्य | हर बार उत्साह से दिवाली क्या हर पर्व मनाते थे |

सबको सारी रस्मे पूरी करनी होती थीं | मिडिल क्लास हाई सोसाइटी में ढल भी जाय तो भी स्टीरियोटाइप होने से बच नहीं सकता शायद अनचाहे तरीके से बायोलॉजिकल फैक्टर जींस नामक चीज़ ये सब उनसे करवा देती हो|

सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं | मिस्टर शर्मा को नहीं टाइम तो मिसेज शर्मा टाइम निकाल लेती थीं और दीवाली की तैयारियां पूरी हो जाती थीं | इस बार भी धूम धड़ाका करने की पूरी तैयारी थी | मिस्टर शर्मा नीचे पार्किंग एरिया में कहीं जगह ढूंढ रहे थे जहाँ पटाखों की फुलझड़ी छोड़ सकें और हर बार की तरह उनके चर्चे कॉलोनी में हर जगह फ़ैल जाय

लेकिन वे उत्साही नज़र नहीं आ रहे थे माजरा क्या था !! किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था | घर में सभी खुश थे, दिवाली का दिन जो था आज पूजा पाठ का समय हो रहा था | सब यही सोच में पड़े थे कि कौन उनसे पूछे कि मुहं पर बारह क्यूँ बजे हैं !!! पर इतनी हिम्मत कौन करता यहाँ तक कि मिसेज शर्मा भी ये जोखिम लेने से घबराती थीं | उसके पीछे केवल यही कारण था कि मिस्टर शर्मा एक जिंदादिल और खुशमिजाज इंसान थे हर किसी को बातों बातों में ही हंसा देते थे | जिससे मिलते थे उसका मुरझाया चेहरा खिल उठता था |

मिसेज मल्होत्रा ही ने एक बार पूरी कॉलोनी में सुर्खियाँ बटोरीं थी जब मिस्टर शर्मा के बुझे चेहरे पर फूल बिखेर दिए थे दरअसल उस दिन वह अपने फैवरेट पेन के खो जाने को लेकर बहुत निराश थे तो मिसेज मल्होत्रा ने ही एक टेलीग्राम उनके हाथ में थमाया था जिसको देखते ही वह झूम उठे थे, सब हैरान थे उनका ये रूप देखकर | बात बड़ी थी या छोटी ये किसी को सही पता नहीं लग पायी थी | मिस्टर शर्मा बड़ी ही सफाई से सबका दिल बहला ले गए थे लेकिन क्रेडिट मिसेज मल्होत्रा को ही मिल गया था |

वाह !! भई ! वाह आपने तो कमाल ही कर दिया | हम लोग तो बड़े परेशान हो रहे थे कि सेक्रेटरी की पोस्ट मिस्टर शर्मा को छोड़ अब किसी और को ही देनी पड़ेगी | हम लोग भी सोचें कि ये दिल एक पल के लिए भी कैसे मर सकता है जो सबमें जान फूंकता है |

ये रिस्क आज भी मिसेज मल्होत्रा को ही लेना था | घर के सब लोग उन्हें याद करने लगे |पता लगाया जाय कहाँ हैं वह

सोहन !!! मीना जरा जाकर देखो तो !

इधर महूर्त का टाइम निकला जा रहा था, बच्चे नीचे वाली फ्लोर पर, अम्मो और मिसेज शर्मा घर के अन्दर और मिस्टर शर्मा का पता नहीं था लेकिन पूजा पाठ कौन छोड़ता !! वह भी गणेश लक्ष्मी पूजन | धर्म की बात थी तो सब लोग रम गए जो जहाँ पर था वहीं का होकर रह गया बच्चे मिसेज मल्होत्रा के घर दिवाली मनाने लगे |

अम्मो !! और मिसेज शर्मा घर के अन्दर जोरों से मंत्रोचारण करना शुरु कर चुके थे | ऊपर से नीचे तक उनकी आवाजें सुनी जा सकती थी | सामने उनके फूल मालाओं से शुशोभित गणेश लक्ष्मी की मूरत थी | लेकिन मनोकामना पैसे और सुख सम्पति की नहीं, मिस्टर शर्मा की खुशियों की थी| घर की असल लक्ष्मी का पति आज महत्वपूर्ण मौके पर गायब था !! कौन सा वह मन्त्र था जिससे वह ख़ुशी ख़ुशी वापस आ जाते !! पर उनके घरवाले दुखी तब भी नहीं थे, अच्छी तरह से जानते थे कि जहाँ भी होंगे शर्मा जी दिवाली मनाना नहीं भूले होंगे |

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