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जुदाई...

पूजा ने दरवाज़ा खोला ही था कि रवि हंसता हुआ सामने से आता दिखा। ओहो !

आप आ गए पूजा के चेहरे पर भी मुस्कुराहट के गहरे भाव साफ दिख रहे थे। पर रवि को तो पूजा की भावनाओं की तो जैसे कोई कद्र ही नहीं थी, बात बात पर पूजा के मायके वालों को कोसना या गालियां निकालना तो रवि की जैसे दिनचर्या में शामिल बो गया था। पूजा ने बहुत बार रवि से साफ शब्दों से कह दिया था कि थोड़ा सा सोच कर बोला करो आपके कड़वे शब्द वाणों से भी अधिक चोट करते है जिनके ज़ख्म भूलाए नहीं भूलते। पर रवि का व्यवहार दिन प्रतिदिन बर्दाशत से बाहर होता जा रहा था। माना वो पूजा से बहुत प्यार करता था यह बात पूजा जानती थी पर इसका यह मतलब तो नहीं था कि वो जी में आए पूजा को बोलता रहे कभी कभी सामने वाला भी उस बात से आहत होकर कुछ गल्त कदम उठा सकता है क्योंकि इस रिशते में एक दूसरे की समझ और साथ से ही अच्छा समय गुज़रता है। छोटी छोटी बाते या झगड़े तो हर घर में होते हैं पर ज़रूरत है तो संयम बरतने की और झगड़े ना हो ऐसी कौशिश करमे की और वो इतना ना बड़ जाए कि उग्र रूप धारण कर ले और जग जाहिर होकर आपको हीनता या शर्मिन्दगी का अहसास करा ले। हो सकता है मन में भी कुछ ना हो पर अपने अहम को चोट लगते ही बात हाथ से निकल जाए और ठंडे दिमाग से सोचने पर उस झगड़े का कारण रिशतों की अहमियत के आगे कहीं फीका सा लगे। पूजा में भी बहुत कमियां थी वो भी जान कर रवि को कुछ बातों के ताने देती थी या जिन बातों से रवि को गुस्सा आता था वो भी रवि के साथ बहस करने की पूरी कौशिश करती पर इस मामले में रवि कहीं बड़कर था क्योंकि झगड़ा या बात बात पर गाली वही निकालता था पूजा को इसी बातों से बहुत खींज आती थी औ वो अपने भाईयों के उदाहरण देती कि वो तो गालियां नहीं निकालते वो देखो कितने अच्छे हैं बस इसी बात पर रवि भड़क उठता और कहता अगर मैं पसंद नहीं था तो शादी क्यों कीऔर झगड़ा शुरू हो जाता। उस पर सासु मां मरहम के बजाए उन ज़ख्मों पर नमक का काम करते। वैसे तो स्वभाव के इतने बुरे नहीं थे पर रवि को समझाने के बजाए उन बातों का स्वाद लेना और कहना कि इसके मायके वाले तो ऐसे ही हैं इसने भी कहां कुछ देखा होगा। पूजा हर बात को हल्के में लेने की कौशिश करती पर हर एक की सहनशक्ति की सीमा होती है और कोई भी पूरी तरह से योग्य या हर काम में माहिर नहीं होता फिर बार बार उसे कोसना या गल्त शब्दों का इस्तेमाल करना हर एक के मन में गुस्सा ही भरेगा और जब यह ज्वालामुखी अपनी सुप्त दशा को भूलकर फटता है तो लावा का निकलना तो तय है। बाद में चाहे रवि को एहसास होता था अपनी बातो का और वो पूजा से जिक्र भी करता था पर फिर वही दिनचर्या शुरू हो जाती।

बहुत बार पूजा ने अपने आप को समझाकर मायके और ससुराल की इज्जत को ध्यान में रखते हुए अपने कदम पीछे कर लेती और बच्चो का भी भविष्य रोक लेता। अब तो बच्चे भी बड़े हो रहे थे वो भी पापा का गुस्सा और ममी पापा की रोज़ रोज़ की लड़ाई से तंग आ चुके थे। पर रवि भी जानता था कि पूजा उससे बहुत प्यार करती है वो जो भी कहले या कर ले पूजा कोई भी सख्त कदम नहीं उठा सकती वो सिर्फ कहती है कर नहीं सकती। पूजा भी जानती थी रवि उससे प्यार करता है ध्यान भी रखता है पर गुस्से में सब कुछ भूल जाता है और कभी कभी तो हाथ भी उठा देता था। एक दिन पूजा घर पर अकेली थी बच्चे स्कूल गए थे और सासु मां कहीं तीर्थ पर गए हुए थे। किसी बात पर रवि का गुस्सा भड़क गया वो घर के सामान को तोड़ने लगा पूजा को मोबाइल भी वो तोड़ देता था। आज भी तोड़ दिया था। वही गालियां निकालने लगा इतना कुछ कहा अब पूजा भी जवाब देने लगी थी क्योंकि उसे भी गुस्सा आता था इतनी उल्टी सीधी बाते सुनकर बस फिर क्या था पूजा ने भी ठान ली कि वो सिर्फ सोचती है आज वो कर के दिखाएगी और रवि के साथ नहीं रहेगी वो अपनी ज़िन्दगी ऐसे ही नहीं गुज़ारेगी सारा दिन राम करो फिर यह बाते सुनो। आज तो हद ही हो गई है। मेरी भी कोई सीमा है बर्दाशत की , रवि ने भी गुस्से में कहा जाओ मायके और आता भी क्या है। पूजा भी थोड़ा से कपड़े साथ लेकर मायके चली गई और मन मे सोच लिया था कि अब कभी नहीं आएगी। घर में कदम रखा ही था कि ममी ने कहा पूजा आई है पूजा ने अभी सूटकेस बाहर ही रखा था आजा बेटा आज ज्यादा देर बैठेगी ना ! शाम को ही जाना, ममी कीबात को काटते हुए पूजा ने कहा नहीं मां मैं रहने आई हूँ । ओहो शुक्र पर बेटा मैं चार दिन से पहले नहूं जाने दूंगी । पर तेरी सास तो घर पर नहीं है फिर रवि और बच्चों को खाने की दिक्कत हो जाएगी या तो तुम सभी रहने आ जाओ या बेटा जब सास आए तब रहने आना मैं रवि को फोन करके बोलती हूँ वो शाम को खाना यहीं खाएंगे अगर रहने के लिए नहीं माने तो तू भी उनके साथ चले जाना। नहीं मां आप समझ नहीं रहे मैं घर छोड़कर आ गई हूँ अब मैं यही रहूंगी आपके साथ और भैया भाभी के साथ । वैसे भाभी कहां हैं दिखाई नहीं दे रही। बेटा वो और तुम्हारे भैया बाहर घूमने गए हैं कब से दोनो में झगड़ा चल रहा था कहीं घूमने जाने के लिए कल ही सलाह बनी तो चले गए मै क्या कहती। ,पर पूजा एक बात कहूं हर पति पत्नि में झगड़े होते हैं पर ऐसा कदम नहीं उठाते उस मुशकिल का या झगड़ेका हल ढूंढते हैं कुछ तुम झुको कुछ वो तो ज़िन्दगी की गाड़ी चलती रहती है । मैं नहीं पूछूंगी कि किसकी गल्ती है किस की नहीं क्योंकि रवि का ही सारा कुसूर हो मैं नहीं मान सकती। वहीं रवि को भी घर खाने को दौड़ रहा था पूजा की कमी घर में नहीं ज़िन्दगी में भी कुछ पलों ने ही करा दी थी और बार बार अपने द्वारा की गई गल्तियां दिमाग मैं घूम रही थी । पूजा का भी यही हाल हो रहा था मायके में वक्त काटे नहीं कट रहा था और भैया भाभी के झगड़े भी आँखों के आगे घूम रहे थे। पल भर की जुदाई ने दोनो को अपनी गल्तियों पर और कमियों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। लम्बी जुदाई के बारे में सोच कप भी मन कांप रहा था। बहुत देर सोचने के बाद दोपहर को ही रवि ने मां के फोन पर बात की । मां ने किसी भी बात का एहसास कराए बिना रवि से पहले की तरह ही बात की। रवि ने मां से कहा वो शाम को घर आ रहा है पूजा को कहना तैयार रहे। उधर पूजा भी परेशान थी कि कहीं रवि उसके इस कदम से नाराज़ होकर अहम में आ गए और बात बिगड़ गई तो इतने में मां नेआवाज़ लगा कर कहा बेटा तैयार रहना शाम को रवि तुम्हें लेने आ रहा है। पूजा री आँखों से खुशी के आंसु छलक आए और अंतर्मन का खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी और रवि के इंतज़ार में समय निकालना अच्छा लग रहा था। वहां रवि भी अपने मन में पूजा के प्रति अपने रवैये से बहुत बुरा महसूस कर रहा था और यही सोच रहा था कि पूजा से मिलकर वो माफी मांगेगा और अपने प्यार भरी ज़िन्दगी में ऐसी जुदाई वो कभी नहीं आने देगा।

कामनी गुप्ता

जम्मू !

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