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बेटे को मार्ग दर्शन के लिए माँ का पत्र

Kamni Gupta

kamnigupta18@gmail.com

विषय -बेटे को मार्ग दर्शन के लिए पत्र

प्रिय बेटे अक्षान,
कैसे हो ? हम सभी यहां पर ठीक से हैं तुम्हारी भी सदैव तुम्हारी कुशलता ही चाहुंगी। अक्षान काफी देर से तुम से खुलकर बात नहीं हो पाई थी। पहले तुम परीक्षा में व्यस्त थे फिर घर पर कुछ व्यस्तता के कारण तुम से इतनी बात नहीं हो पाई थी और तुम कितनी देर से घर पर भी नहीं आए थे। सोचा आज तुम से सारी बातें करुं जो मैं कब से तुम्हारे साथ करना चाहती थी। पर शायद किसी न किसी वजह से कर नहीं पाई।
आज एक उम्मीद के साथ तुम्हें यह पत्र लिख रही हूँ
और जानती हूँ तुम समझने की कौशिश भी करोगे कि मै तुमसे क्या कहना चाहती हूँ। तुम्हारे स्कूल के अध्यापक द्वारा तुम्हारा भेजा गया परीक्षा फल मिला और साथ ही कुछ तथ्य से भी अवगत कराया गया । तुम्हारा परीक्षा फल देखकर बहुत खुशी हुई और तुम पर गर्व भी हुआ कि तुम कितनी मेहनत से पढ़ाई कर रहे हो पर तुम्हारे अध्यापक से यह जानकर अच्छा नहीं लगा कि तुम सिर्फ किताबी ज्ञान का सहारा लेते हो और बस पढ़ने के अलावा और किसी भी बात में रूचि नहीं लेते हो । यहां तक कि अपने कमरे से भी बहुत कम बाहर निकलते हो । अक्षान तुम घर से बाहर होस्टल में रहते हो , वहां हर पल तो मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती पर तुम्हारा मार्गदर्शन अवश्य कर सकती हूँ। आजकल पल -पल की खबर मोबाइल से या फोन से हमें मिल जाती है ,चिट्ठी का शायद अब दौर नहीं रहा । फिर भी बहुत सी ऐसी बाते होती हैं जो पढ़कर या लिखकर अच्छे से समझाई जा सकती हैं।
प्रिय अक्षान ! मैं यह जानती हूँ कि तुम बहुत समझदार हो ,अपना भला बुरा अच्छे से समझते हो पर कुछ बातों में हमें समय समय पर बड़ों के मार्गदर्शन की ज़रुरत पड़ती है । मैं ज्यादा बाते कर के तुम्हें यह नहीं जताना चाहती कि तुम बिल्कुल गल्त हो पर अक्षान यह भी किसी हद तक सही नहीं है कि तुमने तो किताबों को ही अपनी सारी दुनिया बना रखा है जो तुम्हारे अच्छे और सफल भविष्य के लिए सही नहीं है। किताबें ज्ञान का बहुत अच्छा स्रोत्र है पर इसके अलावा और भी है ज़िंदगी में जिससे हमें सीखने को मिलता है। मैं तुम्हें एक सफल और अच्छा इन्सान बनते हुए देखना चाहती हूँ। मैं यह नहीं चाहती कि तुम सिर्फ किताबों का ज्ञान प्राप्त करो और ज़िंदगी को किसी कथन के अनुसार बस सिर्फ जीयो ! मैं चाहती हूँ कि तुम पढ़ने के साथ साथ ज़िन्दगी की कीमत और अहमीयत समझो। अगर हम स्वस्थ होंगे दिमाग तंदरुसत होगा ऊंची और अच्छी सोच होगी तभी तो हम कुछ कर पाएंगे अपने लिए और औरों के लिए। इसलिए अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा व्यायाम , थोड़ा सा खेलना ,टहलना ,अच्छे गुण अपनाना चाहे बड़ों से मिले या छोटों से , खुश रहना ,हंसना और ज़िंदगी को अच्छे से जीना सीखो।

किताबों के अलावा ,आस पास की दुनिया से भी कुछ सीखो क्योंकि ज्ञान बांटने से और एक दूसरे से विचारों का आदान प्रदान करने से भी बड़ता है। असलियत को समझने और ज़िंदगी से कुछ सीखने से भी मिलता है जो हमें अपने आस पास हो रही घटनाओं से और दूसरों से मिलता है। पढ़ाई के साथ साथ मनोरंजन और दिमाग को थोड़ा आराम देना भी ज़रुरी है । बच्चे ही हमारे देश का भविष्य होते हैं इसीलिए मैं अपने बेटे अक्षान को देश के लिए , समाज के लिए और सबके लिए जीना सीखाना चाहती हूँ। वाद -विवाद आयोजन में, खेलों में ,प्रतियोगिता में सब में यथासम्भव योगदान देने का प्रयास करो। पढ़ाई तो सबसे ज़रुरी है पर उससे भी ज़रुरी है सीखना जो सिर्फ किताबें पढ़कर नहीं आता।
तुम्हें शायद याद होगा बचपन में जब भी तुम अपने काम में कमी देखते थे या किसी काम को करने का तरीका तुम्हें खुद भी सही नहीं लगता था तुम जब हताष हो जाते थे ,तुम मुझे यही कहते थे मां कुछ ऐसी कहानी सुनाओ या मुझे बताओ कि मैं इसे कैसे सही तरीके से करुं कि कुछ अधूरापन न लगे। फिर कैसे मैं तुम्हें कहानियां सुनाकर या कोई उदाहरण देकर तुम्हारे सभी प्रशनों के जबाब देकर तुम्हें संतुष्ट करती थी और तुम उसी काम को फिर पूरी लग्न के साथ और पहले से ज्यादा मेहनत से करते थे । तुम्हारे उस काम में नया जोश और उत्सुकता साफ नज़र आती थी कमियां तो तुम्हें पहले भी पसंद नहीं आती थी। तुम बार बार यही जानने का प्रयास करते कि मां अब देखो मैं पहले से अच्छा काम कर रहा हूँ या नहीं । तुम्हारे काम के प्रति तुम्हारी इमानदारी और लग्न ही तुम्हें हर काम में सफलता दिलाती थी और तुम एक एक करके सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए । तुमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा बस अपनी मेहनत से अपने लक्ष्य पर ही बड़ना चाहा है । पर अक्षान शायद इस सब में तुम कुछ बातें भूलते गए और बस किताबों में ही उल्झते गए। मैं यह नहीं कहती कि तुम्हें अपने लक्ष्य को भूलकर बस मेरी बाते ही माननी होंगी। हाँ ! पर तुम्हें खुद को भी समझना है और ज़िंदगी को भी । यह मानव जीवन बार बार नहीं मिलता और न ही बीता समय कभी वापिस हमें कोई अवसर देता है हमें अपनी गल्ती सुधारने को । इसीलिए अपने जीवन का भरपूर सदुपयोग करो और पढ़ाई के साथ साथ अपने अनमोल जीवन की भी अहमीयत समझो। अक्षान हर मां और पापा की यही तमन्ना होती है कि वो अपने बच्चों को अच्छा इन्सान बनते हुए ओर आगे बड़ते हुए देखें । मैं भी दिल की गहराईयों से ऐसा ही चाहती हूँ पर थोड़ी सी अलग सोच और उम्मीद के साथ ।
तुम्हारा जीवन प्रकाशमय हो और तुम्हारे उज्जवल भविष्य के लिए भी यह बहुत ज़रुरी है कि तुम्हारी नींव भी सही और अच्छी हो । आशा है तुम्हें मेरी लिखी बातें समझ आ गई होंगी कि मैं तुम्हें सिर्फ पढ़ा लिखा और डिग्री लेते हुए नहीं देखना चाहती बल्कि एक अच्छा और सही मायने में सफल इन्सान भी बनता हुआ देखना चाहती हूँ। सदा खुश रहो और जीवन में सदा आगे बड़ो । अपना ,अपने घर और देश का नाम भी ऊंचा करो इसी ख्वाहिश के साथ मैं अपने शब्दों को भी विराम देती हूँ । आशा भी करती हूँ कि तुम कल से नए जोश और उत्सुकता के साथ अपनी मंज़िल को सच्चे दिल से पाने की चाहत में सदा अग्रसर रहोगे । घर में सब तुम्हें बहुत याद करते हैं और उन्हें भी तुमसे यही उम्मीदे हैं जो मै करती हूँ। तुम हमारी उम्मीदों पर खरे उतरोगे यह मैं अच्छे से जानती हूँ। अपना ख्याल रखना। ढेरों शुभाशीष के साथ तुम्हारी मां !
कामनी गुप्ता ***

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