प्यार की ताकत Ved Prakash Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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प्यार की ताकत

प्यार कि ताकत

विनीता की सादगी उसकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रही थी, खादी का सादा सा लगने वाला सूट उस पर बहुत अच्छा लग रहा था, उसका उठना, बैठना, चलना, बात करने का ढंग और काम करने की शैली विशिष्ट थी। विशेष विनीता के कार्यालय में कुछ दिन पूर्व ही आया था, कुछ ही दिनों में वह विनीता का कायल हो गया था एवं कोई भी मौक़ा हाथ से जाने नहीं देता था जब उसको विनीता की किसी भी तरह से सहायता करनी हो। विनीता को उसके पति कार्यालय छोड़ कर अपने कार्यालय चले जाते थे एवं साँय को छुट्टी होने के बाद अपने साथ ही लेकर घर चले जाते थे। कभी-कभी रास्ते मे रुककर कंही सड़क किनारे बने स्टॉल पर चाय पीने लगते थे, दोनों के बीच बहुत प्यार था, एक दूसरे को अच्छी तरह समझते थे अतः विनीता को किसी के बारे मे सोचने की कुछ जरूरत ही नहीं थी। विशेष अपना काम कम करता था और विनीता के काम में ज्यादा ध्यान लगाता था और कभी अगर कोई जरूरत पड़ती तो बिन बुलाये तुरंत ही पहुँच जाया करता था विनीता की मेज़ पर मदद करने के लिए। मध्यांतर में सभी लोग खाना खाने के बाद थोड़ा घूमने निकल जाते थे लेकिन विनीता अपनी सीट पर ही बैठ कर थोड़ा आराम कर लिया करती थी। विशेष ने भी बाहर जाना बंद कर दिया एवं विनीता के साथ कार्यालय में ही रुक जाता था, अपनी मेज़ पर ही बैठ कर आराम करता एवं बीच-बीच मे विनीता से बातें करता रहता था। अगर विनीता थोड़ी देर आँख बंद करके बैठती थी तो विशेष अपलक उसकी सुंदरता को निहारता रहता था। एक दिन विनीता ने पूछ ही लिया की विशेष आप सब के साथ बाहर क्यो नहीं जाते आजकल, तो विशेष कहने लगा कि मुझे यहाँ बैठना अच्छा लगता है। उस समय कार्यालय में कोई नहीं था तो विनीता ने पूछा कि आपको यहाँ बैठना क्यों अच्छा लगता है, आप मेरी वजह से बैठते है न यहाँ, पर क्या आप बताएँगे कि आपका मेरी तरफ इतना झुकाव क्यों है। विनीता के मुंह से यह सुनकर विशेष थोड़ा सा घबरा गया लेकिन तुरंत ही संयत होकर बोला कि ऐसी कोई बात नहीं है बस मैं तो आपसे प्यार करने लगा हूँ।

विनीता बोली कि क्या आपको ज्ञात नहीं कि मैं शादी शुदा हूँ, तो विशेष बोला विनीता जी मैं जानता हूँ कि आप शादी शुदा है। आपके पति लंबे-चौड़े, छः फुटे, गोरे-चिट्टे, सजीले जवान है, आपसे बहुत प्यार करते हैं सुबह आपको यहाँ छोड़ कर जाते हैं एवं साँय को आपको साथ ही ले जाते हैं, आपके सुंदर से दो छोटे बच्चे हैं। विनीता बोली कि यह सब जानते हुए भी आप मुझसे इस तरह कि बात कर रहें हैं, मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आप किसी तरह की मुसीबत में फँसें, कोई अच्छी सी लड़की देखकर शादी कर लीजिये, सुखी रहोगे। विनीता की बात सुनकर विशेष बोल पड़ा की मैं भी शादी शुदा हूँ और अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूँ, उसके बिना तो मैं जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन मुझे दुख है की आपने मेरे प्यार का गलत अर्थ लगा लिया। प्यार का अर्थ सिर्फ शादी ही नहीं होता और न ही व्यभिचार होता है। अगर प्यार का अर्थ व्यभिचार होता तो सबसे ज्यादा प्यार वेश्याओं के हिस्से मे आता, लेकिन वे तो पूरे जीवन प्यार के लिए तरसती रहतीं हैं।

मैं देखता हूँ आपको जब भी थोड़ा सा समय मिलता है आप माँ से बात करने लगती हैं और उस दिन जब आपके पिताजी आए थे आपसे मिलने तब उनकी आँखें नम थी, उन्हे भी सूनापन लगता था आपके बिना, लेकिन कह नहीं सकते। आप साँय को जब पूरे दिन कार्यालय का काम करके घर जाती हैं एवं आपको पता है की घर का भी सारा काम करना होगा उस समय जब आपके बच्चे आपकी गोद में आकर बैठ जाते हैं तो क्या उस प्यार से आपकी सारी थकान नहीं मिट जाती है, प्यार ही तो है जो हम सब को एक दूसरे से बांधें रखता है। विनीता जी यहाँ पर मेरे कई पुरुष मित्र हैं, लेकिन मैं आपसे मित्रता सिर्फ इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि यह समाज में मान्य नहीं है, महिला की मित्र महिला ही होगी और पुरुष का मित्र पुरुष होगा, फिर भी अगर किसी पुरुष की किसी महिला से मित्रता होगी तो उसे एक रिश्ते मे बंधना पड़ेगा जैसे माँ, बहन या बेटी। मैंने तो बस यही कहा कि मुझे आपसे प्यार है, मैंने बदले मे आपका प्यार तो नहीं मांगा। विशेष बातें कर ही रहा था कि कार्यालय मे दूसरे लोगों का आना शुरू हो गया और विशेष चुप हो गया, सभी अपने अपने कार्य में लग गए, शाम हुई तो विनीता के पति उसको लेने आ गए। कार्यालय के लोगों को भी इस बात की भनक लग चुकी थी और वे लोग भी यह जानते थे कि विनीता किसी से भी फालतू बात करने वाली युवती नहीं है, फिर भी कार्यालय के एक व्यक्ति ने इसका जिक्र बॉस के सामने कर दिया। अपने कार्यालय की गरिमा बनाए रखने एवं किसी मुसीबत मे न फंस जाने की बात सोच कर बॉस ने विशेष का स्थानांतरण दूसरे शहर मे करवा दिया। विनीता को भी यह अच्छा नहीं लगा लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य होता चला गया।

एक दिन विनीता के जीवन मे बहुत बड़ा तूफान आया, विनीता का छोटा बेटा स्कूल से गुम हो गया। विनीता का तो रो-रो कर बुरा हाल था, सभी ने उसको समझाने की कोशिश की लेकिन वह तो बेटे के गम मे पागल सी हो गयी थी। कहीं से फिरौती के लिए भी कोई फोन नहीं आया था। दरअसल बच्चे को भिखारी माफिया गिरोह ने उठा लिया था एवं उसको दूसरे शहर मे भेज दिया था उन दिनों भिखारी माफिया बहुत सक्रिय थे एवं छोटे बच्चों को उठाकर उनसे चौराहों पर भीख मँगवाते थे, इतना ही नहीं भिखारी माफिया बच्चों को मारते-पीटते एवं उनको अपंग भी बना देते थे।

विशेष हमेशा लोगों से कहा करता था की चौराहों पर भीख मांगते बच्चों को कभी भी भीख नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे भिखारी माफिया को बढ़ावा मिलता है और वह छोटे बच्चों को चुराकर उन्हे यतनाये देते हैं और अपंग बनाकर उनसे जीवन भर भीख मँगवाते हैं। जब भी विशेष किसी बच्चे को चौराहे पर भीख मांगते देखता तो उससे बातें करने लगता था और बच्चे के बारे मे जानने की कोशिश करता था लेकिन माफिया के गुंडे चौराहों पर भीख मांगते बच्चों पर नजर रखते थे एवं वे बच्चों को किसी से भी ज्यादा बात नहीं करने देते थे। कई बार विशेष ने पुलिस को भी शिकायत की थी एवं अपनी कोशिशों से कई बच्चों को माफिया के चंगुल से छुड़ाया भी था, इस तरह माफिया के कई लोग विशेष के दुश्मन बन गए थे।

विशेष अपने पुराने कार्यालय मे रमेश से बात कर रहा था रमेश से विशेष की काफी बनती थी अतः वह समय निकाल कर रमेश से बात कर लिया करता था एवं सभी के बारे में पूछता रहता था। रमेश ने ही विशेष को विनीता के बेटे के गुम होने के बारे में बताया था, यह बात सुनकर विशेष को बहुत दुख हुआ और उसने रमेश से विनीता के बेटे का एक फोटो मँगवा लिया। रमेश विनीता के बेटे का फोटो लेकर शहर के सभी चौराहों पर घूमने लगा एवं जो भी भिखारी मिलता उसी से बात करता, बच्चे के बारे मे पूछता था मगर उसे कोई सफलता नहीं मिली। एक भिखारी सबसे अलग घिसटने वाली गाड़ी पर बैठता, उसके दोनों पैर कटे हुए थे और एक हाथ भी नहीं था, अपने एक हाथ से गाड़ी को घसीट कर इधर से उधर ले जाता था। विशेष ने उसके पास जाकर बच्चे की फोटो दिखाई तो भिखारी ने बड़ी बेरुखी से उसको झिड़क दिया। विशेष अपने साथ एक अँग्रेजी शराब की बोतल लेकर गया था। जैसे ही भिखारी की नजर उस शराब की बोतल पर पड़ी तो उसने विशेष को रोक लिया। अब वह विशेष को ऐसी जगह ले गया जहां से उन्हे कोई देख न सके, और कहने लगा कि मैं तुम्हें वह जगह बता सकता हूँ जहां पर ये लोग नए बच्चों को लाकर रखते हैं लेकिन शराब के साथ चिकन भी खिलाना पड़ेगा। विशेष ने कहा की जो भी तू कहेगा वही खिलाउंगा लेकिन तुम मुझे उन लोगों के बारे मे जल्दी बताओ, मैं वहाँ किसी अनहोनी के होने से पहले पहुँचना चाहता हूँ। भिखारी अपनी गाड़ी सहित विशेष की गाड़ी मे बैठ गया और उसको उस जगह लेकर चल दिया जहां माफिया ने नए बच्चों को रख रखा था। वहाँ पहुँच कर विशेष ने पुलिस को फोन पर पूरी जानकारी दे दी एवं उस जगह पर जल्दी आने को कहा तब तक विशेष स्वयं ही माफिया के अड्डे मे घुस कर विनीता के बेटे को ढूँढने लगा, तभी उसे वह कमरा दिखा जो ताला लगा कर बंद किया हुआ था और सभी रोशनदान और खिड़कियाँ पूरी तरह बंद थे। कमरे मे अंधेरा था, लेकिन कमरे से किसी बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी। बच्चे के रोने की आवाज से माफिया के गुंडो को परेशानी हो रही थी, उन्होने कमरे का ताला खोल कर उस बच्चे को बाहर निकाला और कहने लगे की इसकी जीभ काट दो न जीभ रहेगी न ये रोएगा। जैसे ही वे बच्चे को रोशनी मे लेकर आए तो विशेष ने देखा कि यही तो विनीता का बेटा है, छोटा सा सुंदर सा। इससे पहले कि वे गुंडे उस बच्चे के साथ कुछ गलत करते, विशेष बच्चे को गोद मे उठा कर वहाँ से बाहर निकलने के लिए भागा। गुंडे भी उसके पीछे-पीछे भागने लगे लेकिन विशेष मे न जाने इतनी ताकत कहाँ से आ गयी थी कि उसके पैरों को पंख लग गए थे, शायद यह प्यार की ताकत थी वही प्यार जो उसने विनीता से किया था। जब गुंडो को लगा कि विशेष बच्चे को लेकर बाहर निकल जाएगा और खुद को उसे पकड़ने मे नाकाम होते देखा तो एक गुंडे ने विशेष पर गोली चला दी। गोली सीधी विशेष की पीठ मे जाकर धंस गयी लेकिन विशेष ने हिम्मत नहीं हारी और दौड़ कर बच्चे को लेकर गुंडो के अड्डे से बाहर आ गया, तब तक बाहर पुलिस भी आ चुकी थी। पुलिस को बच्चा सौंप कर विशेष बेहोश होकर गिर पड़ा, तुरंत ही विशेष को अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी। पुलिस ने गुंडो के अड्डे पर छापा मार कर और भी कई बच्चों को मुक्त कराया एवं गुंडो को पकड़ कर हवालात मे डाल दिया।

विनीता को जैसे ही पता चला कि उसका बेटा मिल गया है, तो उससे रुका नहीं गया। रात मे ही विनिता अपने पति के साथ उस शहर के थाने जा पहुंची और और अपने बच्चे को पहचान कर कलेजे से लगा लिया। सभी कार्यवाही पूरी करने के बाद थानेदार ने बच्चा उनको सौंप दिया एवं उनको बताया कि जिस आदमी के कारण यह सब संभव हो सका है, उसको गुंडो ने गोली मार दी, वह अचेत अवस्था मे अस्पताल मे ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है। विनीता और उसके पति ने उस आदमी से मिलने की इच्छा जताई तो थानेदार उनको लेकर थाने पहुंचे, जहां आई सी यू मे विशेष बेहोश पड़ा हुआ ज़िंदगी की आखिरी साँसे गिन रहा था। छ्ह महीने पहले ही विशेष की पत्नी का कैंसर से देहांत हो गया था, तब से उसके अंदर जीने की इच्छा ही मर गयी थी।

विनीता ने जैसे ही विशेष को देखा तो बोल उठी यह तो विशेष है, विनीता के पति भी उसको जानते थे और कहने लगे कि यह तो तुम्हारे कार्यालय मे बड़ी आत्मीयता से मिला करता था। विनीता के आने पर विशेष ने अपनी आँखें खोल कर देखा कि विनीता उसके सामने खड़ी है। विनीता कहने लगी कि विशेष हम आपके बहुत आभारी हैं, आपने अपनी जान पर खेलकर हमारे बच्चे को बचाया। विशेष बस यही कह सका कि यह तो सब उस प्यार की ताकत थी अन्यथा मुझमे अब इतनी ताकत कहाँ बची थी। विनीता ने विशेष का हाथ अपने हाथ मे पकड़ कर कहा हम अच्छे से अच्छा इलाज़ करवाएँगे, आप को कुछ नहीं होगा। विशेष बस इतना ही बोल पाया कि अब तो मुझे जाना ही होगा, देखो कब से मेरी पत्नी मुझे ले जाने के लिए आ कर बैठी है, बस तुम्हारी प्रतीक्षा थी कि जाने से पहले एक बार तुम से मिल लूँ, शायद तुम्हारे प्यार से मेरा आगे का सफर आसान हो जाए और विशेष चुप हो गया, आँखें बंद कर लीं हमेशा के लिए। विनीता बड़े ज़ोर से रो पड़ी चिल्ला कर बोली डॉक्टर कुछ तो करो, इनकी जान बचानी है तुम्हें। विनीता कि आवाज सुनकर डॉक्टर और नर्स दौड़ कर आए, सभी तरह के प्रयास किए लेकिन सब नाकाम रहे, विशेष कभी का सब को छोड़ कर अपनी स्वर्गवासी पत्नी के साथ उसके ही लोक में जा चुका था। विनीता के पति को आँखों से पानी झर रहा था और वह बस इतना ही बोल पाये कि वास्तव मे तुम विशेष ही थे।

वेद प्रकाश त्यागी

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