एक माँ का अपने गर्भ में रहेती बेटी को पत्र Priya Vachhani द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

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एक माँ का अपने गर्भ में रहेती बेटी को पत्र

Priya Vachhani

priyavachhani26@gmail.com

प्रिय बेटी,
आज भाववश मैं तुम्हें यह पत्र लिख रही हूँ। तुमने अब तक इस दुनियां में अपना कदम तो नहीं रखा पर मैं अपने उदर में तुम्हारी किलकारियाँ महसूस कर रही हूँ। मेरा मन बहुत प्रफुल्लित है तुम्हारे आगमन से किन्तु साथ-साथ थोडा सहमा हुआ भी है। न-न सहमा हुआ इसलिए नहीं है के तुम्हारे पापा तुम्हें इस दुनियां में आने से रोकेंगे या उन्हें तुम्हारे आने की ख़ुशी नहीं है। बल्कि वो यह सोचकर बहुत खुश हैं के उनके घर में बेटी के रूप में माँ दुर्गा, माँ लक्षमी जन्म ले रही है। बेटियों का महत्त्व तुम्हारे पापा बखूबी समझते हैं व दुनियां को भी समझाते हैं "बेटी है तो कल है वरना जीवन विफल है।"
मेरे मन में डर है आज कल बच्चीयों पर बढ़ते अत्याचार का, बेटी छोटी हो या बड़ी उसपर मंडराते बलात्कार के काले बादलों का, आज के युग में बाहर क्या बच्चियां अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। हर दिन अखबार में छोटी छोटी बच्चीयों के साथ हुए इस घृणित कृत्य को पढ़कर मन दहल जाता है। कैसे लोग इतने हैवान हो सकते हैं जो क्षणिक सुख के लिए किसी भी बच्ची का जीवन तबाह कर देते हैं? क्यों उन्हें उस बच्ची में अपने बेटी या बहन नहीं दिखती?
दूसरा डर है आज कल युवाओं में बढ़ते आत्महत्या के प्रचलन को लेकर। जीवन में थोड़ी कठिनाई आने पर या कड़वे अनुभव होने पर, कभी परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर, कभी प्रेमी द्वारा छोड़े जाने पर बच्चे अपना मनोबल खो देते हैं और उन्हें लगता है अब जीवन को ख़त्म करने के अलावा उनके पास कोई और चारा नहीं रहा। और मानसिक अवसाद में आकर वो ऐसा कदम उठा जाते हैं जिसकी कोई भी माँ-बाप अपने जीवन में कल्पना भी नहीं कर सकते तो उसे सहन करना कितना कठिन होता होगा!!
तीसरा डर है शादी के बाद बहुओं पर होते अत्याचार को लेकर। माँ-बाप चाहे अपनी हैसियत से ज्यादा बच्चियों को देकर विदा करें किन्तु फिर भी कहीं-कहीं दहेज़ के लोभियों की तृष्णा कभी ख़त्म ही नहीं होती और जब माँ-बाप उनकी ख्वाहिशे नहीं पूरी कर पाते तब वो इतने घृणित हो जाते हैं के बच्चियों को जिन्दा आग के हवाले कर देते हैं। रसोई में काम करते समय जब हमारे छोटी सी ऊँगली भी जल जाती है तो हमें बहुत तकलीफ होती है तो जब किसी को आग के हवाले कर दिया जाता होगा तो उसकी तकलीफ की कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है।
मैं यह सब बता कर तुम्हें डरा नहीं रही मेरी बच्ची, बल्कि जीवन में आने वाले ऐसे उतार चढ़ाव से वाकिफ करवा रही हूँ। ईश्वर न करे कभी तुम्हारे जीवन में कोई भी ऐसी परिस्थिती आये किन्तु अगर आ भी जाए तो तुम उन कठिनाइयों का डटकर मुकाबला कर सको इसके लिए अभी से तुम्हें तैयार कर रही हूँ। महाभारत में जैसे अभिमन्यु ने सुभद्रा के पेट में ही चक्रव्यूह को भेदना सीख लिया था वैसे ही मैं चाहती हूँ तुम्हें अभी से परिस्थितियों से निपटना सिखाती जाऊं।
मेरी बच्ची मैं अपनी पूरी कोशिश करुँगी तुम पर कभी किसी राक्षस का साया भी न पड़े। मैं तुम्हें आत्म रक्षा के गुण जरूर सिखाऊंगी ताकि कभी ऐसा वक्त आने पर तुम अपनी रक्षा स्वयः कर सको किन्तु ईश्वर न करे कभी गर ऐसा हो जाए तो घबराना मत तुम्हारी माँ हर कदम पर तुम्हारे साथ है। क्योंकि बलात्कार की शिकार लड़की कभी गलत नहीं होती गलत होता है वह घृणित मानसिकता वाला आदमी और जब तक ऐसे लोगों को उचित सजा नही दिला देती तब तक तुम्हारी माँ चैन से नहीं जियेगी।
बेटी कभी परीक्षा में मनचाहा परिणाम न भी आये तो भी कभी हिम्मत न हारना क्योंकि ये आखरी इम्तेहान तो नही इस बार न सही अगली बार मेहनत करके अच्छे परिणाम लाना और तुम अगर पढ़ाई में अव्वल न भी रही तो क्या! हर बच्चे में अपना अपना हुनर होता है। तुम्हारी जिस काम में रूचि हो तुम वो करना जीवन के हर फैसले में मैं और तुम्हारे पापा तुम्हारा साथ देंगे।
जीवन में कभी तुम्हारे द्वारा चुना हुआ साथी अगर तुम्हारा साथ छोड़कर चला जाए तो अपना संतुलन मत खोना क्योंकि जो तुम्हें छोड़कर गया वो तुम्हारा कभी था ही नहीं वरना जाता क्यों? यह याद रखना उस आदमी से कहीं ज्यादा प्यार तुमसे तुम्हारे माँ-पापा करते हैं। इसलिए कभी मानसिक दबाव में आकर ऐसा कदम मत उठाना जिससे तुम्हारे माँ पापा को जिंदगी भर रोना पड़े।
एक बात हमेशा याद रखना जैसे- जैसे तुम बड़ी होगी तुम्हारा मित्र वर्तुल बढ़ता जाएगा ये जरूरी नहीं हम जिन्हें मित्र चुनें वह अच्छे ही हों, कई बार हमसे मित्र चुनने में भी गलती हो जाती है। कई ऐसे मित्र भी बन जाते हैं जो बड़े परिवारों के बिगड़े बच्चे होते हैं या फिर उन्हें नशे की लत होती है, ऐसे मित्र अपने साथ दूसरों को भी ड्रग्स या स्मैक की आदत डालते हैं। पहले पहल तो वो कहेंगे एक बार ट्राय करो कुछ नहीं होता या बड़े लुभावने शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। किन्तु बेटी कभी ऐसे मित्रों की बातों में आकर खुद को बुरी आदतों का शिकार मत बनाना, उन्हें साफ़ मना कर देना और ऐसे मित्रों से दूर ही रहना
बेटा एक बात हमेशा याद रखना बेटियां शादी के बाद पराये घर जरूर जाती हैं किन्तु वो माँ-बाप के लिए कभी परायी नहीं होती। मैं तुम्हें ये संस्कार तो अवश्य दूंगी के सास-ससुर की पति के सेवा करना तुम्हारा धर्म है, देवर को भाई और ननद को बहन की तरह समझना तुम्हारा कर्तव्य है। छोटी-मोटी बातें हर घर में होती हैं। उन्हें ज्यादा तूल न देना पहले अपनी तरफ से सुलझाने की कोशिश करना, किन्तु कभी अपने ऊपर अत्याचार भी मत सहना पति परमेश्वर जरूर होता है किन्तु हाथ उठाने का हक़ उसे परम पिता परमेश्वर ने भी उसे नहीं दिया है। किसी पर जुल्म करना गुनाह है तो जुल्म सहना उससे भी बड़ा गुनाह है। तुम्हारे माँ-पापा हर कदम तुम्हारे साथ हैं यह बात सदैव याद रखना।
ये एक माँ के मन का डर है व एक दृढ़ निश्चय भी के मैं अपनी बेटी के साथ कभी कोई अन्याय न होने दूँगी।
अंत में यही कहूँगी तुम भी अपने जीवन में बेटी को जन्म जरूर देना और उसे भी निडर व आत्मनिर्भर जरूर बनाना।
तुम्हें अपनी गोद में लेने का बेचैनी से इंतज़ार करती हुई तुम्हारी माँ

नाम- प्रिया वच्छानी
Mob.no. 09765450444
Mail id- priyavachhani26@gmail.com