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बेल्ट

गुलाबी जोड़े में शालिनी बहुत सुंदर लग रही थी। और लगे भी क्यों न ! ऐसी कौन सी लड़की होगी जो दुल्हन के लिबास में सुंदर न दिखे। तिसपर अगर मनचाहा वर मिले तब तो खुशी का कोई ठिकाना न रहता
शालिनी और साहिल पहली बार बस में मिले थे । दोनो के ऑफिस का रास्ता एक ही था। एक ही बस नियत समय पर पकड़ते। मगर ऑफिस जाने की हड़बड़ाहट, कुछ काम का प्रेशर और खचाखच यात्रियों से भरी हुई बस में कहां सबके चेहरे याद रह पाते हैं । पर हाँ कोई चेहरा जब मन मे बस जाए तब आँखे भीड़ में भी उसे ढूंढकर पहचान लेती हैं। साहिल और शालिनी एकदूसरे के लिए वो खास चेहरा बन चुके थे जिसे भीड़ में पहचान लिया जाए।
दरअसल एक दिन बस में काफी भीड़ होने की वजह उस दिन शालिनी को बैठने के लिए सीट न मिली। होता है कई बार कभी बैठने मिल भी जाता है और कभी खड़े रहकर ही सफर तय करना पड़ता है। रोज आने जाने वालों को इसकी आदत भी हो जाती है। मगर कई बार कई मनचले भी इस भीड़ का फायदा उठाने की सोचते हैं। उस दिन एक ऐसे ही मनचले ने शालिनी से छेड़खानी की । शालिनी ने उसे घूरकर देखा और थोड़ा आगे हो गयी। मगर उसने बस में ब्रेक लगते ही फिर जानबूझकर शालिनी को धक्का दिया जैसे वो ब्रेक लगने से संभल न पाया हो
भाई साहब आप ठीक से खड़े नही हो सकते ?
मेडम मैं क्या करूँ ड्राइवर ने ब्रेक ही इतनी जोर से मारा के मैं संभल न सका, सॉरी
साहिल पास वाली सीट पर ही बैठा था। उसने स्थिति को भांप लिया "आप यहां बैठ जाइए" कहते हुए वो एक तरफ खड़ा हो गया
शालिनी आंखों ही आंखों में साहिल का शुक्रिया अदा करते हुए बैठ गयी । मगर उस मनचले को चैन तब भी न आया वो अब शालिनी से सटकर खड़ा हो गया। शालिनी असहज महसूस करने लगी और उसकी असहजता को भांपते हुए साहिल ने उस मनचले से कड़क लहजे में कहा
भाई साहब ज़रा बस में सफर करने का सलीका सीखिए । ठीक से खड़े रहिये
तुम बड़े हीरो बन रहे हो ! अब तुम मुझे सिखाओगे बस में कैसे खड़ा रहना है ?
जी सिखाऊंगा , यहां सिखाऊं या नीचे उतर कर सीखना पसंद करेंगे ?
तू मुझे धमकी दे रहा है ? मनचले ने ऊँचे स्वर में कहा
अभी तक तो सिर्फ कहा है अब अगर फिर कुछ ऐसा करते देखा न तो सिखा भी दूंगा । दोनो की ऊंची आवाज कंडक्टर के कानों में पहुँची । उसने मामला जान उस मनचले को बीच रास्ते में ही बस से उतार दिया। शालिनी ने धन्यवाद देने वाली मुस्कान से साहिल को देखा साहिल ने भी मुस्कुराहट के साथ पलके झपकाते हुए उसे आश्वासित किया। बस यहीं से शुरू हुआ आंखों ही आंखों का सफर आज शादी तक पहुँच गया।
***

शालिनी तीन भाईयों में इकलौती और सबसे छोटी बहन थी, सारे घर की लाडली। हैसियत से बढ़कर दहेज का सामान बनाया था बाऊजी ने।
इतना सब देने की क्या जरूरत है बाऊजी ? एक दिन शालिनी ने बाऊजी से कहा तो प्रेम चुटकी लेते हुए बीच मे बोल पड़ा
तेरे सिवा और है कौन जो हमें लूटेगा ? हमारी शादियों में तो आना है इसलिए तू जितना मर्जी लूट के ले जा।
मैं आपको लूट रही हूं भाई ? शालिनी ने छोटा सा मुँह बनाकर कहा
तो और क्या कर रही हो ? जितने महंगे कपड़े और सामान तेरा आया है पूछ बाऊजी से , हम में से दिलाया किसी को कुछ ?
हां तो मेरा ब्याह है , मेरा हक़ बनता है, क्यों बाऊजी ?
हाँ बिटिया तेरा हक़ है, बाऊजी शालिनी के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा
हां तभी तो कहा लूट ले जितना लूट सकती है । इक बार तेरा ब्याह हुआ नही के सारे हक़ खत्म हो जाने हैं
औए प्रेम क्यो छेड़ रहा है बच्ची को ? बड़ा भाई जतिन बोला ।
बड़े भाई के बोलते ही शालिनी ने कहा "क्यों खत्म हो जाने हैं ? अब तो मेरे दो दो घर होंगे । कभी यहां तो कभी वहां ? क्यों बाऊजी होंगे न ?"
ओ तू भी क्या इस पगले की बातों में आ रही है । ये तो जानबूझकर छेड़ रहा है तुझे। मंझला भाई अनूप बोला और तेरी विदाई की बात होते ही सबसे ज्यादा तो यही रोता है छुप छुपकर
शालिनी ने प्रेम की तरफ देखा उसकी आँखे अब भी भरी हुई थी शालिनी दौड़ के उसके गले लग गयी।
***

शादी के बाद घर और बाहर दोनो जगह काम के बोझ को न संभला पाने के कारण शालिनी ने नौकरी छोड़ दी। साहिल ने कई बार शालिनी से नौकरी पर फिर से जाने के लिए कहा मगर शालिनी ने यह कह मना कर दिया के वो दोनो जगह के काम नही कर पा रही .. सास ससुर के बोलने पर भी वो अपने फैसले पर अड़ी रही
साहिल या उसके परिवार वालो ने उस समय तो कुछ न कहा मगर उन सबका व्यवहार धीरे धीरे बंदलने लगा।
प्यार से बात करने वाला साहिल अब बात बात पर चिल्लाने लगा।खर्चे गिनाने लगता , काम का बोझ होगा सोच शालिनी चुप हो गयी। सास हर काम मे नुक्स निकालती और हर चीज को पैसों से तोलती। एक दो बार दहेज कम मिलने का ताना देते हुए कहा भी " हम तो कमाऊ बहू है सोचकर लाये थे , मगर ये तो यहां आते ही पसर कर बैठ गयी " मगर शालिनी ने चुप रहना ही बेहतर समझा। उसे लगा धीरे-धीरे ये लोग खुद ही चुप हो जाएंगे। इसलिए उसने अपने माँ बाऊजी को फिलहाल कुछ भी बताना उचित न लगा किंतु धीरे-धीरे ये झगड़े बढ़ने लगे।
***
एक दिन खाने में नमक ज्यादा होने की वजह से साहिल हद से ज्यादा चिल्लाने लगा
यही सिखा भेजा है तुम्हारी माँ ने तुम्हें ? खाना तक ढंग का नही बना सकती ?
हमारे झगड़े में मेरी माँ को न लाओ ....जो कहना है आप मुझे कहो
ओओ.. बड़ी आयी माँ की लाडली .. न तुझे घर का काम ढंग से करना है न तुझे नौकरी करनी है .. तो क्या हमारी छाती पर बैठ के मूंग दलने के लिए भेजा है तेरे बाप ने
"ज़ुबान संभाल कर बात करो" शालिनी ने साहिल से कहा
ओए मेरे बेटे को जुबान संभालने के लिए कह रही है .... और तू चुपचाप सुन रहा है !! दो लगा के अक्ल ठिकाने नहीं ला सकता इसकी ? साहिल की माँ के बोलते ही साहिल को जैसे शह मिल गयी। उसने कसकर शालिनी को तमाचा जड़ दिया..
दूसरी बार जैसे ही उसने हाथ उठाया शालिनी ने उसका हाथ हवा में पकड़ लिया
बस हाथ न उठाना ... वरना अच्छा न होगा तुम्हारे लिए
मुझे धमकी देती है ...कह साहिल ने दूसरे हाथ से शालिनी के बाल पकड़ लिए और उसे बहुत मारा यहां तक कि उसके शरीर पर जगह- जगह नीले निशान पड़ गए
इसे दो दिन तक कमरे में बंद कर खाना पानी बंद कर दो खुद ही अक्ल ठिकाने लग जाएगी। नौकरी करनी नहीं है मेमसाहब को, घर बैठ के रोटियां तोड़नी है बस। साहिल के बाऊजी बोलते हुए अपने कमरे में चले गए
साहिल की माँ ने कहा... औ सुन, तुझे अगर इस घर में रहना है तो काम करना पड़ेगा। कह उन लोगो ने शालिनी को कमरे में बंद कर दिया
***

थोड़ी देर में दरवाजे पर दस्तक हुई साहिल की माँ ने दरवाजा खोला। सामने शालिनी के भाईयों को देख वो सकपका गयी
आप लोग इस समय !!
हां हम शालिनी से मिलने आये है .. कहाँ है वो !!
वो .... वो तो कमरे में आराम कर रही है .. थक जाती है न बिचारी सारे घर का काम करते-करते, मुझे तो हाथ भी नही लगाने देती, तो सो गई है ... आप लोग फिर कभी मिल लेना .. कहकर उसने हाथ जोड़ उन्हें जाने का मूक इशारा कर दिया
कोई बात नही जी हमारी बहन है हमारी आवाज सुनते ही उठ जाएगी कहकर प्रेम ने शालिनी को जोर से आवाज़ लगाई। बंद कमरे से शालिनी की आवाज़ सुन तीनो भाई उस तरफ भागे और दरवाजा खुलते ही शालिनी अपने भाईयों से लिपटकर रोने लगी
इतने में साहिल भी कमरे से बाहर आ चुका था स्थिति भांप वो डर तो गया था पर अपनी अकड़ पर कायम रहा उसने अकड़कर कहा " ये क्या ड्रामा चल रहा है ?"
ये तुम्हें ड्रामा लगता है!! कह प्रेम ने सीधे साहिल का कॉलर पकड़ लिया और उसे मारा तो साहिल ने भी प्रेम पर हाथ उठाया ये देख बाकी दोनो भाई भी वहां आ गए और तीनों मिलकर उसे मारने लगे। झगड़ते हुए वो लोग बाहर सड़क तक आ गए
शालिनी ने बीच मे आकर भाईयों को रोका
तू हट जा शालिनी इसने तुझपर हाथ उठाया कैसे अनूप ने ज़मीन पर गिरे साहिल को पैर से ठोकर मारते हुए कहा
फिर भी शालिनी तीनो को रोकती रही
ये तुम लड़कियों की गलती है जो पहले तो ऐसे लड़को का पक्ष लेती हो और फिर उम्र भर मार खाती रहती हो... आज इसे सबक सिखाने दे जतिन चीखा
नही भाई रुक जाओ मेरी बात सुनो
साहिल को लगा अब शालिनी बचा लेगी भाईयों से उसे। आज तक ऐसा ही तो होता आया है । वो फिर अकड़ में भर बोला .. ओएए ....एक एक करके आओ तो दिखाता हूं
धमकी देता है ....कह भाई आगे बढ़ने लगे तो शालिनी ने फिर रोका
तू हट शालिनी वरना आज के बाद कभी हमारे सामने रोना नही नही ते आज इसे सबक सिखान दे ..
नही भाई जी रुक जाओ ... कह शालिनी साहिल की तरफ़ पलटी ... इसने आपको नहीं मुझे मारा है ... ये आपका नही मेरा गुनहगार है.. कह उसने सीधा हाथ भाई की तरफ बढ़ाकर उससे बेल्ट ली
अपने घरवालो के साथ मिलकर औरत पर हाथ उठा बड़ा मर्द बन रहा था न अब उठा हाथ... है हिम्मत .... उठा हाथ ..कह उसने साहिल को मारना शुरू किया ... जब मारकर थक गई तो उसे कॉलर से पकड़ते हुए बोली
वो ज़माना गया जब लड़कियां पति की मार खाकर रो धो कर चुपचाप घर में बैठती थी ... अब ज़माना बदल गया है ...अब मोबइल का जमाना है ....अब हाथ उठाने की गलती न करना कह शालिनी भाईयों के साथ आगे बढ़ी फिर बढ़ने-बढ़ते रुककर मुड़ी ....तलाक के कागज पहुँच जायेगे और साथ में एक गाड़ी भी। कागज साइन करके दहेज का सारा सामान गाड़ी में भिजवा देना। एक भी चीज छूटनी नही चाहिए याद रखना ...कह वह भाईयों के साथ आगे बढ़ गयी।

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