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ROBOTIC SURGERY

रोबोटिक सर्जरीःरोबोट के हाथ में सर्जरी के औजार

‘‘जब कोई इंसान रोबोटिक सर्जरी के बारे में सोचता है तो उसके दिमाग में यह बात आती है कि इसमें सारा कुछ अटोमैटिक होता होगा जैसे कार फैक्टरी में होता है.कार फैक्टरी में ऑपरेटर रोबोट के चलाने के बाद कॉफी पीने चला जाता है या फिर मैग्जीन पढ़ता रहता है. लेकिन, रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता. रोबोट सर्जन के कमांड में रहता है और वे रोबोट को आपरेट करने के लिए बैठा रहता है. रोबोट की सारी गतिविधियां सर्जन के इशारे पर होती हैं.''—डा.जेम्स, दुनिया के जानेमाने रोबोटिक सर्जन.

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‘रोबोट' शब्द उत्सुकता पैदा करता है. श्ांका भी होती है—‘‘कहीं यह खुद सर्जरी तो नहींं करता!''

क्या इंसानी रोगों का इलाज एक मशीन कर सकता है?क्या अब सर्जरी के लिए रोगियों को डॉक्टर रोबोट के पास जाना पड़ेगा?

नहीं, यह सच नहीं है.रोबोट सर्जरी नहीं करता,न ही कर सकता है. सर्जरी तो सर्जन ही करते हैं.हां,इसके लिए रोबोटिक आर्म की सहायता जरूर लेते हैं.इसीलिए इसे रोबोट एसिस्टेड सर्जरी कही जाती है.यह और कुछ नहीं,मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी का एडवांस टेक्नोलॉजी है.इसकी सहायता से सर्जन सर्जरी के स्थान पर छोटी सुराखबनाते हैं और रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम को प्लेटफार्म की तरह प्रयोग करते हैं.उसके बाद कंट्रोल डिवाइस की सहायता से उपकरणों को रोगग्रस्त अंगों तक पहुंचाकर प्रोसीजर पूरा किया जाता है.आम लोगों में ऐसी धारणा है कि रोबोट ही सर्जरी करता है जबकि सच्चायी यह है कि रोबोटिक ट्रेंड स्पेश्यलिस्ट अपने हाथ तथा उंगलियों की जगह रोबोटिक आर्मकी सहायता लेते हैं.

इसमें दो मत नहीं है कि रोबोटिक टेक्नोलॉजी पूरी तरह सर्जन के अधीन तथा उसके नियंत्रण में रहता है.इसका कार्य पूरी तरह सर्जन के हाथ का विस्तारित रूप है.इसकी सहायता से सर्जरी की जटिल प्रक्रिया को आसानी से पूरी की जाती है.सर्जन के हाथ तथा उंगलियाें की एक सीमा है. न हाथ और न ही उंगलियां अत्यंत छोटे से चीरा के अंदर जा सकते. जबकि रोबोटिक आर्म में लगे उपकरण आसानी से जा सकते हैं.रोबोटिक आर्म में लगे उपकरणों की कई खासियत होती है. ये काफी पतले, धारदार तथा लंबे होते हैं जो किसी अंग के एकदम पिछले भाग तक आसानी से पहुंच सकते हैं.इन्हें आगे,पीछे,उपर,नीचे,दायें,बायें किसी भी दिशा में आसानी से घुमाया जा सकता है. यह अपने अक्ष पर 360 डिग्री में भी आसानी से घूम सकता है.इससे छोटा से छोटा चीरा भी बिना किसी परेशानी के लगाना आसान है.कितना भी दक्ष सर्जन क्यों न हो उनके हाथ तथा उंगलियों में थोड़ा बहुत कंपन तो होता ही है जिसे रोबोटिक आर्म आसानी से दूर कर देता है. इस कारण सर्जन को कोई परेशानी नहीं होती.

अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नीक से लैस

रोबोट पूरी तरह अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नीक पर आधारित है.इसके मूलतः चार भाग होते हैं —

सर्जन कंसोल—सर्जरी करनेवाले सर्जन कंसोल के पास बैठते हैं. यह मरीज से दूर कई बार दूसरे कमरे में होते हैं.अर्थात्‌ सर्जन मरीज के टेबुल के पास न रहकर दूसरी जगह पर बैठते हैंं.

पेसेंट साइड कार्ट— पेसेंट साइड कार्ट के पास मरीज रहता है. रोबोट का यह भाग सीधे रूप से मरीज के संपर्क में होता है. इस भाग में स्थित रोबोटिक आर्म मरीज के संपर्क में होता है.

रोबोटिक आर्म— रोबोटिक आर्म में दो या तीन इंडोरिस्ट डिटेचेबुल इंस्ट्रुमेंट्‌स आर्म तथा एक इंडोस्कोपिक आर्म होते हैं जोसर्जन के इशारे पर इधर—उधर घूमते हैंंंं. प्रत्येक उपकरण का अपना कार्य होता है. येेसुचरिंग, क्लींपिंग से लेकर स्टीचिंग जैसे कार्य भी करते हैं.ये लीवर की सहायता से जरूरत के अनुसार रोबोटिक आर्म में इधर—उधर तेजी से घूम सकते हैं.रोबोटिक आर्म कौन—सा उपकरण कहां रखता है, इसको भी याद रखता है ताकि दुबारा जरूरत पड़ने पर आसानी से मिल जाए.ये जरूरत के अनुसार अपने अक्ष पर आसानी से गोलाकर यानी 360 डिग्री में घूम सकते हैं.यह इसकी विशेषताहै.सर्जरीके दौरान किस उपकरण पर कितना दवाब देना है,इस पर भी नियंत्रण रखना होता है.इससे उपकरण में कंपन नहीं होता और महीन से महीन सुराख में भी परेशानी नही होती.

इंनसाइड विजन सिस्टम—चौथा महत्वपूर्ण भाग थ्री—डी विजन सिस्टम तथा नेविगेटर कैमरा कंट्रेाल होता है.कैमरा यूनिट या इंडोस्कोपिक आर्म सर्जरीकी जगह का थ्री—डायमेंशनलइमेज सर्जन के सामने रखेमानिटर पर डिस्प्ले करता हैै ताकि ऑपरेटिंग स्पेस को हर तरह से देखा जा सके.हाई रिजोल्युशन रियल टाइम मैग्नीफिकेशन के माध्यम से ऑपरेटिंग फिल्ड शरीर के अंदर के दृश्य को कई कोण से देखने में आसानी होती है.इससे सर्जरीके समय परेशानी नहीं होती.

रोबोट में कई तरह के डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे एक्स—रे, अल्ट्रासोनोग्राम तथा एमआरआई मशीन लगे होते हैं जिसकी वजह से सर्जन को किसी भी तरह का शंका होने की स्थिति में तुरंत जांच कर उसी समय डायग्नोसिस कर सर्जरीकी प्रक्रिया को जारी रखते हैं.इसमें कैमरा भी काफी पावरफुल लगा होता है जिससे किसी भी अंग का जैसा चाहते हैं,इमेज देख सकते हैं.

कैसे की जाती है सर्जरी ?

प्रश्न उठता है कि रोबोट आखिर कैसे काम करता है?

सर्जन को दो ही हाथ होते हैं जबकि रोबोट के चार हाथ यानी आर्म होते हैं. इसके एक आर्म कैमरा को कंट्रोल करता है और बाकी तीन हाथों में सर्जिकल इंस्ट्रुमेंट्‌स होते हैं. सर्जरी की सारी गतिविधियां सर्जन हाई डिफिनेशन थ्री—डी विजुअल सिस्टम से देखते रहते हैं.

इस सर्जरी में ऑपरेशन वाली जगह में पैंसिल से भी छोटे आकार की तीन सुराख की जाती है.रोगग्रस्त अंगों तक पहुंचने तथा सर्जरी के लिए जगह बनाने के लिए मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी की तरह पेट मेंकार्बन डॉयक्साइड गैस भरी जाती है.उसके बाद सुराख से तीन स्टेनलेस रॉड सर्जरी वाले हिस्से में प्रवेश करायी जाती है. एक रॉड में कैमरा तथा इंडोस्कोप तथा बाकी दोनों में सर्जरी में काम आने वाले उपकरण लगे होते हैं. इसे सर्जिकल आर्म कहते हैं. सर्ज्िाकल आर्म में लगे इंडोरिस्ट डिटेचेबुल इंस्ट्रुमेंट्‌स आपरेटिंग साइट पर पहुंचकर सर्जन के दिशा—निर्देश का पालन करते हैं. इसमें रोबोट सर्जन का केवल मैकेनिकल हैल्पिंग हैंड होता है. रिमोट कंट्रोल अौर वाइस एक्टीवेशन जैसे उपकरण सर्जन कंसोल तथा रोबोटिक आर्म से सेंसर के द्वारा जुड़े होते हैं और कंसोल द्वारा मिलने वाले निर्देशोर्ं का पालन करते हैं.सर्जिकल आर्म में लगे कैमरा तथा इंडोस्कोप के द्वारा आपरेटिंग फिल्ड की पूरी तस्वीर सर्जन के सामने रखे मॉनिटर पर दिखायी देती रहती है. पारंपरिक ऑपरेशन में जहां उपकरणों को सर्जन अपने हाथों से कंट्रोल करता है ,यह काम रोबोट करता है.

सर्जन आपरेशन मेज से कुछ दूरी पर स्थित कंट्रोल कंसोल के पास बैठते हैं. सामने व्यू फाइंडर की स्क्रीन पर मरीज केशरीर के अंदर स्थित कैमरे से आपरेशन वाले भाग की तसवीर दिखाई पड़ती है.

स्क्रीन के ठीक नीचे बच्चों के खेलने वाले वीडियो गेम के ज्वाय स्टिक की तरह कंट्रोल लगे होते हैं. इसी से सर्जन रोबोटिक आर्म में लगे सर्जिकल उपकरण को दिशा निर्देश देते हैं, जिसका पालन रोबोटिक आर्म में लगे उपकरण करते हैं. कंप्यूटर कंसोल मेज के बहुत पास नहीं रखा जाता. थोड़ा दूर रखा जाता है. इसे दूसरे कमरे मेंभी रखा जा सकता है.

सर्जन को ऑपरेशन के समय काफी स्वतंत्रता होती है और आसानी से सर्जरी के उपकरणों का प्रयोग कर पाते हैं.इनके हाथों में थोड़ा भी कंपन नहीं होता. आमतैार पर माइक्रो सर्जरी में जब फाईन सर्जरी की जाती है तो सर्जन के हाथ में कंपन होने से परेशानी होती है.रोबोटिक सर्जरी में आपरेटिंग एरिया का काफी मैग्नीफिकेशन हाने से आपरेटिंग एरिया को देखने और सर्जरीकरने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती

रोबोटिक सर्जरी के फायदे

पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में इस सर्जरी के कई फायदे हैं जैसे

0 इसमें बेहद छोटा—सा चीरा लगाया जाता है.

0 ऑपरेशन का निशान अत्यंत छोटा होता है.

0 अस्पताल में मात्र 3—4 दिन ही रहने की जरूरत पड़ती है.

0 दर्द निवारक दवाओं की कम जरूरत पड़ती है.

0 ऑपरेशन के समय रक्तस्त्राव कम होता है.

0 संक्रमण की आशंका कम होती है.

0 ऑपरेशन के बाद मरीज जल्द ठीक होकर अपने काम पर लौट जाता है.

भारत में रोबोटिक सर्जरी

भारत में रोबोटिक सर्जरी बड़ी तेजी के साथ उभरता हुआ एकदम नया टेक्नोलाजी है.जिस तेजी के साथ चिकित्सा के सभी क्षेत्रों में इसका विकास और विस्तार हो रहा है,उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आनेवाला समय रोबोटिक सर्जरी का होगा. सर्जरी के क्षेत्र में रोबोटिक टेक्नोलाजी के आने के बाद मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी का काफी विकास और विस्तार हो रहा है. इसे देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि निःसंदेह सर्जिकल प्रोसिड्‌योर डिजिटल युग में प्रवेश कर गया है. इसके विकास और विस्तार की गति को देखते हुए कहा जा सकता है कि आनेवाले समय में चिकित्सा—विज्ञान में उस तरह का भी इलाज संभव हो जायेगा जो इंसानी क्षमता के बाहर है.

लगभग डेढ दशक पहले काल्पनिक कथाओं की दुनिया से निकलकर अमेरिका के ऑपरेशन थियेटर में रोबोट एसिस्टेड सर्जरी होने लगी. और इसके एक दशक बाद से भारत के अस्पतालों में यह तकनीक अपनाये जा रहे हैं.नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ;एम्सद्ध में यह सर्जरी सन्‌ 2008 से ही हो रही है.फिलहाल भारत में अपोलो और फोर्टिस सहित कम से कम दा से तीन दर्जन बड़े अस्पतालों में यह सर्जरी हो रही है. मनीपाल हॉस्पिटल;बैंगलोरद्ध , एशियन हार्ट इंस्टीट्‌यूट;मुंबईद्ध, मेदांता;गुड़गांवद्ध किंम्स अस्पताल;हैदराबादद्ध,सर गंगाराम होस्पीटल;नई दिल्लीद्ध, में पिछले चार—पांच सालों से यह सर्जरी हो रही है.

भारत में पहली बार गुड़गांव के मेदांता मेडिसीटी में इसकी सहायता से लीवर प्रत्यारोपण किया गया. 36 वर्षीय रहमातुल्लाह के 20 फीसदी लीवर को निकालकर उसकेचार वर्षीय भतीजे को प्रतिस्थापित किया गया. मेदांता के चिकित्सको के अनुसार पूरी दुनिया में होनेवाला यह तीसरा लीवर ट्रांसप्लांटेशन है. मेदांता लीवर इंस्टीट्‌यूट के चेयरमैन एस. सोनी के अनुसार—‘‘इस सर्जरी का उपयोग साधारणतया दूसरे आपरेशन जैसे—किडनी,हार्ट तथा गाइनी के लिए किया जाता है. लीवर ट्रांसप्लांटेशन के लिए काफी दक्षता की जरूरत होती है। इसआपरेशन बाद लीवर डोनर को विश्वास बढेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग डोनेशन के लिए आगे आयेंगे.

क्या कहते हैं लोग

मनीपाल हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर सुदर्शन बलाल के शब्दो में—‘‘इस सर्जरी की खासियत यह है कि अत्यधिक छोटा चीरा के कारण रक्तस्त्राव नहीं के बराबर होता है. मरीज रिकवर भी जल्दी कर जाता है.''यूएस के हेनरी फोर्ड हॉस्पिटल के डायरेक्टर मानी मेनन भारत की यात्रा के दौरान एक पब्लिक भाषण में कहा था —‘‘यह सर्जरी अभी शुरूआती दौर में है.'' मानी मेनन ने सन 2001 में यूएस में पहली बार रोबोट से प्रोस्टेट की सफल सर्जरी की थी. फोर्टिस इंटरनेशनल सेंटर फॉर रोबोटिक सर्जरी के सुधीर श्रीवास्तव का कहना है कि कंपनी मुंबई,बंगलोर,कोलकाता के अतिरिक्त मोहाली तथा जयपुर जैसे छोटे शहरों में भी रोबोटिक सर्जरी सेंटर खोले जा रहे हैं इसके पीछे के कारणों की चर्चा करते हुए वे कहते हैं कि भारतीय मरीजों के अतिरिक्त विदेशी मरीज जो इस प्रोसिजरसे भलीभांति परिचित हैं,विदेशों की तुलना में किफायती होने के कारण बहुत बड़ी संख्या में आ रहे हैं.जिस रफ्‌तार से इस प्रोसिजर का विकास और विस्तार हो रहा है उसे देख्ते हुए कहा जा सकता है कि आनेवाले समय में भारतीय मरीज भी इसकी उपयोगिता का लाभ उठा सकेंगे.

अमेरिका में 35 लाख से भी अधिक दिल के ऑपरेशन रोबोट की सहायता से प्रति वर्ष किए जा रहे हैं. 11 जुलाई 2000 को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अमेरिका में द सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम को पहली बार प्रयोग करने की अनुमति दी.एम्स केलगभग सभी विभागों जैसे जेनरल सर्जरी,कार्डियोथोरेसिक सर्जरी,कार्डियोलोजी,गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल सर्जरी,गाइनोकोलॉजी,न्यूरो, ओर्थेपेडिक ,पेडियाट्रिक सर्जरी,रेडियो सर्जरी,यूरोलॉजी ही नहीं कई दूसरी जैसे प्रोस्टेट,थ्रेाट, थायराइड आदि की भी सर्जरी इसके द्वारा की जा रही है.

एम्स के सर्जरी विभाग के प्रो. डा अरविंद कुमार के शब्दों में —‘‘इस तरह की सर्जरी में छाती केा पूरी तरह से खोलने की जरूरत नहीं होती जबकि पारंपरिक सर्जरी में बड़ा—सा चीरा लगाकर छाती की हड्‌डी को काटना पड़ता था.इसमें एक—एक सेंटीमीटर की तीनसुराख छाती की बायीं तरफ बनाने की जरूरत पड़ती है. इन्हीं के द्वारा सर्जरी की सारी प्रक्रिया पूरी की जाती है.इतने छोटे छिद्र से ज्यादा ब्लिडिंग भी नहीं होता और मरीज रिकवर भी जल्दी कर जाता है. एम्स में पहली बार रोबोटिक सर्जरी करानेवालेइंजीनियरिंग का छात्र रामाशीष प्रसाद अपना अनुभव बताते हुए कहता है—‘‘जब मुझे बताया गया कि सर्जरी रोबोट की सहायता से की जायेगी तो शुरू—शुरू में काफी नर्वस था. लेकिन जब बताया गया कि यह आपरेशन काफी सुरक्षित है. इसमें घबड़ाने की जरूरत नहीं है तो मैंने इसके लिए हामी भर दी.सर्जरी के बाद जल्द रिकवर कर गया और घर चला आया.मुझे तो अब लग ही नहीं रहा है कि मेरी इतनी बड़ी सर्जरी हुई है.''

दुनिया के जानेमाने रोबोटिक सर्जन डा.जेम्स कहते हैं—‘‘जब कोई इंसान रोबोटिक सर्जरी के बारे में सोचता है तो उसके दिमाग में यह बात आती है कि इसमें सारा कुछ अटोमैटिक होता होगा जैसे कार फैक्टरी में होता है.कार फैक्टरी में ऑपरेटर रोबोट के चलाने के बाद कॉफी पीने चला जाता है या फिर मैग्जीन पढ़ता रहता है. लेकिन, रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता. रोबोट सर्जन के कमांड में रहता है और वे रोबोट को आपरेट करने के लिए बैठा रहता है. रोबोट की सारी गतिविधियां सर्जन के इशारे पर होती हैं.सर्जन के आगे कई तरह के कंट्रोल और कंसोल होते हैं.''

भारत के मरीजों की मानसिकता की चर्चा करते हुए कृष्ण इंस्टीट्‌यूट के मैनेजिंग डायरेक्टर तथा सीइओ डा. भास्कर राव कहते हैं—‘‘ उन्हें जब पता चल जाता है कि सारा कुछ रोबोट नहीं एक सर्जन करता है तो उन्हें विश्वास हो जाता है और वे इस सर्जरी के लिए तुरंत राजी हो जाते हैं.इनके आगे मुख्य मुद्‌दा बस खर्चे को लेकर आड़े आता है. उन्हें यह बताना होता है कि इस सर्जरी के कई फायदे हैं जिसमें मरीज को मात्र एक दो दिनों में ही छुट्‌ठी दे दी जाती है.उन्हें इस बात को भी बताना होता है कि केवल ऑपरेशन ही नही रिकवरी भी महत्वपूर्ण होता है. अभी शुरूआती दौर में मरीज का काउंसेलिंग करना पड़ता है.''

म्ांहगी है यह सर्जरी

इतना तो तय है कि इससे होनेवाले सारे फायदे मंहगे हैं.लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में कम से कम एक लाख का अतिरिक्त खर्च आता है। इसके बचाव के पक्ष में सर्जन कई तरह के तर्क देते हैं.आपरेशन में कम रक्तस्त्राव,कम समय तक भर्ती रहना,जल्दी रिकवर होकर अपने काम में लौट जाना आदि शामिल है.लेकिन,यह नहीं भूलना चाहिए कि एक रोबोट खरीदने के लिए अस्पताल को 7 सं 10 करोड़ रूपये खर्च करने पड़ते हैं.एक लेप्रोस्कोपिक सर्जन जो रोबोट एसिस्टेड सर्जरी यूनिट स्थापित करने की योजना बना रहे हैं,बताते हैं—‘‘रोबोटिक सर्जरी के सारे उपकारण डिस्पोजेबल होते हैं जिसका उपयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है.इस कारण भी सर्जरी का कॉस्ट काफी बढ जाता है.''एशियन हार्ट इंस्टीट्‌यूट के डायरेक्टर विजय डिजल्वा की माने तो जब ज्यादा संख्या में सर्जरी होने लगेगी तो कास्ट अपने आप काफी कम हो जायेगा.लेकिन,सैद्धाांतिक रूप ये कहना जितना आसान है,सच्चायी इससे काफी अलग है.आज सर्जिकल रोबोट का मार्केट केवल एक कंपनी के अधीन है—दा विंसी सर्जिकल सिस्टम.पूरी दुनिया में पांच हजार से भी अधिक सिस्टम यह बेच चुका है.इसका मार्केट 16 बिलियन डालर से भी अधिक का है.इसलिए फिलहाल इसकी कीमत कम करने के लिए इसके आगे न तो कोई बाध्यता है और न ही मजबूरी.

लेकिन,केवल खर्च के आधार पर इसकी उपयोगिता नहीें आंकी जा सकती.युनाइटेड स्टेट्‌स में हॉस्पिटल की ओर से इस प्रोसिड्‌योर के प्रचार—प्रसार के तरीकों पर कई बार उंगली उठायी जाती रही है. जॉन हाप्किंस युनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित शोध में कहा जा चुका है कि यूएस में दस हॉस्पिटल के वेवसाइट्‌स में चार में रोबेाटिक सर्जरी की केवल खूबियों को ही केवल प्रचारित किया जाता है.कहीं भी रिस्क फैक्टर्स की कोई चर्चा नहीं होती.जॉन हाप्किंस युनिवर्सिटी के हॉस्पिटल के सर्जरी के एसोसियेट प्रोफेसर मार्टी मेकारे का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है जिससे मरीजों को ज्यादा समय तक वेहोश रखा जाता है.लेकिन,हॉस्पिटल के वेवसाइट्‌स पर कहीं भी इस बात की कोई चर्चा नहीं है.मानी मेनन का मानना है किइस सर्जरी को सबसे ज्यादा खतरा कम दक्ष सर्जनों से है.विजय डिसल्वा का कहना है कि मरीज के अधिक समय तक वेहोश रहने की मुख्य वजह सर्जन में दक्षता की कमी है.रोबोटिक उपकरणोें के कारण सर्जरी में देर नहीं होती है.अनुभव की कमी के कारण सर्जन का हाथ तेजी से नहीं चलना ही मुख्य वजह है.

टेलीरोबोटिक सिमोट सर्जरी

टेलीरोबोटिक सिमोट सर्जरी को टेली सर्जरी तथा आम बोलचाल की भाषा में रिमोट सर्जरी भी कहते हैं. रोबोटिक सर्जरी से यह कई मायने में अलग किंतु इसी का विकसित रूप है. इसमें ऑपरेशन करने वाले सर्जन शारीरिक रूप से एक ही लोकेशन पर नहीं होते. दोनों के बीच सैकड़ों—हजारों किलोमीटर की दूरी होती है. यह विज्ञान का अदभुत उदाहरण है. रोबोट, सर्जिकल उपकरण, उत्तम संचार व्यवस्था तथा टेक्नोलाजी का सम्मिश्रण होता है. उच्चस्तरीय टेक्नोलाजी के अंतर्गत हाइस्पीड डाटा कनेक्शन इन्फार्मेशन की जरूरत होती है. रोबोटिक सर्जरी में सर्जन के कंट्रोल में रोबोट रहता है, लेकिन रिमोट सर्जरी में ऐसी बात नहीं होती. मरीज अौर सर्जन के बीच काफी दूरी होती है अौर सारा काम टेलीकम्युनिकेशन तथा कम्प्यूटर एसिस्टेट आपरेटिंग सिस्टम द्वारा आपरेट होता है. अतः यह अकेले सर्जन के बूते की बात नहीं है. एक्सपर्ट तथा स्पेश्लाइज्ड सर्जन तथा विशेषज्ञों की टीम होती है जो सभी मिलकर सर्जरी की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न करते हैं. इस सर्जरी की सबसे ज्यादा खायिसत यह होती है कि मरीज को यात्रा करने की जरूरत नहीं पड़ती। अपने शहर के लोकल अस्पताल में रहकर सर्जरी करवा सकता है.

टेली सर्जरी के फायदे

0 इसके माध्यम से घर बैठे नये सर्जन को ट्रेनिंग देना आसान है.

0 कम विकसित तथा विकासशील देशों के सर्जन को आसानी से ट्रेनिंग दी जा सकती है.

0 इसकी सहायता से कहीं भी सर्जरी की जा सकती है.

0 सर्जरी के दौरान किसी भी देश के सर्जन से हेल्प लिया जा सकता है.

0 इस सर्जरी में न तो सर्जन अौर न ही मरीज को दूसरे शहर के अस्पताल की यात्रा करने की जरूरत होती है. अपने ही घर में बेहतरीन सर्जन की सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है.

इसके फायदे को देखते हुए इसकी सर्जरी को कई नाम आजकल दिये गये हैं—रिमोट सर्जरी,मिनिमली इन्वेसिव मेजर सर्जरी,अनमैन्ड सर्जरी.इस सर्जरी में अति सूक्ष्म चीरा की मदद से मेजर आपरेशन संपन्न होता है.जिसमें अत्यधिक कम रक्तस्त्राव होता है,मरीज को तकलीफ कम होती ही है रिकवरी टाइम भी काफी कम हो जाता है.सर्जन के हाथ से सर्जरी करने से आपरेटिेग स्पेस की ज्यादा जरूरत पड़ती है किंतु, इसमें वैसी बात नहीं.अत्यंत कम स्पेस में भी आपरेशन हो जाता है.थ्री—डायमेंशनल मैग्नीफिकेशन होने के कारण आपरेशन करने में काफी सहूलियत होती है.इतना ही नहीं ,मल्टी डायमेंशनल कैमरा होने के कारण भी आपरेशन में काफी सहायता मिलती है.

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