फिल्म रिव्यू - सिकंदर का मुक़द्दर S Sinha द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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फिल्म रिव्यू - सिकंदर का मुक़द्दर

                                 फिल्म रिव्यू  सिकंदर का मुक़द्दर 


 इसी वर्ष 29 नवंबर को  एक हिंदी फिल्म रिलीज हुई है “  सिकंदर का मुक़द्दर “  .  ‘ मुक़द्दर का सिकंदर ‘( यानी भाग्यशाली व्यक्ति ) मुहावरा तो सबने सुना होगा पर “  सिकंदर का मुक़द्दर “  कुछ अटपटा जरूर लगता है  . अमिताभ बच्चन की फिल्म “  ‘ मुक़द्दर का सिकंदर ‘ “ के शीर्षक को सही कहा गया है क्योंकि  इस फिल्म में नायक शून्य से बहुत अमीर बन  जाता है   .   “  सिकंदर का मुक़द्दर “   फिल्म में  नायक का नाम  सिकंदर है और उसी की किस्मत की कहानी है यह फिल्म  .  यहाँ सिकंदर के मुक़द्दर में बहुत अप्स एंड डाउन्स ( ups and downs ) होते रहते हैं   

कहानी 
इस फिल्म की कहानी नीरज पांडेय और विपुल रावल ने लिखी है  . इसका निर्माण शीतल भाटिया ने किया है और निर्देशक नीरज पांडेय हैं  . इस फिल्म के मुख्य पात्र हैं - सिकंदर शर्मा ( अविनाश तिवारी ) जो एक सॉफ्टवेयर टेक्नीशियन हैं ,  पुलिस अफसर जसविंदर सिंह ( जिमी शेरगिल )  और कामिनी सिंह ( तमन्ना भाटिया )  . कहानी शुरू होती है एक हीरे की प्रदर्शनी के दौरान लगभग 60 करोड़ रुपये के हीरे की चोरी से  . सिकंदर जब एक कंप्यूटर ठीक करने जाता है तब उसे कुछ लोगों का  हीरा चोरी करने का प्लान पता चलता है  .  उसकी चालाकी से सभी चोर मारे पुलिस एनकाउंटर में जाते हैं फिर भी हीरा चोरी हो जाता है  ..एनकाउंटर में मारे गए चोरों के बैग से सिकंदर को एक्जीबिशन में एंट्री का पास मिल जाता है  .  चोर का पता लगाने पुलिस अफसर जसविंदर आता है  . कुछ छानबीन के बाद वह  सिकंदर शर्मा , कामिनी सिंह और मंगेश देसाई ( राजीव मेहता ) को शक के घेरे में लेता  है  . कामिनी सिंह और मंगेश देसाई दोनों हीरे के स्टोर में काम करते हैं  .आल क्लियर सायरन बजने के बाद   सिकंदर जल्दी से वहां से निकलना चाहता है पर जसविंदर उसको रोक लेता है  . जसविंदर को अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति ( instinct )  पर बहुत भरोसा है और उसने पहले भी काफी मामले इसी आधार पर निपटाए हैं  . उसके रिकॉर्ड में 100 % सफलता मिलती आयी थी और इस बार भी उसे सबूत से ज्यादा अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति पर  विश्वास था कि चोरी सिकंदर ने की है  . 


जसविंदर सिंह  सिकंदर शर्मा , कामिनी सिंह और मंगेश देसाई तीनों को हिरासत में लेता है  .  सभी आरोपी अपने को निर्दोष बताते हैं  . वहां सिकंदर को थर्ड डिग्री टॉर्चर भी मिलता है ,  पर सभी आरोपियों को जमानत मिल जाती है  . इस बीच सिकंदर की नौकरी चली जाती है और उसे कोई नौकरी देने को तैयार भी नहीं होता है  . इसी समय कामिनी , जो एक सिंगल मदर है , उसकी जिंदगी में आती है और वह  पैसे से सिकंदर की मदद करती है  . दोनों की शादी भी होती है  . सिकंदर  का एक दोस्त मनीष ( अश्रुत जैन ) है , वह भी उसकी काफी सहायता करता है और उसे आबू धाबी में नौकरी के लिए भेजता है   .   सिकंदर  वहां पर  काफी पैसे अर्जित करता है और 15 साल के कॉन्ट्रैक्ट के बाद भारत लौटता है .


एक बार जसविंदर कामिनी को चोरी का छोटा सा हीरा बेचते हुए पकड़ता है  . उसी के दबाव में कामिनी  सिकंदर की हर खबर जसविंदर को देती रहती है  . 


सबूतों के अभाव में सभी आरोपी छूट जाते हैं  . एक बार  हिरासत में सिकंदर को टॉर्चर करता  है तब सिकंदर बोलता है “  जिस दिन तुम्हें महसूस होगा कि मैं बेक़सूर हूँ तुम्हें  मेरी आँखों से आँखें मिला कर माफ़ी मांगनी होगी . “ जसविंदर इस शर्त को स्वीकार करता है  . 


दरअसल फिल्म में जल्दी जल्दी घटनाओं का क्रम बदलते रहता है कभी  प्रेजेंट , कभी पास्ट  जिससे दर्शक कुछ कन्फ्यूज जरूर होते हैं  . सिकंदर के बरी होने से जसविंदर बहुत दुखी होता है और उसकी नौकरी भी चली जाती है  . उसकी पत्नी ( दिव्या दत्ता ) से उसका तलाक हो जाता है हालांकि दिव्या की कोई अहम भूमिका फिल्म में नहीं है  . 


निर्माता और निर्देशक ने फिल्म को मनोरंजक और रोमहर्षक ( thriller ) बनाने की भरपूर कोशिश की है और आंशिक सफलता उन्हें मिली है  . आखिर इतना कीमती हीरा कहाँ गया , यह जानने के लिए दर्शक की उत्सुकता बनी रहती है  . अचानक कहानी 15 साल आगे बढ़ती है  . पर इस बीच जसविंदर टॉम एंड जेरी कार्टून  की तरह सिकंदर के पीछे पड़ा रहता  है  . 15 साल बाद सिकंदर और जसविंदर दोनों आमने सामने होते हैं  . जसविंदर  सिकंदर के कहे अनुसार उस से आँखें मिला कर सॉरी भी कहता  है  .सिकंदर को कामिनी की सच्चाई पता चलती है तब वह उस से भी मुंह मोड़ लेता है  . वह गाँव की तरफ बस से एक नयी शुरुआत के लिए जाता है  वहां  15 साल पहले चुराए हीरे को  उसने बोनसाई के एक गमले में छुपा रखा था  . दरअसल   हीरे की चोरी के समय उसकी बचपन की दोस्त  नर्स प्रिया ( रिद्धिमा पंडित ) मेडिकल टीम के साथ वहां मौजूद थी  . सिकंदर ने चुपके से हीरा प्रिया को  दे दिया था और उसने एक नर्सरी में गमले के अंदर उसे छुपा दिया था  . अंत में जसविंदर सिकंदर का पीछा करते हुए  हीरे तक पहुँचता है  .  सिकंदर जसविंदर से एक डील करता है , वह डील क्या है , सोचने के लिए दर्शक पर छोड़ देता है  . 


जसविंदर के रोल में जिमी शेरगिल  और  सिकंदर के रोल में अविनाश तिवारी खरे उतरते हैं  . कामिनी के रोल में तमन्ना ने भी ठीक किया है हालांकि उसके लिए ज्यादा स्कोप था भी नहीं  . निर्देशक और कहानी लेखक ने हीरे के चोर के बारे में जानने के लिए दर्शक को उलझाए रखा है  . जहाँ तक डील की बात है ज्यादातर लोग  यही समझेंगे कि सिकंदर और पुलिस अफसर  जसविंदर में फिफ्टी फिफ्टी हो गया है  . या कुछ अपनी मर्जी से कुछ और  समझें , यह निर्देशक ने दर्शक पर छोड़ दिया है  . या निर्माता इसके आगे “ सिकंदर का मुक़द्दर 2 “ sequel बना कर इस अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर दें  . 


यह फिल्म दर्शकों के लिए NETFLIX पर उपलब्ध है  . 


कुल मिलाकर निजी तौर पर यह फिल्म 10 में 5 अंक डिजर्व करती है  

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