भूलभुलैया तीन; दिमाग़ घर छोड़ मनोरंजन की डोज
_____________________________फिल्में सशक्त माध्यम है जो आम ओ खास से लेकर गाम शहर सबको समान रूप से जोड़ती है।
निर्देशक और लेखक अनीस बज्मी इस बार कहानी में इतने टर्न और ट्विस्ट लेकर आएं हैं कि याद रखते रखते फिल्म का मजा चला जाता है। फिर ख्याल आता है हटाओ यार,फिल्म की थोड़ी सी कॉमेडी राजपाल यादव, मिश्रा और छोटे मियां की और ग्रेसफुल माधुरी दीक्षित के साथ कार्तिक आर्यन की एक्टिंग को देखो और पैसा वसूल पाएं।
कहानी और निर्देशन
__________________:_ कहानी का पिछली फिल्म यानि पार्ट दो से कोई संबंध नहीं है। अनीस बज्मी चूंकि खुद भी अच्छे लेखक है तो वह टर्न एन ट्विस्ट में माहिर हैं। प्रारंभ में ही दिखाया जाता है कि एक सजी धजी स्त्री को राजा के इशारे पर आग में जिंदा जला दिया जाता है। और फिर उसकी आत्मा आती है और जल्लाद को मार डाल देती है।
फिर दो सौ वर्षों बाद कहानी आगे बढ़ती है और वर्तमान में रूह बाबा (कार्तिक आर्यन)दिखाते हैं जो एक फर्जी ढंग भूत प्रेत भगाने का नाटक कर पैसे ऐंठता है।
एक अच्छी बात यह है कहानी की कि रूह बाबा ऐसा नाम दिया है कि यह हिंदू मुस्लिम दोनों में हो सकता है। वैसे दूसरे पक्ष के नजदीक अधिक है। तो यह एक निर्देशकीय सूझबुझ का भी प्रमाण है।
कथा आगे बढ़ती है और उसी फर्जी भूत वाले लड़के का पिता और पुत्री , तृप्ति डिमरी,यह अपने अभिनय से कम और अल्हड़ अंदाज से अधिक ध्यान खींचती है,उसे अपने साथ चलने के लिए मजबूर करते हैं। फिर कट टू पुराना महल और गांव का सेट की जगह पर कहानी पहुंच जाती है। अब आगे पूरे दो घंटे फिल्म वहीं विभिन्न घटनाक्रम को दिखाती है। यह कॉस्ट कट का भी अच्छा जरिया है।
तो वहीं अन्य पात्र आते जाते हैं। माधुरी दीक्षित और विद्या बालन में लगता है दोनों में कौन भूतनी है और कौन वास्तविक? दोनों को रहस्यपूर्ण दिखाया गया है।
इस कहानी में फिर एक मोड आता है जब उन दोनों बहनों मंजुलिका और अंजुलिका का एक भाई भी सामने आता है जो कार्तिक आर्यन का ही हमशक्ल था। फिर रहस्य खुलता है कि वह स्त्रैण गुणों से युक्त था। तो प्रारंभ में जो दृश्य था तो वह स्त्री वेश में दो सौ साल पहले उसे ही जिंदा जलाया गया था। और यह बात की इसी वजह से उसे कहा गया था कि तुम ही इस रहस्य को खोल सकते हो।
कई डरावनी घटनाएं जिनका निर्देशक अगले ही दृश्य में रहस्य खोल देता है कि कैसे की गईं? तो उनके साथ छोटे मियां और राजपाल यादव, मिश्रा और अश्वनी कालसेकर की कॉमेडी चलती है।
तेज घटनाक्रम और दमदार बैक ग्राउंड स्कोर फिल्म को सपोर्ट करता है।
अंत फिल्म का एक सकारात्मक नोड पर अनीस बज्मी करते हैं जिसके लिए यह फिल्म सुपरहिट होती है।
दोनो बहनों से बदला लेने के लिए भाई की आत्मा भटकती है और उन्हें अंत में मारना चाहती है। पर अंत में राजपुरोहित के वंशज पुरोहित जी की साधना से मंत्र वाला जल से उसे खत्म करने वाले होते हैं। तभी दोनों बहने उससे क्षमा मांगती हैं और कहते हैं कि हमारी गलती थी कि तुम्हारी शिकायत पिताजी राजा साहब से की।तुम हमें दंड दो। यह बात सुनकर बदला लेने वाली युवराज की आत्मा का दिल बदल जाता है (आत्मा का हृदय परिवर्तन!!,बज्मी की माया)और वह उन्हें माफ कर देती है। इसी के साथ उसे भी मोक्ष मिल जाता है और उसे मुक्ति मिल जाती है।
माधुरी दीक्षित और विद्या बालन के किरदार अपने वर्तमान जीवन में आ जाते हैं।और हैप्पी एंडिंग।
क्या है दर्शकों के मन में
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अब आज के युग में यह सब आप देखो और मानो तो हिट है।नहीं मानो तो रहें घर में । दीपावली रिलीज का लाभ वाजिब बजट लगभग साठ करोड़ में बनी फिल्म को मिला।और फिल्म ने करीब तीन सौ करोड़ कमा लिए ।
अभिनय में कार्तिक आर्यन अपना किरदार सहजता से निभा ले जाते हैं। और संभावनाएं जगाते हैं कि भविष्य में वह एक बड़े अभिनेता बन सकते हैं। तृप्ति डिमरी में एक एक्स फैक्टर है और वह भारतीय सौंदर्य के मानदंडों पर खरी उतरती हैं।अपने अभिनय की कमी को वह अपने बोल्ड अंदाज से पूरा करती हैं ।
बाकी सपोर्टिंग कास्ट में सभी ने अच्छा कार्य किया है।राजपाल यादव,विद्या बालन और छोटे मियां प्रभावित करते हैं।
संगीत फिल्म को ज्यादा सपोर्ट नहीं करता। टाइटल ट्रैक आखिर में कहीं आता है।
तो एक सकारात्मक दृष्टिकोण और नए ट्रिटमेंट के लिए फिल्म को देखा जा सकता है।
मैं देता हूं फिल्म को थ्री स्टार रेटिंग।
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डॉ संदीप अवस्थी, आलोचक और फिल्म लेखक , देश विदेश के अनेक अवार्ड प्राप्त। संपर्क 8279272900,7737407061