में और मेरे अहसास - 115 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 115

जुबान खामोश हैं पर कलम बोलती हैं l

हृदय में उठते लब्जों को खोलती हैं ll

 

दिल की बात सुनके दिल की कहतीं है l

वो सदाकत का साथ देकर डोलती हैं ll

 

उमड़ते भावों ओ उर्मि को किताबों में l

लिखने से पहले शब्दों को मोलती हैं ll

 

खुद ही न्यायालय की खुर्शी में बैठकर l

न्याय को लिखते वक्त अक्षर तोलती हैं ll

 

अपने अरमान और जज्बातों को लेकर l

ही बेज़ान कोरे काग़ज़ को टटोलती हैं ll 

१६-११-२०२४ 

 

नाराज है पर इतना मलाल नहीं हैं l

आँखें रोने की बजह से लाल नहीं हैं ll

 

पास रखने के लिए दिक्कतें है तो l

दूर जाने का कोई ख्याल नहीं हैं ll

 

कभी नाप ना पाओगे चौड़ाई क्यूँकी l

समंदर हृदय जितना विशाल नहीं हैं ll

 

महफिल में कई अच्छी ग़ज़लें बज़ी l

सुनो तो इसमे कोई जमाल नहीं हैं ll

 

हर खुशी फोटो में कैद कर लेना कि l

वहीं प्रसंग फ़िर से बहाल नहीं हैं ll

१७-११-२०२४ 

 

सपनों से रिश्ता दिल से निभाना चाहिये l

पुरे करने के वास्ते वक्त बिताना चाहिये ll

 

जहां हो जैसे भी हो गुलज़ार कर सको तो l

माहौल खुशग्वार करना सिखाना चाहिये ll

 

जिदगी को जिंदादिली से जीकर हमेशा l

क़ायनात में सभी को जिताना चाहिये ll

 

बड़ी जरूरत आन पडी आज के दौर में l

दिलों के फासलों को मिटाना चाहिये ll

 

ज़माने की फ़िक्र न करते हुए हर बार l

ग़म हो या खुशी जाम पिलाना चाहिये ll

 

कारवाँ के संग गर मिल भी जाए कोई तो l

भटकते राही को रास्ता दिखाना चाहिये ll

 

हौसलों और सदाकत के साथ साथ ही l

नफ़रतों की दीवारों को गिराना चाहिये ll

१८-११-२०२४ 

 

यादें आने से चमक-दार नज़र आते हैं l

गुल खिलने के आसार नज़र आते हैं ll

 

रिश्तों की नजाकत जानने लगे हैं कि l

आज दिवाने समझदार नज़र आते हैं ll

 

महफिलों में उखड़े उखड़े रहनेवाले अब l

मोहब्बत के तरफ़-दार नज़र आते हैं ll

 

मिलन की तड़प है फ़िर भी न मिलनेवाले l 

दिलों को जोड़ते हुए तार नज़र आते हैं ll

 

प्यार के इज़हार ए इक़रार में छोड़े हुए l

अर्श में गुब्बारे लगातार नज़र आते हैं ll

१९-११-२०२४ 

 

ग़म में भी मुस्कुराते रहेना जीना इसका नाम है l

सब कुछ ठीक है कहेना जीना इसका नाम है ll

 

सफ़र ए जिंदगी की राह में अपनों से मिले हुए l

दर्द को खामोशी से सहेना जीना इसका नाम है ll

 

हर रिश्ता अपने हिस्से की खुशी या ग़म देता है l

वक्त की रफ़्तार संग बहेना जीना इसका नाम है ll

 

देनेवाला कोई ना कोई तो कमी दे ही देता है तो l

किस्मत का फैसला पहेना जीना इसका नाम है ll

 

क़ायनात में किसी के दिल में जगह मिलना ही l

ताउम्र की दोस्ती का गहेना जीना इसका नाम है ll   

२०-११-२०२४ 

 

अच्छा हो या बुरा जैसा भी हो समय बीत जाएगा l

एक रोज़ वो जरूर सुख का सूरज साथ लाएगा ll

 

यक़ीन है मुमकिन हो वक्त मेहरबान हो जाए और l

मुक़द्दर में लिखा हुआ अपने साथ लेकर आएगा ll

 

ईश्वर जो भी, जितना भी, जैसे भी और जब भी देगा l

किस्मत का फैसला समझ दिलों दिमाग को भाएगा ll

 

पूरी क़ायनात में खुद को खुशनसीब मान कर l

महकी फ़िज़ाओं में दिल खुशियों के नगमें गाएगा ll

 

छोटी ही सही प्यारी, नशीली, रसीली सी महकती l

मुलाकात होने से चैन और सुकूं के लम्हें पाएगा ll

२१-११-२०२४ 

 

अपनों के साथ दिल का रास्ता अख्तियार करना चाहिए l

अपनों के बीच हुई तकरारों को मिस्मार करना चाहिए ll

२२ -११-२०२४ 

 

लब्ज़ भीगे हैं l

जब्ज़ भीगे हैं ll

 

मिलन के बाद l

नब्ज भीगे हैं ll

 

हसीनों के साथ l

बज़्म भीगे हैं ll

 

आलिंगन से ही l

कम्ज भीगे हैं ll

 

प्यार में मिले l

ज़ख्म भीगे हैं ll

 

ग़ज़लों में आज l

शब्द भीगे हैं ll

 

इंतज़ार में देख l

रब्त भीगे हैं ll

२३ -११-२०२४ 

 

जीवन एक संघर्ष यात्रा हैं जिसे हसते हुए पूरी करनी हैं l

तक़दीर के हाथों से तदबीर चुराके खुशियाँ भरनी हैं ll

 

तेज रफ्तार से भागे जा रहीं हैं जीवन की गाड़ी l

वो तो हर पल हर लम्हा आगे बढ़के आगे ही सरनी हैं ll

 

जिंदगी की कटु सच्चाई को जानकर और स्वीकार के l

मीठी नशीली मुस्कान से टेड़ी मेडी डगर को छलनी हैं ll

 

संघर्ष को जीवन का हिस्सा जान ले अपनी मस्ती में l

आगे बढ़ जा जितना हो सके जिन्दगी तो चलनी हैं ll

 

जो भी करना हैं, पाना है, जीना है, खुशी से जी ले आज l

न रुकी है न रुकने वाली है कभी भी उम्र तो बढ़नी हैं ll

२४-११-२०२४ 

 

 

नई कलम नया कलाम l 

नई आवाज़ नया धमाल ll

 

एकता दिखाकर एक मंच पर l

जुड़े रहने के लिए सलाम ll

 

हर रोज़ नये नये शब्द पर l

लिखनेवाले सभी को प्रणाम ll

 

मंच की गरिमा को बनाये रखने l

शब्द की खींची रखना लगाम ll

 

स्थापना करने के लिए शुक्रिया l

एसे उच्च विचार करते कमाल ll

२४-११-२०२४ 

 

इश्क़ का रंग चढ़ाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं l

काला टीका लगाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll

 

रूबरू मुलाकात अभी मुमकिन नहीं इस लिए l

यादों को लिखाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll

 

बड़े चाव और दिलचस्पी से जहाज में आज l   

रगबेरंगी बनाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll

 

हुस्न की ख्वाइशों और पसंद के मुताबिक l

खूबसूरत सजाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll

 

बेपन्हा, बेइंतिहा, नशीली सी मोहब्बत के l

जाम में भिगाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll

२५-११-२०२४ 

 

हर सवाल का जवाब होना जरूरी नहीं हैं l

जवाब को तलबगार होना जरूरी नहीं हैं ll

 

कई कम जबानी लोग होते है क़ायनात में l

इस में तअल्लुक़ात खोना जरूरी नहीं हैं ll

 

मानते है मुकम्मल आज़ादी होनी चाहिए l

पाबंदियाँ है पर सोना जरूरी नहीं हैं ll

 

उम्मीद पर कोई खरा न उतरे तो भी l

दिल में कटुता को बोना जरूरी नहीं हैं ll

 

किसीको मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता l

तमन्ना से हाथ धोना जरूरी नहीं हैं ll

 

ना मिलने वाली नशीली मुलाकातों की l

ख्वाइशों का बोझ ढोना जरूरी नहीं हैं ll

 

कभी कभी हँसकर भी बिदाई करते रहो l

बिछड़ते समय पर रोना जरूरी नहीं हैं ll

२६-११-२०२४ 

 

जीने का सहारा बन गया है तेरा उपहार l

तेरी मोहब्बत में मिला बाहों का आधार ll 

 

आश का दिया जलाया है तेरे प्यार ने l

ताउम्र पहने रखगे तेरी चाहत का हार ll

 

साथ जीने और मरने की कसमें खाई है l

सपने जो देखे हैं मुकम्मल होगे साकार ll

 

जिस मकाम की तमन्ना की वही पहुंचेगे l

जिंदगी को नहीं होने देगे कभी निराकार ll

 

हर लम्हे में चरागों की रोशनी को भरकर l

तेरे उपहार ने जीवन को दिया आकार ll

२७-११-२०२४ 

 

सिर्फ़ ख़ुदा की सिफारिश चाहिए l

इस के लिए साफ़ मन को लाइए ll

 

आधा अधूरा नहीं चलेगा आना तो l

आश ओ यकीन के साथ आइए ll

 

देने वाला देता है छप्पड़ फाड़ के तो l

तमन्नाओं की झोली भर के जाइए ll

 

जिन्दगी जिंदादिली सी जिए जाओ l

दूसरों को नहीं ख़ुद ही को भाइए ll

 

हेसियत से ज्यादा ही दिया है कि l

सदा ही कृपा के गुणगान गाइए ll 

 

बात करने की निगाहों ने की सिफारिश l

वर्ना होने लगेगी आँखों से तेज़ बारिश ll

 

महफिल में यार दोस्तों से छुपाकर भी l

हर हाल में करेगे मुकम्मल ख्वाहिश ll 

 

बहुत हो चुका अब आँख मिचोली खेलना l

दो पल की मुलाकात को करेगे साज़िश ll

 

मोहब्बत की डोर को टूटने न देगे कभी l

रिश्तों को ताउम्र करते रहेंगे पालिश ll

 

मंदिर, मस्जिद ओ गुरुद्वारा पर जाकर l

खुदा की करनी पड़े तो करेगे मालिश ll

२८-११-२०२४  

 

अपनों से रिश्तों का दिखावा करना छोड़ दो l

जुठी शान औ शौकत का दम भरना छोड़ दो ll

 

जीवन में सब का साथ सब का विकास होता है l

जिंदगी की रेस में सबसे आगे सरना छोड़ दो ll

 

वैसे भी उपरवाला का सदा आशीर्वाद हो और l

अपनों का साथ हो तो फ़िर ड़रना छोड़ दो ll

 

एक अकेले दूर तलक नहीं जा पाओगे तो l

खुद की जड़ों से जड़े रहो खरना छोड़ दो ll

 

खुद के साथ खुद के लिए जीना भी सीख लो l

मीठी भावनाओ के बहाव में तरना छोड़ दो ll

२९-११-२०२४ 

हृदय वेदना किसी को भी दिखा ना पाये l

दिल के गहरे ज़ख्म मुकम्मल मिटा ना पाये ll

 

अपनों की साज़िशो को तारीख में ठीक से l

मोहब्बत का महाभारत लिखा ना पाये ll

 

उम्रभर अपनों की रंजिशें सही जैसे तैसे l

दो लम्हे भी चैन ओ सुकूं से बिता ना पाये ll

 

जुठ ओ सदाकत के खेल में ख़ुद को कभी l 

सच साबित करके ज़माने से जिता ना पाये ll

 

प्रेम और ममता की तेज बारिश बरसाती l

नशीली आँखों से जाम को पिला ना पाये ll

३०-११-२०२४