में और मेरे अहसास - 114 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 114

क़ायनात में दिलों से नफ़रतों को मिटाते चलो l

प्यार मोहब्बत के धर धर दिये जलाते चलो ll

 

हरएक की अपनी मुसीबत अपना फ़साना है l

जीनेकी राह दिखे वो फ़साना गुनगुनाते चलो ll

 

अश्कों में तबस्सुम ओ होंठों पे तरन्नुम लेके l

सदाकत की राह पर चल हौंसला बढ़ाते चलो ll

 

खुद की क़िस्मत पर गुरूर अच्छा नहीं होता l

साथ सभी के क़दम से क़दम मिलाते चलो ll

 

लोग चले जाते है प्यार अमर रहता है हमेशा l

जिंदगी की राह में आतेजाते मुस्कराते चलो ll

१-११-२०२४ 

 

जिंदगी आसान हो जाती है जब आश का दिया जलता रहता हैं l

मुकम्मल साथ हौसलों के संग जीने का ज़ज्बा पलता रहता हैं ll

 

कल किसी औ का था आज तेरा है कल किसी और का होगा l

गुरूर मत करना कभी भी वक़्त का चक्र फिरता रहता हैं ll

 

तड़प और तरस इस तरह बढ़ जाती है कि 

कई बार तो l

एक झलक दीदार हो जाए तो फ़िर सुकून 

मिलता रहता हैं ll

२-११-२०२४ 

 

प्यार मोहब्बत में धारियाँ नहीं चलती l

महफिल में तो सरदारर्याँ नहीं चलती ll

 

कोई भी बड़ी से बड़ी बात हो भी जाए l

मुलाकात में मक्कारियाँ नहीं चलती ll  

 

हम सफ़र हमनवां बनकर रहना ताउम्र l

प्रियजन के साथ ख़ुद्दारियाँ नहीं चलती ll

 

मटकियों के साथ पनघट से जाते वक्त l

मटक मटक के पनहारियाँ नहीं चलती ll

 

कमाल का ताना दिया है नजरों ने भी l

अब निगाहोंसे तरफ़दरियाँ नहीं चलती ll

३-११-२०२४ 

 

गुज़रे हुए वक्त की तसवीरें दिखाना चाहते हैं l

जीने के वास्ते फ़िर वहीं ज़माना चाहते हैं ll

 

वक्त एक लम्हाभर भी कहीं ठहरता ही नहीं l

बीते लम्हों से रिश्तों को निभाना चाहते हैं ll

 

ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त नसीब होनी चाहिए l

याद करना, औरों को याद आना चाहते हैं ll

 

मौसम की अदा देखकर उमड़ती तमन्ना को l

एक हसीन मुलाकात का बहाना चाहते हैं ll

 

जैसी भी है मोहब्बत करने वाले बसते है l

यहि बेहतरीन आशियाना बनाना चाहते हैं ll

 

दुनिया है कोई रकीब है तो कोई नदीम है l

लोग हरबात को बनाना अफ़साना चाहते हैं ll

 

सिकंदर की तरह दुनिया नहीं जीतनी है l

एक खूबसूरत दिल में ठिकाना चाहते हैं ll

४-११-२०२४ 

 

आज सोचते हैं कि निगाहों से निगाहें छुपाएँ कैसे? 

प्यारी निगाहों को ज़माने की निगाहों से बचाएँ कैसे?

 

यार दोस्तों की महफिल सजी हुई है, ऐसे में कोई l

नज़रों से दूर जाकर बेठे हुए की नजरों में आएँ कैसे?   

  

ज़माने की तीखी नज़रों से बचते बचाते हुए आज l

इशारों से बातेँ करती हुई निगाहों को झुकाएँ कैसे?  

 

सरे आम देख रहे प्यार भरी नशीली मादक निगाहों से l

मुकम्मल ताकतें रहते हैं तो नज़रों से दूर जाएँ कैसे?

 

इस बड़ी खूबसूरत क़ायनात में एक हसीन नजरें l

निगाह में बसी है, निगाहों को यकीन दिलाएँ कैसे?

 

ऐसे देखते रहोगे तो नशा हो जाएगा नशीली नजरों का l

नजरों ने किये वादे को पाक निगाहें निभाएँ कैसे?

५-११-२०२४ 

 

शीशा ए दिल पत्थर बन गया है पिघलता नहीं l

चाहे कुछ भी हो जाए अपना रूप बदलता नहीं ll

 

मजबूती ओ सदाकत को अपनी जड़े बनाकर l

आँधी और तूफान आने से भी वो मचलता नहीं ll

 

बहुत ही अङ्ग अविचलित मन का मालिक है l

अंधाधुंध उफानी बरसात आनेसे छलकता नहीं ll

 

हर मुशिकलों के वास्ते हमेशा तैयार रहता है कि l

सामने कड़ी से कड़ी परीक्षा में भी तड़पता नहीं ll

 

जो है जैसा भी है अपना लेता है पूरी सिद्दत से l

किसी के मृदु औ सरकता के लिए त्तरसता नहीं ll

६-११-२०२४ 

 

खुशियाँ नदीमो के साथ हैं l

यार का हाथों में हाथ हैं ll

 

जिसकी खुशी में ख़ुशी मिले l

दोस्ती में याराना खास हैं ll

 

खुलने लगे दिल के दरवाजे l 

यारों से चमकती ये रात हैं ll

 

फैला हुआ बाहों का दामन l 

आज बहक रहे जज़्बात हैं ll

 

मोहब्बत के मज़े मिलने पर l

महकते जा रहे लम्हात हैं ll

७-११-२०२४ 

 

मोहब्बत से खुद को न बचाया कर l

खुद को खुद के लिये सजाया कर ll 

 

जिंदगी का लुफ्त उठा ले जी भरके l

प्यार भरे लम्हात को ना जाया कर ll 

 

एहतियात की हद्द में रहकर जरा l

अरमानों को रूह से बहाया कर ll

 

जिंदगी के हर पहलू को अपना के l

तमाशा समझकर मुस्कुराया कर ll

 

जरा सी देर में क्या से क्या होगा l

रूठ जाने से पहले ही मनाया कर ll

 

नया सफ़र बहुत अनजान निकला l

वक्त रहते बात दिल की बताया कर ll

 

ज़माने की नज़रे बड़ी खराब होती है l

हर रोज काले टिके को लगाया कर ll

 

बड़ा खूबसूरत हसीन नज़ारा लगे हैं l

पेड़ों से तितलियां ना उड़ाया कर ll

 

रोशनी के लिए तरसते हुए सभी के l

अँधेरे घरों में दिये जगमगाया कर ll

 

हर कोई अपने गम है डूबा हुआ तो l

कायनात को खुशहाल बनाया कर ll

 

बेकार की छोटी छोटी बात पर l

रूठे हुए दिलों को मिलाया कर ll

८-११-२०२४ 

 

बार बार प्यार का यकीन दिलाए क्यूँ? 

रोशन महफिल में चरागों को जगाए क्यूँ? 

 

मोहब्बत इक नज़र में पहचानी जाती हैं l

दिल की लगी को इशारों में जताए क्यूँ?

 

ये तो सरासर तौहीन ओ गुस्ताखी होगी l

नजरों से पिलाते हैं तो जाम पिलाए क्यूँ?

 

और भी ग़म है ज़माने में इश्क़ के सिवा l

बेकार की बातों में समय बिताए क्यूँ?

 

अपने दम पर जो कर सकते हो करो l

और के गहनों से ख़ुद को सजाए क्यूँ?

९-११-२०२४

 

इतने हेरा क्यूँ हो रहे हो सामान देखकर l

यूँ तो कभी नहीं मचले नुकसान देखकर ll

 

मुद्दतों से जुदाई में काट रहे दिन जैसे तैसे l

आज हड़बड़ाहट हुए दिल विरान देखकर ll

 

मुद्दतों से आँगन में चाँद भी उतरता नहीं l

एक टीस सी उठ रहीं हैं परेशान देखकर ll

 

बड़ी चीड़ आ जाती है जब देखते हैं कि l

हर बार मुलाकात पर पशेमान देखकर ll

 

बड़े चाव से सम्भाल कर रखा था कब से l

रूह चिड़चिड़ी हो गई गुलिस्तान देखकर ll

 

वैसे तो दिल उखड़ा उखड़ा रहता है पर l

रूहानी सुकुनियत मिली जान देखकर ll

१०-११-२०२४ 

 

ताउम्र हँसकर जिये तुम्हारे लिए l

अश्क छुपकर पिये तुम्हारे लिए ll

 

जुल्मों सितम चुपचाप सहकर भी l

होठ बारहा सिये तुम्हारे लिए ll

 

बेपन्हा बेइंतिहा इश्क़ है पर l

इज़हार से बिये तुम्हारे लिए ll

 

आज ग़ज़लों में प्यार का इशारा l

महफिलों में किये तुम्हारे लिए ll

 

तुम्हारे बाद किसी को ना देखा l

ज़हन ए सुकूं दिये तुम्हारे लिए ll

११-११-२०२४ 

 

 

होश ओ हवास को बहका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे l

तन मन के मोर को दहका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

 

मस्तानी शाम का मंजर सुहाना दिवाना बना

रहा l

दिल की चिड़िया चहका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

 

ठंडी के मौसम में नशीली सर्द रातों में पहाड़ों पर l

बहती पुरवाइयाँ को महका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

 

कुदरत ने बख्शें हुए नयनाभिराम दृश्य मन को लुभाए के l

पागल दिवाने को बहला रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

 

रसीली रमणीय प्रकृति की सुषमा के जाम को पीकर l

मस्ती में झूमने को समझा रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

 

जश्म ए निगाहें हेरा है कहाँ कहाँ किधर किधर देखे l

दावत ए नज़ारा तड़पा रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

 

गूँजती फिझाएं नशीली वादियाँ ये बहते 

झरने l

प्रिय मिलन को तरसा रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll

१२-११ -२०२४ 

 

जो भी हो जैसे भी हो बस मुस्कुराते रहिए l

ख़ुशी से प्यार भरे नगमें गुनगुनाते रहिए ll

 

हर कोई यहाँ अपने ही ग़म में गुम है l

होठों पर नशीली मुस्कान सजाते रहिए ll

 

न जाने कल फ़िर मौक़ा मिले या ना मिले l

हर पल त्यौहारों की तरह मनाते रहिए ll

 

खुल्ला दरवाज़ा भी खटखटाना पड़ता है l

ग़र फ़िक्र है तो बार बार जताते रहिए ll

 

लोग बड़े ही लालची ओ मतलबी हो चले हैं l 

क़ायनात को जीने लायक बनाते रहिए ll

१३-११-२०२४ 

 

दिल ही तो है शीशा नहीं है कि टूट जायेगा l

कमजोर नहीं की हाथों से हाथ छूट जायेगा ll

 

ज़माना है कुछ ना कुछ तो छीन लेगा पर l

इतने बेध्यान नहीं बैठे बिठाए लूट जायेगा ll

 

भले ही धड़कन मेरी हो धड़कता तेरे लिए है l

सुनो धड़कनों का ख़ज़ाना न खूट जायेगा ll

 

थोड़ी सी जिंदगी और ढ़ेर सारे ग़म मिले हैं l

ऐसे ही नहीं साँसों का गुब्बारा फूट जायेगा ll

 

देखकर चहरे पर थोड़ी सी खुशियां आज l

फ़िर लोग नये हथियर लेकर जूट जायेगा ll

१४-१२-२०२४ 

 

आज हल्की सी झलक देखी किस्मत की बात हैं l

दिलरुबा से हुई इशारों में बातेँ हैरत की बात हैं ll

 

सरे आम बीच बाजर में लोगों के सामने एक बार l

पर्दा उठाकर दीदार करवाया हिम्मत की बात हैं ll

 

दुनिया वालों की परवाह छोड़कर सिर्फ़ हमारा ही l

बड़े प्यार से हालचाल पूछा निस्बत की बात हैं ll

 

भीड़ में बड़ा अकेलापन महसूस कर रहे थे कि l

दो चार लम्हे की मुलाकात हुई जरूरत की बात हैं ll

 

वक्त का लिहाज़ और नजाकत को देखते हुए आज l

जो भी कहा ख़ामोशी से सुना इज्जत की बात हैं ll

१५-११-२०२४