प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४२ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४२

शाम तक सब कुछ हो जाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जाकर आराम करने लगे।
राज भी अपने कमरे में जाकर सारी पैकिंग कर चुका था और फिर वो मां पापा के कमरे में जाकर बोला कि मैं आज जा रहा हुं।रात की फाल्ईट है।
आभा और रमेश ने कहा अरे बेटा बताया नहीं अब जा रहे हो।।
राज ने कहा हां अब जाना होगा मुझे।
आभा ने कहा ठीक है।
राज वहां से सीधे हिना के रूम में गया और फिर बोला क्या मैं आ सकता हूं।
हिना ने कहा इतनी रात कल बात करें।
राज ने कहा कल किसने देखा है।
हिना ने दरवाजा खोला तो राज अन्दर आ गए और फिर बोला कि मैं आज रात की फाल्इट से जा रहा हुं।
हिना मैंने जो उस दिन गुस्ताखी किया वो सिर्फ नशें में था इसलिए वरना मैं सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकता हूं।हो सके तो माफ कर देना।
हिना ने कहा पर क्यों जा रहे हो?देखा जाएं तो इस घर मेरा हक तो नहीं है मुझे जाना चाहिए।
राज ने कहा अरे नहीं नहीं मैं जा रहा हुं ।
ये कहते हुए राज जाने लगें तो हिना ने कहा हां ठीक है तुम्हारी आदत है ऐसे ही जाने की मेरे दिल को तोड़ कर जाने की।
किस हक से रोकूं तुम्हें ये हक तो नसीब में नहीं है।।
सब चले जाओ।।
हिना रोने लगी और फिर सो गई।कब राज चला गया कुछ भी पता नहीं चल पाया।
राज जाने से पहले मां पापा के पैर छुए और फिर मां ने कहा बेटा क्या दर्द लेकर जा रहा है वो तेरे चहरे पर साफ दिख रहा है इस मुस्कान के पीछे एक गहरा राज छुपा है।।
राज ने कहा मां मैं पहुंच कर बताता 


इसी तरह समय का पहिया काफी आगे निकल गया आज दो साल हो गए और हिना अभी प्रैक्टिस भी करने लगी है और उसे अव्वल दर्जे का काम करने की वजह से पुरस्कृत भी किया गया।
हिना आज एक बहुत ही सफल जज बन चुकी हैं और उसके सफलता के किस्से बहुत जल्दी पेपर और टीवी के हर एक न्यूज चैनल पर देखने को मिल रहा था।
अमेरिका में राज रहने लगा था पर उसको हिना की सारी बातें पता चल जाती थी वो भी जीनत से ही।
एक बार राज ने हिम्मत करके हिना को फोन किया मुबारक देने के लिए।
हिना हेलो हेलो बोलती रही पर राज कुछ भी नहीं बोल सकता था जाने कैसी बेबसी थी उसकोलफ़्ज़ों में बेरुख़ी दिल में 
मलाल रहने दो
हमसे मुत्तालिक वो तल्ख़ 
ख़्याल रहने दो
बांकी जो बचे हैं वो 
दिन भी गुजर जाएँगे
उलझे हुए सब वक्त के हैं 
सवाल रहने दो
बेतक़ल्लुफ है आज 
हमसे हरेक ग़म तेरा
अब किस बात पे उठे 
नए बवाल रहने दो
कुछ भी नहीं है बदला 

वक्त के निज़ाम का
फिर तुम ही क्यों बदलो 
बहरहाल रहने दो
अब उम्र ही कितनी बची है 
कैदे हयात की
रंजिशें गर दिल में है तो 
इस साल रहने दो
कुछ दिन इन आँखों में 
समन्दर बसर पाए
कुछ दिन इन जख़्मों को 
खुशहाल रहने दो
यूँ ही उदास होके 
गुमसुम से मत खड़े रहो
आईने के मुकाबिल 
जलवे जमाल रहने दो..!!।
बस फिर क्या था राज ने फोन कट कर दिया।

हिना ने कहा पता नहीं क्या समझता है खुद को।।
खुदा है क्या।।

आभा ने कहा अरे बाबा अब चलो चल कर खाना खा लो बेटा।
हिना ने कहा हां, मां चलों।
अब हिना आभा को मम्मी जी नहीं मां बोलती थी।

क्रमशः