प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४१ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४१

फिर राज कैंटीन में जाकर बैठ गया।
कुछ देर बाद ही उसके दोस्त आ गए।
राज ने कहा अच्छा हुआ तुम लोग आ गए।
चलो कुछ order करते हैं।
सब मिलकर मसाला डोसा खाने लगे।
राज तू ठीक है ना।।
अमित ने कहा।
राज ने कहा हां, यार ठीक हुं।
एक बात बोलूं। शादी कर ले यार।
हिना से।
राज ने कहा क्या बोल रहा है।
अमित ने कहा हां, होली आ रही है बस अब उसके अपने प्यार में रंग लें। जाने मत दें उसे।
राज ने कहा अरे यार, क्या बोल रहा है ये सब ।
मां, पापा को कुछ पता नहीं है।
तो बोल दे ना। यार।
फिर कुछ सैंडवीच पैक करवा लेते हैं।
फिर वापस मां के केविन में आकर हिना के हाथ में पैकेट थमा कर बोलता है ये खा लिजिए।
शुक्रिया पर मुझे नहीं खाना है।
यह हिना ने कहा।
राज ने वापस जवाब दिया ठीक है फिर डस्टबिन में फेंक दिया जाएं।
आभा ने कहा अरे बाबा क्या हो रहा है यह।
हिना बेटा थोड़ा सा खा ले।
फिर हिना अनमाने से सैंडबिच खाने लगीं।

कुछ देर बाद ही डाक्टर ने डिस्चार्ज दे दिया।
आभा को लेकर राज सब घर आ गए।
हिना भी अपने रूम में जाकर नहाकर तैयार हो गई।
फिर आभा के रुम में सूप लेकर गई ।
राज ने देखते ही कहा अरे सब आप मत करो क्योंकि फिर मां को आदत हो जायेगी और आप चली जाओगी।
हिना ने कहा अभी मैं नहीं जा रही हुं।
राज ने कहा मैं अब आप पर भरोसा नहीं कर सकता हूं।
इतना सुनते ही हिना की आंखों से आंसु बहने लगा और फिर वो बोली मम्मी जी मैं अभी आ रही हुं।
आभा ने कहा अरे राजीव ये क्या हिना को रूला दिया तूने।
राज ने मन में कहा ओह शायद मैं ज्यादा ही सख्त हो गया।
उधर हिना लगातार रोएं जा रही थी।
उसकी आवाज से जीनत उठ गई और बोली अब क्या हुआ यार!
हिना ने कहा मर जाती तो अच्छा होता।।
फिर राज दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा मुझे कुछ बात करनी है।
हिना ने कहा अभी मैं बात नहीं कर सकती।
राज अपने रुम में चला गया।
इस तरह से एक हफ्ते निकल गया।




मार्च का महीना चल रहा था थोड़ी सी गर्म और फिर सर्द हवाओं का तालमेल था।

अगले दिन सुबह राज जागिग से वापस आता है और फिर कंचन को रोज की तरह बुलाता है पर कंचन नहीं आती तो राज किचन में जाकर जैसे ही आगे बढ़ने लगता है हिना जूस का गिलास लेकर कहती हैं कि कंचन को मम्मी ने कही भेजा है।
ये आपका जूस।
राज ने कहा नहीं चाहिए मुझे जूस।
हिना ने कहा अरे देवर जी जूस पर क्यों गुस्सा कर रहे हैं बिचारे की क्या गलती है।
राज ने कहा अच्छा ठीक है कह कर जूस का गिलास ले लिया और फिर पीने लगा।
फिर वहां से जाते समय बोलता है कि कंचन को कहा था कि आज पकौड़े चाहिए पर वो भी नहीं है।हिना ने कहा ओह देवर जी मैं बनाती हुं पकौड़े मुझे मम्मी ने सिखाया है।
राज ने कहा कोई जरूरत नहीं है।
हिना ने कहा पर सब तैयार है बस तलने जा रही हुं बस फिर क्या था जैसे ही गर्म तेल में पकौड़े तलने के लिए डालें तो हिना की अंगुली ही जल गई और फिर दर्द से कराह उठी बस आवाज सुनकर राज दौड़ कर किचन में गया और हिना को डांटने लगे और फिर बोला कि मैंने कहा था कि ये सब नहीं कर पाओगी पर ये मेरी ।।
राज ने फ्रिज में से बर्फ निकाल कर हिना के हाथों को कस कर पकड़ लिया और फिर बोला चुप चाप बैठो। वरना।
ये देखो लाल पड़ गया है।
हिना ने अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश किया पर राज ने कस कर पकड़ रखा था।
तभी आभा ने किचन में प्रवेश किया और फिर देखा तो समझ गई।
अरे क्या हुआ बेटा। ठीक हो।
फिर दोनों ने एक-दूसरे का हाथ छोड़ दिया और फिर राज ने कहा देखो जरा क्या हालत किया है अपने हाथों का।
आभा ने कहा क्या करती हो हिना ठीक हो?
हिना ने कहा हां ठीक हुं।
फिर कंचन आ गई और फिर राज ने कहा अरे कंचन आज पकोड़े बनाने वाली थी पर तुम तो कहीं नहीं थी।
कंचन ने कहा भाभी आप जाओ मैं बना लेती हुं।
फिर हिना वहां से निकल कर सीधे अपने कमरे में चली गई और फिर उस घटना को याद कर रही थी कि आज भी राज को मेरी परवाह है वरना।।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई हिना ने कहा हां अन्दर आइए।
राज ने कहा ये दवा है लगा लेना। वरना जख्म हो जाएगा।
हिना ने कहा अरे ऐसे जख्म फिर भी ठीक है पर उन जख्मों का क्या जो नासूर बन कर मेरी जिंदगी में हलचल मचा रहे हैं।
राज ने कहा हां ठीक है क्या मैं लगा दूं?
हिना ने कहा कोई जरूरत नहीं है मैं लगा सकती हुं।
राज ने आगे बढ़कर कहा मुझे पता है आज तक कभी नहीं लगाई हो हर बार मैंने ही तो। फिर राज ने कहा हाथ दिखाओ।
हिना ने कहा नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी।
राज ने कहा जिद मत करो।
हिना ने अपना हाथ पीछे कर दिया।
राज ने दवाई हाथ में निकली और फिर जबरदस्ती करके हिना के हाथ सामने करके दवाई लगा दिया और फिर वहां से चला गया।
हिना ने कहा समझता क्या है अगर मम्मी देख लेती पर ये दोनों प्यार करने वाले अपनी सीमा बाध्यता में रहकर दो अजनबी बन कर रह गए।
आज होली थी पर हिना के जीवन में रंग तो नहीं था जबकि हिना को होली खेलना सबसे ज्यादा पसंद था।
हिना को अपने प्यार में रंग लिए थे उसके राज ने। हिना होली के दिन छत पर जाकर इधर उधर घुमने लगी थी और फिर पीछे से राज आ गया और उसे पुरी तरह से रंग लगा दिया कोई भी जगह छोड़ा नहीं था राज ने।
हिना ने कहा अरे बाबा तुम भी ना आदत हो गई है छत से आने की।
राज ने कहा हां तो नीचे तुम्हारे डैडी आने देंगे क्या?
हिना ने कहा अब तुम भी नहीं बचोगे।
राज ने हंसते हुए कहा हां रंग है क्या?
हिना ने आगे बढ़कर अपने गाल को राज के गाल से लगा लिया और फिर बोली होली है।।
आज वर्तमान में ऐसा कोई नहीं जो हिना के दर्द को समझ सकें और फिर वो तो विधवा ही है।
राज के सारे दोस्त आ कर राज को लेकर चलें गए।
फिर काफी देर बाद राज आया और भुत बन कर आया।
आभा ने कहा अरे बाबा राज जाओ जल्दी से नहा लो।
राज सीधे ऊपर पहुंच गया औरऔर फिर सीधे हिना के रूम के बाहर जाकर दरवाजा खटखटाया और फिर बोला हिना।
हिना ने कहा हां आइए।
हिना नहाकर अपने बालों को सहलाने लगी थी और फिर राज सीधे जाकर हिना के मुंह पर हाथ में रंग लगा दिया और फिर लाल रंग से उसकी सुनी मांग को भर दिया।
राज पुरी तरह से नशें में था इसलिए उसे होश नहीं रहा कि क्या कर रहा है और फिर उसके दोस्तों ने ही ये नसीहत दी थी कि जब हिना तेरे सामने है तो उसे सब कुछ बता दें।
हिना बहुत ही गुस्से में थी जब उसने खुद को आईने में देखा तो‌ वो पुरी तरह से रंगी हुई थी और फिर उसके मांग में लाल रंग था।
फिर हिना ने कहा राज तुम्हारी इतनी हिम्मत कह कर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया राज को।
और फिर खुद रोते हुए बाथरूम में चली गई।
और रगड़ रगड़ कर सारे रंग निकालने लगी।
उधर राज हिना की रोने की आवाज सुनकर खुद को सम्हाल नहीं पा रहा था और वो अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया और फिर नहाने चला गया।
हिना फिर से नहाने के बाद बाहर आ गई और फिर देखा कि रंग निकल चुका था पर उसकी मांग में लाल रंग उठने का नाम नहीं ले रहा था। ओह माई गॉड ये क्या किया तुमने राज मैंने तुम्हें मारा ।जो हाथ हमेशा तुम्हारे लिए दुआ और प्यार करने के लिए उठता है वो कैसे मार सकता है।हिना रोने लगी और फिर कुछ देर तक वो बेड पर लेटी रही।

फिर कंचन आकर बोली कि भाभी चलो खाना खाने।
फिर कंचन चली गई।
उधर राज भी सोया रहा।
आभा नींबू रस का पानी लें कर राज को दिया।।
राज ने पी लिया और फिर बोला मां मैं वापस चला जाऊंगा कह कर मां के गोद में लेट कर एक नवजात शिशु की तरह रोने लगा।।

आभा ने कहा रो ले बेटा मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही हुं तु अपना दर्द सालों से छुपा रहा है एक बार बता कर तो देख हम लोग सब ठीक कर देंगे।
राज कुछ नहीं बोलता है और फिर आभा भी रोते हुए चली जाती हैं।

आज अमर की पहली वरसी थी घर में ही सब तैयारी हो रही थी। सभी रिश्तेदार मेहमान आ गए थे।
हिना भी सफेद साड़ी में लिपटी हुई एक जगह चुपचाप बैठी हुई थी।


फिर सब काम राजीव ने ही किया। ब्राह्मण भोजन के बाद सभी मेहमानों को भी अच्छी तरह से खिलाया गया।
हिना के मम्मी डैडी भी आ गए थे।

क्रमशः