में और मेरे अहसास - 110 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 110

उजड़े हुए शहरो में आशियाना न ढूंढ़ा कर l

इन्सानों के चहरों को नजदीक से पढ़ा कर ll

 

जो होगा देखा जायेगा कल की चिता छोड़कर l

जीए जा मस्ती में फ़िक्र को हवा में उड़ा कर ll

 

मुक़द्दर में सुहानी सुबह है यही सोचकर आज l

चरागों को बुझाकर चैन की नींद लिया कर ll

 

ख़्वाबीदा हसरतों को दरख़्तों से उड़ा कर l

अपनी ही दुनिया में मौज मस्ती में रहा कर ll

 

वक्त का क्या भरोसा कितनी साँसे बची है तो l

गिले शिकवे भूलकर सबसे हँसकर मिला कर ll

१-९-२०२४ 

 

ज़मीं से आसमाँ में आशियाना फेरबदल कर दिया l

खुद को नई दुनिया में बसने को तैयार कर लिया ll

 

सालों से लगातार एक ही जुस्तजू थी जो पूरी हुई तो l

सफ़लतापूर्वक पहुंचने के लिए खुशी का जाम 

पिया ll

 

अनदेखी अनछुई क़ायनात में रहने का अरमान 

था कि l

आज तक दिल में आरज़ू ले हर लम्हा हर पल जिया ll

 

अनगिनत अनजानी चुनौतियों का सामना करने को l

हर इन्तहा के लिए जिगर को हौसलों के साथ सिया ll

 

जो भी होगा जैसा भी होगा डट कर सामना करेगे l

भरपूर आत्मविश्वास से फैसले को मजबूत किया ll

२-९-२०२४ 

 

रूक जाओ अभी के दिल अभी भरा नहीं l

जीभर के दीदार ए यार अभी किया नहीं ll

 

आए हुए लम्हा भर हुआ नहीं के जाना हैं l

दो लम्हा भी प्यार की छांव में जिया नहीं ll

 

शर्मा हया के पर्दे में छुपाया है हसीं मुखड़ा l

निगाहों से चाहतों का जा जाम पिया नहीं ll

 

महफ़िल में बीचो बीच जाकर बैठ गये हों l

अभी तो बाहों का सहारा भी दिया नहीं ll

 

इधर उधर की बातों में वक्त बीत गया कि l

फ़िर कब मिलोगे ये वादा तो लिया नहीं ll

३-९-२०२४

 

दिल पर मत लेना कुछ भी कहने की आदत हैं l

ये जो ग़म में डूबे हुए हैं इश्क़ की इनायत हैं ll

 

ज़माने की बातों में आकर दूर दूर रहते हैं और l

वादा करके मुकर जाना उनसे ये शिकायत हैं ll

 

दिले कातिल को हैरान कर के छोड़ दिया तो l

मना करने के बाद निगाहों से हुई बगावत हैं ll

 

दिल पर गुजरी हुई तकलीफों ने बदला है कि l

जी को जलाने की सालों पुरानी फावट हैं ll

 

किसीको बर्बाद करने का ख्याल नहीं बस l

जो भी हाल है नज़र के सामने हालत हैं ll

४-५-२०२४ 

 

नीले आसमान के तले रूक जाओ अभी जहां मिला करते थे l

खुली फिझाओ में हाथ पकड़कर साथ साथ घुमा करते थे l

 

आज जाने की इतनी भी जल्दबाजी न जाने क्यूँ है कहां l

बातेँ ख़त्म होने का नाम नहीं लेती घटों साथ रहा करते थे l

 

 

धीरे धीरे से करीब हो चले हैं जिन्दगी के l

गुम होते जा रहे हैं चिन्ह आवारगी के ll

 

आज आईना भी सच बोल रहा है कि l

और भी नजदीक जा रहे हैं किसी के ll

 

खुद की परछाईं कहती हैं कौन हो के l

आज पास जाकर बैठे हो अजनबी के ll

 

रात भर चाँदनी को हमराह बनाया है l

अजीब शोख पाल रखें है नवाबी के ll

 

महफ़िल की फजाओ में जी रहे हो l

सारे गुण नज़र आते हैं शराबी के ll

 ५-९-२०२४ 

 

तेरा मुस्कराना ग़ज़ब ढा गया l

लम्हें में हृदय में जा समा गया ll

 

शाम होते खुश बाश दिख रहे l

महफ़िलों में रोशनी लगा गया ll

 

खामोशी से कुछ देर के बाद l

फ़िर लौटके आएगा बता गया ll

 

खोया रहता है खयालों में मेरे l

दिल की दुनिया को सजा गया ll

 

उदासियों के लहजे को बदलने l

रूठे जज़्बातों को मना गया ll

६-९-२०२४ 

 

हवाओं में उड़ रहे हो वाह क्या बात हैं l

आज मनपसंद हमराही जो साथ हैं ll

 

तलब और ताल्लुक़ ज़्यादा हो गया l

चाँदनी बरसाती मुरादों वाली रात हैं ll

 

दिल पर अजब हसरतों का साया हैं l

सिद्दत-ए-एहसास-ए प्यार याद हैं ll

 

छोड दे कश्तियों को लहरों के हवाले l

उलझनों को मिटाने हाथों में जाम हैं ll

 

चाय में चाह ओ मुहब्बत में परवाह है l 

अब भी देखने वाले होठों पर दाद हैं ll

७ -९-२०२४ 

 

इश्क़ की नैया को बीच दरिया में नहीं छोड़ा करते l

अरमानों ओ जज़्बातों भरा दिल नहीं तोड़ा करते ll

 

पत्थरों से टूटे हुए तो जुड़ भी जाते हैं वक्त के रहते l

फूलों से टूटा हुआ आईना कभी नहीं जोड़ा करते ll

 

जिंदगी है कभी खुशी देगी कभी ग़म दिखाएगी तो l

अपनों की जरा सी बात पर दिल नहीं थोड़ा करते ll

 

हौसलों के साथ आगे बढ़ने का नाम ही जिन्दगी l

टेड़े मेढे रास्तों की वजह से मंजिले नहीं मोड़ा करते ll

 

बड़ी कठिन डगर है हमराह भी साथ छोड़ चल देता है l

सदा के लिए जानेवालो के पीछे नहीं दोड़ा करते ll

८-९-२०२४ 

 

मलाल तुम्हारा होने का जीने की दुआ देते हैं l

सलीके से जिंदगी को जीना भी सिखा देते हैं ll

 

एक नज़र करके देखे मिरे प्यार की सच्चाई l 

हम मुकम्मल दुआओं का समंदर बहा देते हैं ll

 

महफ़िल में पसीने छूट रहे हैं आज लगातर वो l

निगाहों के नशे के साथ चाहत पिला देते हैं ll

 

लम्हा भर की खुशी सालों इंतजार किया कि l

जीना चाहते जब वस्ल का वादा निभा देते हैं ll

 

कल जो इश्क़ था आज तक वही है सच मानो l

इश्क़ वाले ताउम्र याद करते हुए बिता देते हैं ll

९-९-२०२४ 

 

शिकवा तुमको खोने का अब नहीं रहा हैं l

पास न हो के भी पास ही रहेगे कहा हैं ll

 

सुनो ख़ुदा के घर देर है अंधेर तो नहीं है l

हिसाब लेगे अश्क आंखों से जो बहा हैं ll

 

तुम्हे छोड़कर जाना था सो चल दिये तो l

बिना कोई बात के दर्द खोने का सहा हैं ll

 

जाते हो तो एक बात कान खोल के सुनो l

चैन और सुकून तुम जहा पर हो वहा हैं ll

 

कहीं भी जाओ लौटकर वापिस आना है l

सदा याद रहना दुनिया तुम्हारी यहा हैं ll

१०-९-२०२४ 

 

बेर्शम दोस्त की वजह से परेशान ना होना l

जी जला कर दिल के सुकून को मत खोना ll

 

मुफ़्त में चौबीसों घंटे के पहरेदार है भला l

ऐसे नदीमो की बदौलत गहरी नीद सोना ll

 

हर तरफ हर जगह दिलों में जंग चल रही है l

नफ़रत की ज़मीं पर प्यार के भाव बोना ll

 

इन्सां अपने ही बोझ तले मरता जा रहा तो l

गर हो सके तो इन्सानियत का बोझ ढोना ll

 

क़ायनात की फिझाओमें हवा एसी बह रही कि l

मोहब्बत के दूध की धारा से रश्क को धोना ll

११-९-२०२४ 

 

पैसे के जुगाड़ से जिंदग़ीयाँ पल रहीं हैं l

इसकी टोपी उसके सर ऐसे चल रही हैं ll

 

रोज चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं l 

महगाई के मार से हड्डियाँ गल रही हैं ll

 

मज़दूर वर्ग के लिए कमाई दुष्कर हुईं l

पांव के नीचे की ज़मीं हिल रही हैं ll

 

दोपहर को भूखा बच्चा रोटी लुटे तो l

दुनिया की निगाहों में खल रही हैं ll

 

खाये जाते बेदर्दी सब के पैसों को l

भ्रष्टाचारियों को डाकेटी फ़ल रही हैं ll

१२-९-२०२४ 

 

मोहब्बत जरूरी नहीं ये कहना लाज़मी नहीं l

बिना प्यार के जीना मुकम्मल व्याजबी नहीं ll

 

चारौ और खामोशी ओ तन्हाई छाई हुई है l

हम नवाज के सिवा जिंदगी में ताजगी नहीं ll

 

किस्मत तो देखो बद नशीबी उरूज पे है l

ला-हासिल शख्स की कोई बातमी नहीं ll

 

सभंल के जलाना प्यार के चाराग यारों l

फ़िजा के जर्द की रंगत में सादगी नहीं ll

 

बड़ी सिद्दत के साथ ढूंढना पड़ता है कि l

क़ायनात में कोई भी रत्न पारखी नहीं ll

१३-९-२०२४ 

 

मोहब्बत करके जिन्दगी तबाह कर लो l

आँखों में अश्क दिल में दर्द को भर लो ll

 

उलझने को ज़िंदगी और समझने को उम्र l

वक़्त की पहेली सुलझाने के लिए मर लो ll

 

जो भी मिला, जैसा भी मिला स्वीकार कर l

हसीं खुशी से संसार सागर को तर लो ll

 

महफ़िल में सरेआम दिल की बात सुनाके l

बेपन्हा बेइंतिहा प्यार कर सुकूं हर लो ll

 

इश्क़ वाले होते है बदनाम करने वाले तो l

खुलेआम दिल तोड़ने का इल्ज़ाम सर लो ll

१४-९-२०२४ 

 

हमेशा खुश दिखने की अदाकारी करता रहता हूँ l

निगाहों में अश्क होते हुए गुलकारी करता रहता हूँ ll

 

साथ जीने मरने का वादा करके मुकर जाने वाले l

बेवफा ओ से हस्ते हुए वफादारी करता रहता हूँ ll

 

लगातर प्यार के बारिस की बौछार से पिघले इस लिए l

पथ्थर दिल वालों पर सदा गुलजारी करता रहता हूँ ll

 

हर परिस्थिति और हर हाल में जिंदा रहने के लिए l

आफत का सामना करने की तैयारी करता रहता हूँ ll

 

दुनिया ऐसी है और ऐसी ही रहेगी खुशी से जीने को l

धोखा खाकर भी बारहा समझदारी करता रहता हूँ ll

१५-९-२०२४