वेब सीरीज IC 814 द कंधार - सिरीज़ रिव्यू Dr Sandip Awasthi द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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वेब सीरीज IC 814 द कंधार - सिरीज़ रिव्यू

झूठा सच और गलत उद्देश्य से रची कहानी

___________________________ वेब सीरीज :_IC 814 द कंधार स्टोरी

___डॉ. संदीप अवस्थी

किस तरह फिल्म माध्यम का दुरुपयोग किया जा सकता है यह वेब सीरीज उसका जीता जागता नमूना है। भावनाओं को किस तरह मेनुपुलेट किया जाए यह इसमें है। हर सफेद को काला और काले को सफेद दिखाने की निर्देशक अनुभव सिन्हा, जो पहले एक स्टिंग में फंस चुके हैं जब वह पैसों के बदले कुछ भी ट्वीट करने को तैयार थे। एक सही, राष्ट्रप्रेम को मजबूत करती घटना को किस तरह विदेशी पैसों और ताकतों के दम पर गलत मोड दिया जाता है। 

निर्देशन बेहद खराब, बैक ग्राउंड म्यूजिक लगता है किसी नौसिखिए ने दिया है। अंत का सीन है जब लगातार आठ दिनों से कैद में डेढ़ सौ से अधिक बंधक वाजपाई सरकार की कुशलता और देश के नागरिकों की खातिर पचास में से सिर्फ तीन आतंकी छोड़ने पर रिहा होते हैं। तो यह अवसर उन सभी के लिए और हमारे लिए किसका है खुशी का या दुख का? निसंदेह खुशी का क्योंकि डेढ़ सौ भारतीय जाने बचा ली गई। जबकि उससे पूर्व एक रुबीना सईद के लिए इससे अधिक आतंकवादी और मोटा पैसा दिया गया था। तो इस खुशी के अवसर पर निर्देशक दुख भरा, रोने वाला बैकग्राउंड संगीत बजाता है। प्लेन के यात्री उतरकर तत्कालीन मंत्री जसवंत सिंह के साथ भारत अपने परिवार के पास जाएंगे पर हमारे निर्देशक इसे यूं दिखा रहे मानो बंधक कैद से छूटने पर शोक में हैं। निर्देशकीय दिवालियापन का एक उद्धरण यह भी की दोनो एयर होस्टेज और मुख्य पायलेट जब आखिर में प्लेन से उतर रहीं हैं तो वह बड़ी हसरत भरी निगाह प्लेन में और केबिन में डालती हैं, मानो उतरना ही नही चाहती। उन्हे आतंकियों और उन हालातों से लगाव हो गया है। फिर कब मिलेंगे टाइप। 

जबकि हकीकत इससे उल्टी है। इसीलिए कोर्ट में इस वेब सीरीज में अनगिनत तथ्यों को गलत और झूट दिखाने पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कड़ा रुख अपनाया और नेटफ्लिक्स के भारत प्रमुख और अधिकारियों को कड़ी फटकार के साथ इसे ठीक करने को कहा। और चेतावनी दी की ऐसा झूठा कॉन्टेंट आप ओटीटी पर नही दिखा सकते। 

सिनेमा आजकल तीन श्रेणियों में बंट गया है। एक चमकीली बनावटी दुनिया, जहां गरीब ड्राइवर का घर भी महल जैसा है। घर के गरीब लोग डिजाइनर कपड़े पहनते हैं। और सभी एक ही लय में कोरियाग्राफ किया डांस करते हैं। फिलहाल इनके बुरे दिन चल रहे। दूसरा सिनेमा (इसमें वेब सीरीज भी शामिल माने) वह है जो यथार्थवादी है। जिसमें सामान्य बातें, सामान्य चिंताएं, समस्याएं और उनके फिल्मी समाधान हैं। इनकी, लगभग हर फिल्म में, वही बॉस से परेशानी, बीवी से झगड़ा, समस्याएं, करप्ट पुलिस और सिस्टम और एक गाड़ी जरूर होगी। साथ ही ऐसे गांव कस्बे होंगे जहां हीरोइन और उसकी मा बाकायदा पार्लर से आईब्रो और फेशियल रोज करवाते हैं। तीसरी श्रेणी अभी थोड़ी अधिक एक्टिव है, जो राजनीति का फिल्मीकरण कर रही है। विवेक अग्निहोत्री, अतुल कुमार अग्रवाल, इनकी कश्मीर पर  नए एंगल से बनी फिल्म जल्द आ रही है, अनुभव सिन्हा इसके पुरोधा हैं। यह किसी गंभीर समस्या को लेकर पूरी गभीरता से फिल्म बनाते हैं और उसे अपने या कहें राजनेतिक विचारधारा के सत्य के अनुकूल परदे पर लाते हैं। कुछ बेहतरीन प्रयास सराहे गए। आप सबने जरूर देखें होंगे आर्टिकल तीन सौ सत्तर, कश्मीर फाइल्स, ताशकंद फाइल्स, आर्टिकल दो सौ सत्तर आदि और यह सब बेहद सफल रहे। क्योंकि तथ्यों और सत्य को मिलाकर सिनेमा बनाया गया। 

लेकिन तथ्यों से यदि आप अपने एजेंडे से छेड़छाड़ करें और दूसरा ही, गलत और विपरीत रूप जानकर दें तो वह गलत होगा। आई सी 814 कंधार स्टोरी ऐसी ही वेब सीरीज है। जो शुरू तो अच्छे मकसद से की गई पर मध्य में अन्य एजेंडा आने से मामला कोर्ट तक पहुंच गया। 

 

स्टोरी लाइन और अभिनय

______________________ कहानी की सच्चाई हमने देखी है। और वह दृश्य आज भी आंखो में ताजा हैं उन लोगों के जो आज पच्चीस वर्ष से ऊपर के हैं। 

दिसंबर उन्नीस सौ निन्यानवे की यह घटना टीवी पर

पूरी दुनिया ने देखा किस तरह इंडियन एयरलाइंस के जंबो विमान को हाइजैक कर लिया गया। विशाल भारतीग प्लेन खड़ा है कंधार काबुल में और उसके चारों और तालिबानी आतंकी और कबीले के लोग जीप , कार और हथियारों से घेरे हैं। 

इसमें पूरी तरह से आईएसआई, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का हाथ था, और अफगान के तालिबानी लोग इसमें इन्वॉल्व थे। यह फैक्ट बाकायदा भारत सरकार की रिपोर्ट में और यूएनओ में फाइल शिकायत में हैं। तभी से एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच कई स्तर की होने लगी। 

आते हैं कहानी पर जो सभी जानते हैं की काठमांडू से फ्लाइट इंडियन एयरलाइंस की 814 दिल्ली के दो घंटे के सफर पर निकलती है परंतु आठ दिनों तक नही पहुंचती है। दरअसल नेपाल चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान अमेरिका और भारत पांचों की जासूसी एजेंसियों का केंद्र बिंदु है। लचर व्यवस्था, कमजोर सरकारें और ऐसी भौगोलिक स्थिति की सड़क के रास्ते भी आप चंद घंटों में चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान पहुंच सकते हो। आप सोचेंगे आम व्यक्ति, टूरिस्ट को इससे क्या? परंतु यही आसान रास्ता, जिसे टिंबर टेल भी कहते हैं, अफ़ीम, हेरोइन आदि ड्रग्स, हवाला की बड़ी बड़ी रकमें, आतंकवादी सभी के लिए यह सुगम है। और स्वाभाविक है इन सबका निशाना हमारा आपका भारतवर्ष है। 

हाइजैक होता है फ्लाइट दिल्ली के नजदीक से अमृतसर रुकती है। यहां वातस्व में उन्नीस सौ निन्यांवे में आतंकी, जिन्हे पूरी फिल्म में अनुभव सिन्हा, जैसे मंद बुद्धि और लालची निर्देशक ने सिपाही या सोल्जर बताया है, कई यात्रियों के साथ मारपीट और दो को तो मार ही देते हैं पर एक गला कटा होने पर भी एयर होस्टेज की मदद से सर्वाइव करता है। 

हर तरह का आतंक, भय और जुल्म उस फ्लाइट के एक सौ पचेत्तर यात्रियों ने सहा , झेला। भारत सरकार ने जसवंत सिंह, विदेश मंत्री को तुरंत आतंकियों की जायज नाजायज मांगों को मानकर उन्हें छुड़ाने के लिए कंधार भेजा। तीन खतरनाक आतंकी जिसमें अजहर मसूद भी शामिल है छोड़े गए और सकुशल यात्री भारत जसवंत सिंह जी के साथ आए। वाजपाई सरकार की यह बड़ी सफलता थी। 

फिल्म लगातार उल्टा नेरेटिव दिखाती है। निर्देशक की कुटिलता कहें या विदेशियों से हमदर्दी, वह भारतीयों की जगह आतंकियों की हिमायत और पैरवी करता है। तभी अभी अभी अजहर मसूद, उस समय छोड़े गए आतंकी ने, अभी सितंबर 2024 को एक्स पर उस प्लेन की फोटो डालकर निर्देशक अनुभव सिन्हा की बातों को समर्थन दिया और सिद्ध किया की यह वेब सीरीज आतंकियों के प्वाइंट ऑफ व्यू से बनाई गई। देखें कुछ बातें........

1. आतंकियों को हिंदू नामों से प्लेन में संबोधित करता है। जबकि वह कट्टर जेहादी थे। 

2. पाकिस्तानी आईएसआई का पूरा हाथ था। यह उस वक्त भी जाहिर था पर यहां उन्हें भला बताया गया। 

3.अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पूरी तरह वहां प्लेन की और आतंकियों की सुरक्षा और बैकअप कर रही थी। यह पूरी दुनिया ने उस वक्त भी देखा था। यहां संवाद है तालिबान सरकार के मंत्री मुल्आ उमर का, जो खुद आतंकवादी रह चुका है, "किसी को भी खून बहाने नही दिया जाएगा कंधार की धरती पर। " तरस आता है निर्देशक की पक्षधर्मिता पर कि आतंकियों के खिलाफ भारतीय अधिकारी बेहतरीन पचास से अधिक कमांडो को लेकर कंधार क्यों गए थे उस वक्त? एक देश अपने नागरिकों को बचाने के लिए ऑपरेशन कमांडो करता। जबकि आतंकी निर्दोष, मासूमों को मार रहे थे । दोनों को बराबर कर दिया की कोई खून खराबा नही होगा। 

4 तालिबानी सरकार के मंत्री और हर अधिकारी उस वक्त हर कदम भारतीयों अधिकारियों का आतंकियों को बता ही नही रहे थे बल्कि आईएसआई के निर्देश भी पहुंचा रहे थे। यह घटनाक्रम सीरीज में पूरा गायब सा करके यह दिखाया है की मानो अफगानी इन लोगों ने हमारी मदद की और उनकी मानवीयता से हम छूट सके। My foot , rubbish .

और जैसा प्रारंभ में कहा, अंत में जब ड्रामें का अंत हुआ तो ऐसी धुन और दृश्य रचे मानो बंधकों को छूटने का दुख हो रहा है। 

इस फ्लाइट के पायलट ने निसंदेह उस वक्त बेहतरीन कार्य किया था पर कहीं भी उस बहादुर पायलट का असली नाम नही बताया। 

उसने पूरी कोशिश की जहां तक हो सका यात्रियों को आतंकियों से बचा सके। 

अभिनय में तीन किरदार असर छोड़ते हैं। एक मनोज पाहवा, जो कॉमेडी के लिए ही मशहूर थे, इस फिल्म में आतंकियों से नेगोशिएट करते विदेश मंत्रालय के अफसर के रूप में बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ते हैं। दूसरे पंकज कपूर जो विदेश मंत्री जसवंत सिंह के किरदार की गंभीरता और जिम्मेदारी को बहुत संयमित ढंग से निभाते हैं। ऐसे की सभी दृश्यों में वह नसीरुद्दीन शाह पर भारी पड़े हैं। जबकि नसीर का अभिनय और बॉडी लैंग्वेज बिलकुल भी किरदार के अनुकूल नहीं था। बेकार अभिनय किया इन्होंने। हर हाल में यह नसीर ही लगे न की सुरक्षा सलाहकार। ऊपर से निर्देशक और संवाद लेखक की चूक से ऐसे संवाद और अभिनय किया की नसीर का किरदार कुछ दृश्य जो इन्हें मिले, उसमें हर पहल को, हर एक्शन उठाने वाले कदम को रोकता ही नजर आया या उस पर सवाल उठाकर उसे डंब करता। ऊपर से अपने माननीय मंत्री से ऐसे बात करता है की मानो मंत्री वह नही बल्कि खुद नसीर का किरदार है। 

अंत में वेब सीरीज में दिखाई इन तमाम गलत और आतंकियों के दृष्टिकोण के कारण यह प्रभाव नहीं छोड़ पाती और अनर्गल प्रलाप निर्देशक अनुभव सिन्हा का बनकर रह जाती है। 

इस पर कानूनी कार्यवाही की खबर पढ़ी होगी आपने। साथ ही नेटफिक्स भारत के हैड और अन्य अधिकारियों को इसके लिए माफी मांगनी पड़ी और डिस्क्लेमर भी लगाना पड़ा। 

इन सभी फैक्ट्स को जो मैंने ऊपर लिखे पढ़कर आप चाहें तो यह फ्लॉप वेब सीरीज देखकर अपने गुस्से पर काबू पाना सीख सकते हैं। किस प्रकार कुछ लोग महज पैसा कमाने के लिए कुछ भी गलत सलत, झूट दिखा देते हैं। यह बंद होना चाहिए। 

कश्मीर फाइल्स, केरला स्टोरी और आर्टिकल तीन सौ सत्तर, नीरजा जैसी सत्य को सत्य दिखाने वाली वेब सीरीज, फिल्म बननी चाहिए न की कंधार 814 जैसी। 

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